मानवता का अर्थ। manvata ka arth | ( Meaning of humanity)

मानवता का अर्थ ( manvata ka arth) सच्चे मूल्य और आदर्श के साथ जीवन को जीना।मानवता के गुणों को धारण कर हम इस जीवन में खुशी और आनंद के साथ अपनी जीवन यात्रा का आनंद ले सकते हैं। मानवता सच्चे अर्थों में सेवा और देने की भावना होती है।मानव सेवा की भावना से जो सुख मिलता है,वह गहरा और सच्चा होता है,जो सुख के साथ साथ हमें मानसिक शांति भी देता है। यह शांति हमे एक दुर्लभ एहसास कराती है,की हम मानव हैं। मानवता की भावना से हमारे मस्तिस्क में नये रसायन और हार्मोन स्रावित होने लगते हैं, जो हमें सुख की अनुभूति करवाते हैं।

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मानवता का स्वरूप सेवा (manvata ka svaroop)

जब हमारे अंदर मानवता का जन्म होता है तभी सच्चे अर्थों में हम धार्मिक और सेवक बन पाते हैं। धर्म का एक अर्थ सेवा भी है, जो हमें जरूरतमंद मानव की तन मन धन से या जो हमारे पास उपलब्ध है उससे सेवा करने की प्रेरोना देती है।

मानवता ही मानव धर्म (manvata hi manav dharm )

मानव ईश्वर की सबसे सर्वोत्तम रचना है। मानव को सर्वोच्च पद उसकी संरचना से नहीं,बल्कि उसके सद्गुणों से प्राप्त होता है। सहयोग,सदाचार,सद्भावना, प्यार ,दया,की भावना मानव को सर्वश्रेष्ठ और महान बनाती है। इस संसार में मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं और इस धर्म को जाने और अपनाए बिना सुख शांति समृद्धि सफलता धन वैभव आनंद प्रसन्नता के कुछ भी प्राप्ति संभव नहीं हो पाता है।इस मानवता के उजागर के लिए मन मंदिर में ज्ञान के दीप जलाना अति आवश्यक है।

 मानवता मनुष्य का पहला धर्म है।जब तक मानव इस मानवता के धर्म को धारण नहीं करता तब तक उसकी शुरुआत नहीं हो पाती।जिस तरह पहला कदम चलने से ही हम लाखों कदम चल पाते हैं उसी तरह जब तक हम मानवता के पहले कदम को नहीं बढ़ाते तब तक सफलता हमें परिणाम स्वरूप दिखाई नहीं देती।

मानवता की शिक्षा (manvata kise kahte hai )

जन्म के बाद हम अपनी बुद्धि के विकास के लिए शिक्षा को तो महत्व दे रहे हैं और इसकी वजह से हम बुद्धिमान भी हो रहे हैं, बहुत पैसा,समृद्धि कमा रहे हैं, किंतु इस मानवता की शिक्षा को जो हमें धर्म के मूल से मिलती है,इसके लिए भी हमें ध्यान देना है। हम मानव बन सके,इस शिक्षा को प्राप्त करने के लिए हमें सद्गुरु, सत्य वचन, और हमारे धर्म ग्रंथों से जुड़कर कुछ जीवन जीने की मूल बातों को निरंतर सीखना और जानना आवश्यक है। 

  कमाल की बात है हम चंद्रमा और अंतरिक्ष पर तो हम चलना सीख गए किंतु, मानव के मानवीयता के गुणों को सीख नहीं पाए, पूर्ण मानव बन नहीं पाए।खुश रहने का विज्ञान और जीवन को खुशहाल जीवन जीने का विज्ञान सीखना हर मानव की प्राथमिकता होनी चाहिए। कहीं-कहीं यह भी सुनने को मिलता है कि यह गुण अपने आप ही मानव को प्राप्त हो जाता है, सीखता है, किंतु यह भ्रम हुई बुद्धि मात्र है और कुछ नहीं।

मानवता किसे कहते हैं (manvata kise kahte hai)

मानवता धर्म का सर्वश्रेष्ठ स्वरूप है।हम सच्चे अर्थ में मानव तभी बनते हैं जब हम मानव होने के गुणों को धारण करते हैं।कमाल की बात है हम परमात्मा को तो मानते हैं पर धर्मशास्त्र और परमात्मा की बातों को नहीं मानते जिसकी वजह से हम पूर्ण मानव नहीं बन पाते।

मानवता ही विश्व सत्य (manvata hi vishv satya)

हमारे शास्त्रों में मानवीयता को मनुष्य का आभूषण स्वरूप माना गया है।मानवीयता की सुंदरता उसके सुख दुख में खुश रहने से मानी जाती है।मानवता की सुरक्षा का अर्थ है हम सब मानव होने के गुण मानवता को समझें क्योंकि इस भावना की समझ मात्र से सारा विश्व एक दूसरे के सहयोग की भावना से एक दूसरे के विकास की राह पर चल सकता है।

मानवता पर विचार (manvata par vichar)

उस मनुष्य का दर्जा समाज में हमेशा ऊंचा होता है जो मानवता की भलाई के लिए कार्य करता है।

मनुष्य की मानवता उसे वक्त समाप्त हो जाती है जिस क्षणों वह दूसरे मनुष्यों के दुख का कारण बनता है।

मानवता का एक अर्थ मदद के लिए तैयार होना भी है।

मानवता से सारे विश्व के मानव की बुनियादी जरूरतें पूरी होती है।

मानवता को जानने से दुर्बल को कमजोर पर अत्याचार बंद कर,उनकी भी समान भावना से सहयोग देकर उन्हें ऊपर उठाने की भावना जागृत होती है।

मानवता इंसान को समाजिक भ्रष्टाचार और बुराई का विरोध करने की शक्ति और जागृति देती है।

मानवता इंसान को शिक्षित होने की प्रेरणा देती है मानवता इंसान को पर्यावरण की रक्षा का बहुत पसंद आती है

मानवता के गुण (manvata ke gun)

मानवता के गुण जब मनुष्य में भरते हैं दिखाई देते हैं सब मनुष्य का यह स्वरूप सामने आता है वह बुद्धिमान कुलीन और अच्छे व्यवहार वाला दिखाई देता है स्वर ज्ञान के विचारों से परिपूर्ण होता है मन को संयमित रखने वाला पराक्रमी कम बोलने वाला दान करने वाला कृतज्ञता की भावना रखने वाला दूसरों का उपकार याद रखने वाला इन शब्दों की वजह से वह मनुष्य अपने क्षेत्र का नेतृत्व में भी करता है जीवन को भी खुशियों से जी पाता है बहादुर होता है और निर्भय होकर और चुनौतियों का सामना करता है दया प्यार और दयालुता की भावना यह बोलती मानवता की कामना करने पर दिखाई देते हैं |

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मानवता क्या देती है (manvata kya deti hai )

मानवता हमें लाखों लोगों की दुआ से उजागर करती है हम अपने आप में दरबान विद महसूस करने लगते हैं खुशियों से हमारा मन लबालब भर जाता है और यह भावना है हमें और समाज के प्रति जागृत करते हैं मानवता मनुष्य के जीवन को प्रभावित करने वाला प्रधान कारण है जब तक हम मानव बनने के गुणों को नहीं समझ पाते जीवन जीने का आनंद हम उठा नहीं पाए मानवता के प्रति कर्तव्य मानव होने का सौभाग्य मानव होने का मूल्य जाने पर कि हम सुख और खुशी का अनुभव करते हैं

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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