International happiness day 2023

खुशी

किसी भी देश की उन्नति उसकी शिक्षा के स्तर और उसके लोगों की खुशी पर निर्भर करती है देश की शिक्षा वयवस्था और वहां के लोगों की जीवन शैली उनका रहन-सहन उनके सोचने का ढंग उनके बच्चों की परवरिश,वहां के खुशी के पैमानों को तय करती है।अगर संभव हो तो शिक्षा व्यवस्था हर बच्चे के लिए सरकारी स्तर पर हो और मुफ्त हो।

Table of Contents

असली खुशी स्वास्थ्य धन

सच्ची और असली खुशी निरोग रहकर जीवन गुजारने में है,इसलिए इस खुशी को हर बच्चा जीवन भर प्राप्त कर सके इसके लिए शिक्षा के दौरान उसे स्वस्थ जीवन को जीने का महत्व सिखाना जरूरी है।शिक्षा में स्वास्थ्य के महत्व को 10 वर्ष की उम्र से ही समझाया और सिखाये जाने की जिम्मेवारी विद्या प्रतिष्ठानों में होना अनिवार्य होना चाहिए। इससे बच्चों के अवचेतन मन में स्वस्थ रहने की जिम्मेदारी स्वयं से प्रकट हो आएगी,और वह स्वस्थ जीवन जीने के लिए जीवन शैली पर काम करेंगे। इसके लिए उन्हें हर संभव प्राथमिकता देकर सीखाना और बताना जरूरी है।हम सब स्वस्थ रहे और इसके उपरांत अगर कहीं जरूरत पड़े तो हर तरह की स्वास्थ्य की व्यवस्था सरकारी स्तर पर और मुफ्त हो।

परिवार का महत्व मित्रों का चयन

खुश रहने के लिए परिवार का साथ होना कितना जरूरी है यह भी शिक्षा प्रतिष्ठानों में लगातार हर उम्र में सिखाया और बताया जाना बहुत जरूरी है। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं उनमें ईर्ष्या और राग, द्वेष की भावना पनपती है,जो उन्हें परिवार और समाज से अलग कर देती है, इससे उनका जीवन निराशाजनक भी हो जाता है,इसलिए उनको परिवार के महत्व को लगातार बताना अनिवार्य है,उनको सिखाना जरूरी है।

इसी तरह अपने मित्रों का चयन और मित्रों का साथ भी जीवन में खुशियों को संजोना उनके लिए कितना महत्व रखता है यह भी सिखाया और बताया जाना जरूरी है। ये इन मित्रों का चयन को कैसे करें,कैसे इस मित्रता को निभाएं। मित्र का महत्व चुनौती की परिस्थितियों में कैसा होता है इसके लिए उनका ज्ञान और अनुभव होना, बहुत जरूरी है,इसलिए जीवन की निरंतर खुशी और खुशहाल जीवन के लिए मित्र और परिवार का महत्व से उनको अवगत कराना बहुत जरूरी है।

लगातार धन की व्यवस्था के लिए भी उन्हें प्राथमिक रूप से शिक्षित करना आवश्यक है

जीवन में धन के होने से ही खुशियों का सरोबार बना रहता है।हालांकि शिक्षा में सफलता मिलने के बाद ही हर बच्चा धन कमाता है,या यूं कह सकते हैं सरस्वती के बाद ही जीवन में लक्ष्मी को प्रकट कर पाता है।इसके लिए इसके महत्व को भी उनको बताया जाना बहुत जरूरी है।ज्यादातर स्कूल और कॉलेजों में इस बात को भी बताया जाना जरूरी है कि वे व्यापार या नौकरी क्यों करें।उनके लिए कौन सी चीज अनुकूल होगी किस तरह के दैनिक दिनचर्या के लिए धन कमाने के लिए अपनी,विद्या को इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसके अलावा विद्या के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट या किसी अन्य चीज को भी सीखते रहना,पैसों को बचाना,उसे निवेश करना, आदि प्राथमिक बातें उनको स्कूल के दिनों से ही बताई जाए और लगातार बताई जानी बहुत जरूरी है,इससे वह जब अपने सामान्य व्यवहारिक जीवन में प्रवेश करता है तो वह इस महत्व को याद रख धन के महत्व को समझ अपने जीवन निर्वाह को आसानी से कर पाता है।

खुशी के लिए अपने धर्म और संस्कृति से जुड़ना

इसी तरह हम धर्म से जूड़कर,उनसे जुड़े किसी आध्यात्मिक पुरुष के संपर्क में आते हैं तो हमें धर्म से जुड़ी नई नई जानकारियां मिलती है,जिससे जीवन जीने के नए-नए तरीके और चुनौतियों से लड़ने के नए-नए समाधान के रास्ते मिलते हैं इससे हमारी प्रसन्नता का स्तर भी बढ़ता जाता है।

अपने मस्तिष्क को सभ्यता संस्कृति आध्यात्मिकता और मेंटर के साथ जोड़कर भी हम अपने मन मस्तिष्क को नए-नए ज्ञान से ऊर्जावान बनाकर उसमें,नए-नए रसायन उत्पन्न करने में मदद कर,कंट्रोल कर सकते हैं। जब हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को अपनाते है,तो हम नए नए लोगों और सोच से जुड़ते हैं उनके विचारों को जानने का अवसर भी हमें मिलता है,जिससे हमारे मस्तिष्क में ज्ञान के नये नये अनुभव प्राप्त कर वे इससे हमें खुश होते है।

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खुशी के विज्ञान को जानना और पढ़ना पढ़ना अनिवार्य हो

आने वाली जीवन की खुशियों के बीज को बोना हमारे हाथ में है और इसके लिए जरूरी है हम जल्दी से जल्दी खुशियों की खेती प्रारंभ करें। खुश रहने के नए-नए तरीकों को जाने और इसके लिए हम नई-नई ज्ञान की पुस्तकें पढ़ें और उस मिले ज्ञान की तकनीक से खेती करना आरंभ करें जिससे हम भविष्य में खुश रह सके।इसके लिए आप हमारे ब्लॉग को भी गहराई से पढ़ सकते हैं इसमें खुश रहने के 100 से अधिक तरीके बताए गए हैं। सरकार द्वारा अधिक से अधिक पुस्तकालय की व्यवस्था और पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाने पर काम करने की आवश्यकता है

मन को जानना जीवन में

अगर हम मन के वश में हैं,तो हमारे जीवनमें संघर्ष चलता है,और हमारा मन यदि हमारे वश में है, तो हम खुशियों को आसानी से प्राप्त कर सकते है। इसलिए हम किसी भी वस्तु को प्राप्त करने से पहले अपने मन के विचारों से ना जूड़कर, अपने अंतिम निर्णय को अपनी बुद्धि और विवेक के द्वारा ले,और इस बात पर चिंतन करें की यह हमारे लिए उपयोगी होगीकी नहीं,यह हमारे खुशी की खेती स्वरूप काम करेगी या हमारे लिए नुकसान देह होगी। इस तरह विचार कर हम बुद्धि और विवेक के द्वारा ही निर्णय लें।

हमारे मन और हमारे दिमाग पर हम नियंत्रण मात्र से हम अपनी खुशी को आसानी से संजो सकते हैं।

हमारा संग और खुशी

हमारे आसपास हम कैसे लोगों का संग करते हैं इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। इसे हम जिंदगी में हस्बैंड और वाइफ के रिलेशन से सीख सकते हैं।अगर हस्बैंड स्नेह और खुश मिजाज है तो वाइफ हमेशा खुश रहती है और अगर वाइफ खुश मिजाज है तो हस्बैंड हमेशा खुश रहता है।इसके विपरीत अगर किसी एक का भी स्वभाव खराब होता है तो वह दूसरे पर इफेक्ट करता है,इसी तरह हम अपने कार्यस्थल में भी जैसे लोगों का संग करते हैं वैसा हमारा मन और व्यवहार बनते चला जाता है।

खुशियों के लिए अपनों से जुड़े रहे

हर परिस्थिति में हम अपने लोगों के साथ ही रहे,अपने वे जिन पर हम पूरा भरोसा रखते हैं जो हर परिस्थिति में हमारा साथ देते हैं।क्योंकि यह लोग ही हमें निर्भय बनाते है,जिससे हम खुशी महसूस करते हैं,जिससे हमारे मन में संतुष्टि और भरोसा आता है। अपनों का साथ हमें जीवन के उन दोनों परिस्थिति से बचाता है जिसके एक पलड़े पर खुशी और दूसरे पर चुनौती की परिस्थितियां होती है, और फिर अंतत इससे हम खुशी का अनुभव करते हैं। जीवन में जब प्यार और अपनों का साथ होता है तभी हम खुश रह पाते हैं।

ऐसा देखने में आता है जो लोग परिवार और के साथ जुड़े रहते हैं उनकी जिंदगी लंबी और खुशहाल होती है।ये जीवन भर मुस्कुराते और हंसते हुए अपना जीवन अपने परिवार और समाज के साथ जूड़ कर व्यतीत करते हैं।

आदत और खुशी

अच्छा करने की आदत बनाते रहने से भी हमें लगातार खुशियां मिलती है और ऐसा हर धर्म में देखा जाता है। ऐसा हो सकता है यह यह आदतें और क्रियाएं अलग अलग धर्म में अलग अलग हो,किंतु अच्छा करने की आदत बनाने वाले लोग हमेशा खुश देखे जाते हैं।

अपने काम से प्रेम

अपने कर्तव्य और दायित्व को अपनी जिम्मेदारी समझकर बखूबी निभाने वाले लोग भी खुश नजर आते हैं।वे हर परिस्थिति में अपना काम ईमानदारी और सच्चाई से करते हैं जो उन्हें मन की संतुष्टि और खुशियां देती है।

दूसरों की मदद करने के लिए आगे रहने वाले

दूसरों की चुनौतियां को हल करने वाले, उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए तन मन धन से मदद के लिए तैयार रहने वाले के ऊपर ब्रम्हांड और ऊपर वाले की विशेष कृपा देखने में आती है।वे हर स्थिति में प्रचुरता, समृद्धि,सफलता और धन को प्राप्त करते हैं। अपने जीवन में परिवार और मित्र के साथ जुड़कर आनंद और हर्षोल्लास के साथ जीवन व्यतीत करते हैं।

पवित्रता और स्वच्छता से प्रदूषण को खत्म

पवित्रता और स्वच्छता भी हमें हमारे जीवन में खुशियों की तरंगे महसूस कराती है।ऐसा देखा जाता है जब हम किसी पवित्र और साफ-सुथरे स्थल पर भ्रमण के लिए जाते हैं तो हमारा मन खुशी और उमंग से भर जाता है।इसी तरह जब हम किसी पांच सितारा होटल में जाते हैं जहां सब चीजें व्यवस्थित होती हैं,वहां भी हमें खुशियों की अनुभूति होती है। इसलिए खुशी के लिए व्यवस्थित और अनुशासित तथा नियमित और नियंत्रित होना भी जरूरी है। हम निश्चिंत होकर पवित्रता और स्वच्छता से जुड़कर खुशी की अनुभूति कर सकते हैं.

पर्यावरण की रक्षा के लिए वृक्ष लगाने पर जोर

शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट से रोजगार की चुनौती को खत्म करना

खुशी को पढ़ा कर आतंकवाद को खत्म करना भ्रष्टाचार को खत्म करना

उत्पादों को गो उत्पादों को बढ़ावा देना

टूरिज्म के जरिए अपने प्रदेश को सजाना रोजगार को बढ़ावा देना और लोगों में उत्साह की भावना को प्रेरित करना

खुशियों के द्वारा अंदर के दुख विचार को खत्म करना

परिवहन में इलेक्ट्रिक कार और अधिक से अधिक साइकलिंग को प्रयोग करने पर जोर देना

खुशी खुशी खुशी हम सब मानव की मांग

शिक्षा की व्यवस्था शहर के बाहर प्राकृतिक वातावरण के बीच की जाए शिक्षा को प्रातः काल 7:00 से 12:00 बजे तक किया जाए

सभी रास्तों और मुख्य स्थलों के नाम के साथ हैप्पी शब्द को जोड़ा जाए

अपने आस-पास के पार्क और दर्शनीय स्थलों को खूब सजाया जाए

हर उम्र के व्यक्ति की पढ़ने में रुचि बराबर बनी रहे इसके लिए शहर शहर गांव गांव में पुस्तकालय को निर्माण में जोड़ दिया जाए

पढ़े-लिखे और अनुभवी व्यक्तियों को ही सत्ता में प्रशासन में नेतृत्व का योगदान दिया जाए अगर जरूरी हो तो इसके लिए देश के मोटिवेशनल स्पीकर राजगुरु का चयन किया जाए

इस तरह इन सब बातों को जानना और जानकर अपने जीवन में उतारना ही हमें खुशी देता है और यह खुशी हम सबकी जरूरत और मांग भी है, इसके लिए हमें इस खुशी को प्रधान विषय के रूप में कक्षा मे सीखना पढ़ना और जानना जरूरी है।

जय श्री कृष्ण

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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