एक स्थाई कल के लिए क्यों जरूरी है लैंगिक समानता ? On Occasion of World Womens Day 2022
स्त्री समाज की शक्ति है, जो सृजन करती है,नई पीढ़ी को जन्म देती है,सृष्टि का संचार करती है,इसके बावजूद हम इस नारी शक्ति को कहीं ना कहीं पुरुषों से कमजोर समझते हैं। जिस स्त्री के बिना हम अपना परिवार, अपना समाज, नहीं बना सकते और इसके बावजूद भी हम नारी को समानता नहीं दे पा रहे।
इस कड़ी में शुरुआत करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है,नारी शिक्षा को महत्व देना, नारी को शिक्षित करना,और उनके प्रशिक्षण को पुरुष की तरह ही समानता देना। ताकि देश का सामाजिक और आर्थिक दोनों स्तर दोनों बढ़ सके, समाज से इन दोनों में असमानता का जो दौर है,वो खत्म हो सके।
इस कड़ी में समानता के लिए पुरुषों को इस बात को महत्व देना और समझना होगा जब एक पुरुष शिक्षित होता है, तब एकमात्र वही पुरुष शिक्षित होता है,किंतु जब एक नारी शिक्षित होती है ,तब उस नारी का पूरा परिवार शिक्षित होता है,और उसके प्रभाव से पूरा देश भी शिक्षित हो जाता है।पुरुष को यह समझना होगा की नारी पुरुष की पूरक है।
नारी को आज के युग में पुरुषों के समान ही दर्जा दिया जाना क्यों जरूरी है?
Table of Contents
आर्थिक स्वतंत्रता | World Womens Day 2022
१) आज के इस आर्थिक युग में जहां हम भौतिक जीवन को महत्व दे रहे हैं,हमारे खर्चे निरंतर बढ़ रहे हैं,हमारी जरूरत इतनी बढ़ रही है,जिसे वर्तमान में एकमात्र पुरुष के कमाने से पूरा नहीं किया जा सकता। तब यह बहुत जरूरी है स्त्री और पुरुष दोनों कमाएं,ताकि आर्थिक स्वतंत्रता मिले, खुशियां मिले,और अभावग्रस्त जीवन ना जीना पड़े।
देश सुरक्षा|
२) जहां नारी और पुरुष दोनों को समान भाव से देखा जाता है,उस देश की सुरक्षा व्यवस्था भी काफी मजबूत हो जाती है ,क्योंकि वह देश आर्थिक रूप से तो मजबूत होता ही है,वह अपनी सुरक्षा करने में भी प्रचुर मात्रा में सक्षम हो जाता है।जब देश का हर युवा और युवती देश की सुरक्षा के लिए भी प्रशिक्षित किया जाता है तब उस देश का सैन्य बल भी बढ़ जाता है, जिससे उस देश की सुरक्षा क्षमता दोगुनी हो जाती है। दुश्मन मुल्क उस पर आंख उठा कर देख नहीं पाता।
अपराध में कमी|
३) जब महिला को समानता का अधिकार दिया जाता है,तो उसे शिक्षित तो किया ही जाता है उसे अपनी सुरक्षा करने की भी तरकीबें सिखाई जाती है,जिससे वे सशक्त होती हैं,जिससे पुरुष – महिला को कमजोर समझ कर उनका शोषण नहीं कर पाते उन्हें दबा नहीं पाते।
नारी शक्तिशाली|
नारी जब शक्तिशाली होती है तब नारी के पास जो होता है,वह उस शक्ति के द्वारा अपने परिवार और अपने आसपास के लोगों को जागृत करती है,जिससे आसपास का माहौल बहुत ही सकारात्मक और शक्तिशाली बनता है।
नारी स्वास्थ्य|
इस तरह की असमानता को दूर करने से नारी जब जागृत होती है तो उसका स्वयं का स्वास्थ्य भी अच्छा होने लगता है।उसमें सकारात्मकता की भावना बढ़ने लगती है। क्योंकि ज्यादातर यह देखा जाता है कि, वे जब ग्रहणी या होममेकर के रूप में सामने आती है तो वह स्वयं भी अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करती है,और परिवार के अन्य सदस्य भी उनके स्वास्थ्य को ध्यान नहीं देते।
समय भी दुगुना|
जब स्त्री और पुरुष को दो भावना से देखा जाता है,असमानता का भाव जब रखा जाता है, तब पुरुष प्रातः काल उठकर अपना समय बर्बाद करते हैं, वे अपनी जिम्मेदारी एक नियमित ही समझते हैं,सुबह उठकर इधर उधर टहल कर सोशल मीडिया पर इंटरटेनमेंट,कर अपना समय बर्बाद करते हैं। अगर इस असमानता की भावना को खत्म कर दिया जाए तो पुरुष भी अपनी जिम्मेदारी समझ कर सुबह के समय, नारी के कार्यों में हाथ बांट कर उनका भी समय बचा सकते हैं, इससे देश का समय भी बच सकता है,जिससे नारियों के पास अतिरिक्त समय होगा, उनकी भी अधिक कार्य क्षमता बढ़ जाएगी। शक्ति और अधिक समय से देश विकास की ओर बढ़ सकता है।
पुरुष का कर्तव्य|
जब नारी असमानता को ध्यान रखा गया तब कई देशों में ऐसा भी नियम किया गया कि जब नारी बच्चे को जन्म देती हैं,उस समय उसके साथ ही पुरुष को भी रखा गया। उसके साथ 1 महीने तक पुरुष भी साथ देखभाल के लिए नारी और बच्चे के साथ रहा,जिससे नारी को बल मिला, पुरुष को अपना कर्तव्य महसूस हुआ ,और दोनों में समान भाव से प्यार भी जागृत होता है।
आत्मनिर्भर भारत|
अगर हम नारी स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं ,नारी असमानता को दूर करते हैं तो यह हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने में भी अत्यंत कारगर सिद्ध हो सकता है क्योंकि जब एक से दो कमाने वाले हो एक से दो रक्षक हो,एक से दो शक्तिशाली हो, तो वह देश हर हाल में विश्व शक्ति बनता है।
समृधि की बढ़त|
जब नारी को भी समानता से हर चीज के लिए प्रधानता दी जाएगी,उन्हें शिक्षित किया जाएगा, तब किसी भी चीज की नारी अपनी व्यवस्था कर सकेगी, उसे पुरुष की चुनौती के समय ,अपने दम पर अपने कर्तव्यों को निभाने की क्षमता भी बढ़ेगी,जिससे समृद्धि की गति नहीं रुकेगी, कभी उस परिवार में, उस देश में, उस समाज में गति में कमी नहीं आएगी ,सदैव प्रसन्नता और खुशियां बनी रहेंगी।
विकास में गति
जब नारी असमानता को मान्यता दी जाएगी तब दोनों ही अपने कर्तव्य को समझ कर अपने काम को समान भाव से देखकर इस भावना से मुक्त होकर,कि यह उसका काम है यह मेरा काम है,इससे मुक्त होंगे, तब यह निश्चित है,कि देश में विकास की गति बढ़ेगी देश समृद्ध होगा,शक्तिशाली होगा,देश में खुशियां बढ़ेगी।
कुल मिला कर|
कुल मिलाकर नारी को किसी भी हाल में कम नहीं आंकना, कम नहीं समझना, देश के लिए,समाज के लिए, परिवार के लिए आने वाले समय को ध्यान में रखते हुए बहुत ही जरूरी है धन्यवाद। सफलता खुशी और समृद्धि के इस जीवन के निर्माण में पुरुष और महिला दोनों अपना कर्तव्य और जिम्मेदारी समान रूप से उठाएं ,तभी समाज और जीवन खुशहाल बन सकता है
जय श्री कृष्ण
Thank You