दान कब करना चाहिए | सबसे बड़ा दान क्या है | किन किन चीजों को दान करना चाहिए | what things should be donated

प्रतिग्रह  जो हमने  संग्रह किया है उसका प्रयश्चित ही दान कहलाता है । दान को जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है यह एक प्रकार का नित्य कर्म है जिससे सब प्रकार से हमारा कल्याण हो सकता है दिया हुआ दान कभी व्यर्थ नहीं जाता और उसका परिणाम सदैव लौटकर आता है अतः मनुष्य को प्रतिदिन कुछ दान अवश्य करना चाहिए। दान श्रद्धा से दें तो यह परम कल्याण करता है।

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दान देना हर मानव का कर्तव्य है

हर मानव के लिए दान परम आवश्यक है। दान के बिना मानव की उन्नति भी अवरुद्ध हो सकती है ।दान यदि किसी शुभ स्थान पर ,शुभ मुहूर्त में, और सत पात्र को दिया जाए तो ज्यादा उत्तम होता है। मानव जाति के लिए दान अति महत्वपूर्ण है इसे नित्य कर्म की तरह निरंतर और रोज करना चाहिए यह कभी व्यर्थ नहीं जाता ।दान चाहे किसी भी प्रकार से हो देने की आदत हमारा कल्याण ही करती है, इसलिए हर मानव को निरंतर दान करना चाहिए।

प्रत्येक मानव अपना कर्तव्य समझकर करना चाहिए । दान दी गई वस्तु हमारे जीवन में बढ़ती है , पवित्र होती है ।हमारे जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है। जरूरतमंद को दिया गया था दान वैसे ही लौट कर आता है। जैसे कुएं में लगाई गई आवाज से हम जो शब्द बोलते हैं वह लौट लौट कर आता है उसी तरह दिया गया दान, अपना फल निश्चित रूप से लेकर आता है।

दान कई प्रकार के होते हैं जैसे ज्ञान का दान ,विद्या का दान, अन्न दान, स्वर्ण दान , भूमि दान, या गोदान, तुलादान, मतदान। किसी भी प्रकार से किया गया या किसी भी तरह का किया गया दान अत्यंत ही लाभकारी होता है।

सर्वसाधारण जनमानस कल्याण के लिए ,जनहित के लिए देवालय बनवाना, विद्यालय बनवाना, औषधालय बनवाना, अन्नक्षेत्र खुलवा देना ,अनाथालय खोल देना ,गौशाला बनवा देना, कोई और बावड़ी का निर्माण करवाना, यह दान भी कल्याणकारी माने जाते हैं ।

दान हमें ऐसा करना चाहिए एक हाथ की खबर भी दूसरे को ना मिले। दान का उद्देश्य कभी भी मान को लेना ,यश कीर्ति के लिए देना ,अपने नाम के लिए देना, नहीं ।

दान सब प्रकार से सेवा भाव और कर्तव्य समझकर जहां उसकी बहुत जरूरत हो, वहां जरूर और जरूर देना चाहिए।

किन किन चीज का दान और किन अवसर पर किया जाता है।

हर धर्मों में दान विशेष अवसर पर किए जाते हैं विशेष त्यौहार हर धर्म में दान के लिए विशिष्ट स्थान रखता है जैसे कई समुदाय के लोग सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के समय कुछ अमावस्या या एकादशी के दिन पूर्णिमा के दिन दान करके अपना कर्तव्य का पालन करते हैं और आनंदित होते हैं।

ऐसे विभिन्न प्रकार की अन्न दान द्रव्य दान स्वर्ण दान भूमि दान और कुछ चरणों में गोदान को भी विशेष महत्व दिया गया है

कुछ दान पीढ़ी दर पीढ़ी कल्याण के हितार्थ भी किए जाते हैं इनमें देवालय बनवाना ,मंदिर , विद्यालय ,औषधालय, भोजनालय, अनाथालय ,धर्मशाला, कुआं, बावड़ी, या तालाब भी आते हैं।

हमारी प्रकृति को हम अगर कुछ देते हैं तो वह अनंत गुना होकर हमें लौटती है, जो यह प्रमाणित करता है यदि हम अपने धन को दान के द्वारा प्रकृति के किसी भी हिस्से में खर्च करते हैं तो वह अनंत गुना होकर हमारे पास लौट कर आएगी।

धन की सिर्फ 3 गति

हमारे वेदों और शास्त्रों में भी धन की तीन ही गति बताई गई है पहला दान ,दूसरा भोग, और अगर इस दो गति में धन नहीं लगेगा तो तीसरी गति धन का नाश अपने आप हो जाता है। इसलिए हमें प्रयास करके किसी भी तरह अपने धन का दशांश तो निश्चित ही दान करना चाहिए।

जाने अनजाने में हमारे कर्म क्षेत्र में कार्य के दौरान किसी न किसी का हक आ ही जाता है ,उसे जब हम दान स्वरूप वापस प्रकृति को दे देते हैं तो यह हमारे लिए कल्याणप्रद हो जाता है। ज्यादा से ज्यादा धन कमाना ,और कमाये गए धन का दसवां हिस्सा किसी सत पात्र को दान देना अति कल्याण करता है

इस कलयुग में येन केन प्रकारेण किया हुआ दान हमारा कल्याण ही करता है।

याद रखें शरीर के रहते जो हम खा पी लेते हैं, वह हमारे अंग में लग जाता है ,और जो हम अपने हाथ से दान करते हैं, वही हमारे साथ जाता है, चलता है, बाकी तो परिवार के अन्य सदस्य या उत्तराधिकारी इन सब के मालिक बन जाते हैं ,और हमारे पाप और पुण्य तो हमें स्वयं हमें भोगना पड़ता है।

जो हमें सही राह दिखाते हैं उनसे बड़ा कोई दानी नहीं, जो हमें सही सलाह देते हैं, जो हमें अपना अमूल्य समय देते हैं, दुख में सदैव हमारे साथ खड़े रहते हैं उनसे बड़ा कोई दानी नहीं जो भी हमें सदैव याद रखना चाहिए।

दान करने से हम मानव में आत्मबल बढ़ता है ,जिससे हमें प्रसन्नता का अनुभव होता है। दान देने से हमारे घर के अन्य सदस्यों में भी देने की आदत पड़ती है जिससे घर में सदैव खुशहाली बनी रहती है। हमारे घर के छोटे-छोटे बच्चे भी दान देते रहने से देखकर सीखते हैं और उनमें भी इस आदत का विकास होता है और ऐसा देखने में आता है कि जो लोग दान करते हैं उन्हें कभी भी जीवन में आर्थिक चुनौतियों का सामना करना नहीं पड़ता। उन्हें जीवन में सदैव आर्थिक स्वतंत्रता ही आसानी से प्राप्त हुई देखी जाती रही है।

धन्यवाद

Thank you

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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