अपने माता- पिता को बुढ़ापे में खुश कैसे रखे!how to keep your parents happy in old age?

(How to keep your parents happy in old age)ईश्वर हर जगह साथ नहीं रह सकता, हर पल हमें प्रकट रूप से सलाह नहीं दे सकता, इसलिए हम जीव के लिए उसने माता पिता का रूप धारण किया,जो कदम कदम पर हमारी देख रेख करें,और ऐसा होता भी है, माता पिता अपना सर्वस्व देकर,अपने बच्चों के कल्याण का प्रयास करते हैं।फिर जब बच्चे बड़े होकर परिपक्व और युवा होते हैं तब माता पिता भी उनसे कुछ आशा कर उनके प्रति उम्मीद रखते है,और कमाल की बात है,तब भी वे माता पिता अपने सभी विचार,उन युवा बच्चों के हितार्थ ही सोचते और करते हैं। ऐसे में बच्चों का भी कर्तव्य बन जाता है,वे अपनी जिम्मेदारी समझें,और अपने माता-पिता का मान सम्मान करें और उनकी बातों को महत्व दें।उनकी खुशी के लिए वे क्या क्या करें,आइए उन प्रधान बातों को जानेँ, ताकि उनका और युवा दोनों का जीवन खुशियाँ ही खुशियों से भर सके

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माता-पिता से सलाह लें। (Take advise from mother and father)

अपने माता पिता के घर में साथ होने से उनसे सलाह करें।उनके डिसीजन, उनकी सलाह,उनके निर्णय को प्रधानता दे,उनको आदर दें,उनके साथ कुछ समय बैठे,उनसे बातें करें।

उनकी सालगिरह और जन्मदिन मनाएं। (Celebrate their anniversary and birthday)

अगर आप अच्छे पुत्र या पुत्री बनना चाहते हैं तो अपने माता-पिता की खुशी का विशेष ख्याल रखे। उनके जन्मदिन और उनकी मैरेज एनिवर्सरी को विशेष रूप से मनाएं।अपने बच्चों को भी दिखाएं और सिखायें,कि वो दादा दादी के जन्मदिवस की कोई तैयारियां करें।अगर साथ नहीं रहते हों,तो वीडियो कॉल के जरिए,उनके जीवन में धूम मचाए,उन्हें परिवार की महत्वपूर्ण संपत्ति, और प्रमुख होने का एहसास कराएं।उनकी प्रसन्नता से ही घर परिवार में प्रसन्नता की महक बढ़ेगी,आने वाली पीढ़ी भी यह सब देख कर प्रेरणा लेगी।संयुक्त परिवार का महत्व जानेगी,और अपने प्रसन्नता भरे जीवन का निर्माण कर सकगी।

उनमें सुधार की अपेक्षा न रखें। (Don't expect them to improve.)

हम अपने माता पिता के प्रति किसी भी तरह के सुधार की कोई उम्मीद न रखें।वे जैसे हैं उन्हें वैसे ही स्वीकार कर,उनकी प्रसन्नता और उनके आराम का ख्याल रखें।उन्हें इस तरह का एहसास कराना भी उनको एक तरह की खुशी दिलाता है।उनके मन की बात,उनकी चाहना को समझने का प्रयास करें,और वो जैसा चाहते हैं, वैसे ही उनके लिए सब व्यवस्था उपलब्ध कराएं।यह बात ध्यान देने की है,कि एक उम्र के बाद उनकी आदतों में परिवर्तन,उनके स्वभाव में परिवर्तन,होना असंभव सा है।और इस असंभव सी बात को परिवर्तन करने की जगह,उनके उनकी आदतों के अनुरूप उनकी इच्छाओं को पूर्ण करने का प्रयास करें।इससे उनको प्रसन्नता मिलेगी,और उनकी प्रसन्नता से हमारा मन भी प्रसन्नता महसूस करेगा।

किसी भी स्थिति में भाषा और शब्दों पर ध्यान दें। (Pay attention to language and words in any situation)

उनके प्रति कुछ भी बोलने से पहले,बहुत ही सूझ बुझ कर शब्दों का प्रयोग करें,और अपनी बातों को रखें। हमेशा याद रखें,उनकी प्रसन्नता से ही घर में खुशियां रहती है,जब वो प्रसन्न रहते हैं,उनकी दुआओं के प्रभाव से हमारा घर आंगन महकता है।हमारे माता-पिता का मन एक उम्र के बाद बच्चे की तरह थोड़ा कमजोर हो जाता है।कई बार हम अविवेक की वजह से उन्हें कुछ गुस्सा दिखा कर,कुछ अप्रिय बात बोल कर,अपनी बात मनवाना चाहते हैं,किंतु अपनी बात उनके सम्मुख रखने के पूर्व,उनके रवैए को समझने का प्रयास करें,और उसी के अनुरूप उनसे बातें करें।उनके रवैया के अनुरूप,जब यह समझ आ जाए कि हमारी कही गई बात माता-पिता किसी भी हाल में मानेंगे नहीं,तब वह बात उनसे ना करें।

उन्हें अधिक धैर्य से सुनें। (Listen to them patiently)

एक उम्र के बाद माता-पिता की बातें, हम सिर्फ ध्यान से सुनने की आदत बनायें,तो इससे भी उन्हें प्रसन्नता मिलती है। जब हम उनकी बातों को ध्यान से सुनते हैं,तो इससे उन्हें अपने माता-पिता होने का और हमारे पुत्र पुत्री होने का उन्हें गर्व महसूस होता है,वे खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं।उन्हें लगता है कि कोई उनका अपना,उनका बहुत सम्मान और आदर करता है।इसलिए,उनकी बात को जब भी वे कहना चाहे,तो ध्यान पूर्वक सुनें।

उनसे अपना व्यवहार बदलने की अपेक्षा न करें। (Don't expect them to change their behavior.)

यह बात हमेशा ध्यान रखें,उनके व्यवहार में आपके प्रति जो भी,या जैसा भी रवैया या विचार दिखाई दे,उनमें परिवर्तन की कोई आशा न रखें। इस बात को जानकर,अपने निर्णय में ही,अगर कोई बात आपको अपने जीवन में करनी जरूरी है, तो वह निर्णय आपका अपना होना है,उनके सम्मुख ले जाकर या उनसे अपनी बात जबरदस्ती मनवाने की कोशिश ना करें।

माता पिता का निर्णय (parent's decision)

यह बात बहुत ध्यान देने की है कि हमारे माता-पिता हर हाल में हमारा और हमारे परिवार और घर का कल्याण ही चाहते हैं। उन्होंने पिछली पीढ़ी के अनुभव को देखा है,वो वर्तमान में जी रहे हैं,और उन्के निर्णय, दो पीढी के अनुभव के आधार पर होते हैं। उन्हें उसके आधार पर भविष्य दिखाई देता है।इसलिए वे उसी के अनुरूप अपनी सलाह हमें देते हैं।वे हमें सिग्नल के रेड लाइट की तरह बार-बार अलर्ट करते हैं,और अगर हम इस अलर्ट पर विचार करें तो हमारा जीवन सुखमय बना रहता है।

उन्हें हराए बिना चर्चा करें। (Discuss without defeating them.)

कई बार हम उन्हें हराने का प्रयास करने के चक्कर में उनके निर्णय और उनके विचारों को महत्व नहीं देते,तो यह हमारा अभिमान मात्र होता है।हम सावधानी से उनके विचारों का आदर कर,उनसे सलाह मशवरा कर,अपने निर्णय में उनकी बातों को भी,अपने निर्णय लेने से पूर्व महत्व जरूर दें।

उनके स्वास्थ्य और धन का ध्यान रखें। (Take care of their health and wealth)

एक उम्र के बाद उनका शरीर कमजोर होता जाता है।उस समय वह आपके सहयोग की आशा रखते हैं।उनके स्वास्थ्य के प्रति हम तन मन धन से पूरा सहयोग करें।उनकी जरूरतों को स्वयं ही महसूस कर पूरा करें,तो इससे उन्हें खूब प्रसन्नता मिलती है।इसके अलावा यदि वे कभी कभार अपनी बात समझा नहीं भी पाऐं और वे अपनी बात रखें, तो उनकी बातों को पूरा करने का ही भरसक प्रयास करें।उनकी प्रसन्नता से हमारे जीवन में स्वत: ही खुशियां बरसती है।

कई बार ऐसा देखने में आता है एक उम्र के बाद उनका दान धर्म करने का मन करता है इसके अलावा कई ऐसी बातों को करने का मन करता है जो वे हमसे कहने में,हमारी सोच और रवैये को देखते हुए,हमारे सम्मुख रख नहीं पाते,और इसके लिए उन्हें धन की आवश्यकता होती है।ऐसी स्थिति में अगर हम उनके इस धन की आवश्यकता को बिना पूछे ही तुरंत पूरी कर देते हैं तो वे बहुत प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।

यादें बनाने के लिए तस्वीरें लें। (Take pictures to make memories.)

जिस उम्र में भी इस ब्लॉग को पढ़ने का आपको सौभाग्य मिले,तभी से उनके यादगार क्षणों को छवि के द्वारा एकत्रित करना शुरू करें,और वक्त वक्त पर उनकी छवि को देखकर,उनको दिखा कर उन्हें प्रसन्नता का अनुभव कराएं।

उनसे उनके पिछले जीवन के पलों के बारे में पूछें। (Ask them about moments from their past lives.)

कभी कभार उनके साथ बैठकर, उनके बचपन के दिनों का अनुभव,उनकी जवानी के दिनों की यादगार बातों का उनसे अनुभव पूछें।उनसे चर्चा करें,और उन्हें खुशी महसूस कराएं।जब हम उनसे,उनके यादगार पलों को पूछते हैं,तो वे उस पल मे फिर से जाते हैं,जिससे उन्हें प्रसन्नता महसूस होती है।उन पलों को याद कर,वे हमें हमारे जीवन में उन बातों को शिक्षा के तौर पर भी देने का अवसर प्राप्त करते हैं,और उन पलों के माध्यम से वह हमें बहुत कुछ सिखा जाते हैं। इस तरह उनकी बीती बातों और उनके यादगार पलों को उन्हें फिर से याद दिला कर हम उन्हें प्रसन्नता का अनुभव कराते हैं।

बच्चों को कुछ समय उनके साथ प्रोत्साहित करें। (Encourage children to spend some time with them.)

हम बच्चे उनके लिए बहुत बड़ी संपत्ति,और हमारे बच्चे उनके लिए उस संपत्ति का ब्याज होते हैं,जिनसे वह वह मूलधन से भी अधिक यानी हमसे भी अधिक प्यार करते हैं।उनके साथ समय बिताना चाहते हैं,उनकी इस भावना की पूरी कद्र करें और उनके इस प्यार को सम्मान दें। उन्हें अपने बच्चों के बच्चों के साथ घूमना, खेलना, कूदना उनको खूब पसंद आता है,वह इससे काफी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं, इसके लिए उनका पूरा सहयोग करें।

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उनके परिवार और दोस्तों का सम्मान करें। (Respect their family and friends.)

अपने माता-पिता से जुड़े दूर के रिश्तेदार, उनके करीबी मित्रों और दूर के मित्रों का भरपूर आदर सत्कार दें।उनके मित्रों और रिश्तेदारों के बारे में उनसे पूछे,उनसे बातें करें ऐसा करने से भी हम उन्हें प्रसन्नता देते हैं।

उन्हें अपने लुक्स को अपडेट करने के लिए कहें। (Ask them to update their looks.)

अगर उन्हें पसंद आए इस बात के लिए भी उन्हें प्रेरित करें कि वो खूब सज धज कर रहें।इससे भी उन्हें अपने आप में प्रसन्नता महसूस होगी और जब बार-बार आप उसे उन्हें इस बात के लिए प्रेरित करेंगे तो वह आपकी इस बात से प्रेरित होंगे और आपके प्रति प्यार महसूस करेंगे। सुंदर बन कर रहने से घर में प्रसन्नता छाई रहती है, उनका आत्म विश्वास बढ़ता है।

पुराने लोगों को पता होना चाहिए। (Old people should know)

जैसे जैसे हम उम्र प्राप्त करते हैं,हम परिपक्व होते जाते हैं। इसलिए हम किसी तरह की हीन भावना अपने मन में न रखें।हमेशा याद रखें कि हम एक पका फल हैं।हमारा जीवन एक वरदान है, हम वरिष्ठ हैं, ज्ञान और अनुभव में समृद्ध हैं।शरीर की कोई उम्र नहीं होती,इसलिए जो काम बन पड़े,अपने हाथ से करते रहें,बागवानी या घर के काम,या जो काम हम करने में सक्षम हों, वो करते रहें। किसी भी तरह के काम को छोटा ना समझे।अपने आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए अपनी जवानी के दिनों में ही अपनी तैयारी करते रहे।अपने लिए निश्चित एक सुविधाजनक आवास की व्यवस्था जरूर करें। अगर रुचि बने तो किताबों को पढ़ने में अपनी रुचि जरूर जगाए।इससे हम कभी भी अकेलापन महसूस नहीं करते,खुद में देने की आदत बनाएं,छोटे-छोटे अवसरों पर अपने हाथ से बच्चों को देते रहे,देने से उनमें खुशियां बढ़ती है।अपनी वसीयत बनाएं,और सुखी हो कर रहे। सहनशीलता और धैर्य के गुण को इस उम्र में अपने ऊपर पूरा प्रभावी बनाए रखें,धारण करें।

ऐसी किसी बात को अपने पुत्र के सम्मुख ना रखें जो दिखाई दे रही हो कि उनके लिए पुरा कर पाना संभव नहीं।हंसने मुस्कुराने और परिवार के साथ, ऐसे किसी भी अवसर पर समय को उनके साथ बिताने का कोइ भी मौका ना गवाएं।प्रार्थना से ऊपर वाले की सर्वोच्च शक्ति से जुड़े रहें।अपने पुत्र पुत्री की बातों को खूब महत्व दें,एक दूसरे के प्रति पूरे आदर के साथ उनकी बातों को भी मानने का,और स्वीकार करने की कोशिश करें।

अभिभावक के साथ संबंध। (Relationship with parent.)

माता पिता हमारे जीवन में एक अमूल्य सम्पति हैं,एक हरियाली भरा पेड़ है, जिसकी छाव् में हम निस्फिक्र और खुश रहते हैं। उनकी देखभाल, उनके स्वस्थ और प्रसन्न जीवन के लिए पुरा प्रयास करें।

उनको खुशी दें,और खुद भी खुश रहें।

जय श्री कृष्ण

Thank you

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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