जिंदगी मे अगर चाहते हो खुशियों की बौछार तो प्राकृतिक से करो प्यार | Love and make friends with nature |

इस पृथ्वी के सुंदर तम मनोरम दृशय प्रकृति के दृश्य हैं। पूरा ब्रह्मांड ही प्रकृति की अद्भुत रचना है ।प्रकृति हर जगह है ,बस उसे देखने के लिए आंखें चाहिए। महसूस करने के लिए सरल हृदय चाहिए ,और जब हम इसे निहारते हैं ,तो यह हमारी आंखों के माध्यम से हमारे हृदय में खुशी का कारण बनती है।

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प्रकृति से प्यार और दोस्ती करे। | Love and make friends with nature

प्रकृति की गोद में जीवन की सारी प्रसन्नता समाई हुई है ।अलग-अलग मौसम के साथ प्रकृति चारों तरफ रंग बिरंगी छटा निरंतर नए रंगों से भर, बिखेरे रहती है।

यही प्राकृतिक वातावरण मनुष्य को प्रसन्नता देता है।यह पेड़, पौधे ,नदी, झरने, फल, फूल ,पत्ते, लता, उषा ,संध्या ,पहाड़ ,समुद्र, यह सब कुछ संसार के सौंदर्य और प्रकृति के विभिन्न स्रोत हैं ।इन सब के बीच जो मनुष्य पहुंचता है , वह सारे तनाव को भूल कर खुशियों के सागर में अपने मन मस्तिष्क और शरीर को ले जाकर गोता लगाकर खुशियों का अनुभव करता है।

प्रकृति के बीच समय बिताने से आनंद का एहसास तो मिलता ही है, यह एक तरह की नेचुरल थेरेपी है।चारों तरफ हरियाली देखकर मन नई ऊर्जा के निर्माण में लग जाता है, शरीर की कार्य क्षमता बढ़ती है, और मानसिक सेहत भी हमारी दुरुस्त होती है।

वृक्ष हमारे सच्चे मित्र|

यह पेड़ पौधे और वनस्पतियां सुगंधित खुशबू को छोडते है, जिससे हम अपने आपको तरोताजा महसूस करते हैं। इनकी मित्रता से हमारे अंदर उत्साह का सृजन होता है ,और जब हम रोज इन वृक्षों के पास जाते हैं ,इन्हें भी हमारी आदत पड़ जाती है यह हमारा इंतजार करते हैं ।ये वृक्ष प्रकृति के बहुमूल्य तत्वों को संयोजित करके बनते हैं ,अतः इन वृक्षों में अपार ऊर्जा होती है, इनसे हम बातें कर सकते हैं, इन्हें अपनी चुनौतियों को बता सकते हैं,जिससे हमें समाधान मिलता है, हम आनंदित हो सकते हैं। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि ये ध्यान करते हुए कोई ऋषि मुनि होते हैं,जो प्रकृति और हमारे बीच दोस्ती करवाते हैं।

यदि हम प्रसन्न हैं, तो सारी प्रकृति भी हमारे साथ मुस्कुराती हुई दिखाई देती है

सुख और आनंद का एहसास

प्रकृति हमें सुख और आनंद का एहसास कराती है। चारों तरफ हरियाली देखकर हमारा मन बहुत खुश होता है। यह हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत को दुरुस्त रखती है।

प्रकृति पर शोध और परिणाम|

विदेशों में इसके महत्व पर जब शोध हुआ तो जापान जैसे देशों ने अपने कर्मचारियों को प्रकृति के बीच जंगली क्षेत्रों में घुमाना शुरू किया इससे उनकी कार्य क्षमता में वृद्धि देखी गई ।

शिक्षा भी प्रकृति के बीच|

खुशहाल देश जैसे नॉर्वे आदि में अधिकतर स्कूलों को जंगलों में चलाया जा रहा है। हमारे प्राचीन पूर्वज भी आसपास के घने वनों में ही गुरु के आश्रम पर ,अपने बच्चों को विभिन्न तरह की शिक्षाएं लेने के लिए भेजते थे। और उनमें एक विशिष्ट तरह के बल, बुद्धि ,ओजस्विता ,उस प्रकृति से उन्हें प्राप्त होती थी।

प्रकृति के बीच खुशियों को झांके|

प्रकृति के निकट जाएं, सूर्य की पहली किरण को देखें ,पवित्र वायुमंडल को अपने अंदर समेटे, पहाड़ों की आवाज सुनें, पक्षियों की सुरबुराहट का अनुभव करें। उनके तत्वों को अनुभव करें और महसूस करें । इनकी शक्तियों से आपके शरीर मन और मांसपेशियों पर कुछ शक्तियों को भेजा जा रहा है, हम ऐसा अनुभव करेंगे।

इस तरह अपने मन को प्रकृति के पास ले जाएं, इससे हमारी खुशियां ,हमारे चेहरे पर स्वत ही झलकने लगती है ।प्रकृति के बीच १०००० वाट की शक्तियां मौजूद होती है।इसके प्रभाव से जहां हमें, जिस शारीरिक या मानसिक ऊर्जा की जरूरत होती है, प्रकृति के बीच जाने मात्र से हमारा ,मन ,मस्तिस्क,और यह शरीर स्वयं ही उस ऊर्जा को ग्रहण कर लेता है।

मूक प्राणियों से सीखे प्रकृति का लाभ लेना|

प्रकृति के सानिध्य में ही प्रत्येक प्राणी अपने जीवन का भरपूर आनंद लेता हुआ जीता है। सुबह हो या शाम की बेला हर प्राणी प्रकृति में कुछ नियम के अनुकूल ही जीवन जीता है। मूक जानवर ,पशु पक्षी भी इस नियम से जुड़कर ही अपनी जीवनशैली बनाते हैं। उसी तरह हर मानव को भी इससे जुड़ कर ही कार्य करने चाहिए ।इस के बनाए नियमों को ही पालन करना चाहिए, तभी वह प्रसन्नता से अपना जीवन बिता सकता है।

मानव और मुक प्राणी की तुलना|

मानव तो पशु पक्षियों से भी बुद्धिमान, सामर्थ्यवान है ।ईश्वर से उसे ही सबसे अधिक अनुदान भी प्राप्त हुआ है ।बुद्धि , विवेक, और विश्वास के साथ उस में निर्णय लेने की शक्ति है, परिवर्तन करने की शक्ति है। उसे तो प्रकृति का महत्व समझना ही चाहिए।

मूक प्राणियों जो बोल नहीं सकते उनमें तो प्रकृति द्वारा सीमित्त शक्तियां ही दी गई है, फिर भी हम मनुष्य ही इस प्रकृति के महत्व का आनंद नहीं ले पाते और ,विभिन्न प्रकार के झमेलों में फंसे रह जाते हैं।

मानव भूला प्रकृति|

भौतिक सुख-सुविधाओं से भरपूर जो हमने अपनी नई दुनिया बसा ली है इससे हम प्रकृति से दूर हो रहे हैं।प्रकृति ने हमें पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए एक अनमोल उपहार प्रकृति के रूप में दिया है ।इसकी उपेक्षा का नतीजा आज का मनुष्य देखा जा सकता है ।प्रकृति से दोस्ती दिमाग, शरीर, और आत्मा को ऊर्जावान बनाए रखने का स्रोत है ।ऊर्जा की आवश्यकता हर मानव को है, प्रकृति से जुड़ कर हम सबको इसका लाभ उठाना चाहिए।

प्रकृति को कैसे देखें|

प्रकृति को हम अपनी प्राकृतिक आंखों से देख नहीं सकते ,बल्कि अपनी समझ और अपने हृदय से देखते हैं, तभी हम उसका लाभ ले पाते हैं। जब हम इसको समझ जाते हैं तब हमें इससे प्यार हो जाता है और तब हम इसके साथ समय बिताने का प्रयास करते हैं,और जब हम इसके साथ समय बिताते हैं ,तो यह अपने नए-नए रहस्यों को रोज हमारे हृदय के धरातल पर प्रकट करती है, नया नया अनुभव कराती है ,जो हमें प्रसन्नता से भर देता है।

प्रकृति का यह नियम है कि वह हमारे हर संदेश और आदेश का सदैव पालन करती है। प्रकृति के पास जाकर हम कुछ भी मांगे और मांगने के बाद ऐसा यकीन करें कि वह चीज हमें मिल गई है तो वह निश्चित रूप से हमारे जीवन में प्रकट हो जाती है।

प्रकृति से ज्यादा शक्तिमान और कुछ नहीं ।प्रकृति को हमारी इच्छा पूरी करने में ज्यादा समय नहीं लगता।उसके लिए ₹1 देना भी वही बात है, जितना कि 100 करोड़ देना, या हजार करोड़ देना। प्रकृति से मांगी हुई हर चीज के लिए पूरा भरोसा रखें तो वह चीज निश्चित रूप से मिल सकती है क्योंकि प्रकृति के पास हर चीज प्रचुरता से विद्यमान होती है, वहां किसी तरह की कोई कमी नहीं होती।

जितना हम प्रकृति से जुड़ते जाते हैं, उतना अच्छा एहसास हमें जीवन में होने लगता है ।प्रकृति हमें नए-नए संदेश देने लगती है। हम नई नई चीजों को खोजने लगते हैं, उसे देखने लगते हैं ,उसे निहारने लगते हैं, और इसमें एक अजीब सा आनंद महसूस होने लगता है ,फिर हमें प्रकृति से धीरे-धीरे मां की तरह लगाव हो जाता है।

प्रकृति का चक्र|

1)प्रकृति का ऐसा नियम है बचपन आता है तब उसके पास समय रहता है ,शक्ति रहती है ,लेकिन पैसा नहीं रहता।

2)युवावस्था आती है, शक्ति रहती है, पैसा रहता है, किंतु उसके पास समय नहीं रहता ।

3)बुढ़ापा आता है पैसा है समय है लेकिन अब शक्ति नहीं रहती इसलिए हर प्राणी को ,प्रकृति के हर दिन को, हर्ष और उल्लास के साथ खुशी-खुशी गुजारने का प्रयास करना चाहिए, उसके हर संदेश को खुशी-खुशी स्वीकार करना चाहिए, उसे पहचानना जानना चाहिए। इस पृथ्वी पर वही लोग खुश रह पाते हैं, जो प्रकृति से जुड़ कर रहते हैं।

प्रकृति से लाभ कैसे लें? |

परिवार और बच्चों के साथ टहलने जाएँ

प्रातः काल भ्रमण पर जाएं। वहाँ वृक्षों द्वारा छोडी वायु और सूर्य की किरणों से स्नान करें। शरीर से वृक्षों द्वारा छोड़े गए ऑक्सीजन को ग्रहण करें, नंगे पांव कुछ देर घास पर चलें। योग और प्राणायाम द्वारा अपने शरीर को तंदुरुस्त बनाएं,इससे हमारा मन, मस्तिष्क, ऊर्जा को प्राप्त करता है ,हमारे शरीर में दिन भर स्फूर्ति बनी रहती है। हम स्वस्थ रह पाते हैं।

रिज़ॉर्ट पर वीकेंड बिताएँ|

सप्ताह के आखिरी दिन शनिवार को परिवार और दोस्तों के साथ शहर से दूर रिसोर्ट पर घूमने जाएं। यहाँ एक या दो रात्रि रुक कर प्रकृति का आनंद लें।

साल में एक सप्ताह परिवार के साथ किसी hill station पर जा कर प्रकृति के बीच अपने समय को व्यतीत कर खुशी का अनुभव करें।

अपना घर शहर से थोड़ी दूर प्रकृति के बीच खरीदे।

ऋतु फल का सेवन जरूर करें|

प्रकृति द्वारा प्रदत हर मौसम में कुछ ना कुछ ऋतु फल भेजा जाता है, जो हमारे शरीर का संतुलन बनाए रखता है। जितना हम फलो का सेवन करते हैं,हमारी पाचन शक्ति भी उतनी ही मजबूत रहती है। अतः अधिक से अधिक हमें ऋतु फल और सब्जियों को ही ग्रहण करना चाहिए।

प्रकृति की गोद में मन को तरोताजा कर नृत्य करें। इसमें मन को जोन्गिंग करवायें।

प्रकृति को निहारें

प्रकृति की गंभीरता , विशालता , मधुरता , अपनेपन और रंगों को देखें इस के संगीत को सुनें,इसमें खुशियों को तलाशे, सूर्य की पहली किरण को देखें , फूल पत्तियों के विभिन्न रंगों को निहारे, पेड़ की टहनियों को देखें ,बहते झरने नदी और समुद्र का संगीत सुनें ,शीतल हवा का आनंद लें, पहाड़ियों की चहचहाहट में अपने मन को प्रकृति के पास ले जाएं और खुशी को अनुभव करें और पाएं खुशियाँ ही खुशियाँ।

इस दुनिया के सारे आविष्कार सारे विचार की जन्मदाता यह प्रकृति है। इस संसार को समझना है तो प्रकृति से अच्छा शिक्षक और दोस्त कोई नहीं ।

प्रकृति के सानिध्य में जिंदगी का भरपूर आनंद लें|

कुल मिलाकर प्रकृति हमें जीवन जीने के लिए ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है। प्रकृति से दोस्ती दिमाग, शरीर और आत्मा को ऊर्जावान बनाए रखने का अद्भुत साधन है ।प्रकृति हमें सकारात्मक और खुशियों के माहौल से जोड़ती है, भरपूर जीवन जीना सिखाती है।

हमें इससे दोस्ती कर आनंद को लूटना, और खुशियों से भरा जीवन जीना सीखना है, इसके साथ कुछ समय निश्चित व्यतीत करना है।

प्रकृति के संग

Thank you

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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