अच्छे माता पिता कैसे बने | How to become a good parent?
हर बच्चा ऊपरवाला का अदृश्य शक्तियों के द्वारा दिया गया एक तोहफा है। आपके जीवन में जिस तरह आप किसी को कोई तोहफा देते हैं 5 बार चेक कर किसी को देते हैं कि, इसमें सब कुछ ठीक तो है ना उसी तरह जब अदृश्य शक्तियों ने आपको आपके जीवन में उस बच्चे को दिया है ,निश्चित रूप से वह आपके लिए अनुकूल है, अलौकिक है ,और अमूल्य है, और आपके लिए ही चुना गया है, यह बात निश्चित रूप से अपने मन में बैठा लें।इस बच्चे के लिए यूनिवर्स को धन्यवाद दें।
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आप को दिया गया अदृश्य शक्तियों का यह तोहफा आपके लिए तो आज है किंतु इन बच्चों को 25 साल बाद के जीवन के अनुरूप इनको इनका स्वभाव, ऊर्जा ,और शक्तियां ,इन अदृश्य शक्तियों ने इनको दी है और यह उसी के अनुरूप व्यवहार करते हैं यह बात हमें अपने ज्ञान में सदैव रखनी चाहिए।
बच्चों को सुबह के समय में केयरिंग ,दिन के समय शेयरिंग, और रात को सोने से पहले डेयरिंग की आवश्यकता होती है सो इसे जानें।
हम अपने जीवन में सभी कार्यों को पहले सीखते हैं फिर उसे करते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि हम हमारी शिक्षा प्रणाली में अभी तक माता-पिता बनने से पूर्व हम माता-पिता बच्चों को कैसे संभाले, इसकी जानकारी नहीं मिल पाती और हम सदैव इस चीज से परेशान रहते हैं कैसे हम बच्चों को परवरिश अच्छी से अच्छी कैसे दें। पहले के समय में चार पांच बच्चों को संभालना , उन्हें अच्छी परवरिश देना आसान होता था , संयुक्त परिवार और हमारे बुजुर्ग की सलाह लेकर हम अपने बच्चों की परवरिश आसानी से और बहुत ही सुगम तरीके से कर लेते थे , परंतु 21वीं सदी के बच्चों को उनके माता पिता अब एक या दो बच्चों को भी अच्छी परवरिश देने के लिए बहुत कुछ सीखने की जरूरत है ,जानने की जरूरत है, ताकि हम माता-पिता भी खुश रह सके और हमारे बच्चे भी खुश रह सके ।उन्हें उचित संस्कार मिल सके और यह हम माता-पिता के लिए प्रथम प्रायोरिटी होती है ,और होनी चाहिए ।
बच्चों की बढ़ती उम्र में उन्हें उत्तम से उत्तम, अच्छी से अच्छी परवरिश देना ,उन्हें संस्कार देना, उन्हें खुशियों के रहस्य बताना ,हम सब माता-पिता दिल जहां से चाहते हैं और इसके लिए अगर हम इसे जाने और सीखें तो यह बड़ा ही हमे आनंद और खुशियां दे सकता है।
हम अपने आम जीवन में अपने से ज्यादा बुद्धिमान लोगों की बातों को गौर करते हैं उस पर चलते हैं उसको अमल करते हैं आने वाली पीढ़ी जो ज्यादा बुद्धिमान है ,ज्यादा टैलेंटेड है ,हमें उसकी भी कद्र करनी सीखनी होगी क्योंकि हम ऐसा देखते हैं कि हर आने वाली पीढ़ी की बात को पिछली पीढ़ी को छोड़ना ही पड़ता है और आने वाली पीढ़ी की सभी शौक के अनुरूप अपने आपको ढालना पड़ता है ,इसलिए हमें उनकी शौक की उनकी भावनाओं की कद्र करते हुए, हम माता पिता को बदलना होगा ,उनको स्वीकार करना होगा।
दो पीढ़ी के बीच बदलाव शुरू हो चुका है क्रांतिकारी परिवर्तन आने को तैयार है और इसके लिए हमें अपने बच्चे के शौक को समझना होगा उसके अनुरूप हमें अपने आपको भी निर्माण करना होगा क्योंकि हम अपने समय में जितना सीखते थे ,समझते थे ,बुद्धि रखते थे ,आज का बच्चा उससे कई गुना अधिक बुद्धि और ज्ञान और सूचना को रखता है।
आधी अधूरी जानकारी की वजह से आज कल के माता पिता अपने बच्चों को डांटतेहैं, मारते हैं हॉस्टल भेजने का या अपने से अलग करने का डर बच्चों को दिखाते हैं। और परिणाम में बच्चे में इगो जन्म लेता है ,वह गुस्सा होने लगता है ,उसे गुस्सा करने की आदत पड़ती है जो ठीक नही।
जैसे हमारे बच्चे बड़े होते हैं उनकी प्रशंसा हम कम करने लगते हैं और उनके सभी अवगुणों को ही उन्हें बार-बार याद दिलाते हैं जिससे बच्चा हमारी बातों को धीरे धीरे महत्वहीन करने लगता है ।हमें हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए जब मौका मिले उस बच्चे को जब वह छोटा था जैसे हम उसकी प्रशंसा करते थे उसी तरह उसके हर किए गए छोटे बड़े अच्छे कार्यों की प्रशंसा जरूर करें जिससे उसे ऊर्जा मिलती है।
प्रश्न पूछने की प्रेरोणा दें
बढ़ते हुए बच्चों को असफलता को किस तरह संभालना है जीवन की महत्वपूर्ण चुनौतियों के समय किस तरह व्यवहार करना है इसका ज्ञान कराना अति आवश्यक है ।बच्चों को उसके इमोशन के साथ कैसे फेस करना है यह बताना अति आवश्यक है बढ़ते हुए बच्चों में किस तरह उसको हर परिस्थिति में में सम या शांत रहना है सबके साथ कैसा व्यवहार रखना है ,यह बताना अति आवश्यक है जो उन्हें मजबूती और प्रसन्नता देता है। ताकि वह हर परिस्थिति में समान रूप से आगे बढ़ पाते हैं इसके लिए उन्हें इस बात को भी बताना अति आवश्यक है कि वह किसी भी परिस्थिति के लिए डरें नहीं खुलकर प्रश्न करें, क्योंकि प्रश्न पूछने से डरने वाला बच्चा कुछ समय के लिए ही मूर्ख रहता है, जो प्रश्न ही नहीं पूछते वह सारी जिंदगी के लिए मूर्ख बने रह जाते हैं। और वे एक नए अनुभव के रास्ते पर चलना शुरू करते हैं ,तब उन्हें नई नई चुनौतियों को सामना करना और जवाब देना पड़ता है । यह सब उन्हें बताना अति आवश्यक है इससे वे खुलकर अपना प्रश्न कर सके और अपनी स्थिति से बाहर आ सके।
आप वही क्रिया करें जो आप अपने बच्चे को करते हुए देखना चाहते हैं
यह बात आप माता-पिता सदैव जानकारी में रखें या जान लें आपका बच्चा वह नहीं करता आप जो कहते हैं बल्कि जो आप करते हैं वही आपका बच्चा करता है इसलिए सदैव अच्छी-अच्छी या उत्पादकता देने वाली चीजें ही अपने जीवन में रखें।
बढ़ती उम्र के दौरान अपने बालों की विशेष देखरेख करते हैं तो हमें भी उनकी इस शौक की रिस्पेक्ट करनी चाहिए।
बच्चों की बढ़ती उम्र के दौरान हमें कब किस माहौल में किस वस्त्र को धारण करना है उन्हें समझाना चाहिए।
मित्र उनके सबसे खास
बच्चों को उनके मित्र बड़े ही खास लगते हैं सो हमें यह भी जानने की जरूरत है ।उनके मित्रों से बातें करें उनको घर पर आने को बोलें यह उन्हें बहुत अच्छा लगता है।
बच्चों को सदैव छोड़ने और लेने जाने के लिए या उनके साथ आने जाने का समय निश्चित करें। इस समय उनसे बातें कर, उन्हें समझें ,उनसे बातचीत कर उनसे उनके बारे में पूछें उन्हें बताएं।
बच्चों के दोस्त बनें, बच्चों के दोस्तों से दोस्ती करें ,बच्चे को दोस्त बनकर सब बातें समझें ,दोस्त का सा व्यवहार करें, ,ताकि वह अपनी सब बातें हमसे शेयर करें।
जिस विषय में वे भूल करते नजर आएं,या गलत सोचते नजर आएं, उन्हें बताएं,उन्हें अपने माता पिता और दादा दादी की बातों को महत्व देना सिखाएं और बताएं । बच्चों को सदैव अपने ऊपर लेकर उनकी बातों को समझाएं।
अपने बच्चों पर विश्वास करें ,बच्चे इस उम्र में अपने से सब को दूर करने की कोशिश करते हैं इस दौरान बच्चों से थोड़ा डिस्टेंस बनाकर चलें। बच्चों को थोड़ा बड़ा बड़ा फील कराएं। उनके कार्य को ,उनकी क्षमताओं, की सदैव प्रशंसा करें।
अब आप बड़े हो गए हो
पार्क घूमने जाएं
बच्चों के साथ पार्क में घूमने जाएं। इस दौरान उन्हें दूसरों से सलाह लेने की बात सिखाएं। उन्हें स्वास्थ्य का महत्व बताएं।
एडवेंचर देख वे पूछते हैं
बच्चों को एडवेंचर और एक्साइटमेंट बहुत पसंद है उनके साथ इसके लिए घुले और मिले।वो कुछ नया करना चाहें देखना चाहें तो उन्हें प्रोत्साहित करें ।
हमारे बढ़ते बच्चों को हमें धन संबंधित शिक्षा देने की भी बहुत आवश्यकता है उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता के महत्व को बताना धन की वैल्यू बताना, खर्च करने के तरीकों को बताना, और अपने जीवन को आर्थिक स्वतंत्रता निर्माण करने की शिक्षा देने की आवश्यकता है। इसके लिए हम उन्हें बताएं कि मेहनत के पैसे से वह पहले ऐसेट खरीदें, संपत्ति खरीदें फिर उसकी कमाई से अपनी शौक पूरी करें। उन्हें पैसों को संभालने की कला सिखाएं। उन्हें वे तरीके बताएं जिससे वे लगातार अपनी संपत्ति को बढ़ा सकें। और जीवन की खुशियों का आनंद ले सकें ।उन्हें यह बताएं कि इस दुनिया में प्रचुर धन है। धन कमाने की हजारों तकनीकी हैं ,और वह अपने माता-पिता की संपत्ति या धन को सीमित नहीं रख कर , उस अपार धन को प्राप्त करने की तरकीब पर काम करें। उन्हें यह बताया जाए कि वह अपने जीवन में संपत्ति को खरीदें ना कि लायबिलिटीज को खरीदें।
वह अपने भविष्य और धन के निर्माण की क्षमता के लिए योग्यता के ऊपर काम करें। उन्हें यह बताया जाए कभी जीवन में कर्ज लेना भी पड़े तो अच्छे कर्ज को लें। जो उन्हें भविष्य में और रुपए बना कर देगा। अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए ले , जो उन्हें जीवन में आर्थिक स्वतंत्रता देगा। खर्च करने के लिए वह कर्ज ना लें न ही वे अपने शौक के लिए पूरी करने के लिए कर्ज ना लें।
उन्हें बताएं कि वे बड़े-बड़े सपने देखें ।फिर पैसे को बनाएं को फिर अपनी शौक को पूरी करें। उन्हें बड़ा पैसा कमाने के लिए यह भी बताएं कि वह मनुष्य की किसी बहुत बड़ी चुनौती को समाधान में परिवर्तित करने की दिशा में कोई योजना लाकर ही बड़ा पैसा बना सकते हैं। इस पर उन्हें काम करने की ,सोचने की सलाह दें, कि वे उस चुनौती को खोजें और उस पर कोई नई योजना लाएं जिससे वह बड़ा धन निर्माण कर सकेंगे। उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता के बारे में बताएं। एक असेट प्राप्त कर अपने जीवन को अपनी मनमर्जी से खर्च कर सकते हैं ,जी सकते हैं, अपने मनमर्जी की सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं और जीवन में आनंद और खुशी, मौज मस्ती ,कर सकते हैं।
बच्चों को नए नए सामाजिक रिश्तो को निर्माण करने का महत्व भी सिखाये।नए नए दोस्त बनाएं जिनसे वे नई नई चीजों को सीखें और अपने जीवन को विकसित करें।
बच्चे नई-नई ट्रेनिंग दिलाएं और नई कलाओं को वे सीखें उनमें वह शौक पैदा हो कि वह लीडरशिप की ओर बढ़ सके लीडरशिप की कला को सीखे और अपने जीवन का विकास करें।
हम कोशिश करें हमारे बच्चों में देने की आदत बढ़े वे देने के महत्व को सीखे और यह जाने और उन्हें यह पता हो कि देने से सदैव बढ़ता ही है और लेने की प्रवृत्ति वाले में सिर्फ लोभ बढ़ता है लेने की प्रवृत्ति बढ़ना उन्हें सब बच्चों से अलग करता है और देने की प्रवृत्ति के बढ़ने से अन्य सारे दोस्त ,और बच्चे,उनके पास आते हैं।
उन्हें यह भी बताएं जो पढते हैं,। या सीखते हैं वे ही नेतृत्व करते हैं हर क्षेत्र में ।कोशिश करनी चाहिए कि वह उनमें पढ़ने की आदत का विकास हो वे पुस्तकों को पढ़ें, जिससे उनका ज्ञान बढ़े।
पढ़ने वाले नेतृत्व करते हैं बाकी तो नौकर बनते हैं
वे इसके महत्व को भी समझे ना कि सोशल प्लेटफॉर्म ,फेसबुक ,यूट्यूब इंस्टाग्राम, आदि पर जहां सिर्फ इंफॉर्मेशन मिलती है उसको लेकर ही अपने समय को नष्ट करें। उनमें सीखने की आदत का विकास हो।
समय की बरबादी से बचें
आने वाला समय शारीरिक और मानसिक दोनों तरफ से ही दबाव बढ़ाने वाला है ,आधुनिक युग में बच्चों को प्राणायाम ,योगा ,और व्यायाम के महत्व को जरूर सिखाएं और उन्हें करने के लिए प्रेरित करें। सही और अच्छा स्वास्थ्य ही उन्हें जीवन में अन्य खुशियों को बटोरने के लिए प्रोत्साहित करेगा और सदैव अंतिम समय तक यह उनके लिए लाभकारी होगा।
बच्चे आत्मनिर्भर बनें उनसे सब काम करवाएं
आश्चर्य की बात है हम पाश्चात्य देशों से उनकी नए-नए प्लेटफार्म नए-नए सोशल मीडिया को तो हम ले रहे हैं किंतु उनके जीवन की कुछ खास आदतें जैसे अपने स्वयं के काम को खुद करना,जैसी आदत को अपने प्यार और उनको दिए कंफर्ट जोन से निकल कर जब बच्चा करना भी चाहता है तो हम उसे रोकते हैं करने नही देते ।अपने बच्चों को घर के छोटे छोटे काम करते वक्त सदैव साथ रखें जिससे बच्चे में वह काम करने की आदत आती है वह सीखता है। इसी तरह घर के बाहर के काम जैसे कोई सामान लाना ,बैंक का काम, ऑफिस के काम, इलेक्ट्रिक बिल जमा करने का काम, यह सब छोटे बड़े काम उनसे करवाएं जिनसे बच्चे के मस्तिष्क का विकास होता है वह अपनी जिम्मेदारियां भी समझता है जो उसे आगे के जीवन में काफी लाभप्रद होती है।
अपने काम के दौरान अगर बच्चा कहीं गलती करता भी नजर आए तो उसे सबके सामने कभी ना डांटे बाद में उसे एकांत में समझाएं उसी से पूछे कि इसमें और सुधार कैसे कर सकता है जिससे वह अपनी भूल को सुधार करें उसमें आत्म सम्मान की भावना भी बड़े और वह हमसे फिर पूछे, सलाह करें उसमें इस भावना का विकास हो कि हम सदा उसके साथ हैं उसके पीछे हैं और वह नए नए कार्यों को बेहिचक कर सकता है।
हम अपने बच्चों को नए-नए सफल लोगों से मिलवाते हैं ,ताकि वह अपने जीवन में सफलता और खुशियां प्राप्त कर सकें। अपने बच्चों को हम अपना समय देकर पैसे कमाने की बजाए हम अपने बच्चों को पैसा कमाने की कोई कला को सिखाएं ताकि वह दूसरों का समय लेकर पैसा कमा अपनी सुरक्षा करने का हुनर सीखे। यानी enterpenurship या व्यापार की कोई योजना बना कर और लोगों को रोजगार दे ना की खुद दूसरे के यहां काम कर नौकरी कर सिर्फ स्वयं के लिए सोचे।
अपने बच्चों को लक्ष्य निर्धारण करने का तरीका सिखाएं और उन्हें बताएं लक्ष्य के बिना इंसान का जीवन व्यर्थ होता है।
माता पिता बच्चे को हमेशा 2 ऑप्शन दें बच्चा फंस जाता है बातों में
बच्चों को हर समय हर काम को करने के लिए दो ऑप्शन दें उन्हें आर्डर नहीं दे बल्कि यह बताएं कि तुम 4:00 बजे पढ़ना चाहोगे क्या 6:00 बजे इससे बच्चा असमंजस में पड़ जाता है और एक निर्णय उसे देना ही पड़ता है और उस कार्य को भी उसे संपन्न करना पड़ता है।
नहीं मतलब नहीं
No means no हमारे बच्चों के लिए हम विटामिन N ya नो को सहन करने की शक्ति को पनपने दें और अपने इस नो के विटामिन को देने के लिए अटल रहें क्यों कि यह जरूरी नहीं की जीवन में जो सोचा जाएगा वही जीवन उन्हें देगा ।उनकी प्रसन्नता उन चीजों पर की प्राप्ति पर निर्भर ना रहे और वह उस चीज के ना मिलने पर भी जीवन के नियमों को समझते हुए उस स्थिति में भी प्रसन्न रह सके।
कोई भी बच्चा इस दुनिया में गलत नहीं होता या गलत नहीं करता क्योंकि हर बच्चा अलग होता है और सब बच्चे अपने आप में बहुत अच्छे होते हैं समझदार ही होते हैं अपने पूर्व संस्कार को लेकर जन्मते हैं परंतु उनका व्यवहार उनका स्वभाव ही अलग अलग और कुछ गलत हो जा सकता है जिस वजह से वो झूठ बोलते हैं।
ब्रह्मांड को भेजें वो विचार जो हम बच्चों में होता देखना चाहते हैं
एफर्मेशन या सोच टीवी देख कर खाना खाना पसंद करते हैं या कुछ अलग करते हैं तो इसके लिए हमें उनके व्यवहार को बदलना उस पर काम करना है। उसके लिए हम उन्हें अच्छे प्यार भरे विचार सोचें और जैसा हम चाहते हैं हमारा बच्चा बने उस तरह के विचार एफर्मेशंस अच्छी बातें उनके प्रति सदैव बोले और सोचे तो यह बड़ा ही कारगर सिद्ध होता है ।हम यह सोचे कि हमारा बच्चा बुद्धिमान है, हमारा बच्चा अब टेक्नोलॉजी के बिना ही खाना खा लेता है, टेक्नोलॉजी से जुड़े बिना ही अपना सब काम करता है, हमारा बच्चा हमारा कहा मानता है, हमारा बच्चा हमारी सब बातें सुनता है, हमारा बहुत मान सम्मान करता है, इस तरह से हम जो चाहते हैं उस पर विचार करें ,और उसे ही बोले ऐसा महसूस करते हैं या देखते हैं कि बच्चे में निश्चित रूप से परिवर्तन आता है। ई
अच्छी बात की चर्चा करें
बच्चों की बढ़ती उम्र के दौरान हम हर समय वह जो नहीं करते उसकी चर्चा आपस में करते हैं अपने माता पिता अपने पति अपनी पत्नी और अपने मित्र रिश्तेदारों से यह बात कहते हैं मेरा बच्चा यह नहीं करता ,तेरा बच्चा वह नहीं करता इस तरह नहीं कह कर हमेशा यह कहें और बोलें जो गुण हम अपने बच्चों में देखना चाहते हैं इससे वही विचार उसके पास एनर्जी बन कर जाएंगे और हमारा बच्चा जैसा हम चाहते हैं ,जैसा हम सोचते हैं ,वैसा ही बनता जाता है ,जो विचार हम घटित हुए अपने बच्चों में देखना चाहते हैं हमें उन्हीं विचारों की बातें करनी चाहिए।
It is a part of life
बच्चों को यह भी बताएं की सफलता और असफलता यह एक जीवन में किसी भी कार्य करने को के दौरान का एक प्रोसेस है जिससे वह कोई भी नए क्रिएशन या क्रिया या एक्सपेरिमेंट करने से या रिस्क लेने से ना डरे और इस दौरान उसे यह भी बताना है कि वह जीतता है या सीखता है। जो बच्चों में खुशियां भरता है उनमें उर्जा शक्ति का निर्माण करती है।
हम सभी माता पिता यही चाहते हैं हमारा बढ़ता बच्चा जिम्मेदार बने, खुश रहे, और अपने हर क्षेत्र में वह सफल हो। और हमें भी यह समझना होगा कि हमारा बढ़ता बच्चा आजादी चाहता है, कुछ अकेला रहना चाहता है, नए-नए प्रयोग करना चाहता है ,नई एक्साइटमेंट को चाहता है ,और नए नए इरादों पर काम करना चाहता है वह अपने पिता में खुशियां देखना चाहता है जो शायद हमारे घरों में उन्हें मिल नहीं पाती तो हमें इसे सीखना है।
अब बढ़ता हुआ बच्चा बच्चे को हम डर के साथ अपने विचार या निर्णय ना दें बल्कि उन्हें दोस्त के तरह हर बात को समझाएं फिर अपना निर्णय दे बच्चा अब अपने दिमाग में हर समय स्ट्रगल या संघर्ष चाहता है, और खुशियां चाहता है, जिसे यदि उसे अपने घर में ना मिले फिर वह अपने दोस्तों के साथ बाहर वालों के साथ खोजना शुरू कर सकता है।
अगर बढ़ता बच्चा आपका लड़का है तो यह पिता के लिए संदेश है कि वह उससे दोस्ती करें उसके साथ अधिक से अधिक समय बिताए एकांत में रहे ऐसे माहौल का निर्माण करें कि बच्चा हर बात अपने पिता से पूछ सके चर्चा कर सकें और अगर बढ़ता बच्चा आपकी लड़की है तो यह माता का कर्तव्य है कि वह उसे उसके साथ मित्रता जैसा रिश्ता बनाए अधिक से अधिक उसके साथ समय व्यतीत करें ,उसके साथ घर के कामों में अधिक से अधिक साथ रखें जिससे उसे बच्ची के साथ समय बिताने का मौका मिले और वह लड़की अपनी मां से अपनी सब बातें, नई बातें, मन की बातें, कुछ मित्र से संबंधित बातें शेयर कर सकें।
बच्चे को पढ़ाई में चौथे पांचवें या छटे नंबर पर आने पर भी उसकी प्रशंसा करें उसका उत्साह बढ़ाएं,क्यों की गाड़ी चलाते वक्त जैसे कुछ गाडियां आगे और कुछ पीछे रहती ही हैं उसी तरह बच्चे के जीवन में भी कुछ बच्चे आगे और कुछ उससे पीछे रहेंगे ही।
अच्छे माता-पिता बनने के लिए हम माता पिता को बहुत ही धीरज रखने की जरूरत है हम किसी भी हाल में अपना पेसेंस बनाकर रखें अपने बच्चों के मित्रों के माता-पिता से भी संपर्क बनाकर रखें उनसे भी हर बातों की चर्चा करते रहे जिससे हमारा हम बच्चे की अच्छी परवरिश कर सकें।
Thank you
Jai sree krisna