कभी कभी चुप रहना बेहतर क्यों होता है | why its better to be quiet sometimes

चुप रहना या मौन रहना मतलब होता है कि हम अपने विचारों का मन ही मन चिंतन और मनन करते हैं ,और इस दौरान हम उस वक्त का इंतजार करते हैं ,जब हमें बोलना होता है इस तरह चुप रहना हमें आकर्षक बनाता है ,और बाद में बोली हुई हमारी वाणी हमारे गुण और व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है।

ऐसे चुप रहने का मतलब ऐसा विचार कर लेना भी है कि मुझे कुछ करना है ही नहीं। ऐसा नियमित रूप से नींद से उठने के बाद विचार करके 10 से 15 मिनट यदि बैठा जाए तो यह अति लाभकारी होता है। जैसे नींद की अवस्था में कुछ भी ना करने का ही योजना रहती है, या संकल्प रहता है ।ऐसे ही जगी हुई अवस्था में भी कुछ ना करने की सोच ही चुप रहने की अवस्था कही जा सकती है। इस दौरान यह भी संकल्प नहीं रखना है कि हमें कुछ नहीं करना है क्योंकि यह संकल्प भी फिर करना ही हो जाता है।हर क्रिया चाहे शारीरिक हो या मानसिक पूर्णरूपेण हर क्रिया को रोकना ही चुप रहना कहा जा सकता है।

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क्या होता है चुप रहने से और सोच समझ कर जवाब देने से | why its better to be quiet sometimes

चुप रहने से हमारे रिश्ते प्रगाढ़ होते हैं, मजबूत होते हैं।हमारा ज्ञान बढ़ता है,लोग हमारी बातों को गंभीरता से लेते हैं, और सबसे बड़ी बात ,हमें बाद में पछताना नहीं पड़ता, हमारी खुशियां बरकरार रहती है।

चुप रहने की आदत बनाए रखने से सदैव हमारी बात को हमें और आकर्षक तरीके से बोलने का समय मिल पाता है ,और हम बहुत ही नपे तुले शब्दों में अपनी बात रख पाते हैं, जिससे सबका मन शीतलता प्राप्त कर पाता है।

परिणाम

1)हमारा दिमाग बेहतर काम करता है।

2)तनाव के हारमोंस को नियंत्रित कर पाते हैं।

3)हमें आत्म चिंतन करने का समय मिल पाता है, हमारी याददाश्त मजबूत होती है ,और हम किसी भी निर्णय को लेने के लिए सक्षम हो पाते हैं

4) चुप रहने से हमारे शरीर के की तात्कालिक ऊर्जा का खर्च होना बंद हो जाता है ,जिससे हम अद्भुत शक्ति का अनुभव करते हैं।

जानवर से बोलना तो हम नहीं सीख सकते लेकिन हम उनसे चुप रहना जरूर सीख सकते हैं।

चुप रह कर, कम बोलने से हमें उचित शब्द बोलने और सोचने का समय मिल जाता है, जिससे हमारे द्वारा बोला गया शब्द ,हमारा मान सम्मान बढ़ाता है

किसी के दिल तक पहुंचने का रास्ता हमारी जुबान से होकर ही जाता है। हम क्या बोलते हैं, कितनी हमें चुप रहने की आदत है , इसी से हमारी पहचान उनके हृदय में बनती है।

चुप रहने की आदत से हम नई ऊर्जा को अपने मस्तिष्क में निर्माण कर ऊर्जा का संग्रह कर परिणाम में खुशियां प्राप्त कर पाते हैं ।

चुप रहने से हमारे चेहरे का तेज बढ़ता है,जो हमें आकर्षक दिखाने का काम करता है ।

चुप रहने से हमारी वाणी से अदृश्य शक्तियों का जुड़ाव होता है और हम जो शब्द बोलते हैं उससे हमारे सम्मुख व्यक्ति भी उन शब्दों को सुनकर खुश होता है, दोनों ही प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।

प्रसन्नता बनाए रखने, तनाव को खत्म करने के लिए यह तकनीक, चुप रहना, पूर्णतया शांत हो जाना, बहुत ही कारगर होता है।

चुप रह कर क्या करें,और क्या होता है इससे

1)इसके लिए हमें किसी शांत स्थान पर चले जाना चाहिए, कुछ नहीं करना ,जहां तक हो सके चुप रहना, हमारे मस्तिष्क की गतिविधि को बैलेंस करता है।

2)हमें चुप रह कर प्राणायाम द्वारा मन को निष्क्रिय करना चाहिए ,जो हमें पुनः ऊर्जा से भरता है ,और आगे के विचारों पर कार्य करने की शक्ति देता है।

3)परिस्थिति के उतार-चढ़ाव में हमारा चुप रहना कई बार अति लाभकारी हो जाता है, क्योंकि यह सामने वाले को हमारा एक उत्तर ही होता है कि, हम उसकी बात से सहमत नहीं यह उसके लिए एक तरह की सजा की तरह हो जाता है, जो हम बिना कुछ बोले ही दे पाते हैं।

4)खुशियों के लिए ऊस समय हमें उस व्यक्ति को मन ही मन माफ कर देना भी हमारी खुशियां बरकरार रखता है बनाए रखता है।

5)खुश रहने के लिए हमें चुप रहना सीखना है ,क्योंकि हम जिस समय हम खुश रहते हैं ,उस खुशी को बरकरार रखने के लिए चुप रहना और अपने आत्म चिंतन, मनन, के द्वारा ही स्वयं को आनंदित रख पाना आसान होता है।

6)चुप रहना कई बार हमारी ताकत बन जाता है और हमें बड़े-बड़े संकटों से बचाता है चुप रहने से हमारी मानसिक स्थिति, भी शांत बनी रहती है अतः हमें चुप रहने की आदत को सीखना चाहिए। इसके अलावा हमें अकेले में खुश रहने की आदत पर भी काम करना चाहिए, इससे हम अपने समय को आसानी से खुश रहकर व्यतीत कर सकते हैं कर पाते हैं।

7)चुप रह कर उस परिस्थिति को टाल देना बुद्धिमानी है और मुस्कुरा कर उड़ा देना हमारी खुशियों को बरकरार रखता है।

8)चुप रहने से हम अपनी जिम्मेदारी उस रिश्ते के प्रति भी निभा पाते हैं जो उस समय कीमती होती है।

9)चुप रहने से हमारा एक तरह का मानसिक व्यायाम होता है ,जो हमारे मन मस्तिष्क को विराम की स्थिति में ले जाता है, जिससे हमारा मन ऊर्जावान होता है।

10)चुप रह कर हम अपनी सांसो पर ध्यान केंद्रित कर ,व्यर्थ के विचारों को रोक पाते हैं,जिससे हम खुशी को अनुभव करते हैं।

11)चुप रहने के आदत से हम झूठ बोलने से बचते हैं, और दूसरे की निंदा करने से भी बच पाते हैं।

12)जो बातें हम बोलकर अभिव्यक्त नहीं कर पाते वह बातें हमारे मौन रहने से प्रकट हो जाती है।

13)चुप रहने से हम ज्यादा से ज्यादा सुन पाते हैं, जिससे हमें सटीक उत्तर देने के लिए मानसिक चिंतन करने का समय मिल जाता है।

14)हमारी वाणी की प्रखरता बढ़ती है, हमारे शरीर में तेज बढ़ता है, हमारी आभा मंडल का प्रभाव बढ़ता है।

15)चुप रहने से हमारा मन शांत हो पाता है जिससे हम आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं।

16) चुप रहने की आदत से हमें गहरी नींद आने लगती है जिससे हमारे मन मस्तिष्क को पर्याप्त विश्राम मिलता है और हमारा मन प्रसन्नता का अनुभव करता है नई ऊर्जा का संचार भी होता है।

17)चुप रहने से हम अपने अंदर की आवाज को , पिछली जीवन की आवाज को सुन पाते हैं ,और आने वाले जीवन के परिवर्तन का आगाह भी कर पाते हैं।

18) क्रोध रूपी शत्रु को जीतने के लिए यह मौन रामबाण औषधि है ,जिसको धारण करने से इसका स्वत ही नाश हो जाता है।

यह अवस्था में एक तरह की निद्रा अवस्था है जिसमें हम अपनी सभी शक्तियों को रोक कर ,चुप होकर ,ऊर्जा का विस्तार करते हैं ,निर्माण करते हैं।

कुल मिलाकर हमारा जीवन खुशियों को खोजते खोजते भिन्न भिन्न प्रकार के कार्य करता रहता है ,और देखने में यह आता है कि हर कार्य भेष बदले हुए दुख की तरह ही फिर से दुख रूप परिवर्तित हो जाता हैं ।संसार में खुश और सुखी रहने के लिए हमें विभिन्न तरीकों को खोजते भी रहना है ,सीखते भी रहना है, इसी कड़ी के तहत हमें चुप रहना भी सीखना है ताकि हमारे जीवन में चुप रहने का रहस्य भी हमें खुशियां दे सके।

Be happy

जय श्री कृष्ण

Thank you

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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