माइंडफूलनेस क्या है? | What is Mindfulness?

माइंडफूलनेस किसी भी व्यक्ति का अपने कार्यक्षमता और मन की शक्तियों के प्रति जागरूक होना है,सचेत होना है।दोस्तों अपने विचारों को  नियंत्रित करने की क्रिया का  नाम ही माइंडफूलनेस मेडिटेशन है। माइंडफूलनेस ध्यान का एक छोटा रूप है, जिससे हम अपने मन मस्तिष्क को शांत करते हैं और अपने मन मस्तिष्क और शरीर को  संतुलन कर,अपने ज्ञान और ध्यान द्वारा मन को एकाग्र कर,अपने मन की शांति और एकाग्रता के लिए प्रयास करते हैं।

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माइंडफूलनेस पाने के लिए :

इस क्रिया को संपादित करने के लिए सबसे पहले अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित करके कुछ समय अपने आती और जाते हुए सांसों पर अपने मन को एकाग्र करना शुरू करें। शुरुआत में हम इस क्रिया को करने के लिए ओम या अन्य किसी मंत्र का भी सहारा भी ले सकते हैं।

माइंडफूलनेस की यह क्रिया हम क्यों करते हैं

अधिकांश समय बार-बार हमारा मन अतीत और भविष्य के विचारों पर भटकता रहता है,उसे हम बार-बार उन विचारों से खींचकर वर्तमान की और उसके ज्ञान और ध्यान को केंद्रित करने का प्रयास इस माइंडफूलनेस की ध्यान क्रिया के दौरान करते हैं ।

इस क्रिया का प्रयोग हम कहाँ करें

इसका प्रयोग हम किसी प्राकृतिक बगीचे में बैठकर करें या बहते हुए जल के पास करें तो यह अति उत्तम होता है। अगर संभव न हो तो इस क्रिया को हम अपने घर या ऑफिस में भी संपादित कर सकते हैं।

इस क्रिया को शुरुआत हम कैसे करें

इस क्रिया के दौरान हम पहले अपने सांसों पर ध्यान दें और अपने आसपास की आवाजों को सुनें, फिर अपने शरीर की क्रियाओं पर ध्यान दें,और फिर हम अपने विचारों पर ध्यान देना शुरू करें।इस तरह पहले सांस,आवाज,शरीर और सबसे अंत में हम हमारे विचार और फिर हम वर्तमान की स्थिति पर ध्यान देना शुरू करें। इस क्रिया को संपादित करते हुए हम यह भी देखें कि अंत में हमारा मन विचार शून्य हुआ या  नहीं।


इस क्रिया को करते-करते जब हम शून्य की स्थिति में पहुंचते हैं,तब हम अपने मन को पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले पाते हैं और तब हमारा माइंडफूलनेस संपन्न हुआ माना जा सकता है।

पाश्चात्य संस्कृति और हमारी भारतीय सभ्यता का तालमेल

खुश रहने के लिए पाश्चात्य देशों ने शराब का सहारा लिया,शबाब का सहारा लिया फिर सिगरेट और अब ,drug और अन्य कई तरह के विनाशकारी माध्यमों का सहारा भी लिया,किंतु हमारी भारतीय परंपरा ने इस माइंडफूलनेस के सच्चे सुख को खोज कर उपरोक्त आदतों से पाश्चात्य सभ्यता के लोगों को भी मुक्त करवाया। 

गीता के नायक भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवत गीता के माध्यम से अध्याय 6 मे अर्जुन के दोहा नंबर 33 और 34 में इस प्रश्न के उत्तर पर भगवान ने 35 वें श्लोक पर इस मन को वश में करने के लिए इस  माइंडफूलनेस ध्यान को ही उपाय स्वरूप बताया है। हिंदू सनातन धर्म की ऋषि परंपरा में हमारे गुरुकुल की विद्या के अंतर्गत को इस क्रिया को हजारों साल से पढ़ाया जा रहा है, जिसका लाभ आज तक पूरा विश्व ले रहा है।

माइंडफूलनेस के लाभ

इस क्रिया को संपादित करने के लिए सबसे पहले इसके लिए हमें अपना लक्ष्य को निर्धारित करना चाहिए कि यह क्रिया में रोज करूंगा फिर हम रोज इसका प्रयास करना शुरू करें ताकि यह हमारी आदत बने।माइंडफूलनेस खुश रहने का एक मंत्र भी है। इसे मन की सफाई की थेरेपी के रूप में भी हमें रोज करना चाहिए । इस क्रिया से हम अपने भावनाओं को नियंत्रित करने लगते हैं।हम अपने अंदर अपने आसपास हो रही घटनाओं और स्थिति के प्रति जागरूक हो जाते हैं।

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माइंडफूलनेस के फायदे

माइंडफूलनेस हमें क्रोध पर नियंत्रण करने की क्षमता प्रदान करता है।यह निर्णय लेने की क्षमता भी हमें प्रदान करता है। हमारी अंदरूनी और बाहरी ऊर्जा को संग्रह करके वर्तमान में हमारा फॉक्स बढ़ाने का काम करता है। इस माइंडफूलनेस के अभ्यास से हमारी प्रोडक्टिव क्षमता बढ़ती है, क्योंकि अब हम अपना काम पूरे फॉक्स से करने लगते हैं।

माइंडफूलनेस के अभ्यास से मिलती है खुशियां

अब हम अधिक खुश रहना सीख जाते है।तनाव से मुक्त रहने लगते हैं। हमारी याद रखने की शक्ति और क्षमता बढ़ जाती है।हमारी नींद बेहतर और गहरी होने लगती है।
माइंडफूलनेस हमारे मन को शांत कर हमारी ओवरथिंकिंग की आदत से हमें निजात दिलाता है। सबसे बड़ी बात यहहै की यह हमें चिंता और परेशानी से मुक्त करता है हमारे मन और बॉडी को यह आदत तरो ताजा कर देती है। हमारा मन प्रफुल्लित रहने लगता है।

रोजाना कितने देर ध्यान करना चाहिए

रोजाना माइंडफूलनेस के लिए हमें प्रतिदिन 5,7,या 10 मिनट से इस क्रिया का अभ्यास शुरू करें,फिर धीरे-धीरे 40 से 45 मिनट तक हमें इसका अभ्यास करना चाहिए।

माइंडफूलनेस ध्यान हम क्यों करते हैं

माइंडफूलनेस से हमारा मन शांत और संतुलित होता है, हम सिर्फ और सिर्फ वर्तमान में अपनी कार्य क्षमता को प्रयोग करने लगते हैं।यह सकारात्मक की भावना को उत्पन्न करता है,जो हमारे भावनात्मक कल्याण और हमारे दैनिक जीवन की सटीक व्यवस्था करने में लाभ पहुंचाती है।

माइंडफूलनेस से मन की शांति कैसे मिलती है

माइंडफूलनेस से हमको मन को शांति मिलती है। इसके  नियमित अभ्यास से हमें, आंतरिक आत्मबल और मन की शक्तियों को विकसित करने में मदद मिलती है। इस क्रिया के दौरान हम अपने गलत विचारों को अपनी सांसों से सफाई करते हैं।हमारे इस नियमित अभ्यास से हमारे अंदर जागरूकता बढ़ने लगती है। इस क्रिया के नियमित अभ्यास से हमें चुनौती देने वाले लोग,घटना और स्थिति के प्रति हमारी प्रक्रियाओं पर भी हमारा नियंत्रण होने लगता है।

इस क्रिया के अनंत फायदे

इस क्रिया के अनंत फायदे हैं जिन्हें शब्दों में बता पाना नामुमकिन जैसा है फिर भी मैं आपको और फायदे इसके बताना चाहता हूं।जब हम यह क्रिया करते हैं तो हम हमारे अंदर की थकान कम होने लगती है धीरे-धीरे हमारी नींद की जरूरत भी कम होने लगती है।हमारी इच्छाओं पर हमारा नियंत्रण आने लगता है,और हम एक महान मानव बन पाते हैं।

यह मूड इंटीरियर की क्रिया

यह हमारे मन की सुंदरता को या यूं कहे यह मूड इंटीरियर की एक क्रिया है जिससे हम अपने मन को शक्तिशाली और अपने नियंत्रण का बना पाते हैं।हमारे मन का रिमोट कंट्रोल अब हमारे हाथ में रहने लगता है।हमें अब बाहरी लोग घटनाएं और परिस्थितियां प्रभावित नहीं कर पाती। 

हम खुश रहने लगते हैं हमारा डर समाप्त होने लगता है।अब हम वर्तमान का आनंद लेने की स्थिति में आ जाते हैं। अब हमें अपने अंदरूनी ताकतों का अनुभव होने लगता है जिससे हम अपने बड़े-बड़े लक्ष्य को अब बहुत सरलता से पूरा कर पाते हैं। हमारी गलतियों भी अब हमें दिखाई देने लगती है, जिससे हम उनमें सुधार कर पाते हैं और परिणाम स्वरुप हमारे कार्य की गति बढ़ जाती है जिससे हमारा समय भी अब बचने लगता है। हम अपने बचे हुए समय में स्वयं को विकसित करने के लिए अन्य काम भी कर पाते हैं

उपसंहार

इस माइंडफूलनेस के नियमित प्रयोग से हमारा ब्रेन पावर बढ़ने लगता है क्योंकि इस क्रिया से हमारे मन और मस्तिष्क में शक्ति और क्षमताएं बढ़ती है।इस क्रिया को हमें रोज करना चाहिए,इसे बाल्यावस्था से ही हमें सीखना चाहिए। इस क्रिया को हमें जरूर प्रयास करना चाहिए क्योंकि इस क्रिया से हमारे अंदर शांति आती है 

जिससे समझ पैदा होती है,हमारे अंदर क्लेरिटी आने लगती है,जिसके परिणाम स्वरुप हम सफलता की ओर आसानी से अग्रसर होकर अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं। इस क्रिया से हमारे अंदर स्थिरता आती है जो हमें गतिशील बनाती है।इस क्रिया से हमें नई ऊर्जा शक्ति मिलती है जो हमारे जीवन को खुशहाल बनाती है।

 हमारे चेहरे पर चमक आने लगती है, हमारा औरा बढ़ने लगता है और जब हम गहराई से देखते हैं तो हमें यह भी अनुभव होने लगता है कि हम दिव्य शक्तिशाली मानव स्वरूप अब उभरने लगते हैं।
जय श्री कृष्ण
Thank you

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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