30 Best Idea Peace of mind | मन की शांति | मन को खुश रखने के उपाय
Peace of Mind – मन मानव शरीर में अदृष्य रूप से विराजमान वह शक्ति है, जो हमारे शरीर और आत्मा को सोच द्वारा भोजन और निर्देश दे कर उसे मार्गदर्शन देकर जीवन को चलाता है। हमारा मन हमारे शरीर का सबसे शक्तिशाली अदृश्य अंग होता है।
तन को स्वस्थ रखना हो तो हम,ब्यूटी पार्लर से जिम तक, डॉक्टर से लेकर दवाई तक ,सब करते हैं।लेकिन मन की तरफ हम जरा भी ध्यान नहीं देते जबकि शारीरिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध हमारे मन से है।यदि मन स्वस्थ रहता है ,तभी हमारा शरीर ठीक रहता है,इसलिए हम मन को स्वस्थ कैसे रखें इस पर काम करें।
Table of Contents
Peace of mind | मन की शांति
सारा खुशीयों का खेल मानव के मन पर निर्भर होता है। हम जैसा जीवन जीते हैं, जो भी करते हैं, मन के आधार और उसके अनुसार ही तय होता है।हम पैरों से चलते दिखाई देते हैं, परंतु चलना हमारे मन के राजी होने या निर्देश पर ही होता है। मन धूरी है ,जिस पर शरीर टिका रहता है ।जैसा हमारा मन होता है, वैसा ही हमारा जीवन होता है इसलिए कहा गया है मन के जीते जीत है ,मन के हारे हार।।
मन पवित्र से ही सब।
मन की स्वच्छता की वजह से ही हम खुश रह पाते हैं।परिणाम स्वरूप शरीर और हमारा जीवन भी खुशहाल बना रहता है। डॉक्टर और वैज्ञानिकों का यही कहना है शरीर में होने वाले रोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मन की वजह से ही होते हैं। इसलिए हमें शरीर से ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है।
हम अपने शरीर और उसके सौंदर्य का जितना ख्याल रखते हैं, मन को हम उतना ही नजरअंदाज करके जीवन जीते हैं।मन की प्रसन्नता के लिए हम कुछ नहीं करते। अपने शरीर के लिए अच्छे प्रसाधन , अच्छा खाना पीना, पहनावा, रहन-सहन और वातावरण सभी जुटाने के लिए प्रयास करते हैं।चूँकि शरीर तो हमें दिखाई देता है और मन हमें दिखाई नहीं देता और मन के स्वास्थ्य की हम परवाह नहीं करते।
हमारे शरीर में मन वृक्ष की जड़ की तरह होता है, जो कि दिखाई नहीं देता। जिस तरह वृक्ष जड़ पर ही खड़ा रहता है, उसी तरह हमारा शरीर मन पर खड़ा रहता है ,जिसे हम जान नहीं पाते। जिस तरह वृक्ष को हरा भरा करने के लिए सिर्फ जड़ में जल देते हैं ,और सारा वृक्ष उस जड़ के जल से ही अपनी आपूर्ति कर लेता है उसी तरह अगर हम मन पर काम करें ,मन को प्रसन्न रखना सीखें, मन के बारे में जाने, तो हमारा सारा शरीर स्वस्थ, और हम भी लंबे समय तक दीर्घायु रह सकते हैं,खुश रह सकते हैं ,और हंसी खुशी भरा जीवन बिता सकते हैं।
मन की गति वायु से भी तेज।
हमारा मन हर समय कुछ न कुछ सोचता रहता है, और उस सोच के द्वारा उसे जो अच्छा लगता है वह उसे प्राप्त करने के लिए संकल्प करता है।किया गया उसका संकल्प अगर उसके लक्ष्य के अनुकूल हो तो उसे सही दिशा में सफलता की ओर ले जाता है,इसके विपरीत अगर वही संकल्प किसी भी अनुचित कार्य के लिए हो, या लक्ष्य के विपरीत हो तो वह उसे चुनौतियों में फंसा देता है जिससे उसे खुशियों से भी समझौता करना पड़ता है।
मन का नियंत्रण
हमारे मन की स्थिति पूर्णतया हमारे हाथ में होती है और दूसरे इंसान के मन स्थिति उसके मन पर होती है। इसीलिए हम उसे मन की पर स्थिति या परिस्थिति कहते हैं, जो पूर्णतया सामने वाले के नियंत्रण में होती है। पर स्थिति को बदलना हमारे नियंत्रण के बाहर होता है, यह बात हमें समझ लेनी चाहिए। हमारा मन ही सिर्फ हमारे नियंत्रण में होता है, इसे ही हमें अपने वश में रखना है,इसे ही समझना, इससे कार्य करवाना, भोजन देकर इसे तंदुरुस्त रखना हमें सीखना है, जिससे मन की शांति और खुशी निरंतर बनी रहती है।
मन को सिखायें
इसके लिए हमें यह भी संकल्प लेना चाहिए, किसी भी दूसरे के व्यवहार से हम अपने मन की स्थिति को बदलने नहीं देंगे। हम अपने मन की स्थिति के प्रभाव से दूसरों को नियंत्रित करेंगे, उसको शांत रहने को मजबूर करेंगे। इसके लिए हम रोज यह संकल्प लें ,और मुंह से बोले कि मेरा मन पूरी तरह से मेरे नियंत्रण में है ,मैं आजाद हूं, मैं खुश हूं।
कोई हमारे मन में क्रोध की भावना उत्पन्न करने की बात करे या परेशान करे उस समय इस बात को याद रखे ,वह व्यक्ति बीमार है ,उसके साथ आप भी उसकी बीमारी से ग्रसित ना हो, बल्कि अपने मन की शांति को बनाए रखें और,उसे शांत करने का प्रयास करें।
मन बच्चे की तरह।
मन एक बच्चे की तरह होता है उसे हर बात , सिखानी पड़ती है ,सीखने के बाद उसी के अनुसार, वह व्यवहार करने लगता है।
मन को खुश रखने के उपाय
हम ज्यादातर यही सोचते हैं कि, हम अपने बारे में सोचेंगे तो स्वार्थी हो जाएंगे और हम अपने जीवन को दूसरे के अनुसार ढालने में लग जाते हैं। अच्छा बनने, भलाई करने लगते हैं, ऐसा करना सही है गलत नहीं ,लेकिन हम खुद को इतना भी पराधीन और व्यस्त न रखें कि हमें, अपने बारे में सोचने का मौका ही ना मिले। दिन में कुछ वक्त ऐसा निकाले जब हम अपने बारे में सोच सकें। उस समय हम अपने बारे में सोचें और छोटे छोटे सुधार भी करें। हम यह सोचें की अपनी खुशीऔर संतुष्टि के लिए हमने क्या और कितना किया।
हम अपने दैनिक जीवन की दिनचर्या में झांक कर देखें, कि हम क्या कर रहे हैं। हम क्या सोच रहे हैं ,उस पर चिंतन, मनन करें। इस पर भी गौर करें हम जो कर रहे हैं, आने वाले 5 साल बाद उसके क्या परिणाम होंगे, हमें उससे क्या मिलेगा, इस पर विचार करें ,और योजनाबद्ध तरीके से अपने जीवन का निर्माण करें।
मन की रूचि को पूरा करें।
अपने मन की उन खुशियों और इच्छाओं को पूरा करें,जिनको करके हमें ऐसा लगे कि हमने कुछ किया है। जैसे अपनी पसंद का कुछ पहने, कुछ खाएं ,कुछ जगह पर घूमने जाएं ।
अपने उन ५ दोस्तों से गहन संबंध बनाएं जिन्हें हम अपने जीवन में हर सुख दुख में ,जीवन के अंतिम समय तक, आप साथ देखना चाहेंगे। उनके साथ समय बिताएँ। Peace of Mind.
अपने कार्यों को पूरा करने की आदत बनाएं
अधूरे कार्य सदैव तनाव ही देते हैं ,जिसके चलते अन्य कार्यों में भी मन नहीं लगता पुराने कामों का बोझ नए कार्यों को पूरा करने नहीं देता। इसलिए नए कार्य को, नई जिम्मेदारियों को तभी लें ,जब पुराने कार्य पूरे हो जाऐं। अपने मन की खुशी और आत्मविश्वास जगाने का मुख्य उपाय और नियम यह है कि अपने कार्य को पूरा करने की आदत बनाएं।
दिनचर्या में परिवर्तन लाएं
एक जैसी दिनचर्या मन को बोरियत देती है ,मन को सुस्ती और शरीर में आलस्य प्रदान करती है, जिसके कारण मन उदास रहने लगता है ।घर ,ऑफिस के नियमित काम और रूटीन से थोड़ा ब्रेक लें,और कुछ अलग करें, स्वयं को रूटीन जिम्मेदारी से दूर कर नए तरीके से उन कार्यों को करें, जो हमारे मन को खुशी देता हो।
घूमने जाएं|
मन को बदलने का सबसे अच्छा तरीका है,हपते या महीने के अंत में एक या दिन के लिए ही कहीं बाहर घूमने जाएं,ताकि आपकी रुटीन लाइफ से आपको ब्रेक मिले।मन को इससे नया माहौल मिलता है,मन प्रफुल्लित होताहै,खुशी की प्राप्त कर मन संतुलित होता है, हमें आनंद महसूस करता है
दूसरों से बातें करें
दूसरों से बातें करने से मन हल्का होता है, जीवन को नए ढंग से देखने और समझने का मौका मिलता है।दूसरे इंसान से बातें करने से यह पता चलता है दुख और सुख, सभी के जीवन में भिन्न भिन्न और अलग-अलग तरीके के रहते ही हैं, और यह जानकारी कई बार हमें समाज में अपने आस पास के बुद्धिमान व्यक्तियों के संग से मिलती है। हमें जीवन की स्थिति को समझना और उनसे निपटना सीखते रहना चाहिए, जिससे हमारा मन ऊर्जावान रहता है।
अपने मन की बातें डायरी में लिखें।
आपकी खुशी के लिए अपने मन की बातों को डायरी में लिखे।डायरी को सिर्फ लिखे ही नहीं, पढ़ें। हफ्ते के अंत में उसे पढ़ें और पढ़ कर अपने मन की स्थिति की जांच करें, मनन करें। इस बात पर गौर करें,कौन सी चीज जरूरी है, कौन सी नहीं । किसको हमें प्राथमिकता देनी है, किसको नहीं। कौन सी मांग ऐसी है, जिनके बिना भी जीवन चल सकता है।
कौन सी मांग ऐसी है ,जिन्हें पूरा करने से मन प्रसन्न हो सकता है। हम क्या क्या कर सकते हैं, इस पर सोचें और लिखें। कौन सी स्थिति हमारे हाथ में है, और कौन सी परिस्थिति हमारे वश में नहीं है और उसे हमें स्वीकार कर लेना ही उचित है।यह सब लिखने से मन हल्का होता है ,और हमें मार्गदर्शन, मिलता है।
अच्छा संगीत सुनें।
हम संगीत को त्योहार, शादी या कुछ विशेष अवसर पर ही सुनते हैं।संगीत को अपने दैनिक दिनचर्या में अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।संगीत हमारे मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालता है।अपने पसंदीदा गानों की लिस्ट बनाकर ,समय निकालकर जब- तब कुछ संगीत सुनें। कुछ ऐसे गाने सुनें जो हमें अपने अंदर जीवन जीने की प्रेरणा देते हों। जब हम मन से अपने आप को अकेला समझें ,उस समय संगीत को अपना साथी बनाएं और अपने आपको ऊर्जावान और मन को तंदुरुस्त बनायें।
सात्विक भोजन करें
जैसा अन्न वैसा मन, जैसा हम खाते हैं वैसा ही हमारा मन बनता है इसलिए हो सके तो शुद्ध ,सात्विक, शाकाहारी, कम मिर्च और कम तेल वाले, भोजन का संतुलित आहार लें । भोजन को खूब चबा चबाकर खाएं, और उसे पचने के लिए भरपूर समय दें। जल का सेवन करें, और अपने मन की रूचि के अनुसार भोजन करें ,जो पसंद हो वही खाऐं।
मन की प्रसन्नता के लिए खुल कर रोना भी जरूरी।
अक्सर हम अपने आंसुओं को छुपाते हैं, इस शर्म से कि लोग क्या कहेंगे और हम खुल कर रो भी नहीं पाते। खुलकर न रो पाने के कारण हमारे अंदर कई तरह के विकार जैसे गुस्सा, चिड़चिड़ापन, जिद्दी पना आने लगता है, जिसके कारण हमारा मन खिन्न रहने लगता है, और इससे कई बार तो अनिष्ट की स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है। इसलिए जब कभी रोने का मन करें आंसू बहने दे।खुल कर रोयें ,इससे मन हल्का होता है, पुरानी बातों को भूलता है। जब हमारा मन हल्का होता है तो हमारे मन को नया सोचने का, आगे की राह पर चलने का, फिर से मन करता है।
मन के स्वास्थ्य के लिए गहरी नींद जरूरी।
नींद हमारी केवल शारीरिक थकावट को दूर नहीं करती, बल्कि अच्छी और गहरी नींद हमारे मन को भी हल्का करती है, तरोताजा करती है। हमारी मांसपेशियों को आराम मिलता है ,और नए उत्साह से हम जीवन को जीने की फिर से हिम्मत जुटा पाते हैं ।
गहरी नींद लेने के लिए रात को सोने से पूर्व हम सोने की तैयारी करें । अपने आपको व्यर्थ की चिंताओं से अलग करें, टीवी ,मोबाइल ,से बचें जिससे हमारा मन शांत होकर विश्राम पाता है,और हमें नींद का आनंद आता है। इसलिए इस समय मस्तिष्क में सोचने की सभी गतिविधियों, नई नई सूचनाओं को देना, इस दौरान मन की प्रत्येक क्रियाओं को रोकना आवश्यक है।
स्वयं को व्यस्त रखें
खाली बैठने का अर्थ है, मन का खाली रहना। मन के खाली रहने का अर्थ है, मन को भटकने का मौका देना। इसलिए कुछ न कुछ करते रहें। स्वयं को व्यस्त रखें, नई-नई योजनाओं पर विचार करते रहे।
रचनात्मक कार्यों को करें
हम अधिकतर कार्य को मुनाफे या पैसे के लिए ही करते हैं, कुछ कार्यों को हम अपने मन की संतुष्टि के लिए करने का नियम बनाएं ।खास तौर पर अपनी उर्जा को रचनात्मक कार्यों की ओर ले जाएं, जैसे जो हमें पसंद हो !जैसे नृत्य करना, गाना गाना, चित्रकारी, बागवानी ,पशुपालन, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, घर सजाना, आदि जो काम हमें पसंद हो कुछ न कुछ सृजन का कार्य जरूर करें। ऐसा करके जब हम अपने मन को कार्य में लगा कर रखते हैं,तो इससे अपने मन की भीतर छिपी हुई, कई प्रतिभाएं उभर कर आती है, जिससे हमारा मन प्रसन्नता और आत्मविश्वास से भर जाता है।
योग एवम ध्यान को अपनाएं।
योग मन को स्वस्थ और दुरुस्त रखने का एक अच्छा माध्यम है। योग एवं ध्यान के माध्यम से मन केवल एकाग्र ही नहीं होता ,बल्कि योग से हमें अपने बारे में सही- गलत सोचने का मौका भी मिलता है। योग से हमारी इंद्रियां सक्रिय होती हैं। योग से हमारे शरीर में विद्यमान सभी चक्र जागृत होते हैं।हर मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह नियमित होने लगता है। यह योग हमारे मन व मस्तिस्क को आनंद प्रदान कराता है। इसलिए ध्यान एवं योग को अपने जीवन में विशेष स्थान दें।
चिंता को चिंतन में बदलें
चिंताओं के कारण ही इंसान दुखी और बैचेन रहता है। ऐसे वातावरण और ऐसे संगति से अपने आप को दूर रखें जो हमें चिंता देती हो।अपने जीवन में अच्छे लोगों का संग करें, अच्छे लोगों से सलाह करें, इससे चिंता, दूर होकर मन प्रसन्नता से भरता है।
रोज एक चुनौती पर काम करें।
अपनी सभी चुनौतियों को कागज पर लिखे। फिर उनको प्राथमिकता के अनुसार क्रम में छांट कर यह देखें कौन सी चिंता जायज है कौन सी हमने बेवजह निर्मित कर रखी है। हम पाएंगे 1,2 के अलावा सब चिंता बेकार होती है ,जिसमें हम अपनी उर्जा को झोंक कर रखते हैं।जायज १ या २ पर रोज काम करें। इसका चिंतन मनन कर ,योजनाबद्ध तरीके से अपने मन की स्थिति को ठीक करें।
नशे से बचें
अगर हम किसी तरह का नशा ऐसा कर रहे हों जो हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा हो तो उसको जीवन से अलविदा करें। क्योंकि इस नशे से जैसे जैसे हमारा शरीर असमर्थ होता है वैसे वैसे हम अपने मन को भी दुर्बलता की ओर ले जा रहे होते हैं।
मनोरंजन को अपनाएं
मनोरंजन को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं ,मात्र टाइमपास का जरिया न सोचें स्वयं अपने मन को खुश करने के बहाने खोजें। कभी-कभी अपने कार्य अपनी उम्र और ओहदे से परे , बच्चों की तरह उछल कूद करें।बेवजह बिना किसी मौके के भी यारों दोस्तों के साथ पार्टी करें।घूमने फिरने बाहर जाए ,जीवन की मस्ती के लिए मन को स्वस्थ रख, मन की मांग पर ध्यान दें।
क्रोध प्रकट करें।
कभी गुस्सा आए तो उसे भी रोके नहीं यदि सही समय पर प्रकट हो जाए, और इसे हम बाहर निकाल दें, तो इससे मन हल्का हो जाता है ।अपनी रूकी हुई किसी तरह की ऊर्जा हो तो उसे भी निकालने के लिए एकांत में जाकर अपने मन की बातें बोलकर निकाल ले।
इस तरह किसी भी शारीरिक और मानसिक दबाव को भूल से भी रोकें , दबाऐं नहीं। अगर गुस्से की स्थिति नहीं निकल रही हो तो लंबे पैदल चलकर या लंबी दौड़ लगाकर भी जब पसीना निकलने लगे, तो हम उसको शरीर से पसीने के द्वारा निकाल कर शांत कर सकते हैं।
पुरानी चीजों का पुनरावलोकन करें|
पुरानी चीजों को दोबारा देखें ।मन को स्वस्थ रखने के लिए – पुराने ग्रीटिंग कार्ड्स ,उपहार , फोटो एल्बम, को देखें। बचपन से लेकर अब तक के इनाम, सर्टिफिकेट उपलब्धियों को देखें।इसकी तुलना करें ,उसके बारे में सोचें, और अपनी पुरानी शक्तियों को जागृत करें। अपने खोए हुए आत्मविश्वास को फिर से जागृत कर, मन को यह बताएं कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है, जिससे हमारा मन शिकायत करना छोड़ देता है और स्वस्थ होने लगता है।
गहरी सांस यानी बेहतर स्वास्थ्य और मन को भोजन।
जितनी हमारी सांसे होती है ,उतनी ही हमें उम्र मिलती है हम अपनी सांसों की गिनती को तो नहीं बढ़ा सकते ,लेकिन सांस पर नियंत्रण कर अपनी सांसे बचा सकते हैं। अपनी उम्र बढ़ा सकते हैं, लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। सांसो को लेना मानव जीवन में एक अहम एवं महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, या यूं कहें, सांस ही जान है।यदि सांस नहीं तो जान भी नहीं। इसलिए प्राणायाम के कुंभक और रेचक क्रिया द्वारा हम सांसों की गति को नियंत्रित करें। यह हमारे मन को शांति और विश्राम देता है,जिससे हमारा मन आनंद से प्रफुल्लित होता है।
दोस्तों के साथ समय बिताए
अपने किसी पुराने दोस्त के साथ बातचीत करें उसके साथ समय बिताएं।
एक समय में एक ही कार्य को करें।
एक समय में एक ही कार्य को पूरे ध्यान से करें। उसे पूर्ण करने के बाद ही नए काम पर मन लगाएं ,क्योंकि मन एक समय में एक ही कार्य को कर पाता है।
फिल्म देखें।
फिल्में जरूर देखें! फिल्म जीवन में पाठशाला की तरह हमें बहुत तरह की शिक्षाएं देती है ,मन का मनोरंजन करती है। हमारा मन इस समय जब दूसरी तरफ अपना ध्यान लेकर जाता है, तब हमारा मन प्रसन्न होता है।
किसी मंत्र का सहारा लें,चलें आध्यात्मिकता की ओर।
मनुष्य की सच्ची उन्नति तब मानी जाती है, जब वह आध्यात्मिकता की ओर चलने लगता है। उसका मार्ग तभी एकाग्र होता है जब किसी न किसी मंत्र के द्वारा अपने मन को संतुलित कर शांत करना सिख जाता है। मन एक समय के लिए भी खाली नहीं रह सकता,इसलिए मंत्र के सहारे मन को व्यस्त रखे।
महीने में एक-दो बार मसाज थेरेपी को अपनाएं।
मन की प्रसन्नता के लिए महीने में एक दो बार मसाज थेरेपी जरूर लें, इससे मांसपेशियों में रक्त का संचार बढ़ता है, और मन को शांति का अनुभव होता है।
धन्यवाद करना भी मन को सिखायें।
मन से हम सदैव शुक्रिया की भावना रखें। शुक्रिया हमें उन चीजों के लिए करना है ,जो हमारे जीवन में है। इससे हमारा मन ऊर्जावान होता है ।उन चीजों के लिए हम परम शक्ति का शुक्रिया करें ,जो उन्होंने हमें जीवन में दीं।
अपने मन के सकारात्मक विचार, भावना और अपने स्वस्थ शरीर के लिए हम उन परम शक्तियों का शुक्रिया करें। इससे शांति और सद्भाव फैलता है,हम खुशी महसूस करते हैं। अपने मिलने जुलने वाले सारे दिन के उन लोगों का शुक्रिया करें,जिन्होंने आपके जीवन में कभी भी आपको कुछ दिया। मन को धन्यवाद देने की भावना हर चीज के लिए मन को खुशी देती है।
मन का व्रत करें।
मन की प्रसन्नता के लिए मन के व्रत को करें।इसके लिए मोबाइल और सोशल मीडिया से एक दिन या कुछ ही घंटे दूर रहने का संकल्प लें।
यह भी जरूरी|
वासना की भावना से दूर रहकर ब्रह्मचर्य पालन करने का व्रत करें। वाणी पर संयम रखकर मौन रहने का व्रत लें,इससे हमारा मन ऊर्जा शक्ति को प्राप्त कर शांत होता है, प्रसन्नता महसूस करता है।
कुल मिलाकर इस मन के द्वारा हम कठिन से कठिन काम कर सकते हैं।हमारा मन जो सोच सकता है, उसे पूरा भी कर सकता है, इसलिए मन में हम सदैव सकारात्मक विचार को ही बनाकर रखें, उन्हीं विचारों को सोचें जो हम होते हुए देखना चाहते हैं।जो हम चाहते हों,उसे ही सोचें। वही सोचें जो मन को प्रसन्नता दे।
मन को जीतने से ही मिलती है, खुशियाँ ही खुशियाँ।
कुल मिलाकर मन एक ऐसी शक्तिशाली इंद्रिय है जो ,हमारे शरीर में विद्यमान है ,जो पूरे शरीर को, पूरे हमारे जीवन को चलाती है। हमारे मन की आज्ञा और सोच के अनुसार ही हमारा जीवन बनता है। कभी-कभी हम कुछ नकारात्मक विचार या आदतों के चक्कर में फँस जाते हैं।उस समय हम अपने मन को बहला-फुसलाकर धीरे-धीरे अपने वश में करें। इसके लिए हम बार-बार इसे वहां से मन को हटाकर, सकारात्मक शक्ति या परम शक्ति से जोड़ें, उनका ध्यान करे, उनसे आग्रह करें वह हमें सही राह पर लेकर आएं।
प्रश्न करें।
हम अपने मन को वश में कर सकें, हमारा जीवन आनंदित बने। हम सदैव स्वस्थ रहें, और हंसी खुशी से इस जीवन को बिता सकें इसके लिए ज्ञानी व्यक्ति से चुनौतीयों के लिए पूछे, प्रश्न करें, उनके अनुभव का आदर करें,और उनकी बातों को जीवन में उतारें।
Om……….
भैया खुशियां ही खुशियां जीवन का उद्देश्य, यह समझ ले कहीं अटके नहीं, कहीं फंसे नहीं।