(Shauk) शौक शब्द का अर्थ | शौक कैसे आदत बन कर खुशियां बनती हैं | Meaning of the word hobby

अगर हम अपनी दिनचर्या को गौर से देखें तो हम यह पाएंगे कि हमारे बहुत से कार्य इस प्रकार के होते हैं जिन्हें हम यंत्रवत करते चले जाते हैं। इस तरह के कार्य हम सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें करने कि हमें आदत पड़ चुकी होती है। प्रतिदिन कुछ कार्यों के लिए हम राजी नहीं भी होते फिर भी हमारे आदत की वजह से हम उसे करते चले जाते हैं ।यही है आदत अपने आप करते चले जाना।

Meaning of the word hobby

जो भी कार्य हम बार-बार करते चले जाते हैं एक वक्त ऐसा आता है वह हमारी आदत की शक्तियों में परिवर्तित हो जाता है ,इसलिए हम अपनी आदतों पर गौर करें कोई आदत गलत दिखे तो उसे सुधार करने का संकल्प करें तभी हमारे भविष्य की खुशियां कायम रह रह सकती हैं।

आदतें स्वयं द्वारा निर्मित और नियंत्रित

आदत अच्छी हो या बुरी अपनी आदतों के विकास या उसके विनाश करने का संपूर्ण नियंत्रण स्वयं सिर्फ और सिर्फ हमारे स्वयं के ऊपर ही निर्भर होता है।

आदतों के द्वारा ही हम दूसरे लोगों के द्वारा पहचाने जा सकते हैं, या आकर्षित किए जा सकते हैं। हमारी आदतें हमारे व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है ।हम क्या है कैसे हैं ,यह सब हमारी आदतों के जरिए दूसरे के नजर में छवि बन जाती है।

किसी भी आदत को अपनाना जितना आसान होता है उतना ही कठिन आदत से पीछा छुड़ाना होता है।

आदत का विज्ञान

आदतों का मनोविज्ञान कुछ ऐसा है अगर हमको सबका प्रिय बना रहना है तो हमें गलत आदतों को छोड़ना अति आवश्यक है ।इसके लिए हम प्रयास करें उस आदत को परिवर्तित करके हम दूसरी आदत बना सकें ।क्योंकि आदतें छूटती नहीं वरन बदली जा सकती है। जब हम आदतों को छोड़ने की बात करते हैं, तो प्रारंभ में हमें कुछ मुश्किलें अवश्य आती है, लेकिन हम धीरे-धीरे जीत की तरफ अग्रसर हो पाते हैं। आदतों को बदलने के लिए हमें दृढ़ इच्छाशक्ति का विकास बहुत जरूरी होता है।

आदत कैसे बदलें

आदतों को छोड़ने के लिए सर्वप्रथम हमें उस आदत की पहचान करनी पड़ती है ,और उसके बाद अपनी सोच में बदलाव लाना पड़ता है, आत्म निरीक्षण करना पड़ता है कि इसके क्या फायदे हैं, इसमें क्या कमियां है, फिर उसे संकल्प के द्वारा आत्म चिंतन करके बदला जा सकता है।

किन आदत को कुचलें

अगर आदत ऐसी मालूम पड़े जिसका समझौता हमें खुशियों से करना पड़े तो उन बुरी आदतों को हमें प्राथमिक अवस्था में ही कुचल देना चाहिए क्योंकि जिस बुरी आदत से हम आज बच नहीं पा रहे हैं वह कल निश्चित तौर पर और भी प्रभावी होकर उभरती है और उसका सिलसिला दिन-ब-दिन बढ़ता ही चला जाता है।

खुशियां हम सभी मनुष्यों की मनुष्य की मूल जरूरत और जीवन के हर पड़ाव का अंतिम उद्देश्य भी है। हम जो भी करते हैं उसका उद्देश्य दुख को छोड़ना, दुख को भूलाना ,सुख तथा खुशी को प्राप्त करना है।

हमारे जीवन की दैनिक दिनचर्या का निर्माण हम अपने शौक की आदत में से चुनते हैं जो धीरे-धीरे हमारी आदत में परिवर्तित हो जाती है और परिणाम में हमें सुख देतीहै ।

खुशियों के लिए हमें अपनी शौक का ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि हमारेशौक ही आदत में परिवर्तित होती है, जो परिणाममें सुख देते है ,और खुशियां का तोहफा । रोज की जाने वाली क्रिया जैसे पढ़ना ,सीखना, एक्सरसाइज, योग, प्राणायाम ,स्वास्थ्यवर्धक भोजन हमें परिणाम स्वरूप खुशियां दे सकता है।इन्हे हम आदत स्वरूप डालने का प्रयास करें।

वर्तमान मे किन आदत को डालना बहुत जरूरी

नियमित रूप से कुछ धन बचाने की हमारी आदत हमारेजीवन की आर्थिक उन्नति में लाभकारी साबित हो सकती है ।हमारी पहले की शौक के परिणाम हम वर्तमान में ही देख रहे हैं, और वर्तमान में हम कैसे शौक रखते हैं, यह हमारे भविष्य को दिखाने का सामर्थ्य रखती है। आज की हमारी सोच और समझ हमारी शौक बनती है जो आदत में परिवर्तित होकर हमें खुशियां देती है।

हम अपनी जिंदगी नहीं बदल सकते किंतु अपनी शौक और अपनी आदतों को बदलकर अपने जीवन में खुशियां ला सकते हैं। जान बूझकर कर अच्छी आदत बन जाने से अनजाने में अपने आप हमारा भविष्य बन जाता है और हम बहुत सारी खुशियां प्राप्त करते हैं।

ऐसे बदलें गलत आदत

अपनी गलत आदतों को हमें कागज पर लिख कर जला देना चाहिए और अच्छी शौक और आदत को हर जगह जहां हमारी नजर बार बार पड़ती है लिख कर चिपका देनी चाहिए।

संसार का सभी सफल व्यक्ति रोज अपनी आदत पर काम करके मन को खुशी रूप रसायन देता है ।अपनी सुखद जीवन के लिए हमें अपनी गलत शौक को दूर करने पर भी काम करना चाहिए ,जिससे हम भविष्य में खुशी प्राप्त कर सकते हैं ।

संग से बनती आदतें

खुशियां हमारी अच्छी आदत, व्यवहार ,संगका एक मिश्रित स्वरूप है ।यह शौक और आदतें हमारे अवचेतन मन पर भारी छाप छोड़ती हैं ,और हमारे भविष्य का निर्माण करती हैं ,सो प्रसन्नता के लिए हमें अपनी आदतों और अपनी शौक़ का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

धन्यवाद

जय श्री कृष्ण

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