खुश रहने का सबसे आसान तरीका। | best secrets to Simple way to be happy

हम जीवन के मकसद को भुला चुके हैं। हम शायद भूल गए हैं कि जीवन की हर क्रिया का अंतिम मकसद खुश होना है ।हम जब छोटे थे तब हम हर समय खुश रहते थे, अब हमें खुश रहने के लिए सीखना और जानना पड़ता है। आज हमें जरूरत है, ऐसे इंसान की, जो हमें खुशियों से चार्ज करे, हमें प्रेरणा दे, खुशियां दे।

हमें खुश रहने के लिए फिर से बच्चा बनना सीखना होगा।फिर से उन्हीं गुणों को अपनाना होगा, जो बच्चे अपने जीवन में अपनाते हैं। उन बच्चों की तरह सोचना होगा।

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खुश रहने का सबसे आसान तरीका। | best secrets to Simple way to be happy

खुश रहने से हम जीवन में स्वस्थ रह पाते हैं हमारी उत्पादक क्षमता बढ़ जाती है। हमारा पेट अच्छा रहता है। मन में निराशाजनक विचार नहीं आते। सबसे बड़ी बात ,आध्यात्मिक क्षेत्र में भी वही व्यक्ति प्रवेश कर पाता है, जो खुश रहना जानता है,क्योंकि खुश रहने वाले ही परमात्मा तक पहुंच पाते हैं। बच्चों में यह सारे गुण मिलते हैं जो हमें उनसे सीखने चाहिए, इसलिए हम बच्चों को भगवान का स्वरूप ही मानते हैंं।

बच्चों की तरह हर चीज को खेल की तरह लें।

छोटा बच्चा जैसे हर चीज को खेल में लेता है जैसे नहाना हो ,खाना हो, किताबें पढ़ना हो, हर चीज को खेल की तरह लेकर, मुस्कुराता रहता है, उसी तरह हमें घर का काम और या कर्म, सब चुनौतीयों को खेल की तरह लेना और उसे सुलझाना चाहिए।इसके लिए सदैव मुस्कुराते रहने को सीखना है।

हार जीत से बच्चों को कुछ मतलब नहीं

जीवन को संघर्ष और लड़ाई का मैदान ना माने। बच्चों की तरह खेल का मैदान माने। जैसे खेल में हार-जीत लगी रहती है उसी तरह जीवन में हार जीत लगी रहती है, इस तरह सोचने और काम करने से हमारा काम ही हमारा मनोरंजन बन जाता है।

किसी भी भावना को दबाएँ नहीं।

किसी भी चीज को कभी दबाऐं या छुपाएँ नहीं, अपनी भावना को प्रकट करें, जैसे बच्चा करता है।

बच्चों की तरह बिना कारण मुस्कुराये।

हर बच्चा 1 मिनट में तीन बार मुस्कुराता है और हम सब कई दिनों में भी एक बार मुस्कुराते नहीं, अतः हमें बच्चे से मुस्कुराना सीखना चाहिए।

बच्चों की तरह किसी बात को पकड़ें नहीं।

जीवन हमारा बहती नदी की तरह है। जिस तरह हम बहती हुई नदी की धारा को पकड़ नहीं सकते उसी तरह हम जीवन , या जीवन की गतिविधियों को कंट्रोल नहीं कर सकते, पकड़ नहीं सकते, हमें उस धारा के अनुकूल ही चलना पड़ता है। अपने जीवन में खुश रहना पड़ता हैं।

बच्चे जिस तरह किसी भी बात को पकड़कर नहीं बैठते उसी तरह हमें अपने जीवन में किसी भी बात को कभी पकड़ना नहीं चाहिए, जीवन को हमें जानना चाहिए कि, जीवन निरंतर परिवर्तनशील है कभी किसी भी एक परिस्थिति में रुक नहीं सकता इसलिए बच्चे जिस तरह 1 मिनट में नाराज 1 मिनट में खुश 1 मिनट में ही खेलना शुरू कर देते हैं ,उसी तरह जीवन को लें और हमेशा खुश रहे किसी बात को पकड़े नहीं।

बच्चों की तरह जिज्ञासु बनें|

जिस तरह बच्चा किसी भी चीज को मिलने के बाद उसे ध्यान से देखता है समझता है और उसे जानने की कोशिश करता है उसी तरह जीवन में हर चीज को बारीकियों से देखे समझे और उसी में आनंदित होने की कला सीखे। इसी समय हम हमारे ब्रेन का पूरा इस्तेमाल कर रहे होते हैं, जब हम जिज्ञासु होते हैं।

बच्चे की तरह सिर्फ वर्तमान में जियें।

बच्चा हमेशा वर्तमान में रहता है, वह अतीत और भविष्य की कभी चिंता नहीं करता, उसके पास जो है, जिस परिस्थिति में है, उसमेंवह आनंदित रहता है। हमें बच्चों से सीखना चाहिए कि हम जिस भी परिस्थिति में या ,जिस स्थिति में भी रहें, हमेशा खुश रहे। वर्तमान को पूरा फोकस देकर, एंजॉय करें।

बच्चा अपनी बॉडी से प्यार करता है। वह अपना सुंदर शरीर आईने में देख कर मुस्कुराता है।

अंदर और बाहर एक समान।

बच्चा कभी किसी की निंदा नहीं करता।

बच्चों में जैसे कुछ भी बात छुपाने की आदत नहीं रहती। हर बात जो अंदर रहती है ,उसे ही वे प्रकट करते हैं, उसी तरह हम कुछ भी करें, जो अंदर देखें ,या कहें वही बाहर हमारे हो । वह कभी किसी की निंदा नहीं करता। वह अपने शरीर से प्यार करता है।

एकांत में बच्चों की तरह अपनी दुनिया में रहे।

जिस तरह बच्चा अपने किसी काम में हर समय व्यस्त रहता है ,जैसे खेलना हो ,सोना हो उसकी अपनी ही दुनिया रहती है। बच्चों की तरह हम अपने जीवन को बनाएं ,किसी बात की परवाह न करते हुए ,हम अपने लक्ष्य की ओर अपना काम करते रहें, और खुश रहें।

प्रकृति के पास खुशी

बच्चा जब भी प्रकृति के पास जाता है बहुत आनंदित होता है। पेड़ पौधों को देखता है, उछलता कुदता है, खिलखिला कर हंसता है, उसी तरह हम प्रकृति के पास जाएं ।सुबह सुबह जल्दी उठे ,आसपास के बगीचे में जाकर प्रकृति के साथ खेलें, और आनंद महसूस करें।

बच्चा हमेशा अपनी दुनिया में जीता है, उसके आसपास क्या हो रहा है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह मुस्कुराता रहता है ,और हमें भी मुस्कुराने के लिए मजबूर कर देता है।चारों तरफ खुशियों का माहौल, हंसी खुशी का माहौल बना देता है। उसकी हर चाल,उसकी हर क्रिया में आनंद और उल्लास छिपा रहता है, उसी तरह हम भी उसकी ही तरह,हंसी खुशी भरा जीवन व्यतीत करें, और बच्चों से सीखें, कैसे जीवन में मुस्कुराना है।

जय श्री कृष्ण……

Thank you……..

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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