सत्संग क्या है? | सत्संग क्यों करते हैं? | सत्संग सुनने से क्या लाभ है? | What is Satsang

दो तरह का साधन हम मानव अपने जीवन में करते हैं। पहला शरीर, सामान, फूल,जल, आदि संसार के भौतिक पदार्थ द्वारा। दूसरा हम कथा, संग, श्रवण,या किसी की बातों को महत्व देकर ,सुन कर, उसे जीवन में अपना कर करते हैं, जिसे मूल साधना कहते हैं। इसी मूल साधना का दूसरा नाम सत्संग है।

सत्संग क्या है? | what is satsang

सत्संग इस संसार में सबसे बड़ी साधना है। सत्संग के दौरान हम किसी संत पुरुष का संग करते हैं, उनसे विचार विमर्श करते हैं, उनसे कुछ सत चर्चा करते हैं, जिससे हमारे चिंतन में परिवर्तन होता है, सत कार्य करने की प्रेरणा आती है, परहित की प्रेरणा आती है, और हमारा मानव जीवन सफल होता है।हम ऊर्जावान होते हैं, और खुशी को महसूस कर पाते हैं।

सत्संग रूपी इस साधना से तत्काल हमारे जीवन में फल मिलता है, तुरंत हमारे जीवन की चिंता दूर कर हम मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं

सत्संग हमारे मन और आत्मा का भोजन है। हमारा मन हर समय नीचे की ओर ही गतिमान रहता है ,सत्संग ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने मन को ऊपर उठा पाते हैं। सत्संग से हमारे मन का चिंतन सही होता है। सत्संग से ही हमारे मन की निगरानी हो पाती है।

सत्संग यानी सत्य कथन , सत्त्य इंसान का संग ,सत्य जो सिद्ध है, प्रामाणिक है उस बात का संग। सत्य का संग हमारे जीवन में सुख ,शांति, समृद्धि, धन, वैभव ,रिश्ते ,सफलता, सभी सामूहिक रूप में लेकर आता है।

सत्य की निरंतर सत्ता बनी रहती है, इसलिए इसका संग करने से मनुष्य को निश्चय ही सफलता मिलती है ,और उसके जीवन में खुशियां आती है ।

सत्संग से जीवन में सत्य चर्चा, सत्य चिंतन, सत्य कार्य, और ,परहित की भावना, का जन्म होता है जो उसे निरंतर जीवन में आगे बढ़ाता है, हमारे आत्म बल की पुष्टि करता है और निरंतर हमारे जीवन में मार्गदर्शन भी करता है। सत्यचर्चा,सत्यचिंतन ,सत्कार्य ,परहित, और सत कथाएं सुनकर हम अपने आगे के जीवन का मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।


सत्संग के द्वारा हमारी मेडिकल जांच होती है ,हमारी मानसिक जांच होती है हमें पता चलता है कि हमारे मे,बीमारी क्या है, कैसे इस बीमारी को दूर किया जा सकता है,और हम गुरु मुख से चर्चा के द्वारा अपने अंदर की कमी या बुराई को जानकर उसे दूर कर पाते हैं। इसके प्रभाव से हमारा जीवन खुशियों से भर जाता है। सत्संग के समय हमें प्राप्त हुए ज्ञान को अपने जीवन में धारण करने का प्रयास करना चाहिए। सत्संग के दौरान ज्ञान को सुनकर अपने जीवन में अपने निर्णय लेना, और उसे क्रियान्वित करना रहता है । अगर हम क्रियान्वित नहीं कर पा रहे हैं, अपने जीवन को बदल नहीं पा रहे हैं, अपने जीवन में उन सुनी हुई बातों को ,उनके संग से जिन बातों को सुनकर अपना नही पा रहे हैं, उनको जीवन में उतार नहीं पा रहे ,तो यह सिर्फ उस व्यक्ति से मिलकर आने जैसा है इससे ज्यादा कुछ नहीं या यह सत्संग नहीं।

जिस प्रकार घर अगर सफाई करके चारों तरफ से बंद भी कर दिया जाए तब भी हम 1 दिन बाद जब खोलते हैं निश्चित रूप से उसमें कुछ न कुछ धूल आ ही जाती है उसी तरह हम मानव के जीवन में भी हम कितने भी सकारात्मक विचारों से घिर कर रह रहे हैं , कितने भी अच्छे माहौल का साथ करें हमारे जीवन में कुछ ना कुछ त्रुटियां विचारों की आ ही जाती है जिसे हम सत्संग के माध्यम के द्वारा रोज जानकर रोज ही साफ कर पाते हैं इसलिए हर मानव को कुछ देर के लिए जरूर सत्संग करना चाहिए।

सदा सत्संग करते रहने से हमें नित्य हमारे जीवन के दोष दिखाई देने लगते हैं और उस पर हम अपने दोषों को दूर करने का प्रयास करते हैं जिससे हमारे जीवन में निखार आने लगता है। सदा सत्संग करने से हममें दूसरों के गुणों को देखने की आदत बन जाती है ,जिससे हमारे रिश्ते, हमारे संबंध, बहुत खुशहाल होने लगते हैं ,और हम बहुत ही खुशी भरा जीवन जीते हैं सदा सत्संग करने से हमारे जीवन से भय दूर भागने लगता है। और हम परिवर्तन को स्वीकार करने को सदैव तैयार रहते हैं, हमें पता चल जाता है परिवर्तन संसार का नियम है।

सत्संग करने से हमारे जीवन में विवेक की जागृति होती है विवेक का मतलब हम बुद्धि ही समझ सकते हैं। सत्संग हमें इस बात से अवगत कराता है कि हमें क्या करना है और क्या नहीं। सत्संग के द्वारा हम निर्णय ले पाते हैं और निर्णय का लेना ही चिंता को मिटाता है, जो हमारे जीवन में हमें मार्गदर्शन देता है,जिससे हमें खुशियां मिलती है। सत्य की शरणागति, सत्य की दोस्ती ,हमें जीवन में खुशियों का अनुभव कराती है। सत्संग से हम असत्य को जानकर उससे तुरंत अपना संबंध हटा पातेहैं।

सत्संग के दौरान हम जिस व्यक्ति या गुरु को पसंद करते हैं हम उसके संग अधिक रहते हैं।उसके संग से हमारे जीवन में उसके संग का रंग चढ़ता है जिससे हमारे जीवन में उस व्यक्ति की आदत ,उसके कहे विचार ,उसकी बातों को हम महत्व देने लगते हैं, उसे अपने जीवन में उतारने लगते हैं और यही सत्संग है ,संग ही सत्संग है।

सत्संग से सही चिंतन के द्वारा नए तरह का रसायन का हमारे मन मस्तिष्क में निर्माण होता है,जिसका हमारे व्यक्तित्व पर सीधा प्रभाव पड़ता है ।सत्संग से हमें तत्काल सही मार्गदर्शन मिलता है जो हमारे जीवन में खुशियां लाता है ।सत्संग से तत्काल ही दुख का नाश होता है और हम अपने जीवन में उत्साह और ऊर्जा से भरने लग जाते हैं। हमारी चाहत बदलने लगती है ,हमारे में सरलता आती है, हमारे में सहनशक्ति बढ़ती है, और जीवन में खुश रहने की कई कलाएं हमें सीखने को मिलती है।


सत्संग से से हमारे जीवन में नए-नए गुण रोज आते हैं, नई बातें हम रोज सीखते हैं। सत्संग से हमें जीवन की हर परिस्थिति से लड़ने का ज्ञान मिलता है, जिससे हम प्रसन्नता से निरंतर खुशियों के साथ अपने जीवन को आनंद से व्यतीत कर पाते हैं।


किसी अच्छी पुस्तक या ग्रंथ का संग सत्संग हो सकता है, जो हमें राह दिखा सकता है। सत्संग के द्वारा हमें संग के प्रभाव से ज्ञान मिलता है जिससे हम अपने जीवन को मूल्यांकन कर पाते हैं और सही दिशा मैं अपने भूल को सुधार कर आगे बढ़ पाते हैं।


प्रकृति का संग हमें स्वास्थ्य का लाभ करा सकता है ,ज्ञानी पुरुष का संग हमें किसी समस्या से निकाल सकता है, और हमारे जीवन में नई खुशियों के रंग भर सकता है। सत्संग वहदर्पण है जिसके सामने आते ही अपने वचन, मन , और कर्म में जो त्रुटियां हो रही है, वह नजर आने लगती है और जब यह त्रुटियां सामने होती है तब इन त्रुटि को दूर करने पर हम काम कर पाते हैं। नए-नए विचार, नए-नए समाधान, नई नई वस्तुओं का ज्ञान, जब हमें प्राप्त होता है तो गजब का परिवर्तन हमारे जीवन में आने लगता है ।ऐसा लगता है जैसे सारी सृष्टि और उसके गुण ,उसकी एनर्जी, हमारे अंदर बढ़ते जा रहे हैं। हमारी हमारी मन की स्थिति संयमित होने लगती है और हम आराम की स्थिति को महसूस करते हैं

सत्संग के प्रभाव से अपने निर्णय को हम ठीक ठीक ले पाते हैं, जो हमारे जीवन में खुशियां और आनंद लाती हैं। सत्संग से जीवन में पवित्र चिंतन होने लगता है, हमारा आचरण और व्यवहार का शुद्धिकरण होने लगता है, जो हमारे जीवन में खुशियां बढ़ाता है।
सत्संग से हमें सुमति की प्राप्ति होती है जो हमारे विचारों को सकारात्मक बनाने में सक्षम होती है,हमारे जीवन में खुशियां भर्ती है।

सत्संग से अदृश्य शक्तियां ,ईश्वरीय शक्ति जैसी हमारे अनुकूल होती हैं और अन्य किसी साधन से भी ऐसा नहीं होता ।सत्संग करने से पाप तो हमारे नष्ट होते ही हैं, वरन पाप करने की वृत्ति ही नष्ट हो जाती है, और पुण्य स्वत: ही बढ़ते हैं ,जो हमें खुशियां देते हैं ।

गंगा स्नान तो सिर्फ कुछ मिनट या घंटों के लिए ही होता है परंतु सत्संग रूपी ज्ञान गंगा में स्नान करने से मन भी पवित्र होता है और जीवन में खुशियों की तरंगे प्रवाहित होती हैं ।हमारे जीवन में गुण बढ़ते हैं।


इस सत्संग को हम जीवन में परिवार और इष्ट मित्रों के साथ कर सकते हैं जो कि हमारे जीवन में इंद्रधनुष के सातों रंगों को भर सकता है। हमारा भाग्य चमका सकता है, हमें जीवन में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष चारों की प्राप्ति करा सकता है हमारे जीवन में खुशियां भर सकता है।

जगत में जितनी भी आसक्ति है, उन्हें सत्संग नष्ट कर देता है। सत्संग से प्रभु जिस तरह वश में होते हैं वैसा वे किसी भी साधन से नहीं होते।किसी भी दान, जप, तप, व्रत, यज्ञ, त्याग ,तपस्या, तीर्थ, यम ,और नियम से वैसे संतुष्ट नहीं होते जैसे की सत्संग से होते हैं। ऐसा हर युग में या हमारे आसपास भी हमें देखने को मिलता है इस संसार में जिस किसी ने भी कुछ भी पाया है( नाम, यश, कीर्ति, धन )और वह सुखी और प्रसन्न है तो निश्चित रूप से उसके जीवन के मूल में कहीं ना कहीं कोई संग है, कोई न कोई सत्संग है।

सत्संग से सीधा प्रभाव हमारे मन मस्तिष्क पर पड़ता है और हमारे व्यक्तित्व पर उसकी छाप देखी जा सकती है।

सत्संग के द्वारा ही हर युग में जीव का कल्याण होता है। सत्संग के प्रभाव से ही मनुष्य भगवत तत्व को जान पाता है।

धन्यवाद जय श्री कृष्ण

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