ख़ुशी कैसे मिलती है। khushi keshe milti hai(how to find happiness)

खुशी कैसे मिलती है (khushi keshe milti hai) खुशियां हमें तब मिलती है,जब हम अपने मन और आत्मा को कथा, सत्संग, सलाहकारों,के पर्याप्त विचारों द्वारा भोजन करा कर तृप्त रखते हैं।जब हमारा मन खाली होता है तो वह व्यर्थ के विचारों से घिर जाता है,जिसकी वजह से हमारा मन आवारा की तरह भटकने लगता है,जिससे हम अशांत महसूस करते हैं।इसलिए मन की खुशी और शांति के लिए इसे लगातार भोजन देना,इसे ज्ञान की बारिश में नहलाते रखना बहुत जरूरी है।

चूंकि मन हमारा हवा से भी ज्यादा गतिशील है,इसमें हजारों विचार निरंतर आते रहते हैं और इसे अगर हम सटीक विचार और माहौल से दूर रखते हैं,तो अन्य विचारों से हमारा मन भ्रमित हो,व्यथित हो जाता है। कानों के द्वारा जो हम श्रवण कर मन को विचार भेजते हैं,हमारा मन उसी पर चिंतन करता है,जिसकी वजह से हम सुख और दुख को महसूस करते हैं।इसलिए हमारा मन प्रसन्न रहे,इसके लिए हम निरंतर सत पुरुषों से जुड़े,अच्छे लोगों के विचारों को निरंतर सुने,अच्छे मित्रों का संग करें और अपने सुनने वाली चीज पर विशेष अमल करें।क्योंकि इन विचारों को सुन कर ही हमारा मन सुख- दुख को महसूस करता है,इन विचारों के प्रभाव से ही हमारी सोच बनती है,हमारे लक्ष्य का निर्माण होता है।

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खुशी कहाँ(where is happiness)

हर इंसान अपने अंदर के उपलब्ध गुणों का अनुसंधानकर्ता है। वह अपने अंदर परम सत्ता के दिए गुणों की ऊंचाइयों को मंथन करता है,और परमात्मा के प्यार को महसूस करता है। वह सतत, सुंदरता, प्रकाश, ऊर्जा और ज्ञान के साथ जुड़कर खुशी को महसूस करता है।यह सब कर वो,ऊर्जावान महसूस करता है।

खुशी कहाँ

समय का महत्व (importance of time)

समय का महत्व

धीरे धीरे वह समय के महत्व को जानता है और समय पर ही सब काम को करता है।इसकी प्रेरणा वह प्रकृति से लेता है।वह जानता है की प्रकृति का सब काम,समय पर ही होता है,और जो हम मनुष्य प्रकृति के नियमों को तोड़ते हैं,उन मानव को विभिन्न चुनौती का सामना करना पड़ता है।

आदत (habit)

आदत

हैप्पीनेस एक आदत है जो हमें प्रेरणा देती है हमें जीवित रहने का उत्साह देती है,मार्ग दिखाती है,इससे हम खुश रहते हैं।अनजाने में लगी हुई अच्छी आदत जीवन में हमें पुरस्कार दिलाती है,हमारी उन्नति कराती है और बुरी आदतें हमें दुख के सागर में ढकेलती है।

जो होता है (whatever happens)

इस ब्रह्मांड में जो भी परिस्थिति का निर्माण होता है वह कहीं न कहीं हमारे कल्याण और हमारे, सुधार और उन्नति के लिए होता है।यह रहस्य जब मानव जान जाता है,वह खुश रहने लगता है। उसे पता होता है,इस ब्रह्मांड में जो होता है वो सिर्फ और सिर्फ कल्याण के लिए होता है, इसलिए वह सभी परिस्थिति के लिए ब्रह्मांड को धन्यवाद ही करता है।

वाणी का महत्व (importance of voice)

वह अपनी वाणी से सदा सकारात्मक शब्दों को ही प्रयोग कर अपने मस्तिष्क को खुशियों के उत्तम विचार से परिपूर्ण रखता है। वह खुश रहने का संकल्प लेता है,और अपने आसपास के माहौल में भी खुशियां बिखेरता नजर आता है।इससे दूसरे लोग भी उसकी और स्वतः आकर्षित होते हैं।

इच्छा शक्ति (Willpower)

वह जानता है किसी भी चीज को प्राप्त करने के लिए,उसको इच्छा शक्ति से जोड़ना आवश्यक होता है,और इसके लिए उस भावना को ब्रह्मांड में भेजना होता है। और इसलिए वह उसे प्राप्त करने की चाहत और संकल्प लेकर उसको,फिर पूर्ण विश्वास के साथ उसे इस बात का पता होता है,कि वह उसे मिल ही जाएगी,और इस वजह से वह खुश रहता है।

वह जानता है किसी भी चीज को प्राप्त करने के लिए,उसको इच्छा शक्ति से जोड़ना आवश्यक होता है,और इसके लिए उस भावना को ब्रह्मांड में भेजना होता है। और इसलिए वह उसे प्राप्त करने की चाहत और संकल्प लेकर उसको,फिर पूर्ण विश्वास के साथ उसे इस बात का पता होता है,कि वह उसे मिल ही जाएगी,और इस वजह से वह खुश रहता है।

खुशी कहाँ

सोच (Thinking)

हम जैसा सोचते हैं,वैसा बनते हैं,वैसा ही बोलते हैं।इसलिए हमें अपनी सोच का विशेष ध्यान रखना है,और सोच कर ही सोचना, और बोलना है।

ब्रमांड के रहस्य (secrets of the universe)

ब्रह्मांड की शक्तियों का जानकार होता है,उसे पूरा भरोसा होता है कि ब्रह्मांड में उसके लिए सब कुछ उपलब्ध है,और इस विश्वास को लेकर वह सिर्फ अच्छी भावनाओं को ब्रह्मांड को भेजता है, और निश्चिंत हो जाता है।

ज्ञान की बातें (words of wisdom)

वह अपने ज्ञान के खजाना को जागृत करता है और इसके लिए वह अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करता है,ज्ञान का सेवन कर खुशी मासूस करता है।

भय को दूर करने पर काम (work on overcoming fear)

उसे ज्ञान के द्वारा उसे इस बात की जानकारी होती है कि खुश रहने के लिए जीवन में भय को जानना,उससे मुक्त होना, और मुक्त होने के लिए आध्यात्मिक जीवन जीना, निरंतर कथा,सत्संग,भागवत और अपने गुरु के प्रवचन द्वारा ज्ञान को मन मे भर कर वह खुश रहने लगताहै।वह ज्ञान की नौका पर चढ़कर भय के सागर को पार कर लेता है, और जीवन का वास्तविक सुख और आनंद की प्राप्ति करता है।

प्रकृति को देख कर (looking at nature)

वह सदैव युवा बने रहने के लिए प्रकृति से जुड़ा रहता है। वह जानता है कि हर मानव के शरीर का निर्माण पंचतत्व यानी धरती, आकाश, जल ,वायु ,और हवा के सम्मिश्रण से यह प्रकृति करती है,और इस प्रभाव को जानने की वजह से वह कुछ समय अपने शरीर और मन के रक्षण के लिए अपना समय प्रकृति को देख कर व्यतीत करता है और आनंद की अनुभूति करता है।

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हम जितना जानते हैं उतना ही हम अपने ज्ञान के द्वारा अपना जीवन का निर्माण करते हैं,और जीवन में खुश रह पाते हैं। इस ज्ञान के महत्व को जानकर निरंतर ज्ञान अर्जित करने के प्रयास करते है। इस ज्ञान को अर्जित करने के लिए वह खूब निवेश करता है,और अपने गर्दन के ऊपरी हिस्से को सदैव ज्ञान से तृप्त रहकर खुश रहना जानता है।

परिवार (family)

अपने अंदर आत्मविश्वास की शक्ति को जगाना अपने अंदर के आनंद और उत्साह को जगाने के लिए अपने रिश्तो की कद्र करना। उन्हें प्यार और सम्मान की भावना से अपनी और आकर्षित करना भी वह जानता है।

धैर्य (Patience)

वह ज्ञान के द्वारा अपने अंदर के धैर्य, दयालुता, मानवता, व्यक्तित्व और अपनी शक्तियों पर ध्यान को केंद्रित रखता है,जो उसे लगातार युवा बना कर रखती है। वह उसे महसूस कराती है,की वह अपने जीवन में बहुत खुश है।

आजादी का अमृत (elixir of freedom)

वह हर तरह के बंधन से मुक्त होता है,उसके पास पर्याप्त समय,सफलता,समृद्धि, उपलब्ध होती है,और वह जीवन की हर परिस्थिति का आनंद लेता नजर आता।

कुल मिला कर (Altogether)

वह अपनी खुशियों को अपने उम्र से नहीं जोड़ता।हर उम्र में,जो उसके पास उपलब्ध होता है,उसको बांटता है,देता है,और उस ज्ञान, शक्ति, सामर्थ्य के द्वारा सेवा कर प्रसन्नता का अनुभव करता है। उसे इस चीज का ज्ञान होता है कि जो वह बानटेगा,वही बढ़ने लगती है।

जय श्री कृष्ण

थैंक यू

निर्मल टाटिया

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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