सामाजिक जीवन में रिश्तों का महत्व | Importance of relationships in social life?
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह निरंतर अपना जीवन अपने नाते और रिश्तेदारों के साथ ही व्यतीत करके आनंदित होता है। उम्र के साथजैसे जैसे हम जीवन में बड़े होते हैं ,हमें अपने जन्म से ही नये नए रिश्तेदार मिलते हैं।
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विद्या क्षेत्र में हमें नए रिश्ते मित्र के रुप में, गुरु के रूप में मिलते हैं। जन्म से हमारे रिश्ते चाचा चाची, ताऊ ताई, बुआ के रूप में मिलते हैं ,फिर जब धीरे-धीरे जीवन आगे बढ़ता है तो विवाह के द्वारा धर्मपत्नी सास-ससुर, साले साली के रूप में हमारे रिश्ते जुड़ते चले जाते हैं ,जिनसे हमें जीवन में नई नई खुशियां मिलती हैं।जब हम व्यापार क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं ,जीवन में नए लोगों से फिर नए रिश्ते बनते हैं।

जीवन के दौरान हमें रिश्तो को बनाना और निभाना हमें सीखना चाहिए जो जीवन के हर पड़ाव में निरंतर खुशियां देता है।
भारत भूमि और भारतीय सभ्यता में जन्म होना ही हमारे लिए सौभाग्य की बात है ,क्योंकि यही हमें रिश्तो का मोल सिखाता है ।हम जीवन में हर सुख की घड़ी में रिश्तेदारों के साथ अपने सुख दुख मेंसाथ बैठकर सुख का अनुभव कर सकते हैं।
रिश्तेदारों के सानिध्य से ही त्यौहार और उत्सव का भी आनंद
खुशियों से जीवन को बिताने के लिए हमारा सामाजिक रिश्ता अहम भूमिका निभाता है ।हमारे त्योहार ,हमारे रीति रिवाज ,जो हम मिलकर अपने परिवार के साथ मनाते हैं, शायद ही विश्व की किसी भी सभ्यता में देखा जाता है। घर में भाई बहन के साथ खेल कूद कर हम पहले बचपन की खुशियों का आनंद लेते हैं फिर जीवन में मित्र, पत्नी, रिश्तेदार और हमारे कैरियर के साथियों के साथ हमारा रिश्ता हमें आनंदित करता है ।
हम जैसे रिश्ते निभाते हैं हमारे वृद्धावस्था वैसे ही आनंद से गुजरती है
इन खुशियों की सौगात के बहाने, बनाए हुए रिश्ते हमें वृद्धावस्था में भी आनंदित करते हैं।यदि हम समाज के प्रति ,अपने परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हैं तब यह डोर हमें इस संसार सागर से पार करा देती है। रिश्तो का मोल जो सही ढंग से अपने जीवन काल में समझ पाते हैं वही इसे संजो कर अपने जीवन को प्रत्येक उम्र की बेला में खुशी से जी कर आगे ले जाते हैं ,नही तो उन्हें मायूसी के साथ जीवन के अंतिम समय को बिताना पड़ता है। ये सामाजिक रिश्ते अंतिम यात्रा तक उनके जीवन में हंसी खुशी बिखेरते हैं।
यह हमारा जीवन हमारे व्यवहार पर भी बहुत अधिक निर्भर करता है ,जब हम अपने रिश्तो को मान देते हैं ,तो बदले में हमें वहां से भी मान मिलता है, जो हमेंखुशियां देता है। यह आपस में मान देना, यह आपस में एक दूसरे की परवाह करना, यह चाह कि हमारे रिश्तेदार हमारे साथ खड़े रहे यह इस मोल को समझने वाला व्यक्ति ही अपने रिश्तो को साथ में लेकर चल पाता है।
अपने जीवन काल में यही देखा जाता है वही मनुष्य रिश्ते निभा पाते हैं ,जो थोड़े सहनशील होते हैं।वही रिश्ते टिक भी पाते है, जिन में थोड़ी सहनशक्ति दिखाई देती है ,बाकी तो रिश्ते कुछ समय के बाद ही बिखर जाते हैं।
जो रिश्तो को निभाना जानते हैं, जो रिश्तो का मोल जानते हैं, वे माफी मांग कर भी अपने रिश्तो को बचाने की पूरी कोशिश करते हैं वह जानते हैं। वे सौरी बोलकर पुरानी सब बातों को खत्म करने की कला जानते हैं, और मुस्कुराकर जीवन की नई यात्रा का आरंभ कर देते हैं।
जीवन में यह भी देखा जाता है की दो पल के गुस्से से परिवार में कोई किसी को कुछ बोल देता है ,रिश्तो में दरार पड़ जाती है । यह दो पल का समय, जब निकलता है तब एहसास होता है कि हमने क्या खोया है इसलिए वक्त रहते हमेशा अपने रिश्तो को बचाने का प्रयास करें यही रिश्ते हमारे जीवन में कदम कदम पर खुशियां बिखेरने को लगेंगे।
इसके लिए जिस तरह हम दो पल की लड़ाई से बोलचाल बंद कर देते हैं ,रिश्तो को खत्म करने तैयार हो जाते हैं, उसी तरह फिर से तुरंत अपने प्यार से रिश्तो को जोड़े।
खुशियों के लिए रिश्तो का होना बहुत ही आवश्यक है, समाज से जुड़े होना बहुत ही आवश्यक है, और रिश्तों को निभाने के लिए हमें बच्चों से सीखना चाहिए। किस तरह बच्चे लड़ाई झगड़े के थोड़ी देर बाद ही मेल मिलाप कर लेते हैं, और साथ में खेलने लगते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ब्रह्मांड ने हमें यह जो रिश्ते दिए हैं यह हमें निभाने के लिए ही दिए हैं, प्रेम देने के लिए ही दिए हैं ,जीवन में खुशियों के बगीचे के ये यह वृक्ष हैं।
रिश्तो में एक दूसरे के प्रति सम्मान ,विश्वास, प्यार ,और दुआएं, हर समय वाइब्रेशन के द्वारा या अपनी सोच के द्वारा भी एक दूसरे को भेजनी चाहिए इससे हमारी आंतरिक ऊर्जा बढ़ती है, जो खुशी में परिवर्तित होती है। जिस तरह धन होने से हम अपने आप को बाहरी रूप से मजबूत समझते हैं, उसी तरह जब हमारे रिश्ते समाज में बने रहते हैं ,तो हम अंदर से अपने आप को मजबूत महसूस कर खुश होते हैं। हम अपने रिश्तो के प्रति जैसी सोच रखते हैं वैसा ही प्रभाव हमारे रिश्तो पर पड़ता है।
इसलिए हमारे रिश्तो की कदर हमें दिल से समझनी चाहिए। जल्द से जल्द किसी तरह की भी अगर गलतफहमी हो तो उसे दूर करना चाहिए ताकि हमारा जीवन प्रसन्नता से भरा रहे।
रिश्तो में हम भले ही खामोश रहे ज्यादा हमारा मिलना न भी होता हो, फिर भी हम किसी तरह का मनमुटाव ना रखें, हम एक दूसरे को अपने संग महसूस करें और सबकी प्रसन्नता ही हमारे जीवन का उद्देश्य हो , यही रिश्तो का मोल है।यह भरोसा होना चाहिए कोई है मेरे लिए भी ,मेरे साथ भी।
समय के साथ हमारे रिश्ते ,और रिश्तेदार भी नए रिश्ते में चले जाते हैं तब की तैयारी करें।
वक्त के साथ हमारे बच्चे बड़े हो जाते हैं, उनकी अपनी दुनिया बन जाती है जिसमें वो लग जाते हैं। इस दौरान यदि हम अपने सामाजिक रिश्तो को महत्व दें तो हमारा भी आगे का जीवन आसानी से खुशियां और आनंद से निकल पाता है । रिश्तेदारों से, समाज से,हर समय कोई न कोई रिश्तेदार कोई ना कोई निमंत्रण, कोई न कोई जीवन में आने जाने वाला लगा रहता है, जो हमें जीवन के अंतिम छोर तक खुशियों से भर कर रखता हैl रिश्तो की गठरी भारी करो, तभी जीवन में मस्ती ले पाआगे।
कैसे सामाजिक रिश्ते हमें खुशियां देते हैं
सामाजिक रिश्तो के कारण ही मनुष्य जीवन में आगे बढ़ने की ,शिक्षित होने का, कुछ बड़ा कर दिखाने की इच्छा रखता है। यदि रिश्ते मधुर हों तो जीवन सुखमय और खुशहाल बन जाता है। जीवन में मनुष्य कुछ भी प्राप्त करता है तब उसे आंतरिक खुशी ,अपने रिश्तेदारों को उस चीज को दिखाकर ही मिलती है। उस चीज को, अपनी कला को, अपने धन को, स्पर्धा को ,अपनी तरक्की को , हम इन सामाजिक रिश्तों को दिखाकर हमारा मानव मन प्रसन्न होता है, उर्जा से भरता है और सही मायने में हम इसी के लिए ही कुछ करने की चाह भी रखते हैं।
क्या क्या करें रिश्तो को जोड़कर रखने के लिए
समय-समय पर भजन संध्या, गीत सम्मेलन, कथा ,सत्संग और त्योहारों के द्वारा, भोजन की व्यवस्था अपने परिवार और सामाजिक रिश्तेदारों के साथ कर हम जीवन काआनंद उठा सकते हैं। इस दौरान हम सब मिलते हैं ,साथ-साथ खुशी और आनंद के साथ समय व्यतीत करते हैं । साथ में सभी रिश्तेदारों के साथ खाना पीना मिलना जुलना, अपने सुख दुख की बातें करना ,उनको मान देना, अपनी खुशियों में उन को शामिल करना, हमें खुशियां दे सकता है ।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्ण।
Thank you universe