राम नवमी |ram navami

हिंदू संस्कृति का यह परम पावन त्यौहार हमारे प्रभु श्री राम के जन्म के उत्सव में मनाया जाता रहा है।हमारा देश भारतवर्ष हजारों साल से रामराज्य के आदर्शों पर चल कर ही जगतगुरु की ओर बढ़ता रहा है।इस रामनवमी के पावन दिन श्री राम के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने की प्रेरणा मिलती है।

श्री हरि के अवतार भगवान राम, धर्म संस्थापक ,और हमारे वेद शास्त्रों के अनुसार ईश्वर के १८ वे अवतार के रूप में माने जाते हैं।यूं तो रामजी की बातें हम रामचरितमानस के द्वारा हम सब जानते हैं।उनके चरित्रों को देखते तथा,कथा के द्वारा उनके जीवन को समझते हैं,फिर भी कुछ अनमोल बातें,जो हमें हमारे प्रभु श्री राम के नेतृत्व,और जीवन से सीखने की जरूरत है, उस पर यहाँ ध्यान आकर्षित किया गया है।

सच्चा लोकतंत्र राम राज्य को ही आदर्श राज्य मानता है।इस धरती पर जितने भी शासक हुए उनमें श्रीराम की गणना सर्वश्रेष्ठ राजाओं में होती है।उनके राज्य में ही सच्चा लोकतंत्र स्थापित रहा। श्रीराम वेद शास्त्र में बताई गई मर्यादा में रहकर किस तरह धर्म पूर्वक अपना शासन करते या ज्ञान हमें उनके जीवन से मिलता है। ऐसा कल्याणकारी राजा फिर नहीं हुआ और ना ही ऐसा राज्य भी किसी ने किया।

उनके जीवन से हम अपने जीवन में मैनेजमेंट के कुछ ऐसे फंडे सीखने को मिलते हैं,जो हमारे जीवन को आभूषण के समान सुंदर गुणवान, समृद्धि और सफलता तथा खुशियों भरा बना सकते है।ऐसे भी राम चरित् मानस इस बात को प्रमाण और घोषणा करता है कि जो श्री राम ने लीलाएं की,उन्हें हम दैनिक जीवन में अपनाएं और उनको करें।

स्वभाव

रामजी का स्वभाव जो परिवार के सभी जनों को सदैव आकर्षित करता रहा और हमें प्रेरणा देता है। हमारे साथ जीवन में हमारे कितने लोग साथ रहते हैं,यह हमारे स्वभाव पर ही निर्भर करता है। रिश्तों के महत्व और उनके निभाव के अनमोल सूत्र उनके जीवन से सीखने को मिलते हैं।

भाई प्रेम

उनका भाइयों के प्रति प्यार,उनका एक साथ भोजन करना, एक साथ खेलना कूदना,एक साथ गुरुकुल में पढ़ने जाना और अपने जीवन की शिक्षाप्रद बातों को एक दूसरे से सीखना,चर्चा और सलाह करना,आदि उनके स्वभाव का परिचायक हमें सिखाता है कि हम अपने भाइयों को मित्रवत प्रेम करें,क्योंकि उनके साथ संयुक्त परिवार में रहकर हमारा सारा जीवन हंसी खुशी से बीत सकता है।

बड़ों और गुरु को आदर और छोटों को प्यार

अपने जीवन में उन्होंने अपने से छोटों को सम्मान दिया, उन्हें प्रेरित किया, वहीं अपने सहयोगियों के साथ आदर की भावना , गुरुजन तथा वरिष्ठ लोगों के लिए आदर का भाव,उनके जीवन से सीखने को मिलता है।

जन्म से लेकर सारे जीवन तक विभिन्न गुणों को,उनके विचारों को जानना उनसे पूछ पूछ कर सब काम करना हमें सिखाता है कि हमारे जीवन की चुनौतियों से लड़ने में गुरु का स्थान अव्वल है।

सलाह करना, प्रश्न पूछना

अपने जीवन की हर बात अपने गुरु से पूछ कर करना यह दिखाता है कि वह किसी भी काम को सलाह,करके अपने गुरु से पूछ कर ही करते हैं,जो उन्हें सफलता की और ले जाता है।

अनुशासन का महत्व

चारों भाइयों का एक साथ विवाह आयोजन और विवाह के दूसरे दिन भी प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठना,और अपने दैनिक कार्यों को करना,उनके जीवन से हमें अद्भुत प्रेरणा देता है। यह हमें जीवन में अनुशासन का महत्व सिखाता है।

जीत का श्रेय साथीयों को

उनके जीवन से यह भी सीखने को मिलता है कि उन्होंने सदैव अपनी जीत पर भी अपने विजय के लिए अपने बल का बखान नहीं करके,अपनी जीत का श्रेय वानर भालू और उनके सहयोगियों को दिया।

अपनी अनुपस्थिति में व्यवस्था

अपनी अनुपस्थिति में भी हर कार्य को विधिवत और सुचारू रूप से पूरा करना,हर चीज का उचित प्रबंध करना,हर चीज की जिम्मेदारी स्वयं रखना उनके जीवन से सीखने योग्य है।

धैर्य और सहनशीलता का गुण

इनके जीवन में धर्मपत्नी का हरण होने के बाद भी सहनशीलता और धैर्य का परिचय इन्होंने दीया। ऐसी परिस्थिति से निकलने के लिए भी अपने मानसिक स्थिति को संयम पूर्वक सोच विचार कर सलाह मशवरा कर माता सीता को उन्हें प्राप्त किया। जो हमें यह दर्शाता है की सहनशीलता और धैर्य को धारण करना भी हमें जीवन में बड़ी सफलता दिलाता है।हमारे जीवन की हर चुनौती से निकाल देता है।हमें खुशियां, समृद्धि, सफलता, और हमारे नेतृत्व में हमें विजय की प्राप्त कराता है।

आभार की शक्ति

श्री राम प्रभु ने अपने सहयोगियों का आभार प्रकट बार-बार किया वे छोटे छोटे कार्यों की प्रशंसा करने से भी नहीं चूके और उन्होंने आभार को सफलता का शस्त्र बनाकर प्रयोग किया। यह हमें सिखाता है कि आभार की ताकत भी अद्भुत है।

पिता को सलाहकार मानना

उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का हर कदम हर क्षण पर पालन किया जो हमें यह सिखाता है की पिता की सलाह आज्ञा से बड़ा कोई धर्म नहीं है।

प्रशंसा का शस्त्र

प्रशंसा कर सामने वाले के हृदय में अपनी आकर्षक छवि बना लेना उनके जीवन से सीखने को मिलता है।

गुरु को पिता तुल्य मान

उन्होंने अपने गुरुजनों को अपने पिता तुल्य ही महत्व दिया,और उनके आदेशों को सर्वोपरि मानकर चुनौती के समय जीवन में अपनाया। उन्होंने गुरु की कृपा को बहुत महत्वपूर्ण माना।

अपनी शक्ति का उपयोग

उनके पास अनंत शक्तियां होने के बावजूद भी उन्होंने कभी किसी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया। उनके जीवन से शक्तियों के सदुपयोग की प्रेरणा भी हमें मिलती है।

कठिन परस्थिति के साथी

उन्होंने चुनौती के समय अपने छोटे भाई और अपनी धर्मपत्नी को साथ रखा और उनके साथ मिलकर जीवन के कठिन समय को भी सरलता से निकाला।

चुनौतियों के समय धीरज धर्म मित्र और नारी को अपना साथी बना कर जीवन नैया को आगे बढ़ाते हुए जीवन में प्रसन्नता प्राप्त किये।

नीति और योजना से जीत

उन्होंने अपने जीवन में हर कार्य को एक बेहतर योजना बनाकर संपन्न किया।उन्होंने ऋषि-मुनियों को भय मुक्त कर उनका कदम कदम पर आशीर्वाद लिया।

मित्र का महत्व

अपने मित्र की सलाह को भाई की सलाह से ऊपर माना। नाम जपने वाले से विपत्ति के समय पूछ पूछ कर काम किया। भक्तों को भी महत्वपूर्ण माना।

जहां भी जिस माहौल में रहे उसी के अनुरूप ढलकर उसी के अनुसार अपना जीवन निर्वाह किये तो यह सिखाता है कि हम जिस माहौल में रहे उसी के अनुरूप व्यवहार करें।

कार्य विभाजन

किस व्यक्ति से किस तरह का काम कराना इस कला में भी वे काफी माहिर रहे। युद्ध जैसी स्थिति में जो जिस काम में माहिर था उसके उसी के अनुसार कार्य को सौंपा और विजय प्राप्त की।

अपने विवेक के आधार पर निर्णय

सब की सलाह लेने के बाद भी अपने विवेक और विचार से ही अपना निर्णय लेना उनके जीवन से सीखने को मिलता है।

मुस्कुराहट का जादू और मधुर वाणी और गुणों के सागर

विनम्र स्वभाव और उनकी मधुर वाणी,चेहरे की प्रसन्नता हमें यह सिखाती है किन गुणों को धारण करना हम मनुष्यों के लिए कितना आवश्यक है। सकारात्मक सोच, गुणवान होना, धर्म का जीवन में महत्व,धर्म अपनापन सत्य की शरण रहना,ईमानदारी, अच्छा व्यवहार, मददगार होंना, सभी प्राणियों की रक्षा करना बुद्धिमान और विवेकशील होना, अपने सामर्थय से सबका भरोसा कमाना , खूबसूरत मन पर काबू करने के लिए मन को शांत रखना,अच्छा व्यक्तित्व,स्वस्थ, संयमी,और सदैव जागरूक ,जोश से भरपूर यह सब गुण श्री राम के चरित्र में देखने में आते हैं ,जो हमारे जीवन में सीखने योग्य हैं।

मित्र

उन्होंने अपने जीवन में मित्रता के गुणों को भी दर्शाया,अपने मित्र के दुखों को अपने दुख से बढ़कर माना और विपत्ति के समय भी अपने मित्र को प्यार दिया।उनके दुखों को पहले दूर किया,जो हमें प्रेरणा देता है मित्रता कैसे निभानी चाहिए। विपत्ति के समय मित्रों के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए यह हमें श्रीराम के जीवन से सीखने को मिलता है। उन्होंने अपनी मित्रता और अपने मित्र को विवाह की बात ही बनाया और उनसे जीवन में मिले विवाह के पहले उन्होंने अपने भाइयों का संग किया।

चुनौती को देखने का नजरिया

मुस्कुराते हुए विपति को स्वीकारना और उससे लड़ने , और सामना करने की प्रेरणा उनके जीवन से मिलती है।

अपने प्रधान ३ बल का प्रयोग

श्रीराम ने रूप द्वारा मिथिला को,अपने शील और स्वभाव के द्वारा अयोध्या को,और अपने बल के द्वारा लंका को जीता जो हमें सिखाता है की रूप, शील और बल के द्वारा हम कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं।

उन्होंने घोषणा की कि जो उनकी आज्ञा और अनुशासन को मानता है वही उनका सच्चा भक्त और उनको मानने वाला है।इसलिए हम सब उन्हीं की जीवन शैली से प्रेरित होकर अपना जीवन बनाएं, और अपने जीवन को ख्शहाल बनाएं।

इसके अलावा मन क्रम वचन से प्राणी मात्र की सेवा करें। कपट छोड़कर दूसरे को हित की भावना से अपने कार्यों को संपन्न करें। सभी को मान सम्मान दें, नियम से रहे, अनुशासन का पालन करें, और सभी प्राणी से प्रेम करें।

राम राज्य की स्थापना

जय श्री राम

Nirmal tantia

हिंदी ब्लॉग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version