समय, शक्ति, और संपति का सदुपयोग। samay shakti aur sampati ka sadupyog
समय, शक्ति, और संपति का सदुपयोग (samay shakti aur sampati ka sadupyog ) हर मानव को परम सता ने तीन शक्ति देकर इस दुनिया में भेजा है,जो 84,00000 योनियों में सिर्फ मानव को ही प्राप्त है। उन सब कृतियों में मानव ही एक ऐसी अनमोल संरचना है,जिसे ईश्वर ने बुद्धि और विवेक भी प्रदान किया है,जिसकी वजह से वह निर्णय ले पाता है,समझ पाता है,उसे क्या करना,और क्या नहीं करना।इन सब में मानव रूपी संरचना ही ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ और सर्वोच्च रचना है,क्यों की ईश्वर ने सिर्फ मानव को ही,इन तीन प्रधान शक्तियों को प्रदान किया है,जिसका सदुपयोग कर मानव खुश रह सकता है।
भाग्य और प्रारब्ध से मानव को कई बार यह तीनों शक्ति सरलता से पिछली पीढी से ही मिल जाती है,बाकी सभी मानव इसे अपनी क्षमता से कम या अधिक,प्राप्त करने का गुण लेकर जन्म लेता है।ऐसा भी देखने में आता है,की यह समय,शक्ति और संपत्ति का सदुपयोग,मानव अपने ज्ञान की वजह से कर पाता है,बाकी कुछ मानव तो अल्पज्ञता की वजह से इसका दुरुपयोग करते हुए दिखाई देते हैं।ये तीनों शक्तियां अनमोल है,और मानव जीवन को निखारने और प्रसन्नता देने के लिए एक ऊर्जा स्वरूप हैं।
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मानव विकास (Manav Vikas)
हम मानव प्रकृति और अन्य प्राकृत पशु,पक्षी,जड़ चेतन की तरह ही एक प्रकृति की कृति है,जिसे ईश्वर ने विवेक रूपी शक्ति को प्रदान किया है।इस विवेक द्वारा पृथ्वी पर विकास करने की शक्ति,समय,और धन को सदुपयोग करने का सामर्थ हर मानव को दिया है।हम मानव को इन शक्तियों से लेंस कर हमारे जीवन में परिणाम और उसकी उपलब्धियां भी निश्चित कराई है।
सदुपयोग का अर्थ(sadupyog ka arth)
हम मानव ने वस्तु, व्यक्तियों और परिस्थितियों को बड़ा महत्व दे रखा है, परंतु वास्तव में इनका महत्व नहीं है। महत्व इनके उपयोग का है, अगर इनका सदुपयोग किया जाए तो हर एक देश, व्यक्ति, घटना परिस्थिति, आदि से जीवन में बड़ी उपलब्धि प्राप्त हो सकती है। सदुपयोग और दुरुपयोग करने के लिए मानव स्वतंत्र है,मनुष्य को प्राप्त सभी व्यक्ति,वस्तु उत्पन्न और नष्ट होने वाले हैं।
हम सब प्रकृति के अंश हैं,और हम सब प्रकृति के नियम पर ही चलते है।यहां सब चीजें निरंतर बदलती हैं,आती और जाती रहती है,इन चीजों का संयोग और वियोग होते रहता है।जिस तरह नदी तेज गति से बहती है,उसी तरह यह प्रकृति निरंतर गतिशील रहती है,चलती है।ज्ञान के द्वारा जब हम अपनी प्राप्त वस्तु का सदुपयोग करते हैं, तो वह हमारे जीवन में खुशी के रंग भर देती है,और तीव्रता से हमें फिर प्रचुरता से देती है।
सदुपयोग का अर्थ है कि हम किस तरह उस चीज का उपयोग करते हैं,जो हमारे पास उपलब्ध है।महत्वपूर्ण बात यह जानने की है जिस चीज का हम सदुपयोग करते हैं,वह चीज हमारी बढ़ती चली जाती है,और सदुपयोग से जीवन में समृद्धि,सफलता और खुशियां आती है।इसके सदुपयोग से ही अन्य मानव को प्रेरणा मिलती है और उसका भी विकास हो पाता है,आने वाली पीढ़ी को प्रेरना मिलती है।
जिस तरह अचानक प्रधानाध्यापक को कुछ होने पर उपप्रधानाध्यापक के प्रधानाध्यापक बनने की सबसे अधिक संभावना होती है,उसी तरह हम जिस चीज का उपयोग करते हैं,उसका योग होने की संभावना 100 गुना बढ़ जाती है|
समय का सदुपयोग,महत्व और लाभ (Samay ka sadupyog mahtav aur labh)
समय के सदुपयोग के लिए यह जानना सबसे ज्यादा जरूरी है कि सिर्फ वर्तमान ही हमारे हाथ में है, जो गुजर गया,वह गुजर चुका, और आने वाले पल में क्या होगा क्या नहीं, हमारे बस में नहीं, और इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं।बस वर्तमान और अभी का समय ही हमारे हाथ में होता है।
समय का पहिया चलता रहता है।समय की कद्र करने से जिंदगी हमारी कद्र करती है। कुछ कर गुजरने में समय बड़ी ही बलवान और सक्रिय भूमिका निभाता है।समय की कीमत हम उसे खोने के बाद ही समझ आती है।
समय रहस्य की तरह होता है,और जो इसके रहस्य को समझ जाते हैं, सफलता,समृधि, धन, और खुशी,उनके जीवन में दोस्त बन उनको साथ देती है।समय का सदुपयोग हमारे जीवन में हमें बड़ी बड़ी उपलब्धियां दिलाता है,हम समय की बर्बादी से बच जाते हैं,समय का सही सदुपयोग कर पाते हैं।
महत्व का अर्थ (Mahtav ka arth)
समय को इज्जत देने से हमारी इज्जत अपने क्षेत्र में बढ़ जाती है।समय के सदुपयोग के लिए सबसे पहले अपने जीवन को बिताने की योजना बनायें,और उस योजना के तहत ही अपने जीवन को जिएं।समय का महत्व,और उसका नियोजन ही जीवन के बदलाव के लिए महत्वपूर्ण होता है,क्योंकि समय तो सबको बराबर मिलता है,किंतु जो इसका सदुपयोग कर पाता है,वही जीवन में कुछ प्राप्त कर पाता है।समय अनमोल है,एक बार चला जाए,तो वापस नहीं आ सकता।समय ही जीवन है,और जीवन ही समय है।इसके सदुपयोग करने से ही यह जीवन में काफी मात्रा में उपलब्ध हो जाता है,आनंदमय बन जाता है।
लाभ (Labh)
परमात्मा द्वारा मिला समय हर मानव के लिए एक अनमोल पूंजी की तरह है,जिसे हम कैसे खर्च करते हैं,उस पर सब कुछ निर्भर करता है।लोग कहते हैं समय से ज्यादा और भाग्य से अधिक कुछ नहीं मिलता।आमतौर पर ऐसा देखा जाता है जिस जिस ने अपने समय को महत्व दिया उसी ने किस्मत पर पाँव रखकर,भाग्य की चिड़िया के पर लगा कर उससे उड़कर अपने लक्ष्य और बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की।समय हमारे जीवन में भगवान की तरह होता है।जब हम अपने खाली समय का उपयोग करना सीख जाते हैं तभी हम वास्तव में जीवन में कुछ कर पाते हैं।हर समय खुश रहने के लिए बहुत जरूरी है,हम समय के लाभ उठाने के तरीके जाने,और अपने समय को धन में परिवर्तित करें।
शक्ति का प्रयोग,संतुलन, और उपयोग। (Shakti ka paryog santulan aur upyog)
शक्तियां कई तरह की होती है।विनम्र वाणी की शक्ति,संकल्प शक्ति, दृढ़ इच्छाशक्ति, विश्वास की शक्ति,विचारों की शक्ति,हमारे मन की शक्ति,भावनाओं की शक्ति,कार्य को परिणाम देने की शक्ति,एकाग्रता की शक्ति, संगठन की शक्ति, प्रार्थना और धैर्य शक्ति आदि। इन शक्तियों के सदुपयोग से हमारे जीवन में खुशियां आती है।
हम मानव जब प्राप्त शक्ति का सदुपयोग करते हैं,तब हमें जीवन में आनंद और उत्साह की प्राप्ति होती है।हर शक्ति को बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह के ऊर्जा स्रोत होते हैं,उन शोध से जुड़ने से हमारी उन शक्ति का सदुपयोग होता है,और हम अपनी घटी हुई शक्तियों को पुनः अर्जित कर पाते हैं।मनुष्य की सबसे तेज शक्ति,उसके दिमाग की शक्ति होती है।युवा शक्ति,उन शक्ति का सदुपयोग करना जानें,तो यह उनके जीवन में नई-नई उपलब्धियां कराती है।
इसी तरह पंचतत्व यानी गगन,आकाश, हवा,जल अग्नि और भूमि की शक्तियां भी दिव्य होती है,जो हम मानव के जीवन में लाभ पहुंचाने के लिए नित्य नियमित रूप से प्रचुरता से उपलब्ध रहती है,किंतु जो जानते हैं वही उसका लाभ ले पाते हैं।ये प्राकृत शक्तियाँ हमें सदुपयोग की प्रेरना देती है।
शक्ति की वजह से ही इस संसार में सभी जीव अपना जीवन यापन करते हैं। जो जितना अधिक शक्ति को प्राप्त करना जानते हैं,इसका सदुपयोग कर पाते हैं, और वे ही अपने जीवन को खुशहाल बना पाते हैं। परमात्मा सबको समान रूप से कम या ज्यादा देते हैं,किंतु इसे अपने ज्ञान के द्वारा अपने जीवन के विभिन्न स्रोतों से हम इन शक्तियों को कैसे और बढ़ा सकते हैं,ताकि हमारी शक्ति में वृद्धि हो, और हम जीवन का आनंद ले सकें।
अपनी शक्ति विकास यात्रा में हम उमंग और तरंग को बढ़ा कर आनंदमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं,क्योंकि शक्ति के बिना एक पल भी किसी भी काम का होना असंभव है। हर व्यक्ति को सुनियोजित ढंग से इसे उपयोग करना सीखना,बहुत जरूरी है।यह शक्ति प्रकृति द्वारा कितनी हमारे पास उपलब्ध है,और कितना हम इसका सदुपयोग कर पाते हैं,उस पर हमारा जीवन निर्भर करता है।सदुपयोग से हमारी शक्तियां और बढ़ती चली जाती है,और हम जीवन का पूरा लाभ ले पाते हैं |
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सम्पति ,धन का अधिकार, उपयोग और महत्व।(Sampti -dhan ka adhikar upyog aur mahtav)
संपत्ति संग्रह के लिए नहीं,अपितु सदुपयोग के लिए है।कुछ इसे देख कर खुश होते हैं और जो इसके रहस्य को जानते हैं,वो इसका सदुपयोग कर खुश होते हैं।धन का सदुपयोग करना,धन का एक रहस्य और विज्ञान है, जिसे समझना बहुत जरूरी है।इतिहास के पन्नों को देखें तो हम इसके सदुपयोग, अधिकार,उपयोग के महत्व को जान,कर इस धन की प्रचुरता का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।धन एक तरह की शक्ति है,जो मानव को व्यावहारिक संसार में सामर्थ्यवान बनाती है।उसे खुशी खुशी जीवन यापन की शक्ति देती है।
धन और प्रतिष्ठा तो राम के पास भी थी और रावण के पास भी थे,किंतु राम राज्य में धन का सदुपयोग होता था,और रावण की सोने की लंका में,धन का दुरुपयोग होता था, इस वजह से उसकी इन शक्ति का हनन हुआ।
धन का सदुपयोग हम कैसे करते हैं,इस पर हमारे धन की वृद्धि निर्भर करती है।धन कैसे प्राप्त होता है,धन क्या है,धन की प्राप्ति के क्या उपाय है,इसे जानना और समझना ही हमें सदुपयोग का मार्ग दिखाता है।
देने की भावना जिस दिन आती है,उसी दिन यह बढ़ना शुरू हो जाती है।धन का शुद्धिकरण हमारी देने की भावना, और सदुपयोग से होता है,और इस भावना से धन की प्राप्ति हमें और अधिक मात्रा में ब्रह्मांड द्वारा होने लगती है।किसी ने खूब कहा है,हम जब देने के लिए अपनी पाकेट खोलते हैं,तब उपर वाला अपना दिल खोलता है।
नीति के अनुसार धन का सदुपयोग,हमारे संपदा और संपत्ति को निरंतर बढ़ाता है, हमारे जीवन को खुशहाल बनाता है।अच्छे काम में धन को लगातार लगाना इसका सदुपयोग है।कमाल की बात यह भी है,लोग यह नहीं सोचते, की थोड़ा कम छोड़कर भी चले गए तो क्या होगा।अल्प ज्ञान की वजह से वे इसे खर्च नहीं करते,जबकि सत्कर्म में सदुपयोग करने से अंतःकरण में पवित्रता चित में प्रसन्नता होती है,और परलोक भी सुधारता है।वास्तव में किसी वस्तु की महिमा नहीं होती,महिमा उसके सदुपयोग की ही होती है।
एक राजा अपनी तिजोरी में सजे धन को देख कर खुश होता है,दूसरा उसका जरूरतमंद मित्र दोस्त रोज उससे कुछ मदद मांगता है,तो वह मदद देने से मना कर देता है।एक दिन वह मित्र कहता है कि मुझे तिजोरी दिखा,तेरा धन मैं भी देखना चाहूंगा। वह मित्र उससे प्यार करता है, वह दिखाने को राजी हो उसे दिखा देता है,किंतु अब यहां समझने की बात यह है जिसके पास है वह भी देख कर खुश हो रहा है,और जिसके पास नहीं है वह भी उसे देख कर खुश हो रहा है,सदुपयोग धन का हो नहीं पा रहा, यहाँ दोनों देख कर प्रसन्न हो रहे हैं, सिर्फ।
कुल मिलाकर किसी भी विशेष समर्थ की आवश्यकता नहीं है हमारे पास जो है उसी का बढ़िया से बढ़िया उपयोग करें तो वह हमारे जीवन में उद्धार का कारण बन सकती है।यहां कम और अधिक का भी प्रश्न नहीं हमारे पास जो सामर्थ्य हो,उसी से हम तन मन धन से उसका सदुपयोग करें और उसे कहीं ना कहीं कल्याण या सेवा के काम में लगाएं,उसका सदुपयोग करें।
इसके लिए हम अवसर का भी लाभ उठाना सीखें हम अपनी अपने समय, शक्ति और संपत्ति का सही सदुपयोग सीखे और अवसर मिलने पर उसे सेवा के लिए सदुपयोग में लगाएं तो हमारी खुशहाल जिंदगी में स्वत: ही धन, समृद्धि ,सफलता, मान -सम्मान प्रतिष्ठा,की वृद्धि होती है।
जय श्री कृष्ण
Thank you