इस कृष्ण जन्माष्टमी में 8 सीखने वाली बातें (8 things to learn this Krishna Janmashtami)
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव के अवसर पर बनाए जाने वाला त्योहार है यह हिंदू संस्कृति का सबसे बड़ा त्यौहार है, जो सारे विश्व में ,हिंदू सनातन धर्म को मानने वाले लोग मनाते हैं।
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8 महत्वपूर्ण चीज जो आपको इस कृष्ण जन्माष्टमी मे सीखनी चाहिए।
कृष्ण जन्माष्टमी (Happy birthday)
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का एक मतलब है कि हमारी आत्मा का पुनर्जन्म हो, हमें हमारे जीवन जीने जीवन के मकसद का ज्ञान हो। हमारा दुनिया में आने का क्या उद्देश्य है और दुनिया में रहने के लिए किन-किन उसूलों और नियमों को पालन करना जरूरी है। उन प्रश्नों का उत्तर हम जाने और उनको अपनाएं, उन बातों को सुने और समझे।अपने जीवन को खुशहाल तरीके से जीवित रहकर आनंद ले।
कृष्ण जन्माष्टमी एक ज्ञान का त्योहार (Knowledge festival)
कृष्ण जन्मोत्सव का एक अर्थ ज्ञान का उत्सव भी है।इस दिन ज्ञान ने जन्म लिया, इसका विस्तार किया। भगवान कृष्ण ने जन्म लेकर गीता, भागवत,और महाभारत के ग्रंथों में लीला द्वारा हमारे लिए संदेश छोड़ा। बातें जरूर पुरानी जरूर है, किंतु जीवन की यथार्थ और सच्चाई है, जो आज भी हमारे जीवन में देखी जाती है। बस उन सब चुनौतियां का स्वरूप जरूर बदला है, किंतु बातें वही है,और इन सब बातों को हम 70,80,100 साल जीने वाले आदमी ना ही बदल सके हैं ,न ही बदल पाएंगे। उनके जीवन में उनकी कही बातें आज के वर्तमान युग में भी हमारे लिए जीवन की राह है,अगर इन बातों को जीवन में महत्व दिया जाए माना जाए तो हमारे जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन और चमत्कार आ सकते हैं।
भावनात्मक (Emotional)
लालच और बदले की भावना यह दोनों ही विनाश के खुले दरवाजे हैं इनसे हम हमेशा बचे यह भावनाएं कहीं ना कहीं हमें युद्ध की परिस्थितियों मैं खड़ा कर देती है,जैसा कि दुर्योधन के जीवन में दिखाई देता है।
सत्यमेव जयते
जो सही है उसके साथ खड़े रहे जरूरत हो तो उसके लिए लड़ाई भी करें हम हमेशा उन बातों के साथ उन लोगों के साथ खड़े रहे जो सत्य के लिए लड़ रहे हो जैसा की महाभारत में पांच पांडव के साथ कृष्ण खड़े रहे।
परिवर्तन संसार का नियम है
किसी चीज की अधूरी जानकारी के आधार पर उस काम को कभी न करें । यह बात भी हमें महाभारत से सीखने को मिलती है जैसे कि महाभारत युद्ध में अभिमन्यु चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए अधूरी जानकारी से युद्ध के लिए जाते हैं और उनका अंत हो जाता है इसी तरह हम अपने जीवन में जिस चीज का हमें पूरा ज्ञान हो हम उसी को अपना लक्ष्य और अपना कार्य निर्धारित करें।
बदलाव की शिकायत ना करें इसको स्वीकार करें अपनाएं और इसमें कोई, अवसर या कल्याण की बात को खोजें, क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है और इस संसार में जो भी होता है निश्चित रूप से वह सब के कल्याण के लिए ही होता है। जैसे की महाभारत के युद्ध में देखने में आता है अर्जुन ने युद्ध न करने का निश्चय लिया जब युद्ध शुरु होने वाला था तब कृष्ण ने उन्हें समझाया कि यह युद्ध सत्य और असत्य का है और पूरे प्रयास के बाद भी टाला नहीं जा सकता। युद्ध करना ही युद्ध भूमि में आने के बाद का हमारा धर्म है जो हमको सिखाता है कि हम अपने कर्म क्षेत्र में डट कर खड़े रहकर अपना काम करते रहे।
रणनीति बदलें, लक्ष्य नहीं
जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में दिन भर हफ्ते भर और महीने भर काम करने के बाद हम उन परिस्थितियों के आधार पर अपने जीवन की रणनीतियां योजनाएं तैयार करें और उन में बदलाव करें अगर हम अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो काम करने का तरीका बदलें लक्ष्य को ना बदले, जीत निश्चित होगी। जैसे कि महाभारत में देखने को मिलता है रोज रात को युद्ध के बाद सभी अपने अपने तंबू में बैठकर योजना बनाते थे रणनीति पर काम करते थे।
अपने लक्ष्य की यात्रा में हमें उन बातों पर भी फोकस करना है कि जिनसे हम अपने लक्ष्य तक सरलता से पहुंच पाते हैं।
Also Check:-
मित्र और सलाहकार कृष्ण
आपके दोस्त और सलाहकार आपके जीवन की गति और दिशा निर्धारित करते हैं जैसा कि कृष्ण के जीवन में देखने में आता है कि दुर्योधन शकुनी से सलाह लेते थे ,और युधिष्ठिर कृष्ण से सलाह लेते थे। जैसा कि हम महाभारत में दोनों के जीवन में सलाहकार को देखकर सरलता से सीख सकते हैं।
एकता का बल
पांचो पांडव भाइयों की एकता के साथ भगवान कृष्ण खड़े थे यह बात हमें महाभारत सिखाती है एकता में बल है और उन्होंने महाभारत जैसे युद्ध में भी कृष्ण के ज्ञान को महत्व देकर जीता दिया।
दोस्ती अनमोल है यह कृष्ण के जीवन से और महाभारत से सीखने को मिलता है अगर अच्छा दोस्त हमने खो दिया तो हम सब कुछ खो सकते हैं। युद्ध की परिस्थिति में अर्जुन युद्ध का मैदान छोड़कर भागने की बात कर रहे थे उस समय कृष्ण जैसे मित्र ने उसे फिर से वहां अपने युद्ध यानी हमारे अपने कर्म क्षेत्र में डट कर खड़े रहकर युद्ध करने की प्रेरणा दी और उस युद्ध में उन सब को विजय दिलाई।
उनके सारथी बने कृष्ण ने उन्हें पद पद पर राह दिखाइ, और बिना अस्त्र उठाए भी सिर्फ अपने ज्ञान बल के आधार पर, चुनौती की परिस्थिति में हर समय उनके साथ खड़े रहे, और उनकी जीत पक्की कर दी। इसी तरह कर्ण भी दुर्योधन के साथ हार निश्चित होने के बावजूद भी खड़े रहे और उनका हर परिस्थिति में साथ दिया
हमारा विश्वास और हमारी प्रबल इच्छा हमें कुछ भी कर दिखाने का सामर्थ्य देती है यह भी हमें महाभारत में देखने और सीखने को मिलता है।
सिर्फ प्रणाम करके हम बड़ी चुनौती से निकल सकते हैं, प्रणाम करके बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। द्रौपदी ने कृष्ण की प्रेरणा से भीष्म पीतांमह को प्रणाम करके अपने पति के प्राणों की रक्षा की।
कृष्ण के जीवन और उनके व्यक्तित्व से हम प्रेरणा ले सकते हैं कि सत्य और धर्म का साथ की मुस्कान, बड़ों को आदर, और सम्मान हमें किसी भी मुकाम पर ले जा सकता है।
Shri krishna leela
Happy bharat mission