Praarthana kya hai | kyun karen praarthana ? सुबह की प्रार्थना और खुशियां | ,

प्रार्थना वह शक्ति है जो हर धर्म का एक अटूट हिस्सा है। जब कोई व्यक्ति भाव भरे अंतःकरण से उस सर्वशक्तिमान ईश्वर या ब्रह्मांड नायक को पुकारता है, तो उस व्यक्ति का अटूट विश्वास और श्रद्धा,उस ब्रम्हांडनायक या रचनाकार को विवश कर देती है कि वह उस प्रार्थना की स्वीकृति दे।

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हर मानव के जीवन का आधार

प्रार्थना सबसे विश्वस्त, सर्वसमर्थ, और अदृश्य शक्तियों से जुड़ने की एक सरल और प्रभावशाली प्रक्रिया है। दुनिया के प्रायः सभी धर्मों में प्रार्थना को प्रथम स्थान दिया जाता है क्युकि प्रार्थना की शक्ति अपार है। अंतर्मन से निकली प्रार्थना कभी खाली नहीं जाती और उन अदृश्य शक्तियो के द्वारा उसे निश्चित ही स्वीकार भी किया जाता है।

प्रार्थना यानी थैंक यू या शुक्राना

प्रार्थना के दौरान हम अपने आग्रह को उन शक्तियों के पास भेज कर, उनकी प्रशंसा कर ,उन शक्तियों को धन्यवाद कर, उनसे अपनी प्रार्थना को पूर्ण करने का आग्रह करते हैं।

Prarthana kya hai | kyun karen praarthana

जीवन को पवित्र, प्रखर, सुखमय, तेजोमय, क्षमतावान, समृद्ध,संपन्न और धनी बनने के लिए नियमित रूप से दैनिक जीवन में प्रार्थना करनी चाहिए। प्रार्थना के दौरान हम स्वयं को उस अदृश्य शक्ति से जोड़ते हैं, जो संपूर्ण विश्व का संचालन करती है। प्रार्थना विश्वास की आवाज भी है और हमें जीवन में हर चुनौतियों से सामना करने की शक्ति देती है और फिर से हमारे जीवन को  प्रसन्नता से भरने का सामर्थ्य रखती है।

प्रार्थना मस्तिष्क में उठने वाली वे तरंगे हैं जो शक्ति और शुभेच्छा से पूर्ण होती है।प्रार्थना हमारे मन, मस्तिष्क को उर्जा प्रदान करती है, और हमारे जीवन को खुशियों से भरती है। प्रार्थना में मनोवैज्ञानिक ऊर्जा का भी विपुल स्रोत होता है, प्रार्थना हमारे मन को सकारात्मक विचारों की ओर ले जाती है हमारे जीवन में आशाओं को पुनर्जीवित करती हैं जो हमें साहस प्रदान करती हैं। यह प्राथना हमें आत्मबल भी प्रदान करती है, जिससे हम खुश रह पाते हैं।

प्रार्थना से संबंध

प्रार्थना हमें इस योग्य बनाती है कि हम एक जाति या संप्रदाय की नहीं बल्कि इस संपूर्ण संसार की ! जिसका निर्माण परम सता द्वारा किया गया है, उन सबकी हम सेवा कर सकें। समूचे ब्रह्मांड का निर्माता वह परम शक्ति ईश्वर है, और हम सब उसी की संतति हैं। यह प्रार्थना आत्मा और परमात्मा के एकाकार होने की एक स्थिति और प्रक्रिया भी है ,जिसके परिणाम स्वरूप दोनों में एक संबंध का निर्माण भी हो जाता है।यह तपस्या का भी एक स्वरूप है।

प्रार्थना से हर व्यक्ति का आत्मबल और विश्वास बढ़ता है। व्यक्ति जब प्रार्थना कर रहा होता है तो उसकी आस्था की डोर उसके आराध्य से जुड़ी होती है और उस समय वह ईश्वर और अदृश्य शक्तियों के पास अपनी प्रार्थना के सच्चे शब्दों को भेजता है तो वही शब्द उसकी प्रार्थना को स्वीकृति देकर, उसका कल्याण और मार्ग दर्शन करते हैं।

यह परम सत्य है कि शब्द ही ब्रह्म हैं, और शब्द कभी नष्ट नहीं होते उस प्रार्थना को स्वकृती कराने का माध्यम बनते हैं।

प्रार्थना द्वारा हर चुनौती का समाधान

हमारे पूर्वजों का मानना है जिस काम को प्रार्थना से प्रारंभ किया जाता है, वह निश्चित ही सफल भी होती है, और जब हम प्रार्थना करते हुए किसी कार्य को शुरू करते हैं तो दुनिया को चलाने वाली सर्वोच्च शक्तियां उन्हें सफल करने में जुड़ जाती है। शुद्ध हृदय से की गई प्रार्थना विपत्ति को संपत्ति में बदलने का सामर्थ्य रखती है, मन को सकारात्मक ऊर्जा देती है, और खुशियों से भी भरती है।

प्रार्थना केवल करने वाले पर प्रभाव नहीं डालती बल्कि पूरे वातावरण को प्रभावित करती है। हमारी प्रार्थना सर्वजन के हित के लिए होनी चाहिए। प्रार्थना मानसिक विकारों,अशुद्धियों की भावनाओं दूर हटाकर ईश्वरीय शक्ति का संचार करती है जिससे वातावरण में शांति और खुशियों का माहौल बनता है।

प्रार्थना एक आध्यात्मिक व्यायाम भी है, जिससे मनुष्य का मनोबल मजबूत होता है, शरीर निरोग होता है, श्रम शक्ति बढ़ती है। उत्पादन, उपार्जन, सौंदर्य और समृद्धि बढ़ती है ,जो उसे परिणाम में शांति, एकाग्रता, और विवेक की जागृति के रूप में शक्ति प्राप्त कराती है। वह समाधान की ओर बढ़ता है ,और खुशी महसूस करता है।

सच्ची प्रार्थना की सफलता

प्रार्थना की सफलता के लिए हमें ऐसी कोशिश करनी चाहिए कि जिस वस्तु के लिए हम प्रार्थना कर रहे हों, उसकी तीव्र चाह भी हमारे मन में हो और उसकी जगह अन्य किसी दूसरी वस्तु का स्थान ही ना हो।

प्रार्थना की सफलता के लिए उस वस्तु को पाने का हमारा दृढ़ निश्चय होऔर उस वस्तु की प्राप्ति के लिए रह रह कर हमारा उत्साह बढे। हमारा यदि विश्वास शिथिल पड़ता है, तो यह मानना चाहिए निश्चय दृढ़ नहीं है। अतः दृढ़ निश्चय ही हमारी प्रार्थना को मंजूर करा सकता है।

प्रार्थना को पूरी करवाने के लिए प्रार्थना आरंभ करने के बाद फल प्रकट होने तक पूर्ण धैर्य ,हमारे मन में बना रहे, कहीं भी अधीरता की छाया भी हमारे मन को ना छु पाए। हम उन्हीं बातों को सोचे, जो हम पूरी होते हुए देखना चाहते हैं।

प्रार्थना का हमारा तार अदृश्य शक्तियों से निरंतर जुड़ा रहे, और फल प्रकट होने तक यथाशक्ति अनवरत अभिराम पूर्ण तत्परता के साथ हमारी प्रार्थना चलती रहे। यह अखंड ,अविचल विश्वास हमारे मन में निरंतर जागरूक रहे की अदृश्य शक्तियां हमें यह दे सकती है ,और अवश्य ही देंगी। सर्व समर्थ शक्ति हमें निश्चित ही सब कुछ देने का सामर्थ्य रखती है ऐसा पूर्ण भरोसा तत्काल ही हमारी प्रार्थना को मंजूर करवाता है।

क्या करते हैं प्रार्थना में।

प्रार्थना के दौरान हम अपनी बातों को ध्यान की अवस्था में जाकर प्रभु या उन अदृश्य शक्तियों के समक्ष रखते हैं। उस समय हमें ऐसी भावना रखनी चाहिए जिनकी सत्ता , कण-कण में विद्यमान हैं वह हमारी प्रार्थना को मंजूर कर रही है।

प्रार्थना के दौरान धन प्राप्त करने के लिए हमें उन अदृश्य शक्तियों को सर्व संपन्न के रूप का चिंतन करना चाहिए। इस संसार के समस्त धन-संपत्ति के मालिक मुझे भी संपत्ति से परिपूर्ण कर रहे हैं। हम जिस स्वरुप में उन अदृश्य शक्तियों से प्रार्थना करते हैं वह शक्तियां वही रूप धारण कर हमारे जीवन में आती है और हमारी सभी मनोकामना को पूर्ण कर हमारे जीवन में खुशियां भरती है।

कण-कण में विराजित उस सत्ता के पास सभी शक्तियां विराजमान है और उनकी कृपा की लहरें हमारी ओर आ रही है। इस तरह के शुभ विचार जब हम मस्तिष्क के धरातल पर निर्माण करते हैं और वे जब उन सर्वशक्तिमान के मंगलमय विधान से जुड़ जाते हैं तब वे हमारे सनमुख प्रकट हो कर, मनोवांछित परिस्थितियां को प्रकट कर देते हैं।

किसी वस्तु की प्रार्थना करने पर, हमारे अंदर के विचारों में, उस वस्तु को निर्माण करने की पूरी शक्ति छिपी होती है, जिसे हम सहायक बनाना चाहते हैं। विचारों और प्रार्थना के द्वारा, कल्पित विचार को पूर्ण कराने के लिए हमें कुछ समय तक उन पर ध्यान का कर रखना चाहिएमन के धरातल पर उसे कल्पित और पूर्ण हुआ मानना चाहिए जो हमारे मन की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक होता है।हम ऐसा भी सोचें की यह प्रार्थना पूर्ण हो गई है और उसके बाद की खुशी के पल को भी महसूस करें।

अदृश्य शक्तियों की प्रार्थना से जो काम होता है ,वह अपनी बल बुद्धि से हम नहीं कर पाते, और जब तक हम अपना पूरा बल न लगा दें तब तक हमारे भीतर से ऐसी प्रार्थना भी नहीं होती ,इसलिए जब अपने में निर्बलता का अनुभव होने लगता है, अपने बल का भरोसा टूटने लगता है, तभी असली प्रार्थना हो पाती है जो कि हमे तत्काल सिद्धि और लक्श्य तक पहुचाती है।

प्रार्थना सिद्धि के तत्काल परिणाम

प्रार्थना करने के परिणाम स्वरुप हमारे मन से सबसे पहले उत्तपन्न भय की निवृत्ति होती है ,और हम निर्भय होकर उस स्थिति के सन्मुख होते हैं और जिससे उस स्तिथी का डट कर मुकाबला भी कर पाते हैं।इस तरह समाधान के सनमुख पहुँच कर खुशियों को हम फिर से प्राप्त कर पाते हैं। प्रार्थना से हमें हमारा खोया हुआ आत्मविश्वास फिर से प्राप्त होता है, और उस दर की परिस्थिति के ऊपर पांव रखकर आगे बढ़ पाते हैं।

प्रार्थना से हमें आंतरिक शांति भी हासिल होती है और हमें उस परिवर्तन को स्वीकार करने की सद्बुद्धि और शक्ति भी प्राप्त हो पाती है जिससे हम प्रेम ,शांति, उत्साह और खुशी से जुड़ पाते है।

प्रार्थना से हमें उस व्यक्ति को क्षमा करने की भी प्रेरणा मिलती है जिसने जाने अनजाने में हमारे प्रति कोई ऐसा व्यवहार किया हो, जो उचित ना हो और जिससे हम उस व्यक्ति को क्षमा कर सुखद अनुभव को प्राप्त कर पाते हैं।

प्रार्थना के लिए घर ही सर्वोत्तम स्थान

प्रार्थना करने के लिए कोई घर छोड़ने की जरूरत नहीं होती है।घर में रहकर रोज उठने के बाद सिर्फ 5 मिनट, और सोने के सिर्फ 5 मिनट पहले ,हम सिर्फ़ 5 मिनट के लिए परमात्मा को याद करें, उन अदृश्य शक्तियों के पास जाकर , उसकी दी गई जीवन की उपलब्धियों के लिए उसे धन्यवाद करे और वर्तमान में मौजूद चुनौती को उसके सम्मुख रखें और उनसे प्रार्थना कर समाधान और मार्गदर्शन मांगे।

सिर्फ ५ मिनट

इस दौरान हम इस बात का ध्यान रखें कि इन 5 मिनट में हमारे मन और मस्तिष्क में सिर्फ अदृश्य शक्तियां और हम स्वयं ही हो। हम कितनी देर प्रार्थना करते हैं इसका उतना महत्व नहीं है ,लेकिन हम प्रार्थना कैसे करते हैं और उस प्रार्थना के दौरान हम कितने समय उस अदृश्य शक्तियों के साथ रहते हैं, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है, सो हमें इसका महत्व समझना चाहिए।

कितने सरल और सच्चे हृदय से हम प्रार्थना करते हैं, कितना अपने मन से हम उस सर्वशक्तिमान को अपना मान कर प्रार्थना करते हैं ,कितना उन शक्तियों पर हम भरोसा करते हैं यह बहुत महत्व रखता है।हृदय से की गई यह 5 मिनट की प्रार्थना हमारे जीवन में नई ऊर्जा का संचार कर हमें शक्ति से भर देती है जिससे हमारे जीवन में खुशियों की तरंगों का संचार होना शुरु हो जाता है।

कुल मिलाकर अदृश्य शक्तियों से प्रार्थना और उनकी शरण में होना यह दो बातें तत्काल खुशियां देने वाली और राह दिखाने वाली है। यह प्रार्थना ईश्वर का दिया हुआ अद्भुत प्रसाद भी है।

सत्य की शरण !

मानव सत्य की शरण ले, सत्य को अपने जीवन में धारण करे तो वह आसानी से अपने जीवन की किसी भी चुनौती से निपटकर फिर से खुशी को प्राप्त करने का सामर्थ्य रखता है।

धन्यवाद

Jai sree krishna

Thank you, thank you, thank you.

Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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