खुशहाली हर मानव की जरूरत है,हर देश और प्राणी की यह प्रथम जरूरत है,या यूं कहें हर शरीर धारी की खुशी जरूरत है। हर मानव सदैव खुश रहना चाहते हैं,चाहे वह किसी भी धर्म जाति या संप्रदाय में पैदा हुआ है।
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हर मानव चाहे इस पृथ्वी की किसी भी भूमि पर जन्म लिया हों हर हाल और स्थिति में खुश रहना चाहते हैं, खुशी चाहते हैं। किंतु फिर भी कमाल की बात है इस ओर मानव का ध्यान अभी भी नहीं जा रहा, अभी भी विश्व के सभी देश इस ओर सक्रियता से नहीं ध्यान दे रहे।
विश्व व्यापी चुनौती
अभी भी विश्व में आतंकवाद प्रदूषण और युद्ध जैसी स्थितियां बन रही है,जिससे खुशियां पूर्ण रूप से विराम ले लेती है। इसलिए इस खुशी की ओर मानव जाति का ध्यान कराना शांति और खुशहाली के लिए युवा पीढ़ी और बच्चों को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है।
जब युवा पीढ़ी बच्चे और देश के सभी नागरिक और विशेष रूप से देश के राज नेता इस विषय पर ध्यान केंद्रित करेंगे तभी हमारे समाज देश और विश्व में खुशहाली की क्रांति फैलेगी।
सभी देश अन्य देश को परिवार माने
हर मानव जिस तरह अपने परिवार और समाज के साथ जूड़ते हैं अपनी बात और अपने सुख-दुख को परिवार और समाज से साझा करते हैं, उसी तरह विश्व के सभी देश,दूसरे देशों को अपना परिवार माने,हर संप्रदाय का व्यक्ति एक दूसरे से प्रेम करें और अपने खुश रहने के उपाय और तरीकों को एक दूसरे से साझा करें।
पंचतत्व की सभी ऊर्जा शक्ति आकाश अग्नि जल वायु और पृथ्वी का सम्मिश्रण पार्क में मानव को मिल जाती है सुबह सुबह पार्क में घूमना(walk)किसी प्राकृतिक हिल station में जा
खुशी मुल्यावान क्यों है सुखी जीवन का रहस्य हर मानव के अंतर्मन में यही कामना होती है कि वह अपने जीवन में अधिकतर खुशियां बटोरे। जीवन के सभी कार्य प्रार्थना
खुशी प्रत्येक मानव के हितार्थ और कल्याण का विषय है,और हर प्राणी जो मानव तन को धारण किए हैं सबके लिए महत्वपूर्ण है इसलिए इस world happiness day को प्रत्येक
दुनिया भर में happy शब्द जितना प्रचलन में है, बोला और सुना जाता है उतना अन्य कोई शब्द नहीं है। क्या बालक, क्या युवा, क्या बुजुर्ग,क्या पुरुष, क्या महिला, सभी
सबका साथ सबका विकास और सब के प्रयास से जब आपसी सहयोग हर देश एक दूसरे को करने के लिए आगे आते हैं तब सारी मानव जाति के लिए समृद्धि और खुशहाली का वातावरण बनता है। इस नजरिए की सोच के आधार पर हर देश एक दूसरे से जूड़ने का प्रयास करें। एक दूसरे को समृद्धि की ओर ले जाने का प्रयास करें।
जिस तरह हम सब परिवार के लोग एक दूसरे का भला चाहते हैं एक दूसरे की प्रगति चाहते हैं एक दूसरे को खुश देखना चाहते हैं एक दूसरे को प्यार करते हैं एक दूसरे की चिंता करते हैं उसी सोच से हर देश के नागरिक एक दूसरे देश के नागरिक को देखें। किस तरह सबका साथ सबका विकास और सबका प्रयास इस पर एक मंच पर सारा विश्व चर्चा करें। जय श्री कृष्ण धन्यवाद
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं