प्रसन्नता संजीवनी बूटी क्यों है? (Why is happiness a lifesaver?) प्रसन्नता का सीधा संबंध हमारे मन मस्तिष्क और भावना से है। जब हम अपने जीवन में मनपसंद काम को करते हैं,और उसमें हम सफल परिणाम को अपने मनो अनुकूल प्राप्त करते हैं,तब हमें खुशी की अनुभूति होती है। प्रसन्नता जीवन का सहज लक्ष्य है,जो व्यक्ति हर कार्य को प्रसन्नता पूर्वक करता है वह इस संजीवनी बूटी को लिए रहता है,ऐसा हम माने।उसके पास दुखी रहने के लिए वक्त नहीं होता इसलिए जो भी कार्य करें उसमें प्रसन्नता ढूंढे, उसे प्रसन्न होकर करें।
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प्रसन्न रहना रहना क्यों जरूरी है
आत्मा परमात्मा का अंश है,यही वजह है की आत्मा के दुखी होने पर परमात्मा भी दुखी हो जाता है,इसलिए हर हाल मे हम खुश रहें। हमारा परमात्मा आनंद स्वरूप है और हम उसी के अंश हैं इसलिए हमें हर हाल में हर परिस्थिति में खुश रहना पसंद रहना शक्तिशाली रहना जरूरी है। इसके लिए,हम अपने कार्य को पूरी निष्ठा प्रसन्नता और लगन के साथ करें, तो प्रभु की कृपा अपने आप बरसती है,और निश्चित रूप से हम सफल भी होते हैं।
हर परिस्थिति में सकारात्मक पक्ष देखें
किसी शायर ने खूब कहा है जब खुद की मदद हम करते हैं तब उस परम शक्ति की मदद अपने आप हमारे पास चलकर आने लगती है। जब कभी हम अपने काम में किसी चुनौतीयों को देखें तब हम डरे या घबराएं नहीं, उसे नए अवसर के रूप में देखें,और अपनी प्रसन्नता मन ही मन बनाये रखे।परम सत्ता से शक्ति,या खोए बल को प्राप्त करने के लिए के लिए, उसका विश्वास प्राप्त करने की प्रार्थना करते रहे।
जीवन में कभी प्रसन्नता और सहजता का दामन ना छोड़े
प्रसन्नता है तो जीवन है ,जीवन का उजाला है।जीवन में जब भी चुनौती के तूफान उठ, मन घबराए, हौसला पसत् होने लगे तो सहजता और प्रसन्नता का संतुलन बनाने का अभ्यास जारी रखें।
प्रसन्नता एक दिव्य गुण
हर मानव को प्रसन्नता मन बुद्धि ईश्वरीय शक्ति द्वारा दिया गया एक उपहार है, और इस प्रसन्नता को मन बुद्धि के द्वारा ही अनुभव करते हैं। प्रसन्नता को अनुभव करना, परमात्मा का आशीर्वाद है, इसे हमें धारण करने का पूरा प्रयास करना चाहिए। इसके लिए हमें प्रसन्न रहना भी सीखना चाहिए,जिसके प्रभाव से हमारा औरा भी बढ़ जाता है।
प्रसन्नता को एक समर्थ सिद्धि स्वरूप भी माना जाता है।
प्रसन्नचित रहना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम अपने स्वामी स्वयं है। पत्थर जैसे जीवन में भी हम सरल बनना चाहें,तो प्रसन्न रहे,आशावादी बने। अच्छे लोगों की टीम जोड़े,और अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहे।
प्रसन्नता चुनें
प्रसन्नता कहीं नहीं मिलती। प्रसन्न हुआ जाता है, प्रसन्नता चुनी जाती है। आशा को प्रसन्नता का ही एक रूप कहा जा सकता है।
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यह संदेश हमेशा याद रखें बाहर की चीज या संसार की चीज,बाहरी चीज, बाहर से ही ठीक होगी इसे हम अपने मन के अंदर ना ले। अंदर की चीज,मन बुद्धि को समता रूपी सुरक्षा कवच के द्वारा घेरकर सुरक्षित रखें।
मनोरंजन से भी प्रसन्नता मिलती है।
हमारा मन एक क्षण के लिए भी खाली नहीं रह सकता इसलिए मन में उथल-पुथल और अनेक विचार जो चलते हैं उन पर लगाम देने के लिए हम अपना कुछ समय मनोरंजन में भी लगाएं, क्योंकि मनोरंजन के द्वारा कुछ क्षण हम विचारों पर लगाम दे पाते हैं। इसके लिए हम मूवी देखें, कोई सीरीज देखें, किसी मित्र के घर जाएं,किसी अजनबी से बातें करें।
प्रसन्नता में संतुलन
कई बार बहुत ज्यादा प्रसन्नता भी हमें उबा देती है, इसलिए संतुलित रूप से प्रसन्न रहने की आदत डालें। खुशी के संतुलन के लिए थोड़ा व्यायाम और जोन्गिंग भी जरूर करें इसके प्रभाव से हम प्रसन्नता के संतुलन को बनाए रख पाते हैं प्रसन्नता हमारे जीवन में एक संजीवन बूटी की तरह है,
क्योंकि जब इस गुण को हम धारण करते हैं तब हमारा स्वास्थ्य,मानसिक और शारीरिक रूप से सुचारू रूप से काम करता है,जिससे हम प्रसन्नता का अनुभव करते हैं अपने काम में मन लगा पाते हैं, उत्पादक बनते हैं। जब हम अपने काम में मन लगाते हैं तो हमारा जीवन उत्साह और उमंग से भरा रहता है,और यही हमारे जीवन का प्रथम और अंतिम लक्ष्य है। जय श्री कृष्ण धन्यवाद
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं