लक्ष्मी – महालक्ष्मी का आदर और जीवन में मान | Mahalakshmi respect and value in life
नारायण की पत्नी महालक्ष्मी को प्रणाम है जो जगत माता है और जिनके बिना , हमारा दैनिक जीवन और संसार एक क्षण के लिए भी गति नहीं ले पाता।
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सरस्वती से बुद्धि, यानी गणेश की ओर, और बुद्धि से लक्ष्मी।
![लक्ष्मी - महालक्ष्मी का आदर और जीवन में मान | Mahalakshmi respect and value in life 192 images 2021 10 27t1035542807295938124569064.](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2021/10/images-2021-10-27t1035542807295938124569064..jpg)
ऐसा हम जीवन में देखते हैं कि, लक्ष्मी कमाने के पहले हमें छोटे पन से लेकर युवावस्था तक विद्या ग्रहण करनी पड़ती है, और इससे हमारी बुद्धि का विकास होता है और तभी हम अपने जीवन में लक्ष्मी को ला पाते हैं, अभिप्राय यह है, की बुद्धि से ही लक्ष्मी को कमाया और संभाला जाता है, और जो हमें चिरकाल तक खुशियां, समृद्धि, वैभव, सुख और शांति देती है।
मां लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन क्यों करते हैं।
एक बार माता लक्ष्मी के कोई पुत्र ना होने का अनुभव जब उन्हें हुआ ,तो उन्होंने अपनी सहेली मां पार्वती से अपने इस दुखड़े को बताया तब माता ने अपनी सहेली का दुख दूर करने के लिए अपने छोटे प्रिय पुत्र गणेश जी को उन्हें गोद दे दिया ,तब माता लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर उस दिन यह वरदान दिया ,की दीपावली के दिन उनके साथ गणेश जी का भी पूजन होगा।
इस बात का एक तथ्य और भी समझ आता है की मां लक्ष्मी तो चंचला है उन्हें रोकने के लिए बुद्धि के देव गणेश को पूजन कर मनाना पड़ता है क्योंकि बुद्धि के द्वारा ही हम धन को संभालऔर रोक पाते हैं ।बुद्धि और विवेक के द्वारा ही हम धन संबंधित निर्णय सुचारू रूप से ले पाते हैं, जिसकी वजह से मां लक्ष्मी का सदैव निकास हमारे जीवन में रहता है।
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ऐसा हमारे शास्त्रों में बार-बार जगह-जगह कहा गया है जहां जहां से जब जब मानव की बुद्धि और मति का हरण होता है, तब तभी ही उसे कई तरह की आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
माता सज धज साफ सुथरे रहने वाले मानव के पास आती है।
माता लक्ष्मी अति सुंदर और सदैव सजी-धजी रहती हैं।खूब सज धज कर और सफेद वस्त्र ही धारण करें।
लक्ष्मी हमारी माता स्वरूप।
धन को हमने मां का स्वरूप माना है ,इसीलिए हम मां की आरती करते हैं ,तब भी यही कहते हैं| जय लक्ष्मी माता और, हम इनको मां स्वरूप मानते हैं ,और इसलिए हमें मां को भरपूर आदर देना चाहिए । उनकी बातों का मान करना चाहिए ।क्योंकि मां वही रूकती है जो बेटा उन्हें आदर और मान सम्मान अधिक देता है।
माता पतिव्रता नारी
चूँकि महालक्ष्मी सौभाग्यवती नारी है, नारायण उनके पति हैं, इसलिए उनको रोकने के लिए सदैव उनके पति का स्मरण भी अति आवश्यक है ।माता वही ठहरती है जहां नित्य निरंतर उनके पति का पूजन, स्मरण और ध्यान होता है।
महालक्ष्मी का वास, हमारे घर की स्त्रियों के व्यवहार ,घर में प्यार,और हम पुरुषों द्वारा अपने पत्नी और घर की स्त्री को सम्मान देने की भावना जहां रहती है, वही पर स्थाई रूप से होता है।
लक्ष्मी का वास वहीं होता है, जहां घर की स्त्री सबको खिलाकर आखिरी में खाती है।
जहाँ स्त्रीयां शाम के समय नहीं सोती, खूब सज धज कर रहती है।वहाँ लक्ष्मी स्थाई निवास करती है।
लक्ष्मी के बिना मनुष्य का संपूर्ण जीवन नीरस जैसा हो जाता है। और उसकी किसी भी चीज का विकास नहीं हो पाता ।जन्म से लेकर मृत्यु तक की इस यात्रा में मनुष्य को महालक्ष्मी की उंगली पकड़कर ही चलना पड़ता है, और यह माता ही मनुष्य को विकास के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाती है।
वास्तव में देखा जाए तो वही व्यक्ति जीवन को आनंद से गुजार पाता है, जो मां लक्ष्मी की उंगली पकड़कर चल पाता है। अपने जीवन के बाग़ीचे को आनंद की फुलवारी बनाकर संसारे के सारे सुख को प्राप्त कर पाता है।
कर्मनिस्ठ पुरुषों के पास मां लक्ष्मी का वास
महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए कठोर परिश्रम और अपने समय की कद्र करनी पड़ती है ,अपने जीवन में लक्ष्य बनाकर उस पर काम करना पड़ता है और यह हमेशा याद रखना पड़ता है कि कर्म किए बिना कुछ प्राप्त नहीं होता ,और कर्म में भी गतिशीलता का होना अति आवश्यक है ,तभी महालक्ष्मी का संग हमें जीवन में मिल पाता है।
थोड़ा ज्यादा।
हर मनुष्य को लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए जीवन में थोड़ा थोड़ा एक्स्ट्रा करने की आदत भी बनानी चाहिए ,क्योंकि जब हम कुछ एक्स्ट्रा करते हैं, तभी हमें एक्स्ट्रा या अधिक मिलता है।
हमें जीवन में थोड़ा-थोड़ा हर क्षेत्र में सुधार, खुद के ऊपर काम ,और अपने व्यवसाय ,अपने कर्म क्षेत्र को सुंदर बनाने पर भी हमें काम करना चाहिए।
हमें धनकुबेर और,मां लक्ष्मी को अपने साथ रखने , और सदैव उनकी प्रसन्नता के लिए थोड़ा-थोड़ा कहीं इन्वेस्ट करने की आवश्यकता है। यह थोड़ा-थोड़ा इन्वेस्ट किया हुआ 1 दिन बहुत बड़ा संग्रह बन जाता है, और हम आर्थिक स्वतंत्रता को प्राप्त कर पाते हैं, और इससे मां लक्ष्मी की कृपा हम पर हो ही जाती है,और माँ हमारे साथ रहना भी पसंद करती है।
जिस घर में अन्न स्वच्छ रहता है वहां मां लक्ष्मी रूकती है। भोजन को प्रसाद रुप मान कर ग्रहण किया जाता है, माँ वहीं रुकती हैं। जहाँ जहां तामसी भोजन को पूर्ण रुप से नकारा और त्यागा जाता हो, वही महालक्ष्मी का स्थाई निवास देखा जाता है।
महालक्ष्मी वहाँ रहती है, जहां आंवला, गोबर, शंख, लाल कमल ,और श्वेत वस्त्र धारण किया जाता है ,माँ वहां वह अपना डेरा जमा कर रहती हैं।
घर की चौखट जहाँ साफ रहती हो ,वहाँ मां लक्ष्मी का वास होता है।
जहां प्रतिदिन उत्सव मनाए जाते हों वहां पर मां लक्ष्मी का वास होता है।जिस घर में स्नान के बाद व्यक्ति तेल नहीं लगाते। शुक्रवार और अमावस्या को तेल नहीं लगाते वही लक्ष्मी का वास होता है।
देर तक धीरे धीरे बहुत जल से स्नान करना। धीरे-धीरे खाना, यह आदतें भी लक्ष्मी को रुकने पर मजबूर कर देती है।
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु।
मां लक्ष्मी को रोकने के लिए थोड़ा दही डालकर सूर्य में अर्ग, थोड़ा दूध जल में डाल कर शिव को अर्ग ,और थोड़े से काले तिल डालकर घर के परिंडे पर पितरों को अर्ग देकर और थोड़ी सी प्रार्थना की जाए तो महालक्ष्मी निश्चित रूप से स्थाई डेरा डाल देती है। प्रार्थना स्वरूप मां लक्ष्मी को हाथ जोड़कर अपने जीवन में आने के लिए निमंत्रण दें।
घर की स्त्रियों द्वारा।
जिस घर में शाम के समय चार स्थानों पर दीपक जलाए जाते हैं, वहां माता अपने पति सहित स्थाई रूप से रहती है। शाम के समय घर के पेंडा पर, तुलसी ,नारायण ,और शिव परिवार के सन्मुख ,और यदि संभव हो सके तो बेल पत्ते के पेड़ के सम्मुख जिस घर में दीपक जलता हो माँ का वास वहीं होता है।
मुस्कुराहट चेहरे का आभूषण
प्रसन्नता ,मनुष्य के चेहरे का सौभाग्य चिन्ह और आध्यात्मिक दिव्य चेतना है। जिसका आश्रय ग्रहण करने वाले मनुष्य के सारे शोक और संताप भाग जाते हैं ।जो व्यक्ति हर समय प्रसन्न रहता है उसके पास ही लक्ष्मी का निवास होता है।
श्री ,लक्ष्मी ,माता का लोकप्रिय नाम है। प्रसन्न रहने से मनुष्य के मुख पर श्री, कांति ,एवं तेज, विराजमान रहता है, जो संसार की समस्त शक्तियों को, समृद्धियों को उसकी ओर आकर्षित करती है, इसलिए दीपावली के दिन हम मां महालक्ष्मी से यही आशा करते हैं की माँ हमारे जीवन में धन ,समृद्धि ,वैभव, संपन्नता, सुख, शांति, भक्ति ,और शक्ति हमें प्रदान करो। हमारे घर में सुख और समृद्धि के रूप में आप का वास हो।
माँ लक्ष्मी के साथ उनके पति नारायण का स्मरण और धन्यवाद प्रार्थना।
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महालक्ष्मी बैठती वही है जहां नारायण का निवास
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माता चंचला स्वरूपा होती है और यह वही स्थाई निवास करती है जहां इनके पति नारायण विश्राम करते हैं ऐसा हम कई छवि में भी देखते हैं और इसका मतलब यही है कि अगर हमारे जीवन में नारायण की भक्ति ,उनकी कृपा निरंतर बनती है ,तभी वहां महालक्ष्मी का स्थाई निवास होता है वहीं पर मां विराजमान रहती हैं बाकी हर जगह मां हमें खड़ी मुद्रा में ही दिखाई देती है ,जहां वह अकेली या अन्य किसी के साथ होती हैं।
गौ सेवा द्वारा माँ को रोका जा सकता है।
हमारे सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं का वास गौ माता में बताया गया है और जैसा कि गोबर में मां लक्ष्मी का निवास है इससे यही समझ आता है कि जहां जहां गौ सेवा होती है। वहीं गौमाता का निवास होता है।
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जैसे गो माता गोबर पीछे से करती हुई चलती है इसका तथ्य भी यही समझ आता है, की कृष्ण के पीछे गाय और गाय के पीछे मां लक्ष्मी वहां पीछे पीछे चलती है। जिस भूमि पर जहां-जहां गो माता का गोबर गिरता है ,वहां वहां माँ लक्ष्मी का चिर स्थाई वास देखा जाता है।
दान के द्वारा मां लक्ष्मी को जीवन में स्थाई रखा जा सकता है।
ऐसा भी देखने में आता है कि देने वाला मनुष्य सदैव बढ़ता ही चला जाता है इसलिए हमें कम या अधिक हो कुछ ना कुछ इस ब्रह्मांड के लिए दान स्वरूप अपने कमाए गए अर्थ से सेवा जरूर करनी चाहिए। क्योंकि इस ब्रह्मांड की हवा, जल, भूमि ,आदि के द्वारा ही हम अपने जीवन में लक्ष्मी की प्राप्ति कर पाते हैं, इसलिए लक्ष्मी को रोकने के लिए दान भी प्रधान माना गया है।
उपयोग से योग
जिस तरह उपराष्ट्रपति की राष्ट्रपति बनने की उम्मीद सबसे ज्यादा होती है और आपात स्थिति में तो उनका राष्ट्रपति बनना सुनिश्चित ही रहता है ।उसी तरह धन का उपयोग जिस कार्य में या सत्कार्य में होता है तो वहां धन का योग या धन का बढ़ना, अपने आप ही प्राकृतिक रूप से होते रहता है ,मां लक्ष्मी की कृपा अपने आप ही बनी रहती है।
लक्ष्मी का वाहन
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यूं तो वाहनों में हम लक्ष्मी के कई वाहन देखते हैं ,जैसे मां गरुड़ पर नारायण के साथ यात्रा करती है और उल्लू पर अकेले यात्रा करती है। इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमारे जीवन में मां की कृपा नारायण के साथ बने, तभी वह हमें सुख ,समृद्धि और आनंद देती है, अन्यथा मां लक्ष्मी रात के अंधेरे में उल्लू पर अकेले आती है, और उल्लू ही बना कर चली जाती है।
कुल मिलाकर मां लक्ष्मी की कृपा से ही हमारे जीवन में सद्गुण, धन, वैभव, संपत्ति, मान सम्मान ,यश, समृद्धि ,की प्राप्ति होती है। इस दिवाली पर हम सब महालक्ष्मी को माता स्वरूप मानकर उनका मान सम्मान करें ताकि मां की कृपा हम सब पर बने बनी रहे।
Happy dewali to all of you
Thank you, dhanywad,
Jai sree krishna……..
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