Prashansa kya hai

प्रशंसा क्या है? कैसे हम दुसरो की प्रशंसा करके खुशियाँ प्राप्त कर सकेगें। Prashansa kya hai

किसी व्यक्ति या वस्तु और उनके गुणों के द्वारा या उनके गुणों के बारे में कोई आधार की बात प्रशंसा कहलाती है। प्रशंसा एक कला है, जिसेहम सबको खुश रहने और खुशियां बिखेरने के लिए सीखने की जरूरत है ।प्रशंसा एक सकारात्मक ऊर्जा है ,जो हमारा मनोबल बढ़ाती है,हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाती  है ।यह  मानव के व्यक्तित्व को  निखारने का अद्भुत तरीका है ।प्रशंसा मनुष्य, की शक्ति और प्रेरणा भी बढ़ाती है।

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किसी की प्रशंसा के लिए प्रयोग किए जाने वाले शब्द

बहुत अच्छा ,क्या खूब ,बहुत खूब, शाब्बास, पर्फेक्ट, वेल डन, बेस्ट, कोशिश जारी रखें, आपका कोई मुकाबला नहीं, बेहद मामूली लगने वाले यह सब शब्द शब्दों में ऐसी शक्ति है जो पल भर में दूसरों का हौसला बढ़ा सकते हैं

प्रशंसा करने का स्वभाव बनाने के लिए हम दूसरों के सद्गुणों को देखें और जिन सद् वृत्तियों को विकसित करता हुआ पाएं उन्हें और अधिक उन्नत करने के लिए प्रशंसा कर प्रोत्साहित करें।

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प्रशंसा के पुष्पों की सुगंधि बेहद मोहक होती है। वह काम जो हमारे खजाने ,सिफारिश ,और प्रभाव से भी नहीं हो पाते ,कई बार प्रशंसा के 2 शब्दों से हो जाते हैं। इस दुनिया में हर व्यक्ति का कार्य किसी दूसरे पर निर्भर है क्योंकि प्रत्येक कार्य कोई भी व्यक्ति स्वयं नहीं कर सकता उसके लिए उसे लोगों के सहयोग और सहानुभूति की निश्चित ही आवश्यकता होती है।

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प्रत्येक व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है ।वह मशीन नहीं होता। प्रत्येक व्यक्ति भावनात्मक और विवेक रखता है, इसलिए उसे अपने इशारों पर नहीं हांका जा सकता ।उसे प्रेम से समझाया जा सकता है ,प्रशंसा से प्रेरित भी किया जा सकता है ।लज्जित करके हम किसी से अपनी बात नहीं मंनवा सकते । प्रशंसा के 2 शब्दों को यहां काम लेना पड़ता है।

हमें प्रशंसा करना भी सीखना चाहिए प्रशंसा अगर हम व्यक्ति की अधिक करने लगते हैं तब उस व्यक्ति में अभिमान का रूप ले लेती है और उसे धीरे-धीरे लापरवाह बना देती है अतः हमें प्रशंसा भी बहुत ही सूझबूझ के साथ करनी चाहिए।

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प्रत्येक व्यक्ति को प्रशंसा और तारीफ की भूख होती है, व्यक्ति के काम की तारीफ करने से वह प्रोत्साहित होता है ,और उसे ऐसा लगता है मुझे और अच्छा कार्य करना चाहिए ताकि लोग मुझे सराहें। अच्छे काम की तारीफ करने से, प्रशंसा करने से व्यक्ति की मानसिक ,और सामर्थ्य शक्ति की बढ़ोतरी होती है सोई हुई ऊर्जा जागृत होती है जिससे वह खुशी का अनुभव भी करता है।

प्रशंसा के दो शब्द एक एनर्जी बूस्टर

प्रशंसा एक ऐसा अमृत हैै, जिसके  दो शब्द  ,  सामने वाले   मनुष्य की  कार्य  क्षमता को   दस गुना बढ़ा देती है। मनुष्य की   कृतज्ञता यापन  करना भी प्रशंसा करना  हैै। व्यक्ति के सद्गुणों की चर्चा ही प्रशंसा कहलाती है। प्रशंसा को सुननेे और सुनाने  वालेेेे दोनों मनुष्य आनन्द और उत्साह और  से भर जाते हैं, और खुशी  महसूस करते हैं।

प्रशंसा के दो मीठे बोल करें दूर थकान

प्रशंसा हर मनुष्य की भूख होती है।प्रशंसा बोलनेेेे और सुनने वाले मनुष्य के मन मस्तिष्क पर सीधा  प्रभाव डालती है । प्रशंसा के  शब्द किसी मनुुष्य  के जीवन में रंग भरने और खुशियां लाने में जादू की तरह कारगर हो सकते हैं।

अपने अहंकार को छोड़ने वाला व्यक्ति ही प्रशंसा कर सकता है। प्रशंसा हर मानव में शक्ति और आत्मविश्वासपैदा करती  है जो  अपने कार्य क्षेत्र में और अधिक अच्छा करने की भावना पैदा करती है।   

            व्यवहारिक भाषा में आप और हम शब्द  का इस्तेमाल कर भी हम अपने सम्मुख व्यक्ति के व्यक्तित्व की प्रशंसा कर सकते हैं ,जो  संवाद के लिए खुशियों भरा माहौल बना सकता है। प्रशंसा करके हम किसी भी मनुष्य से कोई भी कार्य आसानी से करा पातेे है।

प्रशंसा करने की आदत डालें

प्रशंसा करने की आदत हमें अपने जीवन में बनानी चाहिए। सच्ची प्रशंसा व्यक्ति के जीवन में हौसला बढ़ाती है। प्रशंसा सदैव भरी सभा में करनी चाहिए जो व्यक्ति का मनोबल चोगुना बढ़ा देती है।                                              अच्छे रिश्ते और आपसी संबंधों  में मजबूती और मधुरता लाने में  भी प्रशंसा अचूक कार्य करती है, और खुशियां देती है ।                                   प्रशंसा को तत्काल कर देना भी खुशियां देता है।

प्रशंसा से अच्छे संबंधों का निर्माण

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प्रशंसा जादू की तरह  किसी को खुशियां देने की अचूक औषधि हो सकती  है।  एक सच्ची प्रशंसा या  एक उत्साहवर्धक शब्द 1 मिनट की प्रशंसा बोलने और सुनने वाले दोनों के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती  है।

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हमारे जीवन का यह संकल्प होना चाहिए कि ,मैं खुशियों  का खेल खेलने केलिए  इस दुनिया में आया हूं, और इसके लिए हमें प्रशंसा रूपी हथियार उपयोग में लाना चाहिए।ऐसा भी देखा जाता है की सची प्रशंसा के हकदार व्यक्ति की प्रशंसा और पूंछ उनके पीछे से  होती है।

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ऐसा देखा जाता है कि हमारे जीवन में हम जो बांटते हैं वही बढ़ता है तो प्रशंसा वह खुशबू है इसे हम जितनी भी दूसरों पर डालते हैं ,उसकी खुशबू  हमारे इर्द-गिर्द परिणाम, और  खुशियों के  रूप में फैलती है। प्रशंसा का जादू तुरंत हमारे मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है और नई तरंगों का निर्माण कर हमें खुशियां प्रदान करता है।

आपसी रिश्तो में घोले प्यार और मधुरता

 मनुष्य अपने अद्भुत व्यक्तित्व, को  प्रशंसा करने की आदत की वजह से वह प्राप्त करता है, और खुद भी खुश रहता है तथा अपने  कार्य क्षेत्र में भी खुशियां बिखेरता है।। दो प्रशंसा के  शब्द किसी मनुष्य के जीवन में रंग भरते हैं, हौसला बढ़ाते हैं ।  सो मेरा तो यह मानना है कि प्रशंसा को हमें विवेक द्वारा उपयोग कर लाभ लेना चाहिए ताकि हम खुश रहें।

धन्यवाद।         

जय श्री कृष्ण

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