The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य
अयोध्या की महिमा अपार है।
भगवान श्री राम स्वयं अपने मुख से सुग्रीव,विभीषण आदि को रामचरितमानस में अयोध्या पुरी की महिमा बताते हुए कहते हैं,अयोध्या की महिमा जीव तभी जान पता है,जब हाथ में धनुष धारण करने वाले श्री राम जी स्वयं उसके हृदय में निवास करते हैं.अयोध्या मथुरा मायापुरी काशी कांची अवंतिका और द्वारका पुरी के साथ ऐसी पुरीयां है जो मोक्ष को देने वाली है,जहां मुक्ति के साथ साथ मानव नारायण के परमधाम को प्राप्ति करता है।
अयोध्या पुरी की विशेष महिमा होने का कारण यह भी है कि यह सात पुरियों में इस अयोध्यजी को आदि पूरी बताया गया है।इस अयोध्या पुरी को सब पूरीयो और भगवान के अंग प्रत्यंग का स्वरूप और ब्रह्म का अधिष्ठान स्वरूप भी बताया गया है।
Table of Contents
तीर्थ का दर्शन
इस तीर्थ का दर्शन हम सब परिवार सहित करें, और जब भी यहाँ जाएँ, जल्दबाजी ना करके इस तीर्थ का सेवन हम 7 से 10 दिन की यात्रा की योजना बनाकर करें। इन दिनों यहां के सभी तीर्थ और लीला स्थली का महत्व समझें और यहां कुछ दिनों तक रात्रि निवास करें,तभी हम तीर्थ का वास्तविक आनंद और महत्व प्राप्त कर सकते हैं।
अपनी भागम भाग और दौड़ भरी जिंदगी से निकलकर सोशल मीडिया से दूर होकर हम इस तीर्थ क्षेत्र का सेवन करे, ताकी हमें मानसिक शांति मिले और हमारे अंदर अपने अगले जन्म की तैयारी करने की समझ और अनुभूति आये।
शंकर जी द्वारा बताए गए अयोध्या पुरी के कुछ रहस्य
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 224 The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/01/Ayodhya-Ram-Mandir-Pic.webp)
एक बार माता पार्वती ने भगवान शंकर से अयोध्या जी के महत्व के बारे में पूछा तब भगवान शंकर ने कुछ बातें इस अयोध्या पुरी के रहस्य की बताइ।
यहाँ उन्होंने अपने इष्ट राम को बार-बार प्रणाम करके माता पार्वती को बताया की अयोध्या सरयू नदी के किनारे स्थित भगवान श्री रामचंद्र की प्राकट्य भूमि है,जो की भक्तों को आनंद देने वाली है।इसके बाद उन्होंने बताया श्री राम के चरित्र का विस्तार करोड़ रूप से अनेकों रामायण में है, और उनके चरित्र का एक-एक अक्षर हम जीव के बड़े-बड़े पातकों को नाश करने वाला है। भगवान् शंकर ने उस प्राणी के जीवन को महत्वपूर्ण बताया जो राम राम का जाप करते हैं,और यह भी बताया जो इस जप से जुड़े होते हैं उन्हें इस लोक के समस्त सुख की प्राप्ति होती है और अंत में मुक्ति भी मिलती है।
सरयू महत्व
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 225 The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/01/1648732-599531486guptarghat.webp)
इसके बाद प्रथम उन्होंने सरयू नदी का महत्व बताया और बताया कि यह पवित्र नदी पश्चिम उत्तर तथा पूर्व दिशा में सदैव इस तीर्थ में बहती है,जो सभी पापों को हरने वाली,और पुण्य को बढ़ाने वाली तथा घाघरा नदी के उत्तम संगम वाली है।
इस सरयु के तट पर अनेक श्रेष्ठ मुनियों का निवास है और यह ब्रह्मदेव के रूप में भी कहलाई जाने वाली नदी है। इसमें स्नान कर लेने मात्र से ब्रह्महत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते हैं।इसके महत्व को जानने के लिए भी जब बुद्धि की प्रवृत्ति होती है तब उस मानव की बुद्धि पवित्र हो जाती है।,इस अयोध्या पुरी में साक्षात देवाधिदेव नारायण निवास करतेहैं।
अयोध्या की नींव
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 226 The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/01/The-greatness-of-Ayodhya-Ramjanm.webp)
यह अयोध्या नारायण के सुदर्शन चक्र पर स्थित बताई गई है। इस पुरी का वर्णन करने में कोई भी साधारण मानव का सामर्थ्य नहीं है। ज्यों ही मानव अयोध्यापुरी जाने की इच्छा करता है,उसी क्षण उसके पूर्वज जो नरक आदि में पड़े होते हैं वे वहाँ से छूट कर स्वर्ग जाकर अपने वंशजों की कीर्ति का गुणगान करने लगते हैं।
अयोध्या जाने के फल
आगे बताया जितने कदम मानव अयोध्या पुरी तक पहुंचने के लिए चलता है यह जीव उतने ही अश्वमेध यज्ञ के फल को प्राप्त करता है। अयोध्या चलने की प्रेरणा भी जो लोगों को देता है वह भी सब पापों से छूट जाता है। अयोध्या तक जाने के लिए यदि कोई जीव दूसरे किसी की मदद करता है वह भी सभी पापों से मुक्त होता है।
अयोध्या पुरी के स्मरण मात्र से जीव का मन पवित्र होता है,और देवलोक में वह मानव पूजित होता है।अयोध्या पुरी जाने वाले व्यक्ति की जो मानव तन मन धन से मदद करता है वह भी पूजनीय हो जाता है,जो मनुष्य अयोध्या पुरी का दर्शन करता है उसके सात जन्मों के किए हुए पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
अयोध्या यात्रा के दौरान
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 227 The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/01/During-Ayodhya-Yatra.webp)
भगवान शंकर ने बताया अयोध्यापुरी पहुंचते पहुंचते हम मार्ग में विष्णु सहस्त्रनाम और गजेंद्र मोक्ष का पाठ और भगवान के राम के नाम को उच्चारण करते हुए अयोध्यापुरी में प्रवेश करें तो मानव और अधिक आनंद की प्राप्ति करता है। राम सहस्त्रनाम का पाठ और भगवान राम के नाम का बार-बार उच्चारण मानव को सभी पापों से छुटकारा दिलाता है।
भगवान शंकर ने बताया अयोध्या पुरी जब दूर से दिखाई दे तब ही हम दंडवत करके प्रणाम करे।।ऐसा भक्त सब पापों से मुक्त होकर पवित्र आत्मा वाला होकर मुक्त हो जाता है।
इसे भी पढ़े:-
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 228 Reality and Importance of Indian Education System](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/07/Add-a-heading-5-300x200.webp)
Reality and Importance of Indian Education System
शिक्षा क्या है 84 लाख योनियों में केवल मनुष्य ही विद्यार्थी है, और शिक्षा का अधिकारी है बाकी अन्य तो सब भोग योनी है केवल मनुष्य योनि ही शिक्षा के
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 229 Friendship Day | Who is Friend](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/07/452633673_517609760831640_884710-300x200.webp)
Friendship Day | Who is Friend
हमारा मित्र वह होता है जिसके साथ हमारा मन मिलता है,जिसकी आदतें हमसे मिलती है,जिसके साथ समय बिताना,जिसकी आदतें और व्यवहार हमको पसंद आता है।अपने मित्र को हम स्वयम चुनते
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 230 The meaning of skill | स्किल का मतलब](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/07/Add-a-heading-3-300x200.webp)
The meaning of skill | स्किल का मतलब
स्किल का मतलब (Meaning of Skill ) है, किसी कौशल को कोई व्यक्ति बेहतर तरीके से करने में सक्षम बनता है। किसी काम में विशेष ज्ञान और क्षमता का होना
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 231 What Should You Do If Someone Insults You? | कोई अपमानित करें तो क्या करें?](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/07/Add-a-heading-2-300x200.webp)
What Should You Do If Someone Insults You? | कोई अपमानित करें तो क्या करें?
अपमान ( Insults ) का मतलब है किसी के मन को गलत बात या व्यवहार कैसा किसी गलत कार्य अथवा बोली के द्वारा ठेस पहुंचाना या सामने वाले व्यक्ति का
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 232 What to do for Developed India Sankalp Yatra | विकसित भारत संकल्प यात्रा के लिए क्या करें](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/07/Add-a-heading-1-300x200.webp)
What to do for Developed India Sankalp Yatra | विकसित भारत संकल्प यात्रा के लिए क्या करें
विकसित भारत संकल्प यात्रा के लिए क्या करें ( What to do for Developed India Sankalp Yatra )भारत को विकासशील से विकसित देश की ओर ले जाने के लिए जरूरी
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 233 What is the Importance of Gratitude? | कैसे यह हमारे जीवन में खुशियां।](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/07/Add-a-heading-300x200.webp)
What is the Importance of Gratitude? | कृतज्ञता का महत्व क्या है?
कृतज्ञता का महत्व क्या है? ( What is the Importance of Gratitude? ) जीवन में हम सब मानव सफल होना चाहते हैं। इस सफलता के प्रोसेस में कृतज्ञ रहने का
अयोध्या की सरयू नदी
इसके बाद उन्होंने सरयू नदी का बहुत महत्व बताया यहां स्नान करने और इसके तट पर यज्ञ आदि करने,ब्राह्मणों को भोजन करने का काफी महत्व बताया।जो मानव यह सब करता है उसे इस लोक और परलोक में आनंद की प्राप्ति होती है।
मन में स्मरण
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 234 The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/01/0adc1dfbb02d69a2fd3c24121b9f4fc7.webp)
जो जीव अयोध्या जी का मन में सुबह और शाम स्मरण करता है उसके स्मरण करने मात्र से उसका मन पवित्रता और शांति का अनुभव करता है।स्त्री अथवा पुरुष कोई भी हो जन्म से लेकर उसके जीवन काल तक उसने जितने भी पाप किए हों, वो अयोध्या स्थित यदि सरयू नदी में स्नान करता है तो उसके स्नान करने मात्र से उसके समस्त पाप का नाश हो जाता है।.इसके जल के दर्शन मात्र से भी अक्षय फल की प्राप्ति होती है। भगवान शंकर ने हजार वर्षों तक गंगा स्नान के तुल्य इस सरयू नदी मे स्नान का महत्व बताया।
इस अयोध्यापुरी में दान करना करने का भी काफी महत्व है।इस अयोध्या पुरी हम जब भी जाएँ, यहाँ एक रात्रि का निवास करें तो मनुष्य की आत्मा पूर्ण काम बन जाती है,और उसको अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है।
जो मनुष्य अयोध्या पुरी का दर्शन करता है उसे जीवन में उस जीव की कभी भी दुर्गति नहीं होती वह अपने जीवन की प्रत्येक कामना को सिद्ध कर पाता है। भगवान शंकर ने यहां के निवासियों को श्री जगन्नाथ जी का ही साक्षात स्वरूप बताया,और उन्होंने इनको रघुनाथ जी के तुल्य ही पूजनीय भी बताया
ओम रामाय नमः
यह तारक मंत्र ब्रह्म रूप है और इस महामंत्र को विष्णु सहस्त्रनाम और भगवान के सब नाम से भी अधिक श्रेष्ठ बताया।हजारों कपिला गाय का दान जो मानव प्रतिदिन करता है उससे उसको जो पुण्य मिलता है वह फल राम जन्मभूमि के दर्शन का बताया है। समस्त सहस्त्र जन्मों की पाप राशि जो मानव संग्रह करता है,उस पाप राशि को वह राम जन्मभूमि के दर्शन मात्र से नाश कर लेता है।
माता-पिता और गुरुजनों की भक्ति करने वाले को जो पुण्य फल मिलता है वही फल राम जन्म भूमि के दर्शन से मानव प्राप्त करता है।
अयोध्या के लीला स्थली
![The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage | अयोध्या रामजन्म तीर्थ का महातम्य 235 The greatness of Ayodhya Ramjanma pilgrimage](https://khushiyanhikhushiyan.com/wp-content/uploads/2024/01/Ayodhyas-Leela-place.webp)
इस अयोध्या जी के दक्षिण भाग में सरयूतिलोदकी नदी संगम नामक तीर्थ है जहां स्नान करने से मनुष्य शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्त होता है। इस स्थान पर जो व्यक्ति वेदपाठी ब्राह्मणों को स्वर्ण का दान करता है वह उत्तम गति को प्राप्त करता है और उसके अंदर अग्नि के समान तेजस्विता उत्पन्न होती है।
अयोध्या जी में सीता कुंड से पश्चिम दिशा में में एक महाविद्या नामक महान तीर्थ भी बताया गया है जहां महर्षि वशिष्ठ मुनि ने भगवान श्री राम को चतुर्दशी विधाओं को ज्ञान कराया था वहां इस भूमि पर विद्या देवी के दर्शन का महत्व काफी बताया गया है। इस महाविद्या देवी को ओम नमो महाविद्याय नमः नामक महाविद्या देवी का मंत्र जपते हुए स्तुति करने को बताया।
यहां एक रामरेखा नाम का तीर्थ भी बताया गया है जहां स्नान और दान करने का काफी महत्व बताया । जो मनुष्य वहां जाकर भक्ति पूर्वक रामरेखा का दर्शन करते हैं वह धन-धान्य आयु आरोग्य पत्नी पुत्र पुत्र सुंदर गुण और सुख ऐश्वर्य आदि को प्राप्त करते हैं, राजा विजय को प्राप्त करते हैं और मनुष्य सभी प्रकार के सुखों को यहां प्राप्त करता है,इस स्थल पर दूसरी बार रघुनाथ जी का जो दर्शन करते हैं वे यदि महा पापी भी हो तो उन्हें जन्म नहीं लेना पड़ता वे मुक्त हो जाते हैं।
यहाँ जाने का सुंदर समय
इस अयोध्या यात्रा पर जाने के लिए दोनों पक्ष की एकादशी तिथि को मंगलमय बताया। यहां जाकर बुद्धिमान व्यक्ति अपने मन को भगवान के नाम द्वारा सर्वप्रथम पवित्र करे,उसके बाद प्रातः काल उठकर स्वर्ग द्वार में स्नान करें,इसके बाद धर्महरि जन्मस्थान,चक्रतीर्थ, ब्रह्मकुंड ऋणमोचन सहस्त्रद्वार सहस्त्रधारा आदि तीर्थ में यथा योग्य दर्शन और स्नान आदि करें,फिर यहां रामघाट पर भी स्नान करें यहां पर परिक्रमा करने का भी बहुत महत्व बताया गया है,यहां से विद्याकुंड में पहुंचकर विद्या देवी को प्रणाम करे फिर मंगलमय मणि पर्वत पर जाए वहां पर श्री राघव जी को प्रणाम कर गणेश कुंड का दर्शन करें।
इसके अनंतर तारक मंत्र का जाप करते हुए चुटकी देवी,विभु,विष्णुहरि का दर्शन करें फिर चक्रतीर्थ में जाकर स्नान करें इसके बाद ब्रह्म घाट में आचमन कर सुमित्रा घाट कौशल्या घाट,ऋण मोचन घाट पाप मोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि पर जल से स्नान और दर्शन आदि करके लक्ष्मण जी को प्रणाम कर स्वर्गद्वार तीर्थ में स्नान करे। इसके बाद जानकी घाट पर स्नान कर रामघाट पर पुनः जाए वहां वशिष्ठ पुत्री सरयू जी में स्नांन करे फिर प्रेम से प्रभु श्री राम का पूजन करें इसके बाद सीताराम जी का स्मरण करते हुए अपने निवास स्थान पर लौट आए।
ज्ञानी जन इस क्रम से ही अयोध्या पुरी की पांच कोस वाली परिक्रमा करते हैं यह परिक्रमा धर्म अर्थ काम और मुख्य रूप से चारों पदार्थों को देने वाली है।
कुल मिला कर
जो मानव इस अयोध्यापुरी के दर्शन को जाते हैं वह निर्मल मन से पवित्र होकर सर्वप्रथम हनुमान जी के दर्शन को जाएं उनको प्रणाम करें फिर राम जन्म भूमि तीर्थ के अन्य स्थान की यात्रा करे।बार-बार भगवान श्री राम को प्रणाम करे,उनकी स्तुति करे,उनके नाम का जाप करें इसके बाद कनक भवन में जाकर श्री जानकी जी के साथ रघुनंदन का दर्शन फिर से करे क्योंकि कनक भवन में सीता सहित श्री राम जी का दर्शन करने से मनुष्य परम आनंद रूप फल का अधिकारी बनता है और जन्म मरण रूपी संकट से मुक्त होता है।
जय श्री राम