शादी से पहले क्यों जरूरी है मैरिज काउंसिलिंग | Why marriage counseling is necessary before marriage
मैरिज काउंसलिंग का संबंध इंसान के स्वभाव को समझना ,उसे विवाह के मायने बताना ,तथा शादी से जुड़े कई ऐसे मुद्दों से हैं, जिसे विवाह के बंधन में बंधने से पहले ही जाना जाए, तो बहुत ही आनंद और खुशी का जीवन बनता है।
अगर विवाह के बाद भी काउंसलिंग की जाए तो इसके मायने समझ में आते हैं ,और वैवाहिक जीवन अति प्रसन्नता से व्यतीत होता है ।
Table of Contents
Why marriage counseling is necessary before marriage
विवाह के रिश्तों और मायनों की जिसे पूरी जानकारी हो, ऐसे consultant आजकल उपलब्ध हैं। इसकी आवश्यकता हर उन बच्चों को है ,जो विवाह करने की सोच रहें हों या जिनका विवाह हो चुका हो, और वे इस रिश्ते को निभा नही पा रहे हों।
काउंसलर क्या करते हैं।
एक काउंसलर न केवल लड़के और लड़की को एक दूसरे को समझने की कला देता है, बल्कि उसे अपने जीवन साथी के भीतर झांकने का हुनर भी देता है ।उसके अधूरे ज्ञान को पूरा करता है ,उसके भय की निवृत्ति करता है , विवाह के पहले और विवाह के बाद के प्रश्नो का उतर उन्हें बताता है जो उनकी खुशी और आनंद का कारण बन उनके जीवन को खुशहाल बनाती है।
कैसे होती है
मैरिज काउंसलिंग अलग-अलग लड़के या लड़की भी ले सकते हैं, या एक साथ बैठकर भी हो सकती है। जीवन में जीवनसाथी बन कर साथ जीवन बिताने का सोचने वाले, इनसे कंसिलिंग ले कर विवाह बंधन में बंधे ,तो उनके जीवन में सदैव आनंद बना रहता है।
काउंसलिंग के दौरान क्या होता है
इस काउंसलिंग सेशन के क्लासेस के दौरान एक दूसरे की मानसिक स्थिति को समझा जाता है। इससे इस बात का पता चलता है कि वे इस शादी के बंधन के लिए क्या जानते हैं, क्या सोचते हैं। उनके अनुसार शादी के सही मायने क्या है ,इसकी चर्चा करके उनकी सोच पर सही समाधान बताया और समझाया जाता है।
उन्हें बताया जाता है ,शादी करना एक जिम्मेदारी है, किस तरह के परिवर्तन इससे जीवन में आते हैं, किस तरह की स्थितियां बनती है ,इसके लिए उन्हें मानसिक रूप से तैयार किया जाता है। जिससे उन्हें इस बंधन में बंधने के बाद किसी तरह की परेशानी नहीं होती ,खुशियों भरा जीवन निर्माण कर पाते हैं।
काउंसलिंग के परिणाम
मैरिज काउंसलिंग कराने से ऐसी कई चीज उभर कर सामने आती है, जिनसे दोनों लड़के और लड़की अनभिज्ञ होते हैं ।काउंसलर की सलाह एवं मार्गदर्शन से, कई प्रश्नों के उत्तर साफ होते हैं, और वे इस निर्णय पर पहुंचते हैं की जीवन साथी जिसे वो चुनाव कर रहे हैं वह उसके लिए कितना कंफर्टेबल और सफल होगा।
वे उनकी प्राथमिकता, जरूरत , रुचियां, उद्देश्य, स्वभाव, आदतें , रहन-सहन और सपने के बारे में जान पाते हैं। उनके सपने एक दूसरे से कितने मेल खाते हैं,इस बात का ज्ञान होता है। उनकी सोच सामने आती है,जिससे एक दूसरे की सोच को वे समझ पाते हैं।
काउंसलिंग से विशेष बातें सामने आती है|
विवाह के मायने- मतलब पीढ़ी को आगे बढ़ाना है,और वे बच्चे को लेकर क्या सोचते हैं, यह एक अहम प्रश्न होता है। जिसके बारे में खुलकर दोनों की सोच सामने आती है और काउंसलर उन्हें इसके मायने बताता है।
परिवार के बारे में उनकी क्या सोच है यह सामने आता है और उन्हें बताया जाता है की शादी एक दूसरे के साथ तो होती ही है तथा दोनों परिवार के सभी रिश्तो के साथ भी संबंध बनते हैं और उन्हें आदर पूर्वक उन दोनों को निभाना पड़ता है ।एक दूसरे के सभी संबंधियों के सुख-दुख की परवाह करनी पड़ती है, उनको आदर देना पड़ता है।
वैवाहिक जीवन को खुशहाल करने के लिए काउंसलिंग विवाह के बाद भी हो सकती है
जीवन को खुशहाल बनाने के लिए काउंसलिंग को विवाह के बाद भी कराया जा सकता है। जिससे अनेक तरह की चुनौतियों का समाधान होता है,जिन परिवारों में रिश्ते टूटने के कगार पर होते हैं उनकी सामूहिक रूप से परिवार के साथ बैठकर भी काउंसलिंग कराई जा सकती है।
काउंसलिंग के विशेष लाभ
इस काउंसलिंग को कराने से दोनों परिवारों के समक्ष चुनौतियां सामने आती है ,जिससे वे एक दूसरे को समझ पाते हैं और सही निर्णय ले पाते हैं।
इस काउंसलिंग से लड़के और लड़की अपने भ्रम, शर्म, नासमझी , अज्ञानता ,जिज्ञासा, को समझ पाते हैं, और उसका निदान कर पाते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बना पाते हैं।
क्या सीखने मिलता है।
काउंसलिंग के दौरान यह समझ आता है कि इस विवाह का उद्देश्य क्या होगा। विवाह क्यों करना चाह रहे हैं। विवाह करने से उन्हें जीवन में क्या मिलेगा। दरअसल जीवन में विवाह के क्या मायने हैं। उन्हें सलाहकार द्वारा बताया जाता है।
विवाह का मतलब आगे के जीवन को आसान बनाना है, खुशियों भरा बनाना है, और इसके लिए उन्हें किस किस तरह के परिवर्तन स्वीकार करने हैं, किस तरह की स्थितियों का सामना करना होगा, खुशियां उन्हें कहां-कहां खोजनी होगी ,और हर परिस्थिति में वे जीवन में कैसे आगे बढ़ पाएंगे ।एक दूसरे को मान देना, एक दूसरे को समझना किस तरह उनके जीवन को निरंतर खुशियों से सरोबार रखेगा।
इस काउंसलिंग से यह समझ आता है कि विवाह के बाद वे प्रसन्नता को कहां- कहां खोजें,किसमे हासिल करें। कैसा अपना जीवन बनाएं ,क्योंकि विवाह करने के पूर्व हम एक लड़के और लड़की रहते हैं एक दूसरे के अंदर ही हम सुख और सारे जीवन को देखते हैं, किंतु विवाह के बाद इसके मायने बदल जाते हैं।नई जिम्मेदारी हमारे ऊपर आ जाती है , बहुत से रिश्तो से हम स्वयं ही जुड़ जाते हैं, इन रिश्तो का मान हमें कैसे रखना है, कैसे निभाना है, यह सीखते हैं।
पहले समय में इस तरह की काउंसलिंग संयुक्त परिवार में साथ रहने से वरिष्ठ सदस्यों द्वारा ही लड़कों और लड़कियों को आसानी से मिल जाती थी। किंतु आजकल एकाकी परिवार होने की वजह से हर परिवार के सदस्य की अति व्यस्त भरी जीवन शैली होने से यह नहीं हो पाती।
कुंडली मिलान के साथ-साथ सोच मिलान
विवाह के दौरान हम ज्यादातर कुंडली मिलान करके विवाह का निर्णय लेना सही समझते हैं, किंतु इसके साथ-साथ काउंसलिंग द्वारा बच्चे विवाह के बारे में क्या सोचते हैं यह भी जानना अति आवश्यक है। अतः मेरे विचार से तो जीवन की खुशियों को बनाए रखने के लिए कुंडली मिलान के साथ-साथ इस काउंसलिंग के द्वारा सोच मिलान भी अति आवश्यक है,ताकि जीवन का हर क्षण आनंद और खुशियों भरा बन सके, दोनों परिवार की प्रसन्नता बनी रह सके।
जय श्री कृष्ण
धन्यवाद
0 thoughts on “शादी से पहले क्यों जरूरी है मैरिज काउंसिलिंग | Why marriage counseling is necessary before marriage”