सेवा आवश्यक ( Service Necessary ) है क्योकि सेवा वास्तव में सहायक गतिविधि का एक कार्य है जिसका मतलब है किसी की मदद करना सहायता करना।सेवा का शाब्दिक अर्थ ,दूसरे जीव का हित ,और प्रसन्नता कैसे हो?
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सेवा का अर्थ
किसी को सुख देकर प्रसन्न होना भी होता है। सेवा के द्वारा हम अपने तन, मन, धन द्वारा किसी व्यक्ति विशेष की सेवा या मदद करते हैं। इस सेवा की क्रिया से हमारा मन खुशियों की एक तरंग से भर जाता है, और हम अपनी किसी वस्तु या सेवा द्वारा दूसरे व्यक्ति को सुख देकर, खुशियां और सुख पहुंचाते हैं।
सेवा का अभिप्राय
सच्ची सेवा उसे कहते हैं की जिस हमारी सेवा के बदले उस व्यक्ति से हमारी कोई अपेक्षा नहीं हो।सेवा देने की भावना को भी कहा जा सकता है। सेवा यानी दूसरे की भावना को प्रसन्नता पहुंचाना भी हो सकता है।
सेवा हृदय के भाव से
सेवा के दौरान हम लोगों की न्याय युक्त आशाओं को पूरा करते हैं, और उन्हें खुशियां पहुंचाते हैं ।सेवा के दौरान हम लेने की आशा का सर्वथा त्याग करते हैं। शरीर के नाते ,परिवार के नाते ,देश और मित्रता के नाते अपना कर्तव्य समझकर सेवा कर स्वयं भी खुश होते हैं, और जिस मानव की हम सेवा करते हैं वो भी खुश होता है । सेवा से हम प्रसन्नता और खुशी का अनुभव करते हैं।
सिर्फ सेवा की भावना से
यदि धन का सामर्थ्य ना भी हो तो हम दूसरों के दुख से दुखी हो ,और दूसरे के सुख में हम सुखी हो जाएं, यह सेवा हम बिना रुपए पैसे के बिना बल और सामग्री के भी कर सकते हैं, ऐसी व्यक्तियों के लिए हम सिर्फ प्रार्थना करें हे नाथ उन का कल्याण हो तो यह भी सेवा ही है और ऐसे पुरुषों को देखकर मन में काफी प्रसन्नता महसूस होती है।
दरअसल सेवा एक हृदय का भाव है और अगर यह भाव हृदय में उपस्थित हो तो बाकी साधन अपने आप ही हम अपने सामर्थ्य के अनुसार सेवा में लगा देते हैं। सेवा का ऐसा प्रभाव है सेवा चाहे कैसे भी हो चाहे तन, मन ,धन, या समय देकर सेवा करनी पड़े तो बाकी सारे साधन वस्तुएं हमारे हृदय की भावना पर निर्भर होते हैं। और वे अपने आप ही उपलब्ध भी हो जाते हैं
सेवा से क्या होता है
सेवा से परमात्मा के साथ का अनुभव होता है। सेवा करने की भावना, सेवा के लिए संबंध ,हमारे जीवन को प्रसन्नता और खुशियों से भरता है। हमारी इस भावना से मन में हमें शांति , खुशियां ,और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद मिलती है। सेवा करने की भावना से हम अपने पास उपस्थित वस्तु का सदुपयोग कर पाते हैं जो हम जरूरतमंद तक पहुंचाते हैं इससे हम प्रसन्नता का अनुभव करते हैं । सेवा करने से खुशी अपने आप आएगी
सेवा के बदले चाह नही
ऐसे भी अनुभव में आता है यदि पानी में रहकर पानी को ग्रहण करें तो हमें डूबना पड़ता है ,इसी तरह संसार में रहकर संसार से कुछ लेने की आशा,हमें डुबो सकती है और संसार को सिर्फ सुख देने की भावना हो तो यह हमें खुशी दे सकती है।किसी मानव के सुख या दुख में सुखी और दुखी होने की भावना से हमारा मन और मस्तिष्क नए रसायन उत्पन्न करता है, जो हमारे, हमारे मन, मस्तिष्क में खुशियां भर देता है।हमे असीम आनंद की प्राप्ति होती है।
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हर इंसान को सेवा के विभिन्न तरीके सीखने चाहिए ।हम अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों की आज्ञा का पालन कर उनकी भी सेवा कर सकते हैं । किसी जरूरतमंद की तन ,मन, धन से सेवा कर भी उसकी मदद कर सकते हैं ,जो हमारे जीवन में खुशियो की तरंगों का संचार करती है।इस तरह हर इंसान को सेवा के विभिन्न तरीके सीखने चाहिए।
गौ सेवा से भी जरूर जुड़े
आजकल चूंकि गौशाला को शहर से बाहर या दूर रखा जाता है , कहीं कहीं तो ऐसा भी देखने में आता है कि उनके पास जाकर सेवा के लिए हमारे पास समय नहीं होता। हम गौशाला जाकर सेवा न भी कर सकें तो अपने धन को गौशाला में भेजकर भी सेवा करवा सकते हैं ,गौ सेवा से जुड़ सकते हैं। इस तरह गौ सेवा से जुड़ने से भी हमारा यह लोक और परलोक दोनों सुधरता है और हमारा आत्म बल और हमारी प्रसन्नता के स्तर में भी काफी परिवर्तन आता है।
सेवा के प्रकार
सेवा के लिए वर्ष में 1 दिन को, हम अनाथ बच्चों को मिठाई बांटना ,और वस्त्र बांटने का काम भी कर सकते हैं, यह सुअवसर का दिन हम बच्चों के जन्मदिन पर भी रख सकते हैं, इससे बच्चों में भी सेवा की भावना का जागरण होता है, और वह भी सीखते हैं ,और प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
यज्ञ के द्वारा सेवा
सेवा का एक माध्यम ,हम कहीं किसी मंदिर या मैदान में किसी कथा या सत्संग कार्यक्रम आयोजन कर ज्ञान यज्ञ के माध्यम से हम बहुत लोगों को अपने तन मन धन और समय लगाकर इन आयोजनों के माध्यम से सेवा कर सकते हैं।
इस सेवा से भी हमारा तन ,मन, धन ,सभी का सदुपयोग भी होता है ,और समाज का भी कल्याण होता है। ज्ञान को के इस प्रसाद के वितरण से जनमानस में जागृति आती है और ज्ञान का दान सर्वोच्च बताया गया है क्योंकि यह पूर्ण मानव बनाने में मदद करता है।हमारा मान सम्मान बढ़ता है ,घर के सभी सदस्य काफी कुछ सीख पाते हैं, और हम सब प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
सेवा किन अवसर पर करें
इन सब का आयोजन हम अपनी 25वीं सालगिरह या किसी तरह की गोल्डन जुबली के अवसर पर करें तो इस समय सब परिवार के सदस्य इकट्ठे होकर इसका आनंद भी ले सकते हैं।
सेवा किसी भी माध्यम से की जा सकती है क्योंकि सेवा में तो सिर्फ भावना की आवश्यकता होती है ।बाकी तो सारी शक्तियां, और सामर्थ्य इस भावना से जुड़ते ही अपने आप आने लग जाते हैं।
सच्ची सेवा
निस्वार्थ सेवा ही हमें खुशियां देती है, जिनसे हमारा लेने का कोई संबंध नहीं, वही सच्ची सेवा है।हमें अपनी सेवा की जिम्मेवारी अपने घर तक ही नहीं, जीव, जंतु ,देश ,सगे संबंधी, पड़ोसी के लिए भी करनी चाहिए।
सेवा की दिनचर्या कैसे बनाएं
दैनिक जीवन में सेवा में पक्षी सेवा ,गौ सेवा ,आपदा ग्रस्त क्षेत्र में धन की मदद द्वारा सेवा कर भी खुशी का अनुभव कर सकते हैं।कहीं जल का अभाव हो ,उस क्षेत्र में जल की सेवा प्रदान कर जल की व्यवस्था कर भी सेवा कर सकते हैं।अपने ज्ञान के द्वारा दूसरे मानव को सन्मार्ग और उचित सलाह देकर उसे सेवा के लिए जागृत कर भी हम खुश हो सकते हैं।
समाज और देश की सेवा
सच्ची समाज सेवा अपने देश के नागरिकों को सफाई और अपने स्वास्थ्य के लिए जागृत कर भी हम इसका अनुभव कर सकते हैं।
महान सेवा यह है कि हम किसी जरूरतमंद की मदद इस तरह करें कि बाद में वह अपनी मदद खुद से कर सके
सेवा के परिणाम
सेवा की भावना हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाती है , हमारे जीवन में खुशियां और आनंद का प्रवाह करती है ।शरीर से जीवन में संसार की सेवा की भावना हमें मानव बनाती है ।मनुष्य के द्वारा जितनी व्यापक सेवा होगी उतना ही श्रेष्ठ वह जीवन में सृष्टता और सर्वोच्च पद तथा खुशियों को प्राप्त कर सकेगा। हमें जो कुछ मिला है ब्रह्मांड से मिला है,और इसे बड़ी ईमानदारी से ब्रह्मांड की सेवा में लगा कर खुशी का हम अनुभव कर सकते हैं।
सेवा के समय बच्चों को साथ रखें
मेरा तो यह भी मानना है कि इस भावना को हर बच्चों में भी जागृत किया जाना चाहिए ,और इसके लिए हमें उनके हाथों से सेवा करवा कर, उन्हें प्रेरना दे कर, इस भावना को जागृत कर उन्हे भी खुशी प्राप्त का यह नुस्खा सीखाना होगा ।सेवा सब की कीजिए पर आशा किसी से मत रखिए क्योंकि आपकी सेवा का फल भगवान ही दे सकते हैं इंसान नहीं धन्यवाद थैंक यू जय श्री कृष्ण
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं