मधुर वाणी का जीवन पर प्रभाव | Effect of Melodious Speech on Life
हमारी मधुर वाणी सबको अच्छी लगती है ,और प्रत्येक व्यक्ति मधुर वाणी को ही सुनना चाहता है ।हमारे सभी कार्य वाणी द्वारा ही बनते हैं। सफलता के लिए भी वाणी ही हमारे मूल में होती है। मधुर वाणी बोलने का अर्थ झूठी हां में हां मिलाना नहीं होता ,बल्कि प्रिय और मधुर वचन बोलना, सत्य भाषण करना, हितकारी बात कहना और ऐसी बात करना है, जो बोलने और सुनने वाले दोनों को प्रसन्नता देने वाली हो। अपनी इस मधुर वाणी के बल पर हम गैरों को भी अपना बना लेते हैं।
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हम जो सोचते हैं वो ही बोलते हैं। Effect of Melodious Speech on Life
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जन्म के समय हम बोल नहीं पाते और उस समय हमारी एंट्री चाहे जैसी भी हो, जब हम दुनिया छोड़ें, एग्जिट हमारी शानदार होनी चाहिए। इसके लिए हमारी वाणी , अगरबत्ती की खुशबू की तरह होनी चाहिए, जो सीधे दूसरों की दिलों में उतर जाए।
किसी ने कहा है जुबान से निकली बात और कमान से निकला तीर कभी वापस नहीं होते इसलिए हमें मीठा बोलना और विनम्र होना चाहिए ,ताकि हमारी प्रसन्नता बनी रहे।
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बोलते समय हम अपने शब्दों का चयन सावधानी से करें। हर बात सोचने की तो हो सकती है पर बोलने की हो यह जरूरी नहीं ,इसलिए बुद्धिमान सोचकर बोलते हैं,पर बुद्धू बोलकर पछताते हैं।
पैसा कमाने में…..
मिठास से बोलने वाले की तो मिर्ची भी बिक जाती है, मिट्टीभी बिक जाती है ,परंतु कड़वा बोलने वालों की मिश्री भी नहीं बिकती ,सोना और महल भी नहीं बिकते।
मीठी वाणी बोलना हमारे शरीर का आभूषण है ,जिसके द्वारा हम सम्मानित होते हैं ,समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। इसको बड़ी ही सूझबूझ से सोच विचार कर ही खूबसूरत शब्दों के माध्यम से बोलना चाहिए।
मीठी और सत्य बात बोलने वाले व्यक्ति सदैव सम्मानित होता है।उसका गुण, उसका व्यक्तित्व ,उसकी वाणी से ही प्रदर्शित हो जाता है और,जिसकी वजह से सामने वाला व्यक्ति भी बहुत ही सम्मान देकर, उससे नपे तुले शब्दों में बातें करता है। मधुर वाणी बोलने वाला व्यक्ति अपने मन, मस्तिष्क में सदैव सकारात्मक विचारों को ही सोचता है, क्योंकि सकारात्मक सोचने वाला व्यक्ति ही सकारात्मक बोल सकता है और अपनी प्रसन्नता को सदैव बनाए रख पाता है।
हमारी सोच ही वाणी का भोजन
हमें सदैव सोच समझकर ही सोचना चाहिए और इसके लिए हमें सदैव सकारात्मक ही सोचना चाहिए ,क्योंकि जैसा हम सोचते ,हैं वैसा ही हम बोल पड़ते हैं। हमारी सोच ही हमारे बोल बनते हैं।
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इसलिए कहा जाता है कि हम कम से कम सोचे ,और यदि सोचे तो सकारात्मक ही सोचे। हमारी सोच से शब्दों का निर्माण होता है। यदि हम कम बोलते हैं ,तो हमारे में शक्ति और ऊर्जा का संचार भी होता है, उचित शब्द को चयन करने का मौका भी हमें मिल पाता है, हम प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
हम खुद को शक्तिशाली बना पाते हैं।
शब्द को हमारे शास्त्रों में ब्रह्म रूप ही कहा गया है ,इसलिए शब्द तो निश्चित रूप से हमें मोतियों की तरह चुने हुए ही बोलने चाहिए, क्योंकि इंसान चेहरा भूल भी जाता है, कही हुई बातें ,सुनी हुई बातें, नहीं भूलता। जो उसके सुख और दुख का कारण बन जाती है।
मिठा बोलना |
मीठा बोलना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्युंकी हमारे खराब मूड को ठीक करने के लिए तो फिर समय मिल जाता है ,किंतु बोले गए कड़वे शब्दों को फिर से संभालने का मौका नहीं मिलता और हम अपनी खुशियों से हाथ धो बैठते हैं। वाणी से बोले गए घाव भी आजीवन भर नहीं पाते।
रिश्तों में मिठास|
मीठी वाणी बोलने वाले घरों में रिश्तो में मिठास भर जाती है। परिवार में समृद्धि आती है, परिवार का हर सदस्य एक दूसरे का मान सम्मान करता है, और उनके रिश्ते भी मजबूत बनते हैं।
धन की फैक्टरी ,पैसों की बारिश भी मिठी बोली से
दिल में प्यार की फैक्टरी, मस्तिस्क मे बर्फ की फैक्टरी, जुबां पर शक्कर की फैक्ट्री हम सब खोलें तो जैसे बारिश होने पर जैसे इधर-उधर के सभी नालों से पानी आने लगता है ,उसी तरह तीनों फैक्ट्री के खोलने से ही हमारे जीवन में न जाने कहां-कहां से सुख ,समृद्धि, धन, ऐश्वर्य ,लक्ष्मी, सफलता, और मित्र तथा रिश्तेदार और खुशियाँ ही खुशियाँ अपने आप चले आते हैं, और सबसे कमाल की बात इन फैक्ट्रियों को लगाने में 1रुपिया भी नहीं लगता।
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वाणी एक शास्त्र|
ईश्वर ने वाक शक्ति के रूप में मनुष्य को एक अमोघ शस्त्र प्रदान किया है, जिसे हम वाणी कह सकते हैं। इसका उपयोग हमें अपनी वाणी में अमृत घोल, मीठे वचन, बोलकर ही करना चाहिए ।हमारे मीठे बोल दूसरों को राहत पहुंचाने के लिए होने चाहिए। कई बार हमारे कटु वचन जीवन पर्यंत चेष्टा व परिश्रम करके बनाए गए संबंधों पर क्षण भर में पानी फेर सकते हैं।
मीठी वाणी से पराया भी अपना|
इसके दूसरी और मीठी वाणी के उपयोग से बिना प्रयत्न के ही पराये भी अपने बन जाते हैं ।मीठी वाणी और मृदु व्यवहार का चुंबक ,लोहे को भी अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। मधुर वचनों के प्रभाव से जीवन में धन तथा मित्र बनते चले जाते हैं और आनंद और खुशियाँ भी जीवन में बढ़ती रहती है।
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अपने मस्तिष्क को हम शीतल रखें ,शीतल क्योंकि शीतल मस्तिष्क वाला व्यक्ति ही विवेक और विश्वास से अपनी वाणी का उपयोग कर पाता है ।हमारे व्यक्तित्व की छाप हमारी वाणी के माध्यम से हमारे सम्मुख व्यक्ति के मन मस्तिष्क तथा हृदय पर अंकित हो जाती है, जो हमें उसकी नजर में लोकप्रिय भी बनाती है।
जगद्गुरु श्री कृष्ण द्वारा वाणी के लिएभी गीता के माध्यम से यह संदेश दिया गया है की हम सदैव, प्रिय और हितकर वचन ही बोलें।
शब्द सम्हारे बोलिए शब्द के हाथ न पांव, एक शब्द औषधि करें ,एक शब्द करे घाव।
द्रोपदी द्वारा बोले गए शब्दों की वजह से ही महाभारत का युद्ध हुआ और कितना बड़ा विध्वंश हुआ
कुदरत को नापसंद है सख्ती जुबान में, पैदा की न इसलिए हड्डियां जुबान में।
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कठोर वचन बोलकर दूसरे की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए क्योंकि जब हम शांत होते हैं ,और विचार करते हैं तब हमें पश्चाताप होता है, यह हमने क्या बोल दिया। जो एक तरह से वाणी का अपमान ही होता है।
मीठे वचनों का प्रयोग एक शैली और कला है।
सत्य और प्रिय भाषण बोलना, मीठे शब्दों का प्रयोग करना, धर्म संगत बातें बोलना , प्रसन्नता देने वाली बातों को प्रयोग करना, जीवन में एक कला और विज्ञान है इसे हमें सीखना चाहिए।
मीठी वाणी का योग और व्यायाम|
हमारी योग्य वाणी ही हमारे मन ,मस्तिष्क, तथा स्वास्थ्य की आधारशिला है ,इसे हम वाणी का योग भी कह सकते हैं। इस योग के द्वारा ही हमारा जीवन बनता है ।हमारा स्वास्थ्य बनता है ,और नए नए अवसर जीवन में आते हैं।
हमें परिस्थिति और आवश्यकता के अनुसार ही बोलना चाहिए। बिना वजह बोलने से भी हमें बचने की आवश्यकता है, क्योंकि इस वजह से हम कई बार फंस जाते हैं। बोलते समय अपने आप को हम शांत ,और धैर्य धारण कर बोलें ।इस तरह हम विवेक और विश्वास के साथ मीठी वाणी बोल खुद की प्रसन्नता पर काम कर सकते है।
याद रखें|||||याद…..
मधुर वचनों का प्रयोग कर सालों साल किसी प्राणी के हृदय में स्थान पाया जा सकता हैवैसे ही जैसे शहद का उपयोग हजारों हजारों साल तक की किया जा सकता है।
हम सब मनुष्य अपने जीवन काल में मान सम्मान चाहते हैं ।यह मीठे वचनों के प्रयोग द्वारा ही प्राप्त हो पाती है। हमारा मीठे वचनों का प्रयोग ही हमें जीवन में सफलता,समृधि या बड़ा कुछ प्राप्त करा पाता है।
वचनों के प्रयोग में हम आप और हम शब्दों से संबोधन की आदत तथा व्यक्ति को अपना नाम सुनना बहुत पसंद होता है, नाम लेकर ही पुकारने की आदत बनानी चाहिये।
हम सब मीठे वचनों का प्रयोग कर भी दूसरों पर अपना प्रभाव इसलिए नहीं छोड़ पाते क्योंकि हम स्वार्थ वश अपने ही विषय में अधिक से अधिक सोचते हैं ,अपने बारे में ही बातें करते हैं। जबकि हमें सफल व्यक्ति के रूप में इस बात का ध्यान रखना चाहिए, सामने वाला व्यक्ति क्या सुनना चाहता है ।उसे प्रसन्नता किस तरह की बातों को करने से मिलेगी और यही हमारे निर्णय लेने का विज्ञान हमें लोकप्रिय बनाता है, हमारे जीवन मे खुशियों की चांदनी बिखेरता है।
जय श्री कृष्ण
Thank you