Forgiveness is the spring of life and Happiness
क्षमा क्या है
क्षमा जीवन की पुकार और मन के नकारात्मक विचारों से निकलने का अद्भुत उपाय है।क्षमा जीवन की शांति के लिए हृदय की पुकार है।क्षमा( Forgiveness ) दुखी जीवन के निराश मन की औषधि स्वरूप है,जिसे धारण करना पड़ता है।
क्षमा की जरूरत कब होती है
दो लोगों के बीच कभी कबार अनुचित भावना बनने की वजह से,प्रतिशोध और बदले की भावना,बैर भावना,बन जाती है,और उससे निकालने के लिए इस क्षमा की जरूरत पड़ती है।
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क्षमा हृदय के शांति की दवा भी है
जहां आग लगती है वहां खाक बनती है हृदय की आग में भी ऐसा ही होता है,वहां भी हृदय शून्य हो जाता है इसलिए इस मन के प्रतिशोध की भावना को शांत करने के लिए क्षमा करना जरूरी है।
किन के साथ इसकी विशेष जरूरत होती है
ऐसी भावना ज्यादातर निकटतम संबंध वाले व्यक्तियों के साथ,घटित होती है इसलिए हम सब अपने मन की गांठ को टटोलें, बैर की भावना को खोलें,और इस क्षमा को धारण करें,तभी हमें शांति मिल सकती है।
क्षमा और मन की भावनायें

इस क्षमा को धारण करने के लिए मन को बदलना पड़ता है,मन को बदलते ही हम इसे धारण कर पाते हैं।मन:स्थिति को बदलने से,इस बैर भावना से हम निकल पाते हैं,और मन को शांत कर पाते हैं।
क्षमा स्वभाव का आभूषण भी है
क्षमा को सज्जन और चरित्रवान पुरुष ही ग्रहण कर पाते हैं,यह उनका गुण और शोभा होती है। जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए,इस भावना का होना बहुत जरूरी है।

क्षमा की भावना से ही मिलती है सकारात्मकता
क्षमा की भावना से ही हम अपने मन को सकारात्मक रख पाते हैं,इसे हम ऐसे भी समझ सकते हैं की 1 किलो आलू यदि हमें हाथ में उठाना हो,और वह थोड़ी देर के लिए हो,तो ठीक है,किंतु अगर इस आलू को हमें 1 महीने,या 1 साल लगातार उठाने के लिए कहा जाए तो यह हमारे लिए भार स्वरूप हो जाता है। इसलिए मन को क्षमा की भावना से ही सकारात्मक रखा जा सकता है।
क्षमा हमारे सुख की चाबी है

अगर हम क्षमा के द्वारा अपने मन मे किसी के प्रति की हुई,आहत बोली या भावना से हम स्वयं नहीं निकलते,तो इसका बोझ,हमें ही उठाना पड़ता है।अगर हम सामने वाले व्यक्ति को क्षमा नहीं करते,तो हम उस व्यक्ति की कैद में रहते हैं,या यू भी कह सकते हैं,हमारे सुख की चाबी हम सामने वाले व्यक्ति को दे देते हैं,और इसका प्रधान कारण हमारा अहंकार ही होता है।इस अहंकार की वजह से हम स्वयं, अपने सुख से दूर हो जाते हैं।
क्षमा से हमारे मन की आजादी मिलती है
क्षमा करने से हमारे मन को हम आजाद करते हैं,हमारे मन को हल्का करते हैं।क्षमा करने के दौरान, हम अपने स्वभाव में प्यार और क्षमा को प्रधानता देने का प्रयास करते हैं। समाज में कई बार हमारा ऐसे लोगों से सामना होता है,जो हमारे मन में भार स्वरूप होते हैं,ऐसे लोगों के प्रति,अपनी चिंता और भार से अपने मन को हल्का करने के लिए हम उनको क्षमा करें।
क्षमा करने का दायित्व हमारा स्वयं का है

यह क्षमा करने का दायित्व हमारा स्वयं का है,क्योंकि इससे हमारा,मन हल्का होता है।अगर हमें किसी के प्रति कोई भूल का एहसास हो,तो हम अपनी गलती को मानकर स्वयं को तुरंत हल्का कर सकते हैं।आध्यात्मिकता और जीवन पथ की खुशनुमा को प्राप्त करने के लिए क्षमा को जानना और अपने जीवन में अपनाना बहुत जरूरी है।
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क्षमा जीवन का बसंत
अपनी भूल के लिए क्षमा मांगने को क्षमा याचना कहा जाता है,और दूसरे की भूल पर उसे क्षमा कर देने को क्षमापना कहा जाता है।क्षमा मांगने व क्षमा देने,दोनों के लिए प्रयुक्त होने वाली क्रिया के फल स्वरूप,हम स्वयं के मन को ही खुशियां,शांति,सुख,मन की प्रसन्नता से ऊर्जावान बना पाते हैं।
क्षमा क्या है
क्षमा ब्रह्म है, क्षमा सत्य है, क्षमा अतीत और भविष्य है। क्षमा तप,क्षमा शुद्धि, क्षमा धृति है। क्षमा को धारण करने वाला व्यक्ति महान होता है।क्षमा जीवन का बसंत है। बसंत के आते ही जिस प्रकार शीत से दग्ध वनस्पति अंकुरित पल्लवित और पुष्पित हो जाती है उसी प्रकार हृदय में क्षमा भाव जागृत होते ही मन की कलुषता मिट जाती है,मैत्री भाव विकिसत होने लगती है।
क्षमा के लाभ

क्षमा से मस्तिष्क उर्वरक और चित प्रसन्न होता है। क्षमा जीवन का सौंदर्य है।क्षमा से विमल विचारों का निर्माण होता है। क्षमा से सकारात्मक भावों का विकास होता है। क्षमा मनुष्ष्य के स्वभाव का आभूषण और गुण स्वरूप है,जो मानव के ज्ञान और ध्यान दोनों को सुरक्षित रख उसे शांति की स्थिति में रखता है।
क्षमा वीरों का भूषण है।
इंसान गलतियोंका पुतला है,उससे जाने- अनजाने गलितयां होती ही रहती हैं। भूल होना बडी बात नहीं है,भूल को भूल कर स्वीकार कर लेना बड़ी बात होती है,ऐसा भी जानना जरूरी है। क्षमा कोई बहादुर व्यक्ति ही मांग सकता है,और कोई बहादुर व्यक्ति ही क्षमा कर भी सकता है।
क्षमा मांगने और करने की जरूरत क्यों है
क्षमा करने से व्यक्ति को मानसिक प्रसन्नता और शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होती है।मानसिक प्रसन्नता को प्राप्त हुआ व्यक्ति,सब प्राणियों और जीवों के साथ मैत्री भाव उत्पन्न करता है। मैत्री को प्राप्त हुआ जीव,अपनी भावना को विशुद्ध बनाकर निर्भय हो जाता है
क्षमा बहुत बहादुर का काम हैं
क्षमा याचना कठिन होती है,किंतु क्षमा देना तो उससे भी अधिक कठिन होता है।मैत्री पर्व मनाने की सार्थकता तभी होती है,जब हम अपने अहंकार को छोडकर,क्षमा के महत्व को जानते और समझते हो।जो व्यक्ति क्षमा करना नहीं जानता और सीखता है,उसके लिए दुर्गति व अशांति के द्वार हमेशा खुले रहते हैं।
क्षमा का जीवन में क्या महत्व है

क्षमा मांगने से हमारा अहंकार खत्म होता है,अच्छे संस्कार बनने लगते है,और जिसके पास यह गुण होता है वह हमेशा प्रसन्नचित रहता है,उसके जीवन में कोई शत्रु नहीं होते।क्षमा करने वाला व्यक्ति तनाव रहित रहता है,क्षमा करने से उस व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। क्षमा करने के इस गुण से हमारे रिश्ते बेहतर बनते हैं।
हम दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बनते हैं।हम वर्तमान में जीना सीखते हैं,इस क्षमा के प्रभाव से हमारे मन में सुधार होता है,हमारे मन के क्रोध घबराहट और नाराजगी में कमी आने लगती है। यह क्षमा हमारे मन के तनाव को प्रबंधन करती है।यह क्षमा हमारे मन की बेचैनी और क्रोध की भावना को कम करती है।यह क्षमा हमारे आत्मसम्मान में सुधार लाती है।यह क्षमा हमारे अंदर दयालुता और सहानुभूति की भावना को प्रदर्शित करती है,जिसके प्रभाव से हमारी दृष्टि सकारात्मक होती है।
परिवार में इस भावना का होना क्यों सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं
खुशी हमें अपने परिवार से मिलती है और हम सब परिवार के साथ रहते हैं,और यदि इस भावना के महत्व को परिवार के सभी सदस्य समझते हैं,तो इससे हमारे परिवार नहीं टूटते।हमारे जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है।
क्षमा को एक देवी गुण भी क्यों कहा जाता है
जब भी हम किसी को क्षमा करते हैं तो हम अपनी गलती के लिए पश्चाताप करते हैं, जब हम इस अग्नि में तपते हैं,तो हमारे अंदर निखार आता है।जब हम इस क्षमा रुपी दिव्य गुण को धारण करते हैं तब स्वयं को देवी शक्तियों से जुड़ा महसूस करने लगते हैं।
क्षमा करने और मांगने के तरीके
क्षमा की भावना के लिए हम मन ही मन उस व्यक्ति की छवि बनाकर उससे क्षमा मांग सकते हैं। क्षमा के लिए हम उसके सम्मुख जाकर अपनी गलती को कबूल कर,उसे इसके लिए जो तकलीफ हुई है,उसके लिए क्षमा मांग सकते हैं,और अपनी इस क्रिया से अपने मन को हल्का कर सकते हैं।

क्षमा इंसान को अपनी भूलें कबूल करने के लिए प्रेरित करता है
दुनियां में भिन्न भिन्न मान्यताओं, विचारों वाले व्यक्ति रहते हैं। किसी के साथ भी किसी का मतभेद हो सकता है,परंतु मनभेद नहीं होना चाहिए। क्योंकि जहाँ मनभेद है वहाँ घृणा, नफरत व द्वेष का जहर फैल जाता है,जो मानवता के लिए बेहद घातक है। यह क्षमा मन के भेद को दूर कर मैत्री भाव की धारा को प्रवाहित करता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस क्षमा का महत्व
अगर इस क्षमा रुपी मैत्री संदेश को सभी पृथ्वी के मानव स्वीकार कर ले,तो विश्व की अनेक समस्याएँ समाप्त हो सकती है और सर्वत्र सारे विश्व में शांति स्थापित हो सकती है।क्षमा के द्वारा एक दूसरे के अपराधों को भुलाएँ ,मन में उभरे मतभेद को सुलझाएँ।आपस में क्षमा का आदान प्रदान कर,सर्वत्र मैत्री का मधुर संदेश भेज सकते हैं।अपने विवाद को संवाद के द्वारा सुलझाने को प्राथमिकता देकर अपने मैत्री भाव को सुरक्षित रख सकते हैं
क्षमा का प्रभाव
माफ करना मतलब,किसी कैदी को मुक्त करना जैसा है,और यह अनुभूति करना,की वह कैदी आप स्वयं ही थे,तो यह चिंतन का विषय हो जाता है! हमारा अहंकार ही हमें क्षमा मांगने के लिए आगे बढ़ कर चंद शब्दों को बोलने से रोकता है, और इसकी जगह हम अपने लड़ाई ,झगड़ा और बहस को बढ़ाते हैं,और दूसरे व्यक्ति के पहले माफी मांगने की प्रतीक्षा करते हैं! यह हमारी सबसे बड़ी गलती है।
सबसे बड़ा मंत्र हमेशा क्षमा मांगने की स्वयं पहल करें
दूसरे व्यक्ति के पहले माफी मांगने का इंतजार करना हमारी सबसे बड़ी भूल होती है,खासकर जब रिश्ते में तनाव हो तो हमें एहसास नहीं होता,की कैसे आसानी से हम जल्दी से क्षमा मांगे और क्षमा करें।
जैसे मधुर शब्द,मन की चोट को ठीक कर सकता है, वैसे ही हमारे माफ करने और भूलने की आदत से इस क्षमा को हम बढ़ावा देकर खुशी और शांति को लौट सकते है।
क्षमा मांगने के तरीके में ऐसा बोलना
यह मैंने आपसे समझा,ऐसा बोलना,पुनः विश्वास को पुनर्स्थापित करता है,और दूसरे व्यक्ति को अधिक सहज और सम्मानित महसूस करवाता है।यह रिश्तो के बंधन को और मजबूत करता है।प्यार और अहंकार एक ही जगह एक साथ नहीं रह सकते।
क्षमा मांगने के लिए मन और शब्दों की ईमानदारी जरूरी
सॉरी सिर्फ एक शब्द की तरह ना कहे यह एक ईमानदार प्रयास होना चाहिए।माफी मांगने के ईमानदार प्रयास से कभी-कभी आपकी गलती ना भी हो पर दूसरे व्यक्ति को अपने आपके नजरिए से ही चीज दिखाई देती है,क्योंकि सॉरी कहने का मतलब है कि आप उनके विचार के लिए खुला नजरिया रखते हैं।यह हृदय की करुणा से निकला शब्द होना चाहिए,अहंकार से नहीं।
माफी से खुलते हैं कई द्वार
जैसे ही हम माफी मांगते हैं,संवाद की शुरुआत का द्वार खुलता है,और यह सहानुभूति को जगाता है,और हमको अंतर सहारा दिखाता है।हमको क्षमा करें इसलिए नहीं कहते क्यूंकि हमने कोई गलती की है या दूसरा व्यक्ति सही है इसका सीधा सा मतलब यह है कि आप उस अशुद्ध भावना से अधिक रिश्तो को महत्व देते हैं।
माफी मांगने से आप अपनी उस आंतरिक रुकावट को दूर करते हैं,जो अनजाने में आपको भीतर से नुकसान पहुंचाती रहती है।क्षमा मांगने से हम गलत भावना से बहुत हद तक बच जाते है।हम समय की बर्बादी से बच पाते हैं,जिसकी वजह से अपने अंदर की ऊर्जा का सही प्रयोग कर पाते हैं।
सर्वप्रथम व्यक्ति के सम्मुख होकर क्षमा मांगने का प्रयास करें
सीधे तौर पर प्रथम आप स्वयं क्षमा मांगे,अपने भाव और विचार द्वारा जो घटना घटित हुई है,उसके लिए आप मुझे क्षमा करें,ऐसा प्रत्यक्ष विचार,सामने वाले व्यक्ति के समक्ष आंखों में आंखें डालकर बोलकर क्षमा मांगे।क्षमा मांगने में कभी भी हीन भावना,अगर महसूस हो,अहंकार आडे आ रहा हो तो ऐसा सोचे,कि सब के अंदर उस परमात्मा का अंश है और मैं तो उसे व्यक्ति से नहीं बल्कि उस परमात्मा के अंश से क्षमा मांग रहा हूं,ऐसा सोचकर अपने अहंकार को दबाकर क्षमा को प्राथमिक रूप से महत्व दें।
क्षमा मांग कर कई बार रुकना पड़े तो इंतजार करें
क्षमा मांगने के दौरान अपने खेद महसूस करने,दूसरे व्यक्ति से खुशी से जवाब देने की उम्मीद न रखे,और यह सिर्फ उसके लिए ही नहीं है यह आपके लिए भी है। सही समय का ध्यान रखें,हो सकता है, जिस व्यक्ति के साथ आप अपने गम और अमुक बात की माफी मांगने गए हों, हो सकता है उसे ठीक होने में और समय लगे और,ये भी हो सकता है,आपको भी थोडे और समय की आवश्यकता हो।
क्षमा का प्रयास करते रहे
इस तरह आपकी माफी भी तब अधिक सार्थक होती है जब हम शब्दों को बोलकर सुनिश्चित करते है।माफी मांगते समय हमेशा आंख मिलाकर रखें। अगर यह क्षमा हमारे द्वारा अपने पर भी सामने वाले व्यक्ति पर प्रभावी काम नहीं कर रही है तो भी हम इसका प्रयास निरंतर जारी रखें।
युवाओं के लिए क्षमा पर विशेष संदेश
हमेशा जवान बने रहने के लिए क्षमा को जानना और सिखाना बहुत जरूरी है।
जो जवान होता है उसके लिए तो यह जीवन की बड़ी सफलता और लक्ष्य तक पहुंचने में अति उत्तम सूत्र बन सकता है। जवान शब्द का संबंध उम्र से नहीं है,जवान के ज का मतलब जागृति से है,जैसे जिसके पास धन वह धनवान होता है,जिसके पास बल होता है,वह बलवान उसी तरह ,जिसके पास जागृति होती है वह जवान है।इसका उम्र से कोई संबंध नहीं,इसलिए हमेशा जवान बने रहने के लिए क्षमा करने,और मांगने की आदत को महत्व देना चाहिए।
क्षमा शक्तिशाली मानव का गुण है
क्षमा करने का गुण शक्तिशाली लोगों में पाया जाता है।बुद्धिमान व्यक्ति नकारात्मक बातों को नजर अंदाज कर जाते हैं,और वहीं दुसरी ओर कमजोर व्यक्ति,मन मे बदला लेने की भावना को जन्म देते हैं, इसलिए खूब सावधान रहें। हमारी खुशी को हम कहीं खोयें नहीं, हमेशा जवान बने रहें,हमेशा सुख समृद्धि सफलता यश और अपनी खुशी को ही प्राथमिकता दें।
जय श्री कृष्ण
धन्यवाद