Patience क्या है? | कैसे हमारा धैर्य चुनौती की स्थिति में शक्ति बनता है | how our patience become power in challenge situation
धैर्य एक मानसिक अवस्था है ,जिसमें हमारा मन विपरीत परिस्थितियों में भी विचलित नहीं होता और यह इस बात का प्रमाण होता है कि हमने बाहरी परिस्थितियों को अपने ऊपर, हावी होने नहीं दिया।
परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी ना होने देने का अर्थ है कि हम स्वयं अपने सामने खड़ी परिस्थितियों से अपने आप को कमजोर न मानकर खुद को उससे ताकतवर समझें।जबकि हम अधिक सक्षम ,शक्तिशाली ,और ताकतवर तो हैं ही, हम अदृश्य शक्ति के अंश होने की वजह से प्रत्येक परिस्थिति में हमारे पास अपार संभावना ,और अवसर भी होते हैं ,और इसके लिए हमें चुनौती के समय धैर्य का मित्र बनना होता है।
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चुनौती की स्थिति में हमारा धैर्य कैसे शक्ति बनता है | how our patience become power in challenge situation
जीवन में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब मनुष्य को एक साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और इस समय हमें धैर्य और सहनशीलता की अमोघ औषधि ही उस स्थिति से आगे ले जाती है।
मानव के क्रोध रूपी शत्रु की संजीवनी बूंटी|
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विपरीत परिस्थितियों का सामना सभी को करना पड़ता है ,किसी को कम, किसी को अधिक ,किसी को आज, किसी को कल।यह समय हमारे धैर्य और परीक्षा की घड़ी का होता है, और जो इस समय,हम अपने धैर्य को धारण कर डटे रहते हैं, तो हम अपनी सफलता और खुशी को पुनः प्राप्त कर लेते हैं।
इसको नजरंदाज करने के दुस्परिणाम।
जो व्यक्ति इस धैर्य को धारण नहीं करते हैं, उनके शरीर में कई तरह के अवसाद या उनके नर्वस सिस्टम पर फर्क पड़ता है, और उनका शरीर बुरी तरह प्रभावित होता है। उनके सांस लेने की क्रिया पर भी असर पड़ता है जो उसके शरीर अन्य सभी प्रतिक्रिया पर असर डालता है।
अधीर व्यक्ति हर काम को जल्द से जल्द पूरा करके सफलता पाना चाहता है और उसके सफल होने के लिए उसके पास कोई ठोस योजना भी नहीं होती। धैर्य का पेड़ कड़वा होता है, लेकिन उसका फल बहुत मीठा होता है और हम पुनः अपनी मंजिल पर पहुंच पाते हैं। धैर्य रखने से हम अपने आप में दृढ़ता रख पाते हैं, और अपने कार्यों को संपन्न कर पाते हैं।
सब्र की सवारी से इस राह की यात्रा करें।
धैर्य एक ऐसी सवारी है जो सवार व्यक्ति को कभी गिरने नहीं देती ।उसके मान सम्मान और उसकी खुशियों को पुनः प्राप्त करा देती है।
धैर्य की आवश्यकता कब।
जिस तरह तेजी से चलने वाली मोटर कार को भी मोड आने पर गति धीमी करनी पड़ती है ,उसी तरह जीवन में चुनौतियों के समय जीवन में गति को धीमी कर, सोच विचार के द्वारा धैर्य धारण कर आगे बढ़ना पड़ता है, तभी हम झटकों से बच पाते हैं। परिवर्तन को अवसर में परिवर्तित कर खुशी प्राप्त कर पाते हैं।
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अपने कर्मक्षेत्र के लीडर व्यक्ति में यह गुण का होना अति आवश्यक है तभी वह नेतृत्व कर पुनः धैर्य के साथ अपने काम का भार सफलता से संभाल पाता है।
धैर्य ,विश्वास और सहनशीलता ही हर मनुष्य के जीवन के सफल होने के मूल स्रोत होते हैं ।विपरीत परिस्थितियों में भी जो सूझबूझ से अपनी योजना पर निर्णय लेते हैं वही धैर्यवान व्यक्ति सफल होते हैं।
विनम्र रह कर मधुर वाणी का इस्तेमाल करना, हमें धैर्य धारण की शक्ति प्रदान करता है|
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चुनौतियों का आसानी से हल केवल धैर्य से ही निकाला जा सकता है। धैर्य और सहनशीलता मानव का एक विशिष्ट गुण है। जिस मनुष्य में यह गुण रहता है उसमें संतोष, माधुर्य, साहस, विवेक, आदि सभी कुछ रहता है।
ईश्वर या अदृश्य शक्तियों की ओर से मानव को दिया यह एक अनमोल उपहार स्वरूप है। इस सहनशीलता और धैर्य की आवश्यकता हमें पग पग पर पड़ती है। और धैर्य यदि हमारे में न हो तो हम अपने आप को कमजोर महसूस करते हैं।
कैसे होते हैं धैर्यशील इंसान? | कैसे यह गुण इंसान को महान बनाता है?
इसको धारण करने वाला इंसान जो भी स्थिति निर्मित होती है उसे स्वीकार करता है। हर हाल में वह अपनी सोच को सकरामक बना कर रखता है। उसका आशावादी दृस्टकोंन उसे बार बार की असफलता के बावजूद भी प्रयास कर उसे सफलता को प्राप्त करा ही देता है।
जीवन में धैर्य रूपी गुण का महत्व और जरूरत।
धैर्य मनुष्य का सबसे बड़ा गुण और उसका सबसे सच्चा मित्र है। और जिसने इस से दोस्ती की वही जीवन में सारी खुशियों को प्राप्त कर सका है। हमें जीवन में प्रत्येक क्षण में धैर्य की आवश्यकता रहती है, बिना धैर्य के हम किसी भी परिस्थिति, कोई भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाते।
Patience control our stress…
सहनशीलता मस्तिष्क के विकृत विचार की सफाई हेतु साबुन का भी कार्य करती है। इससे हमें अपनी भूल सुधार का ,चिंतन मनन का समय मिल पाता है।यह धैर्य |हमारे मानसिक संतुलन को बनाऐ रखता है,हमारे मन की शांति , हमारे शरीर की स्फुर्ति को, धारण किये रखता है।
परिवार और धैर्य।
परिवार के साथ धैर्य प्यार कहलाता है ,औरों के साथ धैर्य सम्मान कहलाता है, स्वयं के साथ आत्मविश्वास कहलाता है और भगवान के साथ या भक्ति के साथ हमारा धैर्य हमारी आस्था कहलाता है।
गीता के नायक भगवान श्री कृष्ण अपने जीवन अनुभव के आधार पर गीता जैसे ग्रंथ में इस महत्वपूर्ण आदत को अपनाने का आदेश दिया और उसे कर्मनिस्ट व्यक्ति का आभूषण बताया। इस धैर्य को धारण करने से मनुष्य अपने अंदर के हजारों गुणों को संजो कर आत्मसात कर रख पाता है, जो किसी तपस्या से कम नहीं।
धैर्य को धारण करने से सफलता निश्चित रूप से मिलती है क्योंकि धैर्य एक कड़वे पेड़ की तरह होती है, जिस पर फल मीठे लगते हैं, जो हमें हमारे लक्ष्य तक निश्चित रूप से पहुंचा ही देते हैं।
धैर्य को अगर हम धारण कर रख पाते हैं तो निश्चित ही हम जिंदगी में कठिन से कठिन फैसले का निर्णय भी कर पाते हैं।
धैर्य मनुष्य की असली शक्ति होती है, अगर हम धैर्यवान हैं तो ही हम शक्तिमान हैं। इसकी शक्ति से हम जीवन में कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं।
धैर्य हमारे ज्ञान की रक्षा करता है और हम विवेकपूर्ण अपने निर्णय ले पाते हैं और निर्णय का लेना है,जो हमें हमारे गंतव्य तक पहुंचाता है।
धैर्य धारण करने वाले व्यक्ति को सोचने और विचार ने का समय मिल जाता है जिससे वह विवेक और विश्वास के साथ अपने निर्णय ले पाता है ,जिससे वह सफल होता है। जिसके पास धैर्य धारण की क्षमता होती है ,उसी के पास हर चुनौती का समाधान होता है।
धैर्य हमारे जीवन में रास्ते के सिग्नल की लाल बत्ती की तरह होता है जहां अगर हम थोड़ी देर प्रतीक्षा करें तो वह हरी हो जाती है।
जो व्यक्ति धैर्य धारण करते हैं, इसके प्रभाव से उस व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी मजबूत बना रहता है, इससे वह अपनी प्रसन्नता अपनी खुशियां हर तरह से बनाकर रख पाते हैं ,जीवन में आगे बढ़ पाते हैं।
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इस धैर्य की प्राप्ति हमें सत पुरुषों के संग से होती है ,अतः हमें चुनौती के समय निरंतर ऐसे पुरुषों का ही संग करना चाहिए जो हमें सही सलाह दे सके । जिन्होंने इस जीवन की गहराइयों को जाना है, उनसे हमें सलाह करते रहना चाहिए। उनसे कुछ भी छुपाव न रखते हुए हुए चर्चा करना चाहिए जिससे हम समाधान की राह पर आसानी से पहूँच पाते हैं।
Testing my patience in hindi:
Hindi blog के द्वारा खुशी के अनमोल गुणों के गुलदस्ते में एक खुशबु और…..
धन्यवाद
जय श्री कृष्ण ….