The Precious Body

अनमोल शरीर: कैसे हमारा सब कुछ और क्यों खुशियां का साधन | The Precious Body

शरीर ब्रह्मांड द्वारा मिला वह यंत्र है जो ब्रह्मांड ने हमें अदृश्य शक्तियों को जानने सुख भोगने और ब्रह्मांड को उसके बदले कुछ देने के लिए दिया है। यह शरीर ब्रह्मांड की सर्वश्रेष्ठ रचना है इसी कारण अदृश्य शक्तियों ने जब भी इस शरीर को धारण किया और इस शरीर के महत्व को दर्शाया है।

आत्मा का निवास स्थान यह घर शरीर बहुत कीमती है जहां हमारी आत्मा निवास करती है और अपने प्रारब्ध को भोग कर मुक्त होती है। इस शरीर का प्रत्येक अंग बड़ी कुशलता से अपने कार्य को अदृश्य शक्तियों द्वारा संपन्न करा रहा है ।

यह शरीर ऊर्जा से परिपूर्ण, बुद्धिमान और शक्तिशाली मस्तिष्क को धारण किए हुए है। इस शरीर में  हृदय, निरंतर  सांस की प्रक्रिया द्वारा रक्त का प्रवाह, ग्रंथियों की सफाई, बड़े ही कुशल और सुचारू रूप से करता है। इस शरीर के सभी अंगों की देखभाल अदृश्य शक्तियों द्वारा या ब्रह्मांड द्वारा नियंत्रण किया जाता  है।

अनमोल शरीर: कैसे हमारा सब कुछ और क्यों खुशियां का साधन | The Precious Body

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इसलिए ब्रह्मांड द्वारा जब-जब भी बड़े शिक्षण देने के कार्यक्रम मनुष्य के विकास के लिए  किए गए इस शरीर को धारण कर के ही किया गया है। बड़े भाग्य से मिला यह शरीर चौरासी लाख योनियों में घूमने के बाद ब्रह्मांड द्वारा दिया गया है, जो खुशी को आत्मा और मन तक पहुंचाने की यात्रा में अहम कार्य करता है। ब्रह्मांड द्वारा दिया गया यह शरीर विभिन्न अंगों की एक व्यवस्था या यंत्र है। हम इस शरीर में,मन ,बुद्धि,आत्मा के साथ रहते  हैं, इन तीनों का समान रूप से ध्यान रखना हमारा कर्तव्य है।

हमारा शरीर कई इंद्रियों के द्वारा भोजन ग्रहण करता है जैसे आंखों के द्वारा कानों के द्वारा नाक के द्वारा मुंह के द्वारा सो हमें सभी इंद्रियों के भोजन को बहुत ही ध्यान पूर्वक कराना चाहिए जो हमारे शरीर को पोषण देकर हमें प्रसन्नता की ओर ले जाता है।

शरीर को हम मंदिर की तरह देखरेख करें और वही वस्तुएं इसके लिए धारण करें या इसमें रखें जो हमें ऊर्जा देती हो इसका उपयोग हम गोडाउन की तरह न करें जहां कुछ भी डाल दिया जाता हो किस तरह से शरीर को ऊर्जा मिले शरीर को मानसिक भोजन मिले अच्छे विचार ,सकारात्मक सोच मिले कैसे यह स्वस्थ रहे, उस पर हमें काम करना चाहिए उस पर हमें अपना समय लगाना चाहिए और बहुत ही मूल्यवान मानकर इसकी देखरेख करनी चाहिए क्योंकि स्वस्थ शरीर ही हमें अंत समय तक खुशियां दे सकता है।

प्रसन्नता के लिए हमें हमारे शरीर को आलसी और भाग्यवादी नहीं बनने देना चाहिए।हमें अपने स्वयं के द्वारा जो कार्य हम कर सकें स्वयं ही करने की कोशिश करनी चाहिए जो की प्रसन्नता के मार्ग में खुशियों के मार्ग में हमारी गति को तेज करता है।

हमारे शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्तव्य है, इसके लिए हमें प्रातः कालीन भ्रमण ,व्यायाम तथा प्राणायाम को नित्य की दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। 

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शरीर को स्वस्थ और उचित आहार, विहार द्वारा पोषण देना हमारा कर्तव्य है। सदैव हमारा मन प्रसन्न रहे इसका भी हमें ध्यान रखना चाहिए क्योंकि हमारे मन का हमारे शरीर पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

यह शरीर अनमोल है, क्योंकि इसकी विभिन्न इंद्रियो से हम भिन्न-भिन्न तरह की खुशियों का एहसास करते है। शरीर की देखरेख से हम लंबी उम्र को प्राप्त करके विभिन्न तरह के जीवन का आनंद उठा पाते हैं।

हमारी शारीरिक मुद्रा हमारे उठने बैठने और चलने का तरीका हमारे आत्मविश्वास को बढाता है ,और सामने वाले इंसान की नजर में हमें मान सम्मान दिलाता है जो खुशियों में परिवर्तित हो जाती है।

हमारे शरीर का वजन भी हमें नियंत्रित रखना चाहिए जो हमें आकर्षित दिखने में मदद करता है ।आकर्षक शरीर हमें खुशियां और आत्मविश्वास देता है। चेहरे पर प्रसन्नता, इस शरीर की शोभा बढ़ाती है और हमें खुशियां प्राप्त कराती है।

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इस शरीर को स्वस्थ रखने के लिए समय-समय पर इसे प्रकृति के साथ रखने पर भी हमें ध्यान देना चाहिए। इसके लिए हम सप्ताह के अंत शनिवार रविवार अपने परिवार और इष्ट मित्रों सहित शहर से दूर किसी रिसोर्ट में जाकर प्रकृति के बीच रहकर प्रसन्नता को महसूस कर सकते हैं। यूं तो महीने में या 2 महीने में एक बार शहर से बाहर जाना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होता है किंतु हमारी आधुनिक जीवन शैली में हमें समय नहीं मिल पाता जिस वजह से हम शहर से बाहर तो 5 दिन 7 दिन 10 दिन नहीं निकल सकते किंतु सप्ताह के अंत में आसपास के रिसोर्ट में जाकर प्रकृति के बीच रहकर अपने शरीर को धूप हवा और पवित्र जल देकर पोषण दे सकते हैं इस तरह के कार्यक्रम से परिवार के सभी सदस्यों का शरीर स्वस्थ रहता है और सभी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।  

स्वस्थ शरीर वाला इंसान ही कई गुना अमीर कहा जाता है ।समय-समय पर इसे मालिश के द्वारा भी पोषण दिया जा सकता है, जो हमें खुशियों का एहसास कराता है।

आजकल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नई नई तरह की मालिश भी व्यवस्था उपलब्ध है जिसके द्वारा हम अपने शरीर को पोषण दे सकते हैं जिससे हमारा मन मस्तिष्क प्रफुल्लित होता है आनंद महसूस करता है। 

 इस शरीर पर व्यवस्थित परिधान को धारण कर हम खुशी का अनुभव  कर सकते हैं। शरीर पर जब हम नए और साफ-सुथरे, वस्त्र धारण करते हैं तो यह हमारे मनका आत्मविश्वास बहुत बढा देता है ,जो हमें खुशियां देता है । उचित समय पर उचित परिधान का चयन भी हमारे शरीर को आकर्षित दिखने में मदद करता है। 

 शरीर पर हम विभिन्न  तरह की खुशबू का उपयोग कर भी आकर्षक बन सकते हैं। हम मनुष्य जैसा अन्न खाते हैं उसके अनुरूप हमारे शरीर से एक खुशबू निकलती है और वह खुशबू सामने वाले व्यक्ति को आकर्षित करती है। हमारे शरीर को खुशबू या परफ्यूम से सुगंधित करना हमें तो खुशियां देता ही है, वरन् हमारे सामने उपस्थित व्यक्ति को भी हमारी ओर आकर्षित करता है जो हमें खुशियां देता है।

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पहला सुख हमारा स्वस्थ शरीर है और स्वस्थ शरीर वाला मनुष्य ही खुश रह सकता है ।सूर्य की किरणों से स्नान कराकर भी हम शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।आज के इस भागमभाग भरे युग में सूर्य की किरणें ही एकमात्र ऐसा प्राकृतिक साधन है जो पूर्ण रूप से पवित्र है जो हमारे शरीर को कई तरह के विटामिंस भी प्रदान कराता है इसलिए हमें नित्य सूर्य की किरणों में अपने शरीर को रखकर पोषण देना चाहिए। 

हम उचित ध्यान साधना के द्वारा भी हम इस शरीर रूपी संपत्ति को उचित पोषण दे सकते हैं। हमारी पूजा ,पाठ, हमारा ध्यान हमारे सत्संग के विचार जो आजकल आसानी से सोशल नेटवर्क पर भी उपलब्ध है, उससे जुड़ कर हम कान के भोजन को अच्छे विचारों को श्रवण करा कर अपने मन मस्तिष्क को खुशियों से जोड़ सकते हैं।

शरीर को स्वस्थ बनाने और शरीर से टॉक्सिन या विषैले पदार्थों को निकालने के लिए ध्यान देना अति आवश्यक है।इसके लिए उपवास, पर्याप्त मात्रा में जल ग्रहण करना और अपने खान-पान पर संयम रखना, खानपान के समय का ध्यान रखना भी अति आवश्यक है। आजकल हमारे जीवन में सोशल मीडिया के इस युग में हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह के आयुर्वेदिक रस भी उपलब्ध है जैसे एलोवेरा, आंवला, गिलोय, इनका सेवन कर भी हम अपने शरीर के टॉक्सिंस को आसानी से बाहर निकाल सकते हैं ।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ध्यान देना अति आवश्यक है, क्योंकि जिसका शरीर स्वस्थ रहता है उसी का मस्तिष्क भी गतिशील रहता है जो हमें  खुशियां प्रदान करता है।इसके लिए हमें अतिरिक्त मानसिक तनाव की बातों से भी बचना चाहिए। 

 शरीर के अंदर जो भी मोटापा या जो भी अस्थिरता आती है, वह शरीर में जमे कहीं ना कहीं कुछ विषैले पदार्थ की वजह से ही होती है, जिसका शरीर भीतर से स्वच्छ रहता है वही जीवन में प्रसन्न  रह पाता है। 

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नियमित रूप से सोना और उठना अगर संभव हो तो ब्रह्म मुहूर्त में ही उठना हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए  लाभकारी है। समय से सोने और उठने के लिए हमें सोने से 1 घंटे पहले ही मोबाइल या टीवी से दूर हो जाना चाहिए।प्रातःकाल जल्दी उठने की आदत हमें हमारे जीवन में प्रसन्नता देती है। हमारे पूर्वजों  ने कहा है 10:00 बजे के बाद जागना नहीं और 4:00 बजे के बाद सोना नहीं।

पंचतत्व से बने इस शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पानी की स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि हमारे शरीर का 70% भाग जल ही होता है।जल कई जगह से होते हुए हम तक पहुंचता है इसलिये इसकी पवित्रता पर भी ध्यान देने कि जरुरत है।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें प्रातः कालीन सैर प्राणायाम व्यायाम आदि के द्वारा अपने शरीर को उचित मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन देकर भी स्वस्थ रखने की जरूरत है क्योंकि यह  शुद्ध हवा हमारे स्वास्थ्य को बढ़िया रख हमारे शरीर को पोषण देती है। इस शुद्ध हवा को प्राप्त करने के लिए हमें बगीचे, नदी किनारे, या किसी पहाड़ी स्थल पर जाकर कुछ समय अपने परिवार के साथ बिताना, हम सबके शरीर को पोषण दे सकता है।

यदि आप दौड़ नहीं सकते तो चलो ,चल नहीं सकते तो धीरे-धीरे चलें, और धीरे-धीरे भी चल नहीं सकते तो भी चलें और तब ही शरीर की सब इंद्रियां ठीक से कार्य कर पाती हैं। यदि चलने की असमर्थता हो तो आप बगीचे में जाकर प्रकृति के बीच बैठकर भी अपने शरीर को पोषण दे सकते हैं, स्वस्थ रह सकते हैं और अपने मन में खुशियों को प्रकट कर सकते हैं।
प्रातःकालीन भ्रमण की नित्य आदत हमारे शरीर को भरपूर ऑक्सीजन देती है और इस दौरान हमें अतिरिक्त समय भी जीवन में मिलने लगता है, जिससे हम अपने मन मस्तिष्क और शरीर को पोषण दे पाते हैं जिससे हमारा शरीर निरोग होकर आकर्षित दिखने लगता है जो हमें खुशियां देता है।

मन की सोच को सकारात्मक बना कर भी हम अपने शरीर को पोषण देते हैं। मन की सोच को सकारात्मक बनाने के लिए हमें कपट  छोड़कर सरल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए और मन की गंदगी राग और द्वेष को दूर करने का प्रयास करना चाहिए मन की गंदगी को दूर किए बिना हमारे शरीर में तेज नहीं आ पाता। इसके लिए  निरंतर अभ्यास द्वारा नाम सुमिरन के द्वारा ओम का निरंतर उच्चारण करना, हर समय प्रसन्न रहना और खूब हंसने की आदत दालनी चाहिये। इसके लिए हम सदैव अपने मन मे ऐसे विचारों और सोच को रखे, जो पूर्ण रूप से सकारात्मक हो और खुशियां दे सकते हो।

शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें प्रातः काल फलों का जूस या फल दोपहर के भोजन में छाछ या दही और शाम के बाद किसी भी समय दूध का सेवन करना चाहिए जो लंबे समय तक हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है और लंबी उम्र भी देता है। इस तरह हमारे शरीर में कई तरह के मिनरल और विटामिंस की आपुर्ति भी हो जाती है।

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अदृश्य शक्ति या ब्रह्मांड ने हमें जो यह शरीर प्रदान किया है, वह हमसे कुछ श्रेष्ठ करवाना चाहता है वह हमसे कुछ इस ब्रह्मांड के विकास के लिए करवाना चाहता है। वह हमें आगे बढ़ते हुए ,ऊपर उठते हुए , प्रसन्न और सुखी करना चाहता है इसलिए इस शरीर को स्वस्थ रखकर हम मनुष्य अपनी आत्मा के कल्याण के लिए, इस ब्रह्मांड को इस शरीर के द्वारा कुछ देने का प्रयास करें। मानव शरीर दिव्य है, दिव्य गुणों से युक्त है इसे हमें समझना होगा।पहला सुख हमारा स्वस्थ्य शरीर है और स्वस्थ्य शरीर वाला मनुष्य ही खुश रह सकता है।

याद रखें जिसे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए समय नहीं मिलता उसे विभिन्न तरह की शारीरिक चुनौतियों से लड़ने के लिए समय निकालना पड़ता है। जीवन में हर चीज हमारा इंतजार कर सकती है, कोई मिलने आया हो वह भी रुक सकता है, कोई मीटिंग हो, तो भी लोग उसके लिए हमारा इंतजार कर सकते हैं ,कोई जरूरी लेटर यदि मेलबॉक्स में पड़ा हो, वह भी हमारा इंतजार कर सकता है, किंतु हमारी सेहत कभी हमारा इंतजार नहीं करेगी। अगर हम अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देंगे तो हम भी खुद किसी का इंतजार करने के लायक नहीं रहेंगे और ना ही जीवन में कोई हमारा इंतजार करता हमें नजर आएगा। हमारे स्वस्थ और सुंदर शरीर को ही हमारा समाज, हमारे परिवार के लोग इंतजार करते हुए पाये जाते हैं।

हमारे शरीर को और कुछ नहीं चाहिए, बस नियम चाहिए, और अपने लिए थोड़ा सा वक्त चाहिए।

हमारा शरीर एक फूल के गुलदस्ते की तरह है जो परिणाम में हमें खुशियों से भर देता है, इसकी देखरेख और पोषण करने का तरीका ही हमें भविष्य में खुशियों से माला-माल कर सकता है, जो हमें लंबी उम्र निरोग रहने में भी मदद कर सकता है। धन्यवाद

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Jai sree krishna

Nirmal Tantia
Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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