शांति और खुशी प्राण शक्ति को बढ़ाने और जिस क्रिया के द्वारा शरीर के अंदर ऑक्सीजन को भेजने और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने की क्रिया होती है, उसे सांस लेना कहते हैं।
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साँस से ध्यान
इस क्रिया से हमारे दोनों मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती है।ध्यान और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। हमारी याददाश्त बढ़ने लगती है। मन की सारी चिंताएं चिंतन में बदलने लगती हैं।इस सांस की क्रिया से हमारे मन की भावना में परिवर्तन होने लगता है। हम ध्यान की ओर जाने लगते हैं, हमारा ध्यान लगने लगता है,मन शांत और प्रसन्न होने लगता है।
गहरी और छोटी सांस का रहस्य
जब हमारा सांस लेना और छोड़ना छोटा होने लगता है तब मन में निराशा और शोक का माहौल छाने लगता है। इसी तरह जब हमारी सांसे गहरी और लंबी होने लगती है तब शरीर में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन जाने से शरीर की सभी नसों को ऑक्सीजन मिलती है। इस दौरान विशेष रूप से हमारे मन मस्तिष्क को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है, जिससे हमारा मूड बदलने लगता है,हम प्रसन्नता, खुशी का अनुभव कर शांति महसूस करते है।
गहरी सांस लेने के फायदे
सही मुद्रा में सांसे लेने से हमारी धैर्य शक्ति बढ़ती है जिसके प्रभाव से हम हर परिस्थिति में शांत रहते हैं। हमारी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।हमारे अंदर की रचनात्मकता शक्ति बढ़ती है।हमारी कार्य करने की शक्ति बढ़ने लगती है।
सांसों से स्वस्थ जीवन
अगर हम बार बार बीमार होते हैं और हमें कई तरह की दवाइयां लेनी पड़ती है तो सभी दवाइयां धीरे-धीरे बंद हो जाती है। हमारा वात पित्त और कफ भी बैलेंस होने लगता है। हवा और ऑक्सीजन के उचित प्रवाह से हमारी पाचन शक्ति अच्छी होती है, हम स्वयं को तरोताजा और प्रसन्नचित महसूस करने लगते हैं।
गहरी सांस से चीर युवा बने रहना
गहरी सांस पेट से बाहर निकले और अंदर जाने से हम चिरकाल तक युवा बने रहते हैं। शरीर की सभी नसों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलने से रक्त प्रवाह जब सुचारू रूप से शरीर में होता है तब हम लंबे समय तक युवा बने रहते हैं।
सांसों से आंतरिक ऊर्जा बढ़ती है
जब शरीर की सभी नसों को भोजन मिलता है, और सारे शरीर में रक्त संचार बढ़ने लगता है,तब हम निरोग होते हैं,और निरोग होने के साथ-साथ हमारा मन युवा महसूस कर,प्रफुल्लित होने लगता है। आनंद और उत्साह से भरपूर मन,जिस वातावरण में जाता है वहाँ से जुड़े लोगों को भी सकारात्मकता और खुश रहने का संदेश देता है।
पढ़ाई में मन क्यों लगायें पढ़ाई में अगर मन नहीं लगता है तो अपनायें यह बातें बढ़ जाएगी सफलता की संभावना ( Adopt These Things, Your Chances of Success Will
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) भाई और बहन के पवित्र प्रेम का त्यौहार है यह दो शब्दों से मिलकर बना है,जिसमें रक्षा का अर्थ है सुरक्षा और बंधन का अर्थ आपसी प्यार
हमारा मित्र वह होता है जिसके साथ हमारा मन मिलता है,जिसकी आदतें हमसे मिलती है,जिसके साथ समय बिताना,जिसकी आदतें और व्यवहार हमको पसंद आता है।अपने मित्र को हम स्वयम चुनते
ऑक्सीजन की उचित पूर्ति से हम शांत रह पाते हैं,हमारा स्वभाव मधुर होता है जिससे हमारे संबंध और रिश्ते भी अच्छे होते हैं।
गहरी सांस से पेट तक oxygen
जब हमारे नाक से पेट तक शुद्ध हवा पहुँचती है तब पूरे शरीर को ऊर्जा स्वरूप oxygen मिलती है जिससे हम स्वस्थ और तारोताजा महसूस करते है। पेट तक ऑक्सीजन पहुंचने से शरीर की सभी ग्रंथियों तक ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारू रूप से हो पाता है।
सांसों के प्रभाव से मिठी नींद
जब मस्तिष्क को उचित मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है, तब हमें मीठी नींद आती है।बॉडी और माइंड मिल कर इस ऑक्सीजन के प्रवाह से मस्तिष्क में नए-नए रसायन बनाने लगते हैं जिससे हम खुशी का अनुभव भी करते हैं। गहरी नींद के प्रवाह से हमारा मस्तिष्क ब्रह्मांड से ऊर्जा प्राप्त करता है,जिससे हम स्वयं भी शक्तिमान अनुभव करते हैं।
सांसों से इमयूनिटी
इन सांसों से हमारा स्वास्थय और इमयूनिटी सिस्टम स्ट्रांग होता है जिससे हममें बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।बॉडी में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ जाता है।
सांसों से ऊर्जा शक्ति
जब हम गहरी सांस लेते है तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।मन में शांति आती है,हमारा मूड सामान्य होता है। शरीर के सभी दर्द खत्म होते हैं।ऑक्सीजन के बढ़ते प्रवाह से हम काम शक्ति पर भी विजय प्राप्त कर पाते हैं।हमारा स्ट्रेस लेवल कम होता है।वात पित और कफ का बैलेंस होता है।
साकारत्मक विचारों के प्रभाव से खुशियों के रसायन मस्तिष्क में बनते हैं। हम अपनी बॉडी और माइंड को हील कर पाते हैं। गहरी सांस से रक्त संचार बढ़ने के कारण हम शरीर के नकारात्मक पदार्थों को बाहर धक्का देते हैं,जिससे हमारा स्वास्थ्य अनुकूल रहने लगता है। हमारी कब्जियत की शिकायत भी दूर होती है जिससे हमारा मन प्रसन्न और शांत रहता है।
सांसों से भावना परिवर्तन
इस तरह देखने में आता है हमारी मानसिक क्षमता भी बढ़ जाती है।हर काम में हमारा मन लगने लगता है और सबसे बड़ी बात हमारे इमोशंस बदलने लगते हैं। हम अपने स्ट्रेस लेवल से ऊपर उठकर खुशी महसूस करते हैं।
गहरी सांसों का अभ्यास कैसे करें
सांसो पर ध्यान लगाने के लिए सबसे पहले हम मन में सांसो को गिन कर लेना शुरू करें। जैसे-जैसे हमारे सांसो की गहराई तक पहुंचते हैं तब हम विश्व शक्ति से जुड़ते चले जाते हैं,और इन सांसों से हमारे विचार बदलने लगते हैं।
गहरी सांस से गलत आदत से छुटकारा
ऑक्सीजन के लगातार प्रवाह से मन शांत होने लगता है।ऑक्सीजन के प्रभाव से हमारा ध्यान लगने लगता है और हम ध्यान की स्थिति में जाने लगते हैं।इन गहरी सांस के प्रभाव से हमारा मन एकाग्र होने लगता है।हमारी गलत आदतें छूटने लगती है।गहरी सांस के प्रभाव से शरीर में ऑक्सीजन बढ़ने लगती है जिससे शरीर और मन पर दिव्य प्रभाव नजर आते हैं।
सांसो को लेना सीखना क्यों जरूरी है
सांसों के प्रति जागरुक होना सांसो को लेना ,और इस क्रिया को सीखना,इसके महत्व के बारे में जानना बहुत जरूरी है।सांसो के बदलते ही हमारा जीवन जादू की तरह बदलने लगता है।इन साँस के साथ हम ओंकार मंत्र को जपना शुरू करें तो और भी विशेष प्रभाव देखने में नजर आता है।
गहरी सांस और योग
दरअसल नींद में जाना और मीठी नींद लेना भी हमारी गहरी सांस के द्वारा ही संभव है।योग और प्राणायाम के स्रोत हमारे सांस ही हैं। योग की प्रत्येक क्रिया के दौरान भी प्रत्येक नसों तक ऑक्सीजन को पहुंचाया जाता है।
सुबह की सैर और साँसें
जब हम पैदल चलें, जोन्गिंग करें या दौडे,और इस समय भी सांसो पर ध्यान दें तो ज्यादा लाभ ले सकते हैं। हमारी प्रत्येक क्रिया,हमारे सांसों के आवागमन और सांसो के लेने के तरीके से ही अनुकूल परिणाम देखने मिलते हैं।
गहरी सांसों के अभ्यास का समय
इन गहरी सांस का प्रयोग हम 24 घंटे में कभी भी कर सकते हैं।वैसे प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त से लेकर सुबह 8:00 बजे तक का समय सर्वोत्तम माना गया है
हमारी सांसों में जादू छिपा है
जब इन सांसों से हम जुड़ते हैं तब इन गहरी सांसो के प्रभाव से ब्रह्मांड के नये रहस्यों को जान पाते हैं। आज के बच्चे,और विशेषकर युवाओं को इस प्रयोग को युवावस्था में ही सीखना चाहिए। हमारे मस्तिष्क के विकास में हमारी सांसों का सर्वोच्च महत्व है जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता वे भी कुछ देर इस लंबी सांस के प्रयोग के बाद अगर पढ़ना शुरू करते हैं तो उनका मन आसानी से पढ़ाई में लग सकता है।
बाकी विस्तृत जानकारियां google और youtube पर उपलब्ध है।मैंने तो सिर्फ इस ओर आपका ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया है। हमारा मुड और खुशी किस तरह सांसों पर निर्भर है, हमारे इस ब्लॉग द्वारा जानें जय श्री कृष्ण धन्यवाद राधे राधे
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं