How to get rid of worry

चिंता कैसे मिटाये। | How to get rid of worry | मानसिक स्वास्थ्य

चिंता भविष्य की कुछ फिजूल विचारों की गठरी होती है ,जो हम अपने मन मस्तिष्क में बनाकर बैठ जाते हैं,और उन चिंता के फिजूल विचारों से हमारे मन मस्तिष्क में,भय,निराशा आदि, के विचारों का जन्म होता है।

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किस स्थिति में चिंता मुख्य रूप से प्रतिकूलता में होती है।

सबसे पहले हम ये जानें की जीवन में प्रतिकूलता निश्चित रूप से आयेगी। और यह भी जानें प्रतिकूल परिस्थिति का निर्माण हमारे किसी सुधार के लिए ही होता है। इसे रोकना और टालना संभव नहीं है।

किनकी 

चिंता हमें मुख्य रूप से अपने परिवार शरीर ,संतान ,माता-पिता, भाई-बहन, निजी सामान और संपत्ति , मान सम्मान, समृद्धि, यश ,लाभ की होती है। इसके अलावा कहीं भी चिंता अगर आती है तो वह चिंता नहीं करुणा या दया है ,पर चिंता नहीं ।

उपाय | How to get rid of worry

इन सब पर प्रतिकूलता तो निश्चित रूप से आएगी ,जिसे हमारे द्वारा रोकना और टालना संभव नहीं है। किंतु इन परिस्थितियों में समान भाव से रहना अगर हम सीख जाएं,तो सारी परेशानियां खत्म हो सकती है। चुनौतियां खुशियों में बदल सकती है।

जीवन मे पूजा और साधना का उदेश्य यही होता है |

हमारे जीवन के किसी भी कर्म ,साधना ,और पूजा का सिर्फ एक ही उद्देश्य रहता है, हमारी चिंता मिटे, प्रतिकूल परिस्थिति आये ही नही।हमें जीवन में आराम और खुशियां ही मिले, किंतु हम यह जान ले ,की प्रतिकूलता तो आएगी ही ।अब इसके लिए हमें करना क्या होगा ,हमें इसकी तैयारी करनी है।

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मन का चिंतन सकरात्मक करें |

सही सोच और ज्ञान|

इस मनुष्य शरीर को धारण करने के बाद इस शरीर तथा शरीर से जुड़े समान, संपत्ति ,परिवार, मान सम्मान ,आदि सभी के मालिक परमात्मा या अदृश्य शक्तियां हैं ।आप इनके मालिक नहीं है।

प्राणायाम करें।

सांसो को अंदर खींचना और अंदर की नकारात्मक कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालना– इस क्रिया से भी हम चिंता को रोक सकते हैं, क्योंकि इस प्राणायाम की क्रिया के दौरान सभी विचारों से हमारा मस्तिष्क शून्य हो जाता है।

निर्माण|

इन सभी चीजों और परिस्थितियों का निर्माण भी उन शक्तियों ने किया है ,जिन्होंने हमारा खुद का निर्माण किया है।

बड़ी गहराई से जब हम देखते हैं ,जो शरीर के लिए सबसे आवश्यक स्वास ,हवा, जल, भोजन, वस्त्र, आवास, तथा निर्मित सभी परिस्थितियों के निर्माता भी परमात्मा ही होते हैं ,और इसका नियंत्रण भी परम शक्ति द्वारा ही किया जाता है।

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नियंत्रण

इन सभी चीजों पर हमारा लेश मात्र भी नियंत्रण नहीं चलता । हमारा नियंत्रण तो स्वयं हमारे शरीर पर भी नहीं चलता और हमारे पास तो केवल इन सभी चीजों के सदुपयोग और दुरुपयोग की करने की स्वाधीनता ही हमें दी गई है।

मालिक होने के नाते संभाल भी उनकी|

मालिक होने के नाते इन सभी को संभालने की जिम्मेवारी भी इस परम सत्ता की होती है ,और अगर हम गहराई से देखें तो सबसे महत्वपूर्ण अंगों को संभालने की जिम्मेवारी जो शरीर के अंदर के हैं, उनकी जिम्मेवारी ल लभि परमात्मा की ही होती है, इसके अलावा भोजन को पचाने की जिम्मेवारी भी परम सत्ता की है|उस भोजन के द्वारा रक्त का निर्माण ,और शरीर का अंदरूनी संतुलन बनाकर रखने की जिम्मेवारी भी परम शक्तियां स्वयं करती हैं। हमें तो बाहरी अंगों को संभालना और भोजन करने का साधारण सा कार्य सौंपा गया है।

इसी तरह जब हम निद्रा में होते हैं, तब भी उस परम सत्ता के द्वारा ही हमारी रक्षा की जाती है। इसी तरह कोई बड़ी चुनौती, बड़ी परिस्थिति जीवन में नजर आए तो यह भरोसा रखें, की इस बड़ी चुनौती को भेजने वाला स्वयं ही इससे आपको निकलेगा भी।

इस तरह जिस पल हमारा सही ज्ञान और चिंतन बनता है ,की सारे संसार और उसकी प्रमुख जिम्मेदारी उन अदृश्य शक्तियों की है, उसी पल हमारी चिंता खुशियों में परिवर्तित हो जाती है, हम आनंद में भर जाते हैं

अनुभव यह प्रमाणिक |

हमारे जीवन में अनुभव भी यह देखने में आता है, कि हम जिन चीजों के मालिक नहीं हैं, और जो हमारी नहीं, जो परिस्थिति हमारे वश की नहीं,उसकी प्रतिकूलता में हमें लेश मात्र भी चिंता नहीं होती। अनुभव के आधार पर भी यह बात प्रमाणिक है कि हम व्यर्थ चिंता करते हैं ।इसलिए हर परिस्थिति में शांत और प्रसन्न रहना ही हर मानव का दायित्व है।

सही चिंतन के लिए सबसे जरूरी|

अपनी सभी चिंताओं को मिटाने के लिए सबसे पहले हमें सत् चर्चा, सत्कार्य ,सत चिंतन, परहित और सत कथा ,से जुड़ना होगा। हमें उसमें अपना समय देना होगा तभी हम जीवन में चिंताओं को नष्ट कर सकते हैं।

शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतें।

जब हम किसी तरह की समस्या से उलझे रहते हैं ,उस समय हम बार-बार कई तरह के नकारात्मक शब्द जैसे प्रॉब्लम ,समस्या ,चिंता, आदि शब्दों का प्रयोग किसी से चर्चा वक्त बार-बार करते रहते हैं ,जिसे करने से हमें बचना है। उसकी जगह हम चैलेंज या कंसर्न शब्द का प्रयोग करें ।यह बात सदैव ध्यान रखनी है, कि हम जिन शब्दों का प्रयोग अपनी बोली में करते हैं, हमारा मस्तिष्क उन्ही शब्दों को उन्हीं परिस्थितियों को निर्माण करने में लग जाता है।

जानी बुराई का त्याग |

चिंताओं को मिटाने के लिए हमें जानी हुई बुराई को त्यागना होगा, छोड़ना होगा। जानी हुई बुराई को त्यागने से हम जीवन में अपने मानसिक स्थिति में बदलाव ला पाते हैं और अपने मस्तिष्क को शांति दे पाते हैं

सत्संग से तत्काल लाभ |

चिंता को मिटाने के लिए हमें जीवन में कुछ भी साधन करते हुए सत्संग करना होगा, क्योंकि सत्संग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे हमें आईने की तरह अपना जीवन दिखाई देने लगता है और ऐसा महसूस होने लगता है कि हम गलती कहां कर रहे हैं, हमें क्या परिवर्तन करने की जरूरत है ,हम सही और गलत का निर्णय ले पाते हैं।

सत्संग के द्वारा हमारे जीवन में विवेक और विश्वास की उत्पत्ति होती है जिससे हमारा चिंतन सही होता है और चिंतन के सही होते ही इसका प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है, हम खुश रहने लगते हैं ,ऊर्जावान महसूस करने लगते हैं ,जो कि हमारे व्यक्तित्व पर स्वयं ही दिखाई देने लगता है।

रावण के पास बहुत बड़ी-बड़ी साधना ही थी, बहुत बड़ा ब्राह्मण भी था, किंतु उसके जीवन में सत्संग नहीं था इसलिए सोने जैसी लंका में रहने वाला रावण का पतन हो गया।

असत्य से संबंध विच्छेद |

चिंता को मिटाने के लिए हमें अपने जीवन में असत्य से तुरंत संबंध हटा लेना चाहिए।

चिंता को मिटाने के लिए — सही बात को सही भाषा से सही तरीके से, सही सलाहकार से ठीक तरह से सुनना और पूछना पड़ता है, फिर उस पर निर्णय लेकर ,उस निर्णय को क्रियान्वित करना पड़ता है, तभी हमारी चिंता मिटती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो सही निर्णय का लेना ही, चिंता का मिटना है।

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शांत रहें |

शांत होकर बैठें,और मस्तक के धरातल पर बार-बार सफलता की बातें ही सोचें उन्हीं बातों को सोचें जो हम होते हुए देखना चाहते हैं, निश्चित ही हमें प्रसन्नता का मार्गदर्शन होगा ।

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अपने जीवन में उस इंसान से दूर ही रहे, जो जब मिले ,तभी हमें हमारे मस्तिष्क को नकारात्मक और व्यर्थ बातों की ओर ले जाता है।

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रोज सुधार के लिए कुछ कुछ जरूर करें |

हम कई बार, जीवन में ऐसे मोड़ परआकर खड़े हो जाते हैं की दूर दूर तक कोई समाधान नजर नहीं आता उस समय हम अपने जीवन में छोटे-छोटे प्रयासों को करते रहें। यह प्रयास हमें जीवन में मार्गदर्शन देता है, और निश्चित रूप से मंजिल की ओर हम पहुंच जाते हैं। जैसे अंधेरे रास्तों पर जब हम टॉर्च लेकर चलते हैं ,तो हमारे साथ साथ जब टॉर्च भी चलती है, तो वह टॉर्च हमें आगे का रास्ता दिखाती रहती है यही है छोटे-छोटे सुधार की राह पर चलते रहना।

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कुछ उसूल बनाएं

पुनः प्रसन्नता की ओर बढ़ने के लिए आलस्य से बचें ।कुछ उसूल बनाएं कि लोग क्या कहेंगे ,यह सब नहीं सोचें, मुझसे नहीं होगा, आदि। अपने अपने आप को उटपटांग सुझाव ना दें, किसी भी काम के लिए यह न कहें कि मेरे पास समय नहीं है ,इस तरह के चिंतन के विचार बनाने से परिस्थिति में सकारात्मकता बनी रहती है।

प्रार्थना जरूर करें|

प्रार्थना में इन परिस्थितियों के लिए भी बार-बार ईश्वर को धन्यवाद करें ,तो स्वता ही हमें प्रसन्न रहने की शक्ति प्राप्त होगी ।उनसे कहें हे ईश्वर आप करुणा के सागर हैं ,इसलिए आपका प्रत्येक विधान चाहे ,वह बाहर की दृष्टि से कितना भी प्रतिकूल या कैसा भी दिखाई देता हो, वह मेरे लिए परम कल्याणकारी है, परम हितकारी है, और ऐसी प्रार्थना कर अपने मन को शांत करें और उस परम सत्ता पर विश्वास करें ।

उनसे यह भी कहें, ऐसी अविचल आस्था करके, मैं वर्तमान के सभी विधान और परिस्थितियों को आपका आदेश ,उपदेश, संदेश ,निर्देश, इशारा ,और संकेत, समझ कर उसमें आपकी कृपा एवं मंगलकारीता के दर्शन कर परम प्रसन्न एवं परम आनंदित रहूँ।

प्रार्थना के द्वारा कहें, आपके द्वारा भेजी गई प्रत्येक परिस्थिति मेरे जीवन में निखार लाने के लिए आई है, आपने ही उसे भेजा है। हे दीनबंधु, मुझे वर्तमान जीवन से ऊंचा उठाने के लिए उस परिस्थिति के रूप में आप स्वयं ही पधारे हैं, हे प्रभु आप स्वयं ही प्रकट हुए हैं। आपका धन्यवाद है।

Thank you करना ही प्रार्थना|

निर्मित सारी परिस्थितियां जीवन में परिवर्तन कर खुशियां ही खुशियां लेकर आने वाली है|||

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सदैव याद रखें अगर आप चिंता करते हैं ,तो आप उन अदृश्य शक्तियों के सिस्टम पर और उसके कार्य पर आविश्वास करते हैं, यह ठीक नहीं। पूरा भरोसा रखें, ऊपर वाला जो करता है अच्छे के लिए ही करता है। उसमें कहीं ना कहीं हमारा कल्याण ही छिपा रहता है।

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Thank you universe for everything in my life.

Jai sree krishna…….

Nirmal Tantia
Nirmal Tantia
मैं निर्मल टांटिया जन्म से ही मुझे कुछ न कुछ सीखते रहने का शौक रहा। रोज ही मुझे कुछ नया सीखने का अवसर मिलता रहा। एक दिन मुझे ऐसा विचार आया क्यों ना मैं इस ज्ञान को लोगों को बताऊं ,तब मैंने निश्चय किया इंटरनेट के जरिए, ब्लॉग के माध्यम से मैं लोगों को बताऊं किस तरह वे आधुनिक जीवन शैली में भी जीवन में खुश रह सकते हैं

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