World nature conservation day 28 july | प्रकृति संरक्षण दिवस 28 जुलाई
आज हम जानेंगे World nature conservation day 28 july के बारे में। मनुष्य प्रकृति का अंश है, और प्रकृति के सहयोग से ही वह अपना जीवन यापन करता है। प्रकृति के इस महत्व और रहस्य को जानते हुए, भी वह अपने जीवन में इसके रक्षण को नहीं कर पा रहा। इसको अपनी और आने वाली पीढी की कीमती सम्पति होते हुए भी इसका संरक्षण नही कर पा रहा। इसीलिए इस दिन को प्राकृतिक संरक्षण दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया गया।
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जागरूक होना | World nature conservation day 28 july
इस दिन को मनाने का उद्देश्य हम सभी मानव को प्रकृति के प्रति जागरूक करना और यह बताना है की प्रकृति का संरक्षण किस तरह हमारे वर्तमान जीवन और आने वाली पीढ़ी के लिए आवश्यक है,और इसके संरक्षण को कैसे किया जा सकता है।
परिवार प्रधान की तरह जीवन प्रधान प्रकृति
प्रकृति हमारा हर पल ध्यान रखती है। हर पल हमारा पालन-पोषण करने के लिए, जो जो चीजों की हमें जरूरत होती है, हमें प्रदान करती है, इसलिए इसका संरक्षण हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। प्रकृति अपनी शक्तियों और संसाधनों के द्वारा हमारे जीवन को सुलभ और आसान बनाती है। प्रकृति माता पिता की तरह हमारा भरण पोषण करती है, एक सच्चे मित्र के तुल्य हमारा ध्यान रखती है। एक क्षण भी हम इस प्रकृति के सहयोग के बिना जीवित नहीं रह सकते।
प्रकृति नियम और समय से चलती है
प्राकृतिक चीजें अपने नियम और समय के अनुसार ही अपने आप में परिवर्तन करती हैं, अपने नियम और गति से चलती है, जिससे हम मानव छेड़छाड़ ना करें, उसके द्वारा दिए गए संसाधन और शक्ति का लाभ लें, और इसकी गति के लिए जो जरूरी हो वो व्यवस्था करें।
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प्रकृति में प्रचुरता
प्रकृति ईश्वर की अनमोल संरचना है और इस संरचना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें उपलब्ध सभी शक्तियां और संसाधन प्रचुरता से,हर जीव- जंतु और मानव के लिए उपलब्ध हैं। इसके बावजूद भी हम इसके महत्व को भूल रहे हैं।
प्रकृति के श्रृंगार
वृक्ष, जल और जंगल, पहाड़ नदियां यह सब पृथ्वी के श्रृंगार स्वरूप है इसकी सजावट और सुंदरता हो हम नष्ट ना करें। इस को सहयोग देने, काम करने और गतिशीलता देने के लिए हम अपने जीवन में कुछ नियमों का पालन करें।
थोड़ी देर के लिए पैसे देकर ऑक्सीजन देने वाले डॉक्टर को हम भगवान मानते हैं किंतु सारा दिन ऑक्सीजन देने वाले इन पेड़ और जंगलों की हम कद्र नहीं करते।
प्रकृति के सारा सिस्टम एक दूसरे से जुडित
पृथ्वी जल तेज अग्नि वायु और आकाश यह प्रकृति के प्रधान स्वरूप है। इन सब तत्वों के सामूहिक स्रोत से ही पर्यावरण का संरक्षण होता है, और मानव तथा अन्य जीव-जंतुओं का जीवन चलता है। सभी प्राकृतिक व्यवस्था एक दूसरे पर निर्भर होकर चलती है इस बात को भी हमें समझना है। किसी भी एक व्यवस्था के व्यवधान से पूरे सिस्टम में अनियमितता आ जाती है।इसलिए इसकी गति को बरकरार रखने के लिए इस प्रकृति की किसी भी शक्ति और गति से हम छेड़छाड़ ना करें।
उद्देश्य और कारण
इस दिन को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य है कि हम पर्यावरण का उपयोग करें और अपने आने वाली पीढ़ी के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण को निर्माण करके जाएं। इस की मूलभूत आवश्यकता अब हमें विशेष रूप से समझ आने लगी है, जब हम मौसम, सर्दी गर्मी की असमानता, बारिश का किसी क्षेत्र में कम किसी में अधिक होना तथा, इसकी वजह से वन्य पदार्थों और जीव जंतुओं का विलुप्त होने लगा है। इन चीजों की कमी होना पर्यावरण के लिए विनाशकारी महसूस करने लगे हैं।
ग्लोबल वार्मिंग, प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए इस दिवस को हम मनाने के लिए मजबूर हो गए। लोगों को जागरूक करने के लिए प्रकृति के विषय में बताने के लिए हम सब इस दिन को मनाते हैं। इस दिन हम आने वाली पीढ़ी के लिए एक स्वच्छ वातावरण के निर्माण के लिए विचार विमर्श करते हैं, कई योजनाओं को बनाते हैं और उस पर काम करते हैं।
ध्यान की कमी के कारण
वर्तमान के जन समुदाय का शहरों की ओर आकर्षित होना गांव और कस्बों को नजरअंदाज करना वन और पर्यावरण की सुरक्षा को नजरअंदाज करना इसका ही परिणाम शायद इस तरह की पर समानता है
प्रकृति के संरक्षण से लोगों का स्वस्थ और खुशहाल जीवन
वृक्ष और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए अधिक से अधिक वृक्ष को लगाने का प्रयास करें। आज भी जहां-जहां ,हरे-भरे पेड़, और वनस्पतियां हरी-हरी घास हरी भूमि, जंगल पहाड़, नदियां, प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, वह स्थान स्वच्छ है, वहां के लोग ज्यादा स्वस्थ हैं और वहां-वहां आज भी लोगों की जीवनशैली खुशहाल नजर आती है।
जल
चूँकि हमारे शरीर का 70% हिस्सा जल है इसलिए हम जल के महत्व को समझें, इसकी पवित्रता के लिए नए-नए उपाय जानें और इसके संरक्षण के लिए उपाय करें, क्योंकि हम जीव जल के बिना एक क्षण भी नहीं रह सकते, और इसकी पवित्रता और स्वच्छता से ही हमारे स्वास्थ्य की रक्षा हो सकती है।
चूँकि यह एक औद्योगिक युग भी है तो हम इस बात का विशेष ध्यान रखें की फैक्ट्री और औद्योगिक क्षेत्रों के प्रदूषित जल को हम नदी और तालाब में जाने से रोके, इसे हम अपनी जिम्मेदारी समझे,ताकि जल की स्वच्छता बनी रहे जो कि मानव के स्वस्थ जीवन के लिए अति आवश्यक है। नदियों और बहते हुए जल को हम संरक्षण देने के लिए उनके घाटों की सफाई और उसके चारों ओर वृक्षारोपण की व्यवस्था भी करें, ताकि मिटी का संरक्षण भी संभव हो सके।
बचाव और संरक्षण
जल के संरक्षण के लिए बारिश के जल को संरक्षण कर उसे पुनः प्रयोग में लाने के लिए लोगों को जागरूक करें। जल एक ऐसा ततव है, जिसके बिना मानव और जीव जंतु एक क्षण भी नहीं रह सकते। वनस्पतियां पेड़ पौधे भी जल के बिना नहीं रह सकते।इसलिए इस जल के हम दुरुपयोग करने से बचें। इसे फिर से रिसाइकल करके प्रयोग करने का प्रयास करें। इस दिशा में योजनाएं बनाएं और उस पर कार्य करें।
Single use प्लास्टिक के उपयोग को नकारें
Plastik के उपयोग से बचें, उसकी जगह हम पेपर या कपड़े के थैले का प्रयोग करें। इस तरह प्लास्टिक के उपयोग से अपने वातावरण को प्लास्टिक की थैलियों के प्रदूषण से बचा सकते हैं। इन थैली को वन्य जीव जंतु खाते हैं तो प्रदूषण फैलता है और जीव जंतुओं में नाना प्रकार की बीमारियां पैदा होती है।
स्वच्छता को प्राथमिकता दे
इन प्रकृति के संरक्षण के लिए हम अपने आसपास जिस तरह घर को स्वच्छ रखते हैं उसी तरह अपने मोहल्लों, गली, अपने पार्कऔर, अपने शहर को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी स्वयं समझे, और कचरे को यथा स्थान पर ही फेंक कर,प्रकृति के संरक्षण के लिए अपने कर्तव्य का पालन करें।
जंगल का महत्व
जंगल, वनों और वनस्पतियों से आच्छादित वह भूमि है, जिसमें नाना प्रकार के वृक्ष और जीव जंतु प्राकृतिक नियमों के अनुसार मिलजुल कर रहते हैं। ये जंगल पृथ्वी पर भूमियों के लगभग एक तिहाई हिस्से को कवर करते हैं, जो हमारे वायुमंडल की दूषित हवाओं का शोषण करते हैं। यह हमारे ध्वनि प्रदूषण को भी नियंत्रित करते हैं।
वन भूमि से प्रचुर मात्रा में वातावरण में ऑक्सीजन निकलती है इसलिए वन भूमि को बचाना अति आवश्यक है। वन का संरक्षण बाढ़ की आपदा से बचाने के लिए भी अति आवश्यक है।
हालांकि वन के माध्यम से भी हजारों तरह के रोजगार वर्तमान समय में लोगों को मिल रहे हैं फिर भी हमें इसके संरक्षण का ध्यान भी पूरी तरह से रखना है, क्योंकि आज भी लगभग 350 मिलियन लोग जंगलों के भीतर या उसके आसपास रहते हैं। पुनः पेड़ो को अधिक लगाना हम जारी रखें, ताकी आने वाली पीढी को इसके लाभ मिल सके।
यहां से कई जीवन रक्षक दवाओं के उत्पादन की जड़ी बूटियां भी हमें मिलती है। कोशिश यही की जाए कि जंगलों को बचाने के लिए वहां आसपास रहने वाले जन समुदाय को ही इसकी जिम्मेदारी दी जाए, ताकि उन्हें रोजगार भी मिले और वे अपनी जिम्मेदारी से इसका संरक्षण कर सकें।
मानव, और जीव जंतु कल्याण के लिए हम जंगलों की कटाई होने से बचाएं। हर हाल में वनस्पति पेड़ पौधों और जंगलों की रक्षा करें। वन संपदा की रक्षा से पृथ्वी का तापमान भी नियंत्रित होता है, और ऋतु चक्र भी स्वाभाविक गति से चलता है। अभी के माहौल में मौसम परिवर्तन का जो असंतुलन पैदा हुआ है, उस पर भी नियंत्रण करने के लिए जंगलों को बचाना आवश्यक है।
लोगों में जागरूकता को बढ़ाना बढ़ाने के लिए जंगलों में फैमिली वेकेशन के लिए भी व्यवस्था की जा सकती है। जंगल टेंट लगाकर, जंगल सफारी के द्वारा जंगलों के महत्व को लोगों में उजागर किया जा सकता है, क्योंकि जंगलों में समय बिताना, हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है।
Japan और korea जैसे देशों ने forest bath के रूप में, भी इन जंगल को संरक्षण दिया है। यहां पर लोग अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए जंगलों में जाते हैं और अपने आप में उर्जा भरते हैं। इसे संरक्षण को बहुत महत्व देते हैं।
वन हमारी आवश्यकताओं के अतिरिक्त मनोरंजन उत्साह और प्रेरणा के स्रोत भी हैं हर साल लगभग लाखों लोग जंगल में संरक्षित क्षेत्रों को खोजने, हाइकिंग जिपलाइनिंग, से लेकर माउंटेन बाइकिंग की रोमांचक क्रिया करते हैं, और प्रसन्न होते हैं।
भारतीय संस्कृति में वन का महत्व
हमारे पूर्वज लोग वन जाते, वहाँ वे खुशी और शांति महसूस करते। हमारे पूर्वज अपने जीवन में शांति और खुशी के लिए इन वनों में जाकर अपना समय व्यतीत करते थे। हमारे पूर्वज शिक्षा के लिए अपने बच्चों को वनों में ही भेजते थे, जहां गुरुकुल में उन्हें शिक्षा दी जाती थी। इसके अलावा वनों का संरक्षण लोग अपने जीवन की चौथे पन की बची उम्र को बिताने के लिए भी करते थे। वे अपने जीवन का अंतिम समय वनों में बिताकर ही आनंदित होते थे, वहां वे ध्यान, पूजा, साधना और वहाँ के सात्विक आहार द्वारा प्रकृति की गोद में, वृद्ध अवस्था में भी आनंद महसूस करते थे। युवा वस्था में वे शिकार आदि के द्वारा मनोरंजन करने वन को जाते।
पहाड़
हम पहाड़ों को भी टूटने से भी बचाएं। पहाड़ों से निकलने वाली नदियों को मार्ग प्रशष्ट करें।
मानव विनाशक हथियार के प्रयोग से बचें
पृथ्वी पर खुशहाली के लिए हम उन रसायनिक हथियारों के प्रयोग और अविष्कार से बचने का प्रयास करें, जो मानवता के लिए खतरे के सिवा और कुछ नहीं, इसकी जगह हम मानव के विकास के सूत्रों को खोजने में अपना समय, धन और ऊर्जा लगाएं।
खुशहाल जीवन की पहली शर्त यह है कि हम मानव और पर्यावरण का तालमेल न टूटे इन दोनों के जुड़ाव और महत्व को हम मानव समझे।
सूर्य की किरण
सूर्य की किरण का शरीर के निरोग रहने के लिए sun bath लें, चंद्रमा की रोशनी से अपने शरीर, मन अपनी आंखों की रोशनी को ऊर्जा दें। अग्नि तत्व के रूप में सूर्य हमें अग्नि देते हैं जिनकी किरण आज भी पवित्र है। इनको अपने शरीर पर प्रयोग कर स्वस्थ रहें, इसकी किरणों के द्वारा सौर ऊर्जा का निर्माण अधिक से अधिक करें, और इस सोलर पावर का आम जिंदगी में प्रयोग करें।
यह दिन इस बात को भी मानता है कि एक स्वस्थ पर्यावरण के लिए स्वच्छ वातावरण होना बहुत जरूरी है।
टिशु पेपर के प्रयोग से बचें
हम टिशू पेपर की जगह हाथ पौंछने के लिए टॉवल का प्रयोग करें। यह हमारे वृक्षों को कटने से बचाता है। हम पेपर के प्रयोग से भी बचने का प्रयास करें, इस इंटरनेट के युग में जितना अधिक हो सके हम डिजिटल जुड़कर पेपर के उपयोग से बच सकते हैं। जिससे पेड़ कटने से बच सकता है,जंगलों का संरक्षण हो सकता है
Oxygen फैलाती मातृ शक्ति गाय
गाय एक प्राकृतिक चमत्कारिक ऐसा जीव है जिसे हम मात् स्वरूप मानते हैं क्योंकि यह 24 घंटे ही ऑक्सीजन छोड़ती है और वातावरण के कार्बन डाइऑक्साइड को स्वयं ग्रहण करती है। इसलिए गौ की रक्षा करने के लिए हम नई नई योजनाएं बनाएं।इसके संरक्षण महत्व तब भी बहुत अधिक हो जाता है जब हम इस बात पर ध्यान देते हैं, यह शक्ति सिर्फ घास खाती है और बदले में गोबर दूध दही और अमृत्तुल्य पदार्थ हम मानव को प्रदान करती है। इस पर्यावरण के कल्याण के लिए गाय का गोबर भी गैस बनाने और खाद बनाने के काम आत्ता है, उसका भी संरक्षण करें ताकि आने वाली पीढ़ी भी इसका लाभ ले सके।
वायु मंडल की स्वछता
वायु की पवित्रता के लिए हम ऐसे किसी पदार्थ को जला कर वायु मंडल में प्रदूषण ना फैलने दें,जो पर्यावरण को दूषित करें। हम प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का भी प्रयोग बंद करें और ज्यादा से ज्यादा साइकल और इलेक्ट्रिकल वाहन जो वर्तमान में नया अविष्कार है, उसका प्रयोग करने की कोशिश करें।
आहार और विहार द्वारा पर्यवरन की रक्षा
हम ऋतु के अनुसार प्रकृति द्वारा दिए गए पदार्थों का ही सेवन करने की आदत डालें ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति के सभी तत्व अत्यंत सक्रिय और पवित्र होते हैं। उस समय हम प्रातः काल हम सब जल्दी उठकर इन प्रकृतिक की ब्रह्म बेला में प्रकृति के बीच समय गुजारने के लिए अपने निकट के पार्क जाएँ, इन पार्क को खूब सजाएं। वहां पेड़ पौधे लगाएं और इसे प्राकृतिक खूबसूरती देकर, यहां समय व्यतीत करने के लिए अपने स्वास्थ्य के लिए सारे प्रबंध करें। इससे पर्यावरण की भी रक्षा होगी, वृक्ष अधिक से अधिक लगेंगे,वातावरण में ऑक्सीजन का प्रभाव बड़ेगा और लोगों में प्रकृति के संरक्षण के प्रति उत्साह भी जगेगा।
मानव और प्रकृति संरक्षण
प्रकृति के यह सब तत्व हम मानव और जीव जंतु वनस्पतियों को पवित्र करते हैं,तेज प्रदान करते हैं, बुद्धि प्रदान करते हैं, शक्ति और गति प्रदान करते हैं। उनकी पवित्रता और संरक्षण पर हमें ध्यान देना चाहिए। हमें उन सब वस्तुओं के उपयोग से बचना चाहिए जो इनकी कार्य गति में व्यवधान डालते हों।
प्रकृति संरक्षण
चूंकि परिवर्तन संसार का नियम है इन नियमों को स्वीकार करते हुए प्रकृति के नियम को नजरअंदाज ना करें, प्रकृति के नियम को न तोड़े। प्रकृति के संरक्षण को हम माता पिता के तुल्य समझ, इसकी रक्षा का दायित्व ले तभी हम खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकेंगे और आने वाली पीढ़ी के लिए भी इस प्रकृति के व्यापक सुंदर स्वरूप को उनकी अमानत और अपनी जिम्मेदारी स्वरूप देकर खुशी ख़ुशी जा सकेंगे।
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