The legend of hanuman aur khushiyan hi khushiyan
हनुमान – एक ऐसी शक्ति (The legend of hanuman), एक ऐसी परम सत्ता का नाम है, जिनके जीवन में संकट तो काफी आए कुछ अपने आप आए तो कुछ दूसरों ने जानबूझकर खड़े किए, लेकिन इनमें से कोई भी संकट हनुमान जी को आगे बढ़ने से रोक नहीं सके, इसलिए भारतीय इतिहास में वे पूज्यनीय बने। हनुमान एक ऐसे नायक हैं,जो संकटमोचन कहे गये,यहां तक भगवान श्री राम के संकटमोचन भी वे स्वयं बने।
बाल समय में ही इन्होंने सूर्य जो कि प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है,निगल लिया, जिसका अभिप्राय है इन्होंने ज्ञान को ग्रहण किया और ज्ञानियों में अग्रगण्य कहलाए।
यह एक ऐसे नायक हुए जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी असफलता का मुंह नहीं देखा। एक ऐसे नायक जो आरंभ से लेकर अंत तक समुद्र की तरह शांत और गंभीर, रहे। उनका क्रोध,भी उनकी शक्ति को बढ़ाने वाला हुआ, सृजन करने वाला हुआ।
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जीवन से शिक्षा | The legend of hanuman
हनुमान के जीवन को देखकर यही शिक्षा मिलती है,हमें हर काम विशेष कर चुनौती भरे काम को एक ईश्वरीय आदेश मानकर ही स्वीकार करना चाहिए।ईश्वर जब भी इस तरह के कठिन आदेश देता है हमारे हाथों में पहले से ही उन कामों को पूरा करने के औजार भी थमा चुका होता है,हमारी दिव्य दृष्टि उसे देख नहीं पाती। यह पात्रता हनुमान जी के जीवन में दिखाई देती है।
हनुमान जी का बड़े बुजुर्गों के प्रति शीश नवाना,उनका आशीर्वाद लेना। हनुमान जी किसी भी काम को सफलतापूर्वक अंजाम देने से पहले सब के आशीर्वाद की शक्ति को अपने साथ रखना चाहते हैं।वह इसे भावनात्मक और मानसिक शांति ,और सफलता का महत्व मानते है,जो की सीखने योग्य बात है।
Hanuman chalisa..
हनुमान जीके गुणों को कहां तक बखान करें क्योंकि उनके चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता उनका शक्तिमान, बुद्धिमान, गुणों के निधान श्री राम का प्रेमी होना है।उनका ज्ञान के साथ-साथ गुणों का सागर होना और उनके सारे गुण, उनके चरित्र ,आदि सभी विशेषता हनुमान चालीसा में उपलब्ध है, जो कि हमें जीवन में प्रेरणा,उत्साह,सफलता,दिलाने में अद्भुत, सुपर मंत्र और तंत्र भी है,ताबीज भी है,उनका आशीर्वाद भी है।
उनकी कार्यों के प्रति लग्न और आस्था, उनकी सफलता का विश्वास,अभूतपूर्व है।वे दूरदर्शी होने के साथ-साथ,उनमें लोगों से जुड़ने का हुनर भी दिव्य दिखाई देता है। पहली बार विभीषण से मिलते ही उन्हें सखा कहते हैं,उनके दोस्त बन जाते हैं,और घनिष्ठता बढ़ाने के लिए बाद में इस रिश्ते को वे सखा से भ्राता में तब्दील करने में समय नहीं लगाते।उन्होंने माता सीता को ९ बार या बार बार माता का संबोधन कर माँ बना लिया।
वे भले ही गृहस्थ नहीं है, फिर भी दुनियादारी की समझ उनमें सुग्रीव और विभीषण से कहीं ज्यादा दिखाई देती है। किसी एक व्यक्ति से दोस्ती करने का मतलब केवल उस एक व्यक्ति के साथ ही दोस्ती करना नहीं रह जाता, बल्कि उस दोस्त की पूरी दुनिया के साथ दोस्ती करना हो जाता है।
आगे काम फिर विश्राम
हनुमान जी का बल उनके सुंदर कर्म ,उनके सुंदर मर्म, उनका कल्याणकारी रूप, जीवन के उल्लास का रंग,महानता का विज्ञान, काम करते हुए विश्राम नहीं, यह सब दिव्य गुण उनके चरित्र में देखने में आता है। उनके जीवन से एक शिक्षा और भी मिलती है,वे काम करते वक्त रुकते नहीं, परंतु काम की पूर्णता के लिए,झुक जरूर जाते हैं,और झुक कर भी आगे बढ़ने का ही प्रयास करते हैं।उनमें कृतज्ञता का भाव भी कूट-कूट कर भरा दिखाई देता है।
सिर्फ राम की आस और कर्म में विश्वास।
जीवन में विशेष कुछ पात्रता प्राप्त करने के बाद भी हनुमानजी ने यह दिखाया कि यह केवल चमत्कारिक शक्तियों के हाथ की बात है।उन्होंने कभी किसी बात का श्रेय अपने ऊपर नहीं लिया, सदैव अपने मालिक श्रीराम पर डाला।उन्हें न नाम की चाह,न उन्हें इनाम की परवाह, उन्हें तो सिर्फ अपने काम पर भरोसा,इसलिए हमारे हनुमान बड़े दिव्य भक्त हुए।
राम कथा का प्रेम
हनुमान जी ने प्रभु की लीला पूर्ण होने के बाद भी साकेत जाना मंजूर नहीं किया क्योंकि ,वहाँ सारे सुख हैं ,रघुनाथजी भी है, किंतु वहां भगवान की कथा नहीं ।
हनुमान ने जिन जिन को कथा सुनाई, जिन जिन से मिले,उन सबको प्रभु श्री राम जरूर मिले ,और सबको उन्होंने प्रभु तक पहुंचाया जो उनके जीवन को खुशियों से भरा ।
हनुमान जी प्रभु का कार्य करके कभी गर्वित नहीं हुए,जबकि वे बहुत खुश हुए कि मैं प्रभु के कुछ काम आ सका।
हनुमान जी महाराज अतुलबल के स्वामी हैं, जिन्होंने बाएं हाथ से संजीवनी बूटी के लिए पहाड़ उठा कर लक्ष्मन के प्राण बचाये।
सीता का पता लगाने के लिए या यूं कहें जीवन में लक्ष्मी की प्राप्ति करने के लिए हनुमान का साथ जीवन यात्रा में होना बहुत जरूरी है।
हनुमान जी परम संत हैं, उन्होंने सदैव अपने आप को छिपाया, क्योंकि सच्चे संत और भगवान सदैव अपने आप को छिपाने की कोशिश करते हैं।
हनुमान जी पहले ऐसे कथावाचक हुए जिन्होंने विदेश,यानी श्रीलंका में जाकर सबसे पहले मां सीता को कथा सुनाए, बाय एयर, यानी उड़कर गए।
हमारे प्रभु हर उस स्थान पर पहुंचे, जहां हनुमान रूपी किसी संत ने कभी कथा कही या सुनाई।
हनुमानजी के भक्तों की जब हम बढ़ाई करते हैं,तब उनमें एक ताकत महसूस होती है।
हनुमान जी सृष्टि में सर्वप्रथम ऐसे देव हुए जो सूर्य तक पहुंच सके ,बाय एयर।
हनुमान जी ही सिर्फ एक ऐसी शक्ति है,जो प्रभु के दरबार तक पहुंचाने का साहस रखते हैं।
हनुमान की सेवा करने वालों में यह देखा जाता है कि अपने भक्तों को बचाने के लिए, उन्हें संकट से छुड़ाने के लिए स्वयं पहुंचते हैं ,बाकी देवी – देवता तो वाहन का इंतजार करते हैं, क्योंकि वे वाहन बिना नहीं चल सकते ,ये उडकर तुरंत पहुंच जाते हैं।
कुल मिलाकर प्रभु नाम के प्रेमी भक्तों में यह हनुमान जी का अवतार बड़ा ही दिव्य है,जो हमें यह संदेश दे रहा है कि जीवन में प्रभु के नाम में ही सच्ची खुशी और सफलता है। उनके जीवन को देखते हुए ऐसा समझ आता है की जो प्रभु के नाम को लेते हैं वे दर असल में हनुमान ही है,और उन्हें अपने प्रभु के सिवा और किसी की भक्ति और शक्ति में विश्वास नहीं होता। प्रभु का नाम जपना और उनकी कथा में प्रेम होना ये दोनों दिव्य गुण जिसमें दिखाई दे वे हनुमान के साक्षात स्वरूप हैं। उनमें नाम जप के प्रभाव और कथा श्रवण के प्रभाव से आज भी अतुलित बल,शक्ति ,सामर्थ,समृद्धि सफलता और खुशियां दिखाई देतीहै।
Goodness of God:
Thank god for this blog on hanuman
जय श्री कृष्ण
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