पत्नी का महत्व | कैसे खुशियां मिले अगर आप पत्नी हैं? | How to be happy if you are wife?
पत्नी का महत्व सफल गृहिणी, और माता बनने में है ,यह बात सदैव ध्यान रखें बाकी तो वर्तमान युग में स्त्रियों को घर से बाहर निकल कर कार्य करते हुए भी देखा जाता है। किंतु इसे जरूरत या शौक से जोड़ कर ही किया जाए तो अच्छा है।
धर्मपत्नी अपने पति को ही परमेश्वर, परम गुरु, पूज्यनीय ,समझ कर उनकी तन, मन, धन से सच्चे हृदय से हर तरह से सेवा करें जो आप दोनों के जीवन को खुशियों से भर देगा ।पति के साथ नम्रता का ,विनय भरा मधुर व्यवहार करें।
पति की सदैव सेवा के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें, उन्हें कभी प्रतीक्षा ना करना पड़े और पति की सेवा कर अपना सदैव सौभाग्य माने।
पत्नी का प्रथम कर्तव्य है पति परायण होकर पति की आज्ञा पालन करते हुए उसका आदर करना, उसकी बातों को मूल्य देना ,और यदि पति, पथ विमुख हो गया हो तो उसे सही रास्ते पर लाने के लिए भरसक प्रयास करना उसके मनोबल को ऊंचा उठाना उसकी शक्तियों को बढ़ाने के लिए प्रयास करना आदि।
अपने पति को महान महसूस कराने के के लिए बहुत ही कम मेहनत करने की आवश्यकता है ।केवल आपकी एक मुस्कुराहट और प्रसंशा के दो शब्द उनको ऊर्जा से भर देते है।सदा सजधज कर रहें यह आप दोनों को प्रसन्नता देगा।
पत्नी को इस बात को भी समझने की जरूरत है उसकी खुशी के लिए उसके पास एक खुशी और प्रसन्नता से भरा पति भी होना अति आवश्यक है।
अपने पति में विश्वास रखें उन्हें हर तरह से सक्षम महसूस कराएं, ताकतवर महसूस कराएं ,निरंतर उनको प्रसन्नता दें ,और वह क्या चाहते हैं उसे समझने की कोशिश करें और उस पर अमल करें ।इससे आप दोनों के रिश्ते में और निखार आएगा आप दोनों को खुशी महसूस होगी।
आप जो चाहती हैं जो आपके मन की बातें हैं वह खुलकर अपने पति से बताएं और हमेशा यह ध्यान रखें कि आपका पति कोई जिन्न नहीं जो आपके मन की बात स्वताः ही समझ जाएगा इसलिए उन्हें सब बातें खुल कर बताएं। बिना बताए समझने की शक्ति जिसे हम सिक्सथ सेंस भी कहते हैं यह आप में होता है पुरुषों में नहीं होता।
पति को दिन भर की थकान के बाद रात्रि के समय ऑफिस से आने के बाद अपनी शिकायतों का पिटारा कभी ना खोलें इससे आपका सम्मान उनकी नजर में और बढ़ेगा।
पति पर कभी गुस्सा ना दिखाएं न चीलाएं जो कि आपको भी प्रसन्न रखेगा और उन्हें भी प्रसन रखेगा ।
कोई भी समस्या हो तो उसके समाधान
पर उनके साथ संवाद के द्वारा चर्चा करें इस दौरान यह याद रखें दोनों एक दूसरे के मतों और विचारों का आदर करें फिर किसी निर्णय पर पहुंचे तो यह आप दोनों को बहुत ही प्रसन्नता भी देगा और खुशियां भी है। पति यदि किसी चिंता में दिखाई दे, तो उनकी चिंता को खोजें, और उन्हें बार-बार आत्मविश्वास दें ,उनका आत्म बल बढ़ाएं ,और समाधान के रास्ता दिखाएं।
आपके पति यदि खाने के शौकीन है उनके मनपसंद खाने के द्वारा पेट के रास्ते से उनके हृदय में प्रवेश कर सकते हैं जो आप दोनों को प्रसन्नता देगा।
अपने पति से जुड़े सभी रिश्ते जैसे सास ससुर, देवर भाभी ,जेठ जेठानी, ननंद नंदोई ,उनके मित्र सभी रिश्तो का मान करें और भूल कर भी अपने पति के सामने कभी उनकी निंदा ना करें अपमान ना करें यह आप दोनों के रिश्ते को बहुत ही उच्चतम स्थिति में ले जाता है। पति यदि नहीं चाहते हो तो उनके सामने अपने माता पिता और अपने परिवार नहर वालों की पीहर वालों की प्रशंसा ना करें। पति के मित्रों और प्रतिनिधियों का पति के मत अनुसार ही स्वागत सत्कार करें।
किसी भी हाल में आप दोनों की प्रसन्नता के लिए अपने पति से दूर रहने को तैयार ना हो। हर परिस्थिति में उनके साथ रहना ही स्वीकार करें।
पति की सेवा को ही अपना स्वभाव बनाएं पति ही सर्वोच्च गुरु है बाहर किसी को गुरु बनाने ना जाए।
पति के आदेश , संपत्ति को ध्यान में रखकर सदैव निर्णय लें।
यदि उनसे जाने अनजाने में कोई भूल हो भी जाए तो बिना शोभ के शांत भाव से उसे सहन कर ले।
पति को अधिक से अधिक धार्मिक कार्यों में प्रवृत्त करें और उत्साहित करें और उनके सेवा धर्म में कभी विघ्न ना डालें इससे उनका मनोबल, उत्साह प्रसन्नता ,बढ़ेगी और आपके प्रति भी उनके मन में मान बढ़ेगा जो आप दोनों को प्रसन्नता देगा।
धन्यवाद
जय श्री कृष्ण