प्यार क्या होता है। | कैसे जानें आपको प्यार हो गया है? | How to know you have fallen in love in hindi
प्यार का मतलब परवाह करना भी होता है। प्यार का मतलब चिंता भी हो सकता है। व्यक्ति जिसे प्यार करता है, उसकी वह चिंता करता है। उसके सुख और दुख के बारे में सोच कर अपने निर्णय लेता है।
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प्यार चुंबक की तरह।
इस ब्रह्मांड में हर वस्तु के परमाणु आपस में आकर्षक शक्ति के बल पर एक दूसरे से जुड़े हैं। इस सृष्टि में मनुष्य के मन के मध्य भी इसी प्रकार का आकर्षण और प्रतिकर्षण बल कार्य करता है।जिसकी भावना के कारण यह मन चुंबक की तरह अन्य व्यक्ति के मन की और आकर्षित होता है, खींच लेता है, जिसे हम प्यार कहते हैं।
प्यार का मतलब परवाह करना।
प्यार का मतलब त्याग भी।
प्यार करने वाला अपनी किसी भी वस्तु को उस व्यक्ति के लिए छोड़ने को तुरंत तैयार हो जाता है, जिसे वो सच्चा प्यार करता है। प्यार करने वाले व्यक्ति के प्रति कोई भूल हो जाए ,या कोई अपराध बन जाता है, तो वे माफी मांग कर अपने प्यार को तुरंत बचा लेता है।
प्यार का मतलब आदत भी
प्यार आमतौर पर एक आदत भी होती है और यह आदत जितनी गहरी और पुरानी होती है उतनी ही मजबूत होती जाती है। किसी के साथ घूमना,फिरना, बातें करना हमें इतना अच्छा लगने लगता है की हमें उसकी आदत पड़ जाती है।उसे देखकर सुकून महसूस करना ,इसे भी प्यार कहते हैं। उसे छूना,उसकी देखभाल करना,भी प्यार कहलाता है। यह आदत बार बार किसी के संग रहने से होती है।
प्यार ,सच्ची खुशी का स्रोत।
खुशी प्यार को देने और लेने के संबंधों से पैदा होती है ,वह खुशी उस व्यक्ति के प्रति हमारा स्नेह होता है। हम लोग उसके जीवन की खुशहाली की प्रार्थना भगवान से मन ही मन करते हैं।
प्यार या स्नेह बढ़ने के परिणाम।
इसके बढ़ने से जिन 2 प्राणियों के अंतरंग में यह बढ़ता है ,वे दोनों प्राणी एक दूसरे को देख कर खुश होते हैं ,उनमें आनंद की लहरें दौड़ने लगती है। एक दूसरे के देखते ही एक दूसरे के प्रति परोपकार और प्यार की भावना से वे भर जाते हैं। एक दूसरे के प्रति जाने- अनजाने में हुई गलतियों को क्षमा करने या भूलने का गुण उनमें होता है वे एक दूसरे का किसी भी स्थिति में कल्याण ही चाहते हैं। एक दूसरे के प्रति मुस्कान की किरणें, अच्छी सोच ,अच्छी भावनाओं के विचार, मन से भेजते हैं, जो दोनों को खुशियां देते हैं।
खुशी देने में है ,लेने में नहीं
जब प्यार बढ़ता है तो सिर्फ देने की भावना ही जन्मती है। उसका सामने वाले से लेने की भावना, या कोई स्वार्थ सिद्ध करने की भावना उनमें नहीं होती, सच्चा प्यार सिर्फ देने पर ही भरोसा करता है, कायम रहता है। यहां किसी तरह का स्वार्थ पूर्ति करने का कोई लक्ष्य नहीं रहता। दोनों व्यक्ति एक दूसरे को देख कर ही प्रसन्नता का अनुभव करते हैं
प्यार की नौका पर खुशी की यात्रा
प्यार एक ऐसी अद्भुत शक्ति है जिससे हर व्यक्ति हमारे लिए खड़ा होने के लिए तैयार हो जाता है।आदमी कभी किसी बात के लिए ना नहीं कर पाता।प्यार एक बंधन है, जो व्यक्ति को हमारे अनुकूल बना कर असंभव कार्य को भी उसके द्वारा करने पर मजबूर दिखाई देता है।प्यार एक जादू की तरह व्यक्ति के मन को मोहित करता है और उस से वशीभूत हुआ व्यक्ति मन ही मन प्रसन्न होकर उसके कार्य को करने के लिए मजबूर हो जाता है।
स्नेह और प्यार की भावना से ही खुलते हैं उन्नति और सुख के द्वार
यह भावना जब विस्तार होने लगती है तो अनेक तरह की चुनौतियों का हल स्वयं ही निकल आता है।जहां स्नेह होता है, वहां मानव की उन्नति और खुशहाली का हर द्वार खुलने लगता है।
प्रत्येक व्यक्ति,वस्तु, के चारों ओर हमारी भावनाओं और तत्वों का आभामंडल फैलता है। हर मानव अपने मन के जरिए शुभ और अशुभ अनेक तरह की भावना ब्रह्मांड को भेजता है,जो उसके पास उस तरह खुशी के रूप में लौट कर आती है।इसलिए हम उस प्यार की लहर या फिर कंपन अपने अंदर पैदा करें और उसे ही वातावरण में फैलाएं, जिसमे प्यार भरा हो।परिस्थिति चाहे कैसी भी हो अगर हम अपने इर्द-गिर्द प्यार की भावना फैलाते हैं ,तो हमें सुख ,शांति, संपन्नता, समृद्धि ,और आनंद स्वयं ही मिलने लगता है। सुख और शांति की अनुभूति होती है।
प्यार की भावना के लिए जरूरी है मुस्कुराहट।
एक व्यक्ति जब प्रसन्न होता है, मुस्कुराता है, तो उसके चारों तरफ खुशी की लहर चलती है। सामने वाला व्यक्ति भी हंसने और मुस्कुराने को मजबूर हो जाता है ।दोनों व्यक्ति मानसिक रूप से संतुष्ट होते हैं,प्रसनचित होते हैं, और ब्रह्मांड में खुशियों की ऊर्जा फैलने लगती है। किसी भी तरह प्रयास करके मुस्कुराहट रूपी आभूषण को अपने चेहरे पर बनाकर रखें।
हमारे सद्गुणों और योग्यता से प्यार करता मानव।
सबके प्यार को प्राप्त करने के लिए अपने अंदर निरंतर नए-नए सद्गुणों को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि प्रत्येक मानव सदगुण की तरफ ही आकर्षित होता है, सद्गुणों की वजह से ही हमसे प्यार करता है।
सत्कर्म से भी मिलता है प्यार
प्यार पाने के लिए हमें अपने कर्मों की तरफ ध्यान देना चाहिए ।क्योंकि जैसे हम कर्म करते हैं, सृष्टि उसी के अनुसार हमें फल देती है। हमें निरंतर अच्छे कर्मों को करना चाहिए, क्योंकि सत्कर्मों को सभी मानव पसंद करते हैं, और जब सामने वाला व्यक्ति हमें यह सब काम करते हुए देखता है ,तो वह हमसे प्यार करता है।
परमात्मा और मनुष्य में समानता
इस सृष्टि में हम परमात्मा के अंश हैं और परमात्मा हमारा हमें प्यार देता है और हम से प्यार की ही अपेक्षा रखता है यह बात इस चीज को सिद्ध करती है की पूरी सृष्टि प्यार को ही पाना चाहती है, प्यार की ओर ही आकर्षित होती है, प्यार के लिए ही समर्पण करती है, और जब यह सब होने लगता है तब चारों तरफ खुशियां ही खुशियां स्वता ही फैलने लगती है।
कुल मिलाकर प्यार
कुल मिलाकर प्यार का अर्थ है मांग और प्यार करने वाला कभी अपनी मांग नहीं रखता। प्यार वह अवस्था है जब न चाह होती है,न कोई मांग होती है, इन सबसे परे बस प्यार ही प्यार होता है, तभी तो प्रेम का कोई पर्यायवाची शब्द अब अप्यार नहीं बना।
जय श्री कृष्ण।।
धन्यवाद।।