औरा क्या होता है | what happens aura
अपने शरीर तत्व को शुद्ध करके तेज बढ़ाने, की क्रिया को हम आभा बढ़ाना या औरा बढ़ना कहते हैं। इस औरा को बढ़ाने के लिए शुद्धता को बढ़ाना पड़ता है, जिसे हम विभिन्न माध्यमों से बढ़ाते हैं। इससे हमारी ऊर्जा शक्ति ,और तेज बढ़ जाता है, जिसे हम औरा का बढ़ना कहते हैं। इस शुद्धिकरण की क्रिया के लिए हम अग्नि, जल, वायु ,भूमि ,और विभिन्न तरह के पौधे और वनस्पति तथा वैदिक मंत्र का प्रयोग करते हैं, जिससे ,हमारा आभामंडल बढ़ जाता है।
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इस आभामंडल को हम एक तरह की तरंग भी कह सकते हैं, जो प्रत्येक प्राणी के अंदर से, या प्रत्येक जीव या निर्जीव सभी से निकलती है। इन तरंगों के प्रभाव से ,वह जीव कई बार हमें अच्छे लगने लगते हैं, और कई बार आभा उस मनुष्य की निम्न होने से हम उससे दूर होने की कोशिश करते हैं । इन तरंगों के द्वारा हम एक दूसरे को ऊर्जा भेजते हैं और अच्छी ऊर्जा अगर हम दोनों में है तो हम कहेंगे की उनका आभामंडल भी हमारे आभामंडल से मैच कर रहा है। उनके साथ हमको अच्छा या खराब लगना उनकी आभा को दर्शाता है।
यह औरा हमारे आसपास एक प्रकाश की तरह होता है ,जो हमारे शरीर से निकलता रहता है या यूं कहें यह हमारे शरीर में बंद एक तेज है जिससे हम अपने आसपास के लोगों को प्रभावित करते हैं इसे हम मोमबत्ती की रोशनी की तरह भी समझ सकते हैं ,जैसे एक मोमबत्ती जलती है, तो वह चारों तरफ प्रकाश करती है ,और उससे सब तरफ रोशनी ही रोशनी फैलती है उसी तरह हम सभी इंसान का एक आभामंडल होता है इसे हम औरा या एनर्जी भी कह सकते हैं।
क्या है समझें | what happens aura
यह आभा मंडल हमारे कपड़े पर लगे दाग की तरह होता है।जैसे कपड़े पर दाग लगने से हम उसे उतारने का प्रयास करते हैं ,उसी तरह हम सब आत्मा हैं, जो इस शरीर को धारण किए हुए हैं। इस आत्मा पर किस तरह का सोच या विचार, हम रखते हैं , वैसा ही यह हमारे आभा मंडल पर प्रभाव डालता है, जिससे हमारा शरीर का आकर्षित होना या निरुत्साहित दिखाई देने लगता है।हमारे विचार या सोच से हमारा आभा मंडल प्रभावित करता है। हम क्या सोचते हैं, हमारी सोच और भावना के अनुसार हमारा और बढ़ता या घटता है। इस दाग को या विचार को साफ करने की जिम्मेदारी हमारी स्वयं की होती है,क्यों की हम दूसरे इंसान की सोच नही बदल सकते।
कैसा होता है
यदि हमारा आभा मंडल बढ़ता है तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम कितना लोगों को प्रभावित कर पाते हैं ।इस औरा का एक कलर भी होता है या तो वाइट या ब्लैक । इसे हम ऐसे समझ सकते हैं जैसे हमारे अदृश्य शक्ति ईश्वर या भगवान या अल्लाह उनके पीछे एक सर्कल जैसा रहता है और उसमें से एक तरह का तेज निकलता रहता है ,प्रकाश निकलते रहता है ,जो पूरे क्षेत्र को प्रभावित करता है। इसी तरह हम मनुष्य से भी एक तेज निकलता है ।इस तेज को हम आभा मंडल या औरा या एनर्जी कह सकते हैं।
कुछ मनुष्य में आभामंडल बहुत ही तेज होता है जो उनके आने के पहले ही उस क्षेत्र को ऐसा महसूस कराता है जैसे कि यहां कोई ऐसी शक्ति पधारने वाली है ऐसा हम देखते हैं।बच्चे को उसके माता-पिता के पास आने से उनका आभामंडल पहले से ही आभास कर देता है।
पांच तत्वों से जल, आग, पृथ्वी और आकाश और भूमि तत्व से बना हमारा शरीर जो बाहर भी इन्ही तत्वों से घिरा है और हमारे अंदर भी यही तत्व मौजूद है।इन के सामने होकर या इनके संग रहकर औरा को क्लीन किया जाता है।
जल द्वारा
जब हम नहाने जाते हैं, तो हमारा मूड तुरंत ही अच्छा हो जाता है।नहाने के दौरान हम जल के द्वारा अपनी औरा या आभा को क्लीन करते हैं।
हवा द्वारा
हम कहीं खुली हवा में जाते हैं तो भी हमारा मूड बदल जाता है और हम अपने आभामंडल को प्रभावित करते हैं अपने मूड को चेंज कर पाते हैं।
अग्नि द्वारा
इसी तरह हम घर में जब आरती या अदृश्य शक्तियों के सामने कोई प्रकाश जलाकर घुमा रहे होते हैं या आरती कर रहे होते हैं उस समय भी हम अपने शरीर को फायर बाथ दे रहे होते हैं।इस अग्नि तत्व से हम अपनी ऊर्जा को क्लीन कर आभा को बढ़ा रहे होते हैं, उसको क्लीन कर रहे होते हैं और इससे हम खुशी का अनुभव करते हैं।
धरती द्वारा
इसी तरह हम अपने आभामंडल को प्रात कालीन भ्रमण के द्वारा या प्रकृति के बीच भ्रमण के दौरान नंगे पांव घास पर चलकर हम धरती की ऊर्जा तत्व को शरीर में भरते हैं ,और आभा को बढ़ा पाते हैं।
सूर्य की किरण और हवा से
आकाश के नीचे खुले में जब हम अपने शरीर को कुछ देर रखते हैं तब भी उन तत्वों के साथ जुड़कर सूर्य और वायु तत्व सेअपने मूड को प्रभावित करते हैं ,और खुशी का अनुभव करते हैं, और खुश रहते हैं।
ध्यान क्रिया
इसी तरह हम अपने शरीर और मन मस्तिष्क को मेडिटेशन के द्वारा भी अदृश्य शक्तियों से जोड़ अपने आभामंडल को प्रभावित करते हैं और हम अपने अंदर के तेज को जगा पाते हैं और खुशी महसूस करते हैं।
इसी तरह हमअपने इष्ट देव के जाप को करके अदृश्य शक्तियों को अपने जीवन में स्थान देते हैं ,उनके नाम का जप , सुमिरन या उन्हें याद कर भी हम अपने अंदर की ऊर्जा को बढ़ाते हैं ,अपने आभा को बढ़ा हुआ महसूस करते हैं ,और खुशी महसूस करते हैं। इस तरह हम देखते हैं ,जब हम किसी के बारे में किसी तरह का कुछ गलत सोचते हैं तो हमारा मन उसी क्षण निम्न ऊर्जा को महसूस करता है तो यहां यह बात इसलिए बता रहा हूं कि, हमारी सोच और विचार जिस शक्तियों के साथ जुड़ते हैं, उसी तरह का हमारा आभामंडल बन जाता है।
दुआओं द्वारा
इसी तरह अपने आभामंडल को बढ़ाने के लिए ब्लेसिंग्स देना भी या किसी के बारे में अच्छा सोच ना भी बहुत प्रभाव कारी होता है। ऐसा करना शायद बहुत ही मुश्किल होता है ,किंतु इसे हम अपने आदत बनाकर, धीरे धीरे अपने आप आप को बदल कर प्रभावित कर सकते हैं, इसमें सुधार कर सकते हैं।जैसे अगर हमें कोई चीज चाहिए तो हम इंसान को ब्लेसिंग्स दें उनके बारे में अच्छा सोचें तो वह चीज निश्चित ही हमें मिल भी जाएगी और हम अपने आभा को भी सिर्फ अच्छा सोच कर ही बढ़ा हुआ पाएंगे ,खुद को ऊर्जावान महसूस करेंगे जो हमें खुशीदेगा ।हमारे सर्कल को ब्लैक से व्हाइट कर देगा हम आकर्षक नजर आएंगे और जो भी हमसे मिलेंगे वो भी प्रभावित होंगे, हमसे बार बार मिलना चाहेंगे।
अच्छे संग से
हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार हम अपने औरा को अच्छे संग के द्वारा भी परिवर्तित करने की हम प्रेरणा पाते हैं ।
प्राणायाम द्वारा
प्राणायाम और ओंकार का उच्चारण भी हमारे आभा मंडल को पवित्र करने में काफी लाभदायक देखा जाता है।
इस तरह कुल मिलाकर हम अपने औरा को सभी सकारात्मक शक्तियों द्वारा जोड़ें और खुश रहें।
Thank you
जय श्री कृष्ण