खुशी को मुक्त करने की कुंजी: माफी
माफी मांगना क्या है
जानबूझकर या अनजाने में जब कुछ ऐसा हो जाता है जिसका एहसास कुछ पलों के गुजरने के के बाद हमें होता है तब हम उस भूल के लिए अपनी गलती को महसूस कर उसके लिए माफी मांगते हैं तो उसे हम माफी मांगना कहते हैं।
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माफी मांगना क्यों जरूरी है
अगर हम किसी को माफ नहीं करते तो परिणाम स्वरूप उसकी तकलीफ हमको स्वयं को उठानी होती है। हमारा अपने मन भी अपने आप में विचलित रहने लगता है जिससे हमको स्वयं को ही कष्ट उठाना पड़ता है।इसलिए माफी खुशी को मुक्त करने की कुंजी है।
किसी का हमारे साथ बुरा करने पर उसे माफ ना करना हमारे दुख को एक लंबे रास्ते पर ले जाता है,और इस रास्ते पर सिर्फ नकारात्मक विचार घूमते हैं,जो हमको सिर्फ कमजोर, उलझा हुआ,और निराशा की ओर ढकेलता महसूस कराते हैं।

जितना अधिक इस स्थिति के दौरान हम अपने मन में किसी से द्वेष करते हैं या किसी अघटित घटना का चिंतन करते हैं उतना ही हम उसके अनुसार बनते जाते हैं।जिसका हमें पता भी नहीं चलता,क्योंकि हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं।
और इस दौरान क्रोध करने से हमारे ही शरीर का तापमान बढ़ता है, स्वास्थ्य भी बिगड़ता चला जाता है।,हम लाल पीले होने लगते हैं और इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है।इसी तरह किसी को माफ न करने पर हर समय हम उसी का चिंतन करते हैं जिससे हमारे तन मन पर प्रभाव आता है और इससे हमारी खुशियां भी कम होती जाती है।

माफ न करने का अर्थ होता है अपने दुख के लिए किसी को दोष देना जो निश्चित रूप से हमें हमारी खुशियों से दूर करता है और यदि उसे हम भुला देते हैं माफ कर देते हैं तो हम अपनी खुशी की आजादी को महसूस करने लगते हैं। इस तरह माफ़ कर हम अपने जीवन को बदलने की 100% जिम्मेदारी स्वयं लेते हैं जिससे हमें शांति और खुशी मिलती है।
माफ ना करने से हम अपनी ख़ुशी और सफलता को भी टलते जाते हैं
माफ करने की कुछ आसान तरीके आपके समक्ष रख रहा हूँ।
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अपनी गलतियों की माफी कैसे मांगे

रात्रि को सोने जाने से पूर्व चेतन अवस्था में दिन भर के गुस्से और भावनात्मक भाव को जाने दे।हर रात को एक नए दिन के आरंभ के रूप में देखें सोने से पहले 10 बार मैं तुम्हें माफ करता हूं,इस बात को बोले और अपनी भलाई और सफलता के लिए इस कहने के नियम को आसानी से 21 दिन तक पालन करें। हम अपनी खुशी को आसानी से आजाद कर सकते हैं।
अगर हम माफ नहीं कर सकते तो उस बात को भूलने का प्रयास करें क्योंकि समय हमारे सारे घाव को भर देता है और हम स्वस्थ महसूस करने लगते हैं।

माफ करने के लिए उसके प्रति एक पत्र लिखें जिसमें उन्हें साफ-साफ बताएं जो तकलीफ उनसे हुई और अंत में इस पत्र को उठाकर ईश्वर के चरणों में रख दें।उसके बाद 21 दिनों के बाद उस पत्र को जला दें और उसकी राख को बिखेर दें इससे हम सदा के लिए उसे माफ कर देते हैं
जिन लोगों से हमें शिकायत है अपने मस्तिष्क के धरातल पर आंख बंद करके उनको माफ करें। एक गहरी सांस लें और मन मन में यह बात बोलें मैं आजाद हूं और बदलाव को अनुभव करें।इस बात को भी याद माफी माफ करने वाले लोगों के लिए है अन्य के लिए नहीं, क्योंकि माफी मांगना आसान नहीं बड़ी ही हिम्मत का काम है और देखा जाता है माफी काफी बलवान लोग मांग पाते हैं।
जय श्री कृष्ण
धन्यवाद