वृद्धावस्था – वृद्धावस्था क्या है? | What is old age?
वृद्धावस्था जीवन की उत्तरार्ध या जीवन की संध्या भी कही जा सकती है, जो वरदान स्वरुप किसी किसी सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होती है। वृद्ध हमारे घर की संपत्ति है ,जिनके पास जीवन का अथाह अनुभव होता है ,और ज्ञान का भंडार होता है ।हमारे घर के बुजुर्ग पके फल की तरह होते हैं ,जो नरम, मीठे ,रंगीन, और वाणी में अमृत के समान होते हैं।
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वृद्धावस्था क्या है? | What is old age?
हमारे परिवार के वृद्ध व्यक्ति वटवृक्ष की तरह होते हैं, जिनकी छाया में परिवार और समाज के लोग जीवन की थकान मिटाते हैं, विश्राम करते हैं, और निर्भय होकर उन पर आश्रित रहकर जीवन जीते हैं। भोजन में जैसे नमक से स्वाद बढ़ता है, बुजुर्ग से परिवार में संस्कार बढ़ता है इसलिए भोजन में जैसे नमक का होना अति आवश्यक है उसी तरह परिवार में बुजुर्ग का होना भी अति आवश्यक है।
जिंदगी के सभी अनुभव गूगल के पास उपलब्ध नहीं
परिवार में बुजुर्ग का होना बड़े ही आनंद की बात है,जिन से भरपूर लाभ उठाया जा सकता है ।ये बुजुर्ग जीवन के इस पड़ाव में बहुत ही अनुभव के बाद आत्मविश्वास और उत्तरदायित्व को धारण कर पहुंचते हैं ।हम इन बुजुर्गों से जीवन में बहुत कुछ सीख पग पग पर अपना उद्धार कर सकते हैं।
बुजुर्ग इन्सान शरीर से नहीं बल्कि अपने अनुभव और ज्ञान से होते हैं।वे अपने अनुभव और ज्ञान को अपने बच्चों में बांट कर खुशी खुशी अपना जीवन व्यतीत करते हैं। इनके साथ जरूर कुछ अलग समय व्यतीत करें।
अपने नित्य जीवन में आहार विहार और स्वास्थ्य का ध्यान रखे
वृद्धावस्था में जब तक शरीर स्वस्थ रहता है दुनिया हमारे साथ रहती है इसलिए इस उम्र में सेहत के लिए सदैव जागरूक रहना हमे खुशहाली देता है। इस उम्र में बुजुर्गों को स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिए व्यस्त रहना ,कम से कम या नियमित भोजन करना ,जल्दी सोना और जल्दी उठना ,ईश्वर में आस्था बड़ा ही कमाल का कार्य करता है ।
हंसमुख रहें
बुजुर्गों का इस उम्र में हंसमुख स्वभाव होना उन्हें बढ़ती उम्र में ऊर्जावान और सक्रिय बनाकर रखता है।अपने जीवन का हर दिन नए जोश उमंग और उत्साह के साथ व्यतीत करना खुशियों से उन्हें सारोबार रखता है।वे बच्चों और युवाओं के साथ अपना समय व्यतीत करें, तो वे भी खुश और बच्चे भी खूब आनंद महसूस करते हैं।
बन ठन कर रहे
परिवार के साथ ही रहने की कोशिश करें अलग रहने की चेष्टा ना करें। सवेरे सवेरे जल्दी उठकर अपने नित्य कर्म करके खूब सज धज कर तैयार हो , आसपास के किसी बगीचे में घूमने चले जाएं वहां प्रकृति के साथ अपना समय व्यतीत करें। नित्य जाने से वहां बैठे और घूमने आए लोगों से दोस्ती करें उनसे बातें करें उनके साथ समय बिताएं।
वृद्धावस्था में परिवार का साथ होना भगवान का दिया अनमोल तोहफा होता है। जिसे हमें संभाल कर रखना चाहिए ।काल्पनिक दुनिया से निकलकर अपने परिवार रूपी , संपत्ति को हमें स्नेह और वक्त देना चाहिए। परिवार के संग रहने से हमें मनोबल और जीवन का आनंद मिलता है, खुशियां मिलती है। उनके साथ जीवन के छोटे-छोटे पलो को बिताना खुशियों का अनुभव करना हमें ऊर्जावान बनाता है।
युवा अवस्था से ही तैयारी शुरू करें।
वृद्धावस्था को आनंद और उत्साह के साथ गुजारने के लिए युवावस्था में हमें वृद्धावस्था की योजना बनाकर जीना अति आवश्यक है।अपनी आर्थिक योजना पर युवावस्था से ही योजना बना कर जीवन की वृर्द्धावस्था को खुशियों से भर जीवन जिया जा सकता है। युवावस्था में एफडी, म्यूच्यूअल फंड, गोल्ड इंश्योरेंस ,गवर्नमेंट सिक्योरिटी, एनबीएफसी आदि में नियमित निवेश कर हम आर्थिक योजना पर कार्य कर खुशी का अनुभव कर सकते हैं, निश्चिंत रह सकते हैं।
आगे जहां रहेंगे उसको सुनिश्चित कर लें
वृद्धावस्था में हमें आवास के संबंध में भी पूर्व योजना बना लेनी चाहिए कि आगे चलकर हम कहां रहेंगे। इससे हम बेफिक्र होकर खुशी-खुशी अपना जीवन बिताते हैं उस जगह पर उन सब चीजों की तैयारी करते हैं जो जीवन यात्रा में हर समय हमें लगेगी।
वसीयत बनाएं
अपनी वसीयत को जीवन यात्रा का हिस्सा बना कर हमें वसीयत भी बनानी चाहिए जिसमें सब चीजें स्पष्ट रूप से लिखी हो ,ये हमें जीवन के हर कदम पर खुशियां देती है। इससे परिवार के लोग काफी प्रसन्न रहते हैं, हमारा आदर करते हैं। जिससे यह सम्मान की क्रिया आपके प्रति आपके न रहने पर भी आपके प्रति परिवार में कायम रहती है।
अपने सभी कागजात संभाल कर और नवीनीकरण के साथ रखें।
अपने सभी जरूरी कागजात जैसे जन्म प्रमाण पत्र ,पासपोर्ट, पैन कार्ड, मैरिज रजिस्ट्रेशन ,सभी जरूरी कागजात को हमें संभाल कर अपने पास रखना भी खुशियां देता है ।
हर परिस्थिति में धैर्यवान बनकर जीना सीखें।
धैर्य मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र है जिसने इस से दोस्ती की वह वृद्धावस्था मेंजीवन के प्रत्येक क्षणों का आनंद उठाता है। चुनौतीयों को जो अपने ऊपर हावी नहीं होने देते वही वृद्धावस्था में खुश रह पाते हैं ।शांत और धैर्यवान व्यक्ति को सभी पसंद करते हैं ,उनके साथ रहना चाहते हैं,और सामाजिक क्षेत्र में भी सभी जगह उनका स्वागत होता है। धैर्य मनुष्य को स्वस्थ रहने में भी मदद कर उसकी उम्र को भी बढ़ा देता है।
कुछ क्षण हंसने की आदत डालें
हंसना एक औषधि है और यदि हम हंसते गाते हैं तो सब हमारे साथ होते हैं ।यह अवस्था हमें विश्राम देती है आनंद देती है खुशियां देती है। परिवार ,मोहल्ले आदि में मित्र बनाएं उनके साथ हंसे बोले अपने मन की बातें करें और खुश रहें।
अपने कार्य स्वयं करने की आदत डालें
जहां तक हो सके अपने सभी कार्य को स्वयं करने की आदत इस उम्र मे हमें खुशियां देती है । इससे हम परिवार के ऊपर कभी बोझ नहीं बनते और परिवार के सभी सदस्य हमारा आदर करते हैं। हमारा समय भी गुजरता है और हम व्यस्त रह मस्त रहते हैं।
पति पत्नी एक दूसरे को अपने गुप्त जानकारियां बता कर रखें
पति पत्नी को अपनी सभी कीमती बातों को एक दूसरे की जानकारी देकर रखना भी उन्हें खुशियां दे सकता है। इस जानकारी से दोनों ही प्रसन्न रह पाते हैं। उनके जीवन में किसी तरह की चिंता नहीं रहती। एक दूसरे में मान सम्मान की भावना बनी रहती है और वह निर्णय भी ले पाते है।
सेवा करते रहे।
किसी की सेवा मदद और परोपकार से जो सुख मिलता है वह सच्चा होता है। इससे मानसिक शांति और खुशी का एहसास होता है इसलिए हमें इस दिशा में भी तत्पर रहना चाहिए। यह हमें इस उम्र में खुशियों से भरताहै। यह भावना रहने से हम दूसरों के दिलों में भी जगह बना पाते हैं ।उनकी भावना को प्रसन्नता पहुंचा कर खुद भी प्रसन्न रह पाते हैं। इसके लिए जरूरत पड़ने पर अपने इष्ट मित्रों के साथ नई नई योजनाएं बनाएं, इससे समय भी कटता है और जीवन में व्यस्तता रहती है, इससे हम भी खूब ऊर्जावान रहते हैं।
तोहफा देने की आदत रखें
हर परिस्थिति में किसी को कुछ न कुछ देने की आदत हमें खुशियों से भरती है ।वह चाहे एक फूल या कोई कार्ड भी हो सकता है। घर में किसी की मैरिज एनिवर्सरी हो, जन्मदिन हो, किसी ने कुछ अच्छा किया हो, तो उसे तोहफा देते रहे इससे आप उनके दिलों में छाए रहेंगे, अपने मोहल्ले, कंपलेक्स के इष्ट मित्रों को भी समय-समय पर कुछ देते रहें।
सुबह के समय को प्रकृति से दोस्ती निभा कर व्यतीत करें।
प्रातः कालीन भ्रमण, पेड़ पौधों से दोस्ती करना, बगीचा लगाना ,खुद को व्यस्त रखना, बगीचे की देखभाल करना अपने मित्रों के साथ प्रातः कालीन भ्रमण करना और इस समय बातचीत के द्वारा आनंद उठाना भी खुशियों से भरता है। अपने आसपास के बगीचे में घूमने जाएं, अपने मित्रों से बातचीत करें ,सुबह की इस वायु से अपने आप को ऊर्जावान बनाए।
योग और प्राणायाम हर उम्र का व्यक्ति कर सकता है जरूर करें
प्रातः कालीन समय में योग ,व्यायाम, प्राणायाम के द्वारा हम अपने शरीर को स्वस्थ रख कर वृद्धावस्था में खुश रह सकते हैं। योग और प्राणायाम से मन मस्तिष्क और शरीर में रक्त प्रवाह तेज होता है, जिससे हमारा मस्तिष्क आनंद से, शरीर ऊर्जा से भरता है, और मन प्रसन्न होता है ,जरूर जरूर जरूर करें।
संतुलित आहार
संतुलित आहार करें। समय समय पर उपवास करें। कभी-कभी सुबह के नाश्ते पर घर से बाहर मित्रों के साथ जाकर भी हम खुशियां बटोर सकते हैं।
अपनी पत्नी या के साथ घूमने जाने की योजना बनाए
अपनी पत्नी के साथ वृद्धावस्था में पर्यटन पर घूमने जाकर भी हम आनंद ले सकते हैं। इस उम्र में घूमने जाने से आपसी रिश्तो में मधुरता आती है ,एक दूसरे की जरूरत समझ पाते हैं, और प्रसन्नता से भर जाते हैं।
युवाओं के साथ समय बिताने का मौका ना छोड़े
नव युवकों के साथ जूड़ना भी इस उम्र में उनसे अपनी बातों को ,अपने अनुभव को बताना ,भी वृद्धावस्था में आनंद देता है । घर के बच्चों के साथ खेल कूद कर ,गप्पे लड़ा कर, पतंगे उड़ा कर ,उनके साथ तैराकी में जाकर, उनके साथ समय बिता कर भी हम आनंदित हो सकते हैं। आजकल के इस टेक्नोलॉजी के युग में युवाओं से नई नई मोबाइल के द्वारा की जाने वाली टेक्नोलॉजी सीखें और उसमें लग कर भी अपने आप को व्यस्त रखें और अपडेट रखें इससे आपका समय भी कटेगा और आप अपने आत्मविश्वास को बनाए रखेंगे।
नया-नया ज्ञान सीखने की आदत रखें।
सदैव कुछ नया सीखने की आदत भी हमें खुशियां देती है।हम अनुभवी या सत्संगी लोगों का संग कर भी इस उम्र को खुशी के साथ बिता सकते हैं। ऐसे मित्रों या रिश्तेदारों के साथ ज्यादा से ज्यादा रहे जो हमारे मस्तिष्क में सकारात्मक विचार भरते हो जिससे हम प्रसन्न रह पाते हैं ।
धार्मिक किसी मंत्र से जरूर जुड़े रहे।
ओम का उच्चारण, ध्यान, प्रार्थना ,आत्मविश्वास और मनोबल को सुदृढ़ करती है जो हमें खुशियां दे, ऐसे किसी भी बरसे मंत्र से जुड़े रहे यह आपको ऊर्जावान करता रहेगा।
वाणी का संयम बनाकर रखें।
वाणी पर संयम यानी मीठी वाणी बोल कर भी हम इस वृद्धावस्था में आनंद का अनुभव कर सकते हैं। दूसरों की गलतियों को माफ़ करना, नजरअंदाज करना भी इस अवस्था में खुशियां देता है। इससे हम अगली पीढ़ी के दिलों पर राज करते हैं ,हमें मान सम्मान मिलता है और हम प्रसन्न रह पाते हैं।
अच्छी पुस्तकों को पढ़ने की आदत बनाएं।
अच्छी पुस्तके जीवन का अनमोल धन अनमोल रत्न है पुस्तकों से प्रेम पुस्तकों के संग आनंद लेना बड़ा ही खुशी और जोश प्रदान करता है। पुस्तकों के माध्यम से हम दुनिया की सैर ,ज्ञान, प्राप्त कर लाभ ले सकते हैं। हम जितना इस उम्र में पुस्तकों से जुड़ते हैं उतना हमारा मन और मस्तिष्क क्रियाशील रहता है। दिमाग तंदुरुस्त रहता है ,हमारी सोच सकारात्मक बनती है और हम खुशियों के साथ अपनी वृद्धावस्था में आनंद उठा सकते हैं।
अपनी निजी डायरी लिखें
अपने अनुभव को लिखना हमें इस अवस्था में आनंदित कर सकता है। यह हमारा खास मित्र होती है, जिसमें हम अपनी सभी निजी बातें लिखकर अपने मन को खाली कर पाते हैं ,जो हमें ऊर्जावान रखता है। इस उम्र में बहुत सी चीजें हमें याद रखने में कठिनाई होती है, वह भी इस डायरी में हम नोट करके सदैव याद रख पाते हैं।
अगर आपको कमाना आता है।
धन कमाने की कोई उम्र नही होती। जो काम आपको आता है,उसे करते रहिये। अमिताभ बच्चन, और वारेन बफेट ७५ साल की उम्र में करोड़ों रुपया कमा रहे हैं। हमारे भारतवर्ष में आजकल हमारे बच्चे नौकरी करने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, हम माता-पिता भी उन्हें पढ़ा लिखा कर नौकरी में लगाकर रिटायर होना पसंद करते हैं ।यह गलत है अपना काम कभी नहीं छोड़े, अपने बच्चों की कमाई पर निर्भर रहने की आशा छोड़ दे।
रिश्तेदारी निभाना जारी रखें
खुशियां बांटने से बढ़ती है ।दूसरे के दिलों में जिंदा रहने की कोशिश कुटुंब और रिश्तेदारों से संबंध मधुर रखना भी इस उम्र में हमें खुशियां देता है। रिश्तेदारों को तोहफा देने की आदत चाहे वह छोटी ही हो,जो एक कार्ड, एक फूल, एक पुस्तक, के माध्यम से भी हम छोटा तोहफा देकर या देने की आदत रखकर इस अवस्था में मान-सम्मान की प्राप्ति कर सकते हैं, जो हमें खुशियां देती है।
एक या दो ऐसे मित्र जरूर बनाएं
इस वृद्धावस्था में एक या दो सच्चे मित्र जो हमारे सलाहकार हो उनका संग जीवन में हमेशा खुशियां बनाए रखता है। उनके साथ कहीं घर पर या बाहरजाने की योजना बना कर हम आनंदित हो सकते हैं। कई बार हम अपने पुराने मित्र के घर उपहार को लेकर अचानक पहुंचकर उन्हें सरप्राइस भी दे सकते हैं जो हम दोनों मित्रों को खुशियां दे सकता है ।
अपने शौक को विस्तार करें
खाली समय में चित्रकारी का शौक रखना भी खुशियां देता है।वर्तमान डिजिटल युग का समय है। इस समय सोशल मीडिया पर स्मार्टफोन द्वारा जुड़े बच्चों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं ।इस फोन से भी अपने जीवन में भरपूर आनंद ले सकते हैं ।दुनिया से दूर रहकर भी दुनिया से जुड़े रह सकते हैं, देश दुनिया की जानकारी रख सकते हैं ।
वृद्धावस्था एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने का समय है। इस समय आने वाली पीढ़ी के विचारों से ,उनके रहन-सहन से, उनके पहनावे से तालमेल बनाकर चलें। उनकी भावनाओं का मान सम्मान करें और उसे स्वीकार करते रहे तभी आप प्रसन्न रह सकेंगे, क्योंकि हर आने वाली पीढ़ी जो लेकर आती है पिछली पीढ़ी को स्वीकार करना ही पड़ता है यह इस संसार का नियम है।
कुछ उसूल अपने जीवन में रखें ताकि अपमान नहीं झेलना पड़ेगा ।इसके लिए पहली बात तो अपने आप को हर संभव फिट रखने की कोशिश कीजिए। दूसरी बात उम्र कितनी भी क्यों ना हो एक निश्चित दिनचर्या बनाकर रखें। सोने , उठने,खाने-पीने ,सब चीज का एक तय समय रखें। तीसरी बात अपने बच्चों से टेक्नोलॉजी के मामले में हर हाल में आगे बढ़ने की कोशिश करें,हर चीज की जानकारी रखने का प्रयास करें। चौथी बात किसी भी हाल में कमाना ना छोड़े।
वृद्धावस्था कुल मिलाकर जीवन का अमूल्य उपहार है जिसमें जीने की कला को सीखने की हमें जरूरत है ।वृद्धावस्था में हमारा जीवन इस बात पर बहुत निर्भर करता है हमने युवावस्था में अपने जीवन को कैसे जिया। इसके लिए हमें अपना लक्ष्य और पूरा ज्ञान प्राप्त करना भी अति आवश्यक है जो हमारी वृद्धावस्था को खुशियों से भर सकता है धन्यवाद।
Jai sree krishna
हम सबके बुजुर्ग कृष्ण हैं। जगतगुरु कृष्ण ने जीवन के सभी अनमोल रहस्य को इसे गीता के माध्यम से बता दिया है। कैसे जीना, कैसे सब परिथिति का सामना करना, कैसे अंतिम यात्रा की तैयारी करना। पढ़ें, सीखें, जियें, और खुश रहें।
अगर आप अभी युवा हैं तो अपने घर के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते रहें। इनके चेहरे पर मुस्कान बनी रहे इसका भी सदैव ध्यान रखें।
आपकी सफलता पक्की है।
Thank you
Jai sree krishna