What is the main knowledge of Gita?
वास्तव में श्रीमद भगवत गीता का महत्व वाणी द्वारा वर्णन करने का किसी का सामर्थ्य नहीं है,क्योंकि यह एक परम रहस्यमय ग्रंथ है
गीता में संपूर्ण वेदों का सार - सार संग्रह किया गया है।इसकी संस्कृत इतनी सरल है कि थोड़ा सा अभ्यास करने मात्र से मनुष्य आसानी से इसे समझ जाता है।
गीता का अर्थ इतना गंभीर है कि आजीवन निरंतर अभ्यास करते रहने पर भी उसका कहीं अंत नजर नहीं आता।
गीता में प्रतिदिन नए-नए भाव उत्पन्न होते हैं, जिससे यह गीता के श्लोक सदैव नवीन बने रहते हैं ।
एकाग्र चित्त होकर श्रद्धा भक्ति के सहित विचार करने से इसमें प्रत्यक्ष में गहरा रहस्य प्रतीत होता है।
भगवान के प्रभाव और मर्म का वर्णन जिस प्रकार इस gita शास्त्र में किया गया है वैसा किसी अन्य शास्त्र या ग्रंथों में नहीं मिलता,क्योंकि प्राय: अन्य ग्रंथों में कुछ न कुछ संसार का विषय भी मिला रहता है।
भगवान ने श्रीमद्भगवद्गीता को एक ऐसा अनुपम शास्त्र कहा है जिसका एक भी शब्द सदुपदेश से खाली नहीं है।
भगवान ने गीता जी में कहा है कि इस गीताजी को भली प्रकार पढ़कर अर्थ और भाव सहित अंतःकरण में धारण कर लेना और जीवन में प्रयोग करना, ही मानव का मुख्य कर्तव्य है
यह गीता शास्त्र भगवान श्री विष्णु के मुखारविंद से निकला हुआ है,इसलिए गीता पढ़ने के बाद अन्य किसी शास्त्र को विस्तार से पढ़ने का कोई प्रयोजन नहीं रह जाता।
इस गीता शास्त्र पर हर मानव मात्र का अधिकार है चाहे वह किसी भी वर्णाश्रम जाति संप्रदाय या धर्म का हो किंतु भगवान में श्रद्धालु और भक्ति होने वाला ही इस ग्रंथ का अधिकारी है।
कल्याण की इच्छा वाले मनुष्यों के लिये उचित है कि वह संसार की मोह माया को त्याग कर अतिशय श्रद्धा भक्ति पूर्वक अपने बालकों को अर्थ और भाव के सहित श्री गीता जी का अध्ययन कराएं और
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