हम खुशी के बारे में यह भी जाने
अपने आज को सजाने का प्रयास करें
बीता कल गया और आने वाले कल का कुछ पता नहीं
खुशियों के लिए किसी और का इंतजार ना करें
हमारी खुशियों भरी जिंदगी के हम स्वयं ही शिल्पकार हैं
आइए आज चलकर अपनी चुनौतियों को हराते हैं
जिस स्थिति से हम उबते नहीं वही हमारा वास्तविक स्वरूप है
हम अपने निज स्वरूप में रहकर ही खुश रह सकते हैं
हमारा निज स्वरूप शांति प्यार मुस्कान सुख मीठे बोल और उत्साह है।
अपने निज स्वरूप में रहने से हमें निश्चिंतता मिलती है,हम खुश रह पाते हैं
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जीवन जीने के स्वर्णिम सूत्र जानने के लिए गीता से जुड़े,सत्संग ईश्वर की ट्रेनिंग स्कूल है।
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