हमारा मन ही कृष्ण का निवास स्थान है, और गीता के अनुसार इंद्रियों में मन कृष्ण का स्वरूप ही है, इसलिए हम अपने मन को सजाएं interior your mood
काम क्रोध लोभ मोह को जीतने वाला पुरुष श्रीकृष्ण को प्रिय है।
ज्ञानी पुरुष को साक्षात अपना स्वरूप बताया कृष्ण ने
श्री कृष्ण ने बताया उनके साथ रहने वाले, सिर्फ कृष्ण को ही मन में धारण करने वाले व्यक्ति के सभी अज्ञान अपनी ज्ञान शक्ति के द्वारा कृष्ण हरण कर लेते हैं।
श्री कृष्ण को मन से ध्यान करने वाला व्यक्ति इस रहस्य को समझ जाता है, कि कृष्ण के अतिरिक्त इस संसार में और कुछ भी नहीं है, जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वह उसी की सत्ता का स्वरूप है और उसके बाद वह कृष्ण के सिवाय किसी को नहीं मानता।
जो व्यक्ति अपने मन को श्री कृष्ण के चरणों में लगाते हैं, उन्हें भगवान अभय प्रदान करते हैं, और बिना भय वाला व्यक्ति ही इस संसार सागर को पार कर पाता है।
मन को जीतने से ही बुद्धि स्थिर होती है, और जीते हुए मन वाले व्यक्ति का अंतः करण ही प्रसन्नता को प्राप्त करता है।
अपने मन की जांच करें, अगर हमारा मन दुख की प्राप्ति में उद्योग ना करे, और सुख की प्राप्ति में मन सर्वदा नि:स्पृह और समान रूप से रहे, और उसके मन में राग भय और क्रोध ना हो ,तो यह समझ जाएं कि उस मानव का मन कृष्ण में लगा हुआ है।
कृष्ण ने अपने चरणों में ही शांति को बताया, हमारे मन का निवास स्थान बताया, उनकी कथाओं में प्रेम , उनके नाम का जप, और एकमात्र अपनी शरण में ही हंसी खुशी को बताया।
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